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नवरात्रि की नौवीं देवी मां सिद्धिदात्री की कथा

Maa Siddhidatri: Navratri Ninth Day (मां सिद्धिदात्री)
Pauranik Manyata (Mythological Belief) के अनुसार, एक बार पूरे Brahmand (Universe) में Andhkar (Darkness) छा गया था। उस अंधकार में एक छोटी सी Kiran (Divine Ray) प्रकट हुई। धीरे-धीरे यह Divine Light बड़ी होती गई और फिर इसने एक Divya Nari (Celestial Goddess) का रूप धारण कर लिया।
Maa Siddhidatri ने प्रकट होकर Tridev (Brahma, Vishnu, Mahesh) को जन्म दिया। Shiva Ji ने इनकी Aaradhana (Worship) की, और Devi ने उन्हें Siddhiyan (Supernatural Powers) प्रदान कीं। इसी कारण Devi Bhagwati का Navam Swaroop (Ninth Form) Maa Siddhidatri कहलाया।
Siddhidatri Devi की कृपा से ही Shiva Ji का आधा शरीर Devi Ka (Goddess Form) हो गया, जिसके कारण उनका एक नाम Ardhanarishwar पड़ा।
एक अन्य Pauranik Katha (Mythological Story) के अनुसार, जब सभी Devi Devta (Gods & Goddesses) Mahishasur (Demon) के Atrocities से परेशान हो गए, तो सभी Devtas ने Tridev (Brahma, Vishnu, Mahesh) की Sharan (Refuge) ली। फिर तीनों Devta ने अपने Tej (Divine Energy) से Maa Siddhidatri को जन्म दिया।
इसके बाद, सभी Devtas ने Maa को अपने Shastra (Weapons) प्रदान किए और Mata ने Mahishasur से युद्ध कर उसका Ant (Destruction) कर दिया।

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Shri Narasimha Kavacham (श्री नृसिंह कवच)

श्री नरसिंह कवच भगवान नरसिंह (Lord Narasimha), जो विष्णु के उग्र अवतार (Fierce Incarnation of Vishnu) हैं, की कृपा और सुरक्षा (Divine Protection) प्राप्त करने के लिए एक पवित्र स्तोत्र है। यह कवच भगवान नरसिंह की अद्भुत शक्ति (Divine Power) और उनके भक्तों की रक्षा (Protection) करने की क्षमता का वर्णन करता है। इसमें भगवान नरसिंह के विभिन्न अंगों की स्तुति (Praise) और उनकी कृपा से नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energies) और भय (Fear) से मुक्ति पाने का मार्ग बताया गया है। यह स्तोत्र व्यक्ति को आध्यात्मिक बल (Spiritual Strength), साहस (Courage), और आत्मिक शांति (Inner Peace) प्रदान करता है। श्री नरसिंह कवच को नित्य पाठ करने से भक्तों को रोगों (Diseases), शत्रुओं (Enemies), और जीवन की बाधाओं से सुरक्षा मिलती है।
Kavacha

Ratri Suktam (रात्रि सूक्तम)

रात्रि सूक्तम् देवी दुर्गा (Goddess Durga) का एक प्रसिद्ध स्तोत्र है और यह देवी की स्तुति करता है। रात्रि सूक्तम् वास्तव में नारायण (Narayan) और हर साधक (Sadhak) में स्थित गुप्त ऊर्जा (latent energy) की प्रशंसा है। इस सूक्त का उपयोग उस ऊर्जा को जागृत करने और मानसिक शक्ति (mind powers) को बढ़ाने के लिए किया जाता है। रात्रि सूक्तम् नींद संबंधी विकारों (sleep disorders) से पीड़ित लोगों द्वारा भी उपयोग किया जाता है। इसका नियमित पाठ (regular recitation) मन को जल्दी सोने के लिए तैयार करता है और शरीर में ऊर्जा (energy level) को संतुलित करता है। इसे सोने से पहले 2-3 बार पढ़ने की सलाह दी जाती है। रात्रि सूक्तम् ऋग्वेद (Rig Veda) से लिया गया है। ऋग्वेद चारों वेदों में प्रमुख स्थान रखता है और यह संभवतः सभी मानव जाति के लिए देवी काली (Divine Mother Kali) को समर्पित सबसे प्राचीन प्रार्थना है। रात्रि सूक्तम् देवी से अज्ञान (ignorance) और आंतरिक शत्रुओं (inner nocturnal enemies) जैसे अनिद्रा (sleeplessness) और वासनाओं (lust) को दूर करने की प्रार्थना करता है। ऋग्वेद संहिता में रात्रि और तंत्र में वर्णित देवी महात्म्य का सर्वोच्च ब्रह्म (Supreme Absolute Brahman) एक ही है। यह संस्कृत में लिखा गया सूक्तम् (Sanskrit hymn) है। सप्तशती पाठ (SaptaShati Patha) के दौरान रात्रि सूक्तम् और उसके बाद अगरला स्तोत्र (Agarla Stotra) व कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotra) का पाठ किया जाता है। रात्रि सूक्तम् देवी मां की शक्तियों और उनके भक्तों के लिए उनकी कृपा का वर्णन करता है। यह दर्शाता है कि देवी मां हमें वह सबकुछ देने में सक्षम हैं जिसकी हम कामना करते हैं। ऋग्वेद के इस स्तोत्र में रात्रि का अर्थ ‘देने वाली’ (giver) से लिया गया है, जो आनंद (bliss), शांति (peace) और सुख (happiness) प्रदान करती है। वैदिक सूक्त दो प्रकार की रातों का उल्लेख करता है - एक जो नश्वर प्राणियों के लिए होती है और दूसरी जो दिव्य प्राणियों के लिए होती है। पहली रात में अस्थायी गतिविधियां रुक जाती हैं, जबकि दूसरी रात में दिव्यता की गतिविधियां भी स्थिर हो जाती हैं। "काल" (Kala) का अर्थ समय (time) है, और यह पूर्ण रात्रि विनाश की रात्रि है। मां काली (Mother Kali) का नाम इसी शब्द से लिया गया है।
Sukt

Shri Bhagavad Gita Stotram (श्री भगवद्भक्तानाम्)

श्री भगवद गीता स्तोत्रम् भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए दिव्य उपदेशों का सार है, जिसमें धर्म (Dharma), कर्म (Action) और भक्ति (Devotion) का महत्व बताया गया है। यह स्तोत्र भगवान (God) के प्रति श्रद्धा (Faith) और विश्वास बढ़ाने का एक प्रभावशाली साधन है। इसमें भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अद्वितीय स्वरूप और उनकी आध्यात्मिक शक्ति (Spiritual Power) का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र आत्मा (Soul) की शुद्धि, मोक्ष (Salvation) और आध्यात्मिक जागरूकता (Spiritual Awakening) प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्री भगवद गीता स्तोत्रम् का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता (Positivity), शांति (Peace) और सफलता (Success) लाता है। यह स्तोत्र योग (Yoga) और ध्यान (Meditation) के साथ किया जाए तो मन और आत्मा को संतुलित करता है। यह उन लोगों के लिए आदर्श है जो जीवन में सही दिशा, दिव्य कृपा (Divine Grace) और आध्यात्मिक मार्गदर्शन (Spiritual Guidance) की तलाश कर रहे हैं।
Stotra

Shri Kamalapati Ashtakam (श्री कमलापति अष्टकम् )

श्री कमलापति अष्टकम भगवान विष्णु के प्रसिद्ध अष्टकमों में से एक है । कमलापत्य अष्टकम् भगवान विष्णु की स्तुति में रचित और गाया गया है। यह एक प्रार्थना है जो विष्णु को समर्पित है। विष्णु हमें सच्चा मार्ग दिखाते हैं और उस माया को दूर करते हैं जिसमें हम जीते हैं। यह अष्टकम स्तोत्र है, जिसे यदि पूर्ण भक्ति के साथ पढ़ा जाए तो यह मोक्ष या अंतिम मुक्ति के मार्ग पर ले जाता है। कमलापत्य अष्टकम् भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे स्वामी ब्रह्मानंद द्वारा रचा गया है।
Ashtakam

Shri Gauri Ashtakam (श्री गौरीअष्टकम्)

श्री गौरी अष्टकम एक दिव्य स्तोत्र है, जिसमें माँ गौरी की महिमा और उनके अनुग्रह की स्तुति की गई है। इस अष्टकम में माता पार्वती, जिन्हें शिव की अर्धांगिनी भी कहा जाता है, के रूप, गुण और उनके भक्तों पर कृपा का उल्लेख है। इसमें बताया गया है कि माँ गौरी, कैलाश पर्वत की देवी, अपने भक्तों को जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति प्रदान करती हैं और उन्हें सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देती हैं। इस स्तोत्र में महादेव के साथ माँ गौरी के प्रेम और शक्ति का वर्णन भी मिलता है। काशी, हरिद्वार, और उज्जैन जैसे पवित्र स्थानों का उल्लेख करते हुए, इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। माँ गौरी, जिन्हें दुर्गा, शक्ति और अन्नपूर्णा के रूप में भी पूजा जाता है, उनकी आराधना करने से न केवल सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि आत्मिक शांति भी मिलती है। श्री गौरी अष्टकम का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि और महाशिवरात्रि के दिनों में अत्यंत फलदायी माना जाता है।
Ashtakam

Lakshmi Puja Vidhi (लक्ष्मी पूजा विधि)

Goddess Lakshmi Puja के लिए सबसे पहले clean altar पर Lakshmi Mata और Lord Ganesha की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। Kalash Sthapana करें, जिसमें Ganga Jal, betel leaves, coins, और rice grains डालें। फिर incense sticks, diya lighting, और fresh flowers अर्पित कर Shodashopachara Puja विधि से Goddess Lakshmi की पूजा करें। Kumkum, turmeric, sandalwood paste, और sweets अर्पित करने से divine blessings प्राप्त होती हैं। पूजा के दौरान Lakshmi Gayatri Mantra, Shri Sukta, और Kanakdhara Stotra का पाठ करना शुभ माना जाता है, जिससे financial prosperity और wealth abundance प्राप्त होती है। विशेष रूप से Diwali, Dhanteras, Sharad Purnima, Akshaya Tritiya, Kojagari Purnima, और Navratri पर Lakshmi Puja करना अत्यंत शुभ होता है। इन अवसरों पर Goddess Lakshmi की कृपा से luck, prosperity, और success in career प्राप्त होती है। New Business Opening, Housewarming Ceremony, और Financial Year Beginning पर भी यह पूजा करने से positive energy और monetary benefits मिलते हैं।
Puja-Vidhi

Shri Yamunashtakam Stotra (श्री यमुनाष्टकम् स्तोत्र)

पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार, भुवनभास्कर सूर्य देवी यमुना के पिता, मृत्यु के देवता यम भाई और भगवान श्री कृष्ण देवी के परि स्वीकार्य किये गए हैं। जहां भगवान श्री कृष्ण ब्रज संस्कृति के जनक कहे जाते है, वहां देवी यमुना इसकी जननी मानी जाती हैं। इस प्रकार यह सच्चे अर्थों में ब्रजवासियों की माता है। देवी यमुना को प्रसन्न करने व उनका आशीर्वाद पाने के लिए यमुना नदी में स्नान करने के बाद श्री यमुनाष्टक स्तोत्र का पाठ किया जाता है। मान्यता है कि स्तोत्र का का पाठ करने से देवी यमुना जल्द प्रसन्न होती हैं, मनुष्य को आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्री यमुनाष्टक स्तोत्र में 8 श्लोक हैं, जिनमें देवी यमुना की सुंदरता, उनकी शक्तियों के बारे में बताया गया है। स्तोत्र में देवी यमुना और श्रीकृष्ण के संबंध का भी वर्णन किया गया है।
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Shri Janki Ji Arti (श्री जानकी जी की आरती)

श्री Janki Ji की आरती देवी Sita Mata की divine grace और पवित्रता का वर्णन करती है। Hindu mythology में उन्हें goddess of devotion, purity और strength के रूप में revered किया जाता है। यह आरती भक्तों को peace, happiness और spiritual energy प्रदान करती है। Sita Mata की पूजा से life में obstacles दूर होते हैं और prosperity, blessings और positivity का संचार होता है। उनकी आरती का गान भक्तों को divine protection और dharma के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
Arti

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