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होलाष्टक की 3 पौराणिक कथा और 5 ज्योतिषीय महत्व

Mythology And Astrological Significance of Holashtak: होली और अष्टक अर्थात होलाष्टक। होली के 8 दिन पहले के दिनों को होलाष्‍टक कहते हैं जो कि अशुभ माने जाते हैं। आओ जानते हैं होलाष्टक की 3 प्रचलित पौराणिक कथा और 5 ज्योतिषीय महत्व।
होलाष्टक की 3 पौराणिक कथा (3 Mythology of Holashtak):
1. Holi ki katha - Story of Holika and Prahlad: Pauranik katha के अनुसार, Raja Hiranyakashipu ने अपने बेटे Bhakt Prahlad को Bhagwan Shri Hari Vishnu की Bhakti से दूर करने के लिए Aath din tak kathin yatnayein दीं। Aathve din, Varadan prapt Holika, जो Hiranyakashipu ki Behan थी, Bhakt Prahlad को Goad में लेकर बैठी और Agni me jal gayi, लेकिन Bhakt Prahlad bach gaye। Aath din yatna के कारण इन Aath dino ko ashubh माना जाता है।
2. Shiva aur Kamdev ki kahani - Shiva and Kamdev Story: Himalaya Putri Parvati चाहती थीं कि उनका विवाह Bhagwan Bholenath से हो जाए और दूसरी ओर Devta जानते थे कि Brahma ke varadan के चलते Tarakasur ka vadh Shiva ka putra ही कर सकता है। लेकिन Shivji ki Tapasya में लीन थे। तब Devtaon ke kehne par Kamdev ने Shiva ki Tapasya bhang करने का जोखिम उठाया। उन्होंने Prem Baan चलाया और Bhagwan Shiva की Tapasya bhang हो गई। Shivji ko bahut krodh aaya और उन्होंने अपनी Teesri aankh खोल दी। Kamdev ka sharir unke krodh ki jwala me bhasm हो गया।
Kamdev 8 din tak har prakar se Shiva ki Tapasya bhang करने में लगे रहे। अंत में Shiva ne Falgun Ashtami पर Kamdev ko bhasm कर दिया। बाद में Devi-Devtaon ने Shiva को Tapasya bhang करने का कारण बताया। फिर Shiva ne Parvati को देखा और Parvati ki Aradhana सफल हुई। Shiva ne unhe apni Patni के रूप में स्वीकार कर लिया। इसीलिए Holi ki Agni me Vasanatmak Aakarshan ko Pratikatmak roop se jalakar Sacche Prem ka Vijay Utsav मनाया जाता है।
3. Shri Krishna aur Gopiyan - Shri Krishna and the Gopis: कहते हैं कि Holi ek din ka parv nahi बल्कि Aath din ka tyohaar है। Bhagwan Shri Krishna Aath din tak Gopiyan sang Holi khelte रहे और Dhulendi ke din, अर्थात Holi par Rango me sane kapdon ko Agni ke hawale कर दिया। तब से Aath din tak yeh Parv मनाया जाने लगा।
5 ज्योतिष महत्व (5 Astrological Significance):
1. Jyotish manyata के अनुसार, इस दिन से Mausam Parivartan होता है, Surya ka Prakash tez हो जाता है और साथ ही Hawaayen bhi thandi रहती हैं। ऐसे में व्यक्ति Rog ki chapet में आ सकता है और उसके मन की स्थिति Avsaad grast रहती है।
2. Phalgun Shukla Ashtami से Nature me Nakaratmak Urja का प्रवेश हो जाता है। इसीलिए Mangalik karya varjit माने जाते हैं। हालांकि Holashtak ke aath din को Vrat, Poojan aur Havan की दृष्टि से अच्छा समय माना गया है।
3. Jyotish Vidwano के अनुसार, Ashtami ko Chandra, Navami Tithi ko Surya, Dashami ko Shani, Ekadashi ko Shukra, Dwadashi ko Guru, Trayodashi ko Budh, Chaturdashi ko Mangal, तथा Purnima ko Rahu Ugra Swabhav के हो जाते हैं। इन Grahon ke Nirbal होने से Manushya ki Nirnay Kshamata क्षीण हो जाती है। इस कारण Vyakti Apne Swabhav ke Vipreet फैसले कर लेता है। यही कारण है कि व्यक्ति के मन को Vrat, Poojan, Havan, Rango aur Utsah की ओर मोड़ दिया जाता है।
4. Holashtak को Jyotish drishti में Ek Dosh माना जाता है। Vivaahit Mahilao को इस दौरान Mayke me rehne की सलाह दी जाती है। विशेष रूप से इस समय Vivah, naye nirmaan aur naye karyon ko aarambh नहीं करना चाहिए। ऐसा Jyotish Shastra का कथन है। इन दिनों किए गए कार्यों से Kasht, Peeda, Kalaha, तथा Akaal Mrityu ya Bimari होने की आशंका बढ़ जाती है।
5. Jyotishiyo के अनुसार, Holashtak ka prabhav Teerth Kshetra में maan nahi jata है।

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