No festivals today or in the next 14 days. 🎉

चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से, कैसे करें देवी आराधना, जानें घट स्थापना के मुहूर्त

इस बार तृतीया तिथि क्षय होने से अष्टरात्रि में होगी देवी आराधना

Chaitra Navratri 2025: इस माह की दिनांक 30, दिन Sunday से Chaitra Navratri प्रारंभ होने जा रही है। हमारे Sanatan Dharma में Navratri का पर्व बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। Hindu Year में Chaitra, Ashadha, Ashwin और Magha मासों में चार बार Navratri का पर्व मनाया जाता है, जिसमें दो Navratri को Pragat एवं शेष दो Navratri को Gupt Navratri कहा जाता है।
Chaitra और Ashwin मास के Navratri में Goddess Durga की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा-आराधना की जाती है, वहीं Ashadha और Magha मास में की जाने वाली देवी पूजा 'Gupt Navratri' के अंतर्गत आती है। जिसमें केवल Goddess Durga के नाम से Akhand Jyoti प्रज्वलित कर या Jaware की स्थापना कर Devi की आराधना की जाती है। आज से Chaitra Maas की Navratri प्रारंभ होने रही है।
Ashtaratri में होगी Goddess Worship: Panchang अनुसार Nav Samvatsar 2082 में Goddess Worship का पर्व आठ रात्रि तक मनाया जाएगा क्योंकि Chaitra Maas के Shukla Paksha की Tritiya 'Kshaya' Tithi है। Shastra अनुसार जो Tithi दो Surya Uday स्पर्श ना करे उसे Panchang में Kshaya Tithi माना जाता है। Chaitra Shukla Tritiya का प्रारंभ दिनांक 31 March 2025 को प्रात: 09:13 AM से होगा एवं समाप्ति दिनांक 01 April 2025 को प्रात: 05:44 AM होगी, जबकि 31 March एवं 01 April दोनों ही दिन सूर्योदय क्रमश: प्रात: 06:13 AM एवं प्रात: 06:12 AM पर होगा अर्थात सूर्योदय के समय दोनों ही दिन Tritiya Tithi नहीं होने से 'Tritiya' Kshaya Tithi होगी। Tritiya Tithi के Kshaya होने से इस वर्ष Chaitra Navratri में Goddess Worship आठ रात्रि में होगी। Durga Ashtami दिनांक 05 April 2025 को एवं Shri Ram Navami 06 April 2025 को रहेगी।
आइए जानते हैं कि इस Navratri में किस प्रकार Goddess Worship करना श्रेयस्कर रहेगा। मुख्य रूप से Goddess Worship को हम तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं-
Ghat Sthapana, Akhand Jyoti प्रज्वलित करना व Jaware स्थापित करना- Devotees अपने सामर्थ्य के अनुसार उपर्युक्त तीनों ही कार्यों से Navratri का प्रारंभ कर सकते हैं अथवा क्रमश: एक या दो कार्यों से भी प्रारंभ किया जा सकता है। यदि यह भी संभव नहीं तो केवल Ghat Sthapana से Goddess पूजा का प्रारम्भ किया जा सकता है।
Saptashati Path व Japa- Goddess पूजा में Durga Saptashati के Path का बहुत महत्व है। यथासम्भव Navratri के नौ दिनों में प्रत्येक श्रद्धालु को Durga Saptashati का Path करना चाहिए किन्तु किसी कारणवश यह संभव नहीं हो तो Goddess के Navarna Mantra का Japa यथाशक्ति अवश्य करना चाहिए।
!! नवार्ण मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' !!
Purnahuti Havan व Kanya Bhoj- नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन Purnahuti Havan एवं Kanya Bhoj कराकर किया जाना चाहिए। Purnahuti Havan Durga Saptashati के मंत्रों से किए जाने का विधान है किन्तु यदि यह संभव ना हो तो Goddess के 'Navarna Mantra', 'Siddha Kunjika Stotra' अथवा 'Durga Ashtottara Shatanama Stotra' से Havan सम्पन्न करना श्रेयस्कर रहता है।
Chaitra Navratri Ghat Sthapana Muhurat-
Navratri के यह नौ दिन Goddess Durga की पूजा-उपासना के दिन होते हैं। अनेक श्रद्धालु इन नौ दिनों में अपने घरों में Ghat Sthapana कर Akhand Jyoti की स्थापना कर नौ दिनों का उपवास रखते हैं।
आइए जानते हैं कि Navratri में Ghat Sthapana एवं Akhand Jyoti प्रज्वलन का शुभ Muhurat कब है-
Abhijit Muhurat- Madhyahna 12:00 PM से Madhyahna 12:48 PM तक
Pratah:- 09:19 AM से 10:51 AM तक (Labh)
Aparahna- 10:51 AM से Madhyahna 12:23 PM तक (Amrit)
Madhyahna- 01:56 PM से 03:28 PM तक (Shubh)
Sayankal- 06:33 PM से Raat 08:01 PM तक (Shubh)
Raat- 08:01 PM से Raat 09:28 PM तक (Amrit)
Sarvashreshtha Muhurat-
Akhand Jyoti- Aparahna- 11:59 AM से Madhyahna 12:23 PM तक (Abhijit+Amrit)
जो Devotees Akhand Jyoti प्रज्वलित करना चाहते हैं वे बाती के रूप Kalawa (Mouli) का प्रयोग करें, इससे Goddess Lakshmi का आशीर्वाद प्राप्त होता है एवं Sadhak पर सदैव Lakshmi की अनुकम्पा बनी रहती है।
विभिन्न Lagnas में Ghat Sthapana कर Akhand Jyoti प्रज्वलित किए जाने का फल भी निम्न प्रकार से प्राप्त होता है-
1. Mesh Lagna- Wealth Gain
2. Vrish Lagna- Death
3. Mithun Lagna- Child Loss
4. Kark Lagna- All Siddhis
5. Singh Lagna- Intelligence Loss
6. Kanya Lagna- Lakshmi Prapti
7. Tula Lagna- Prosperity
8. Vrishchik Lagna- Gold Gain
9. Dhanu Lagna- Insult
10. Makar Lagna- Punya Prapti
11. Kumbh Lagna- Wealth and Prosperity
12. Meen Lagna- Suffering

Related Blogs

Narayaniyam Dashaka 28 (नारायणीयं दशक 28)

नारायणीयं का अट्ठाईसवां दशक भगवान विष्णु के महिमामय रूप और उनकी अद्भुत लीलाओं का वर्णन करता है। इस दशक में, भगवान की महिमा और उनके द्वारा किए गए अद्भुत कार्यों का वर्णन किया गया है। भक्त भगवान की महिमा और उनकी असीम कृपा का अनुभव करते हैं।
Narayaniyam-Dashaka

Shri Parvatvasini Jwala Ji Arti (श्री पर्वतवासिनी ज्वालाजी की आरती )

श्री पर्वतवासिनी ज्वाला जी की आरती माँ ज्वाला की शक्ति, ऊर्जा, और महिमा का गान करती है। इसमें Maa Jwala, जिन्हें Parvatvasini और Jwalamukhi Devi भी कहा जाता है, की प्रचंड ज्वालामुखी जैसी शक्ति और भक्तों की रक्षा करने वाली क्षमताओं का वर्णन है। माँ की आरती में उनके उग्र रूप और करुणा दोनों की प्रार्थना की जाती है।
Arti

Shri Ganesh Ji Mantra (श्री गणेश जी मंत्र)

भगवान श्री गणेश (Lord Ganesh) सभी तरह के विघ्न हरने वाले देवता हैं। भगवान गणेश के मंत्रों (Ganesh Mantra) का जाप करना अतिशुभ माना जाता है। श्री गणेश की कृपा पाने के लिए उनके मंत्रों का जाप हमें नियमित रूप से करना चाहिए। प्रतिदिन इन मंत्रों के जाप से आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। यहां आपके लिए प्रस्तुत हैं भगवान श्री गणेश के सरल मंत्र (Ganesh Ke Saral Mantra)
Mantra

Shri Ram Vandana (श्री राम-वन्दना)

श्री राम वंदना भगवान श्रीराम की महिमा का गान है, जिसमें उनके आदर्श चरित्र, धर्म पालन और लोक कल्याणकारी कार्यों का वर्णन किया गया है।
Vandana

Shri Vishwakarma Chalisha (श्री विश्वकर्मा चालीसा)

विश्वकर्मा चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान विश्वकर्मा पर आधारित है। हिंदू धर्म में Lord Vishwakarma को सृजन और निर्माण का देवता माना जाता है। विश्वकर्मा चालीसा का पाठ करने से creativity और innovation में वृद्धि होती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो engineering, architecture, या अन्य तकनीकी क्षेत्रों में काम करते हैं।
Chalisa

Shri Navagrah Chalisa (श्री नवग्रह चालीसा)

श्री नवग्रह चालीसा एक भक्ति गीत है जो नवग्रह पर आधारित है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सूर्य, चन्द्र, मङ्गल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु, इन नौ ग्रहों के समूह को नवग्रह कहाँ जाता है।
Chalisa

Shri Kali Chalisa (श्री काली चालीसा)

काली चालीसा माँ काली की स्तुति करती है। माँ काली को Chandi, Bhadrakali, और Mahishasuramardini भी कहा जाता है। इस चालीसा का पाठ spiritual transformation और life challenges को दूर करने के लिए किया जाता है।
Chalisa

Durga Saptashati Chapter 11 (दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः) देवी माहात्म्यं

दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः: यह देवी दुर्गा के माहात्म्य का वर्णन करने वाला ग्यारहवां अध्याय है।
Durga-Saptashati-Sanskrit

Today Panchang

19 June 2025 (Thursday)

Sunrise07:15 AM
Sunset05:43 PM
Moonrise03:00 PM
Moonset05:52 AM, Jan 12
Shaka Samvat1946 Krodhi
Vikram Samvat2081 Pingala