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नवरात्रि की पांचवीं देवी मां स्कंदमाता की कथा

Skanda Mata (स्कंद माता)
Puranic Katha के अनुसार, धरती पर Tarakasura का आतंक था। उसने Devaloka पर भी कब्जा कर लिया था। सभी Devtas Brahma Ji की शरण में गए, तो उन्होंने कहा कि Shiva Putra ही इसका अंत कर सकेगा।
फिर Lord Shiva की Tapasya भंग की गई और बाद में Mata Parvati का Shiva Ji से Marriage हुआ। फिर Mata Parvati को एक Son हुआ जिसका नाम Skanda रखा गया, जिसका दूसरा नाम Kartikeya भी था।
Mata Parvati ने अपने Son Skanda को Battle Training देने के लिए Skanda Mata का Form धारण किया और उन्हें Astr Shastra Vidya (Weapon Knowledge) सिखाई।
Skanda Mata से Yudh Training (War Training) लेने के बाद Bhagwan Kartikeya ने Tarakasura के साथ War किया और बाद में उसका End किया।
Skanda Mata को इन नामों से भी जाना जाता है: Himalaya Ki Putri Parvati, Maheshwari, और Gauri।

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Om Jai Jagdish Hare (ॐ जय जगदीश हरे)

"ओम जय जगदीश हरे" एक प्रसिद्ध हिंदी आरती है, जो भगवान विष्णु की स्तुति और भक्ति का प्रतीक है। यह आरती भगवान को "Preserver of the Universe", "Lord Vishnu", और "Supreme Protector" के रूप में संबोधित करती है। इसे गाने से मन की शुद्धि, आध्यात्मिक शांति, और ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना बढ़ती है। "Hindu prayers", "devotional songs", और "spiritual hymns" में रुचि रखने वाले भक्तों के लिए यह आरती अद्वितीय है। "ओम जय जगदीश हरे" आरती सभी प्रकार के पूजा और भक्ति अनुष्ठानों में गाई जाती है। यह आरती ईश्वर के प्रति निष्ठा, दया, और भक्ति का आह्वान करती है। इसे गाने से भक्त "divine connection", "spiritual fulfillment", और "God's blessings" का अनुभव करते हैं। यह आरती "Vishnu Bhakti", "devotional practices", और "spiritual traditions" जैसे विषयों से गहराई से जुड़ी हुई है। "Universal prayer", "devotional hymn for Lord Vishnu", और "spiritual awakening" के इच्छुक भक्तों के लिए यह आरती अत्यंत प्रभावकारी मानी जाती है।
Shloka-Mantra

Shri Ram Sahasranama Stotram (श्री राम सहस्रनाम स्तोत्रम्)

श्री राम सहस्रनाम राम जी के 1000 गुण हैं। उनका प्रत्येक नाम चेतना के विशेष गुण को दर्शाता है और अत्यन्त महिमाकारी है। सहस्रनाम का पाठ करने वाले या श्रवण करने वाले की चेतना में तथा सम्पूर्ण वातावरण में श्रीराम जी के इन समस्त गुणों का जागरण होता है। श्रीराम नाम पूर्ण पवित्र, मणि के समान प्रकाशमान, अनुपम, बहुमूल्य और अतुलनीय है। श्री राम नाम अज्ञान के अन्धकार को दूर करके जीवन को शुद्ध ज्ञान, अनन्त रचनात्मक शक्ति और आनन्द से परिपूरित कर देने वाला है। श्रद्धा और विश्वास पूर्वक श्रीराम की भक्ति सन्तुष्टि, शाश्वत् शांति, अजेयता और मोक्ष प्रदायक है।
Sahasranama-Stotram

Amogh Shiva Kavach (अमोघ शिव कवच)

Amogh Shiv Kavach एक अत्यंत शक्तिशाली Maha Kavach है। यह Lord Shiva के Rudra form का प्रतीक है। जो व्यक्ति नियमित रूप से Amogh Shiv Kavach का पाठ करता है, उसे Lord Shiva's special grace प्राप्त होती है। यह Kavach व्यक्ति को सभी Graha Dosh पीड़ा, Tantra Badha, Nazar Dosh, Pitru Dosh, Sudden Death, Physical troubles, Mental troubles, Financial troubles आदि से बचाता है। जो व्यक्ति Shiv Kavach Pendant पहनता है, उसके जीवन से negativity धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है। यदि साधक Shiva Yantra Kavach पहनकर Amogh Shiv Kavach का पाठ करता है, तो वह भयंकर calamities से छुटकारा पाने लगता है। Navagraha के evil effects में कमी आने लगती है। साधक सभी प्रकार की diseases, Tantra-Mantra-Yantra से सुरक्षित रहता है। हर व्यक्ति को इस Amogh Shiv Kavach का पाठ अपनी daily worship में अवश्य करना चाहिए, ताकि वह और उसका परिवार troubles से बच सके।
Kavacha

Bhagavad Gita 17 Chapter (भगवत गीता सातवाँ अध्याय)

भगवद्गीता का 17वां अध्याय "श्रद्धात्रयविभाग योग" (The Yoga of Threefold Faith) है, जो श्रद्धा (Faith) के तीन प्रकारों – सात्त्विक (Pure), राजसिक (Passionate), और तामसिक (Ignorant) – का वर्णन करता है। श्रीकृष्ण (Lord Krishna) अर्जुन (Arjuna) को बताते हैं कि व्यक्ति की श्रद्धा उसके स्वभाव (Nature) और गुणों (Qualities) पर आधारित होती है। इस अध्याय में भोजन (Food), यज्ञ (Sacrifice), तप (Austerity), और दान (Charity) को सात्त्विक, राजसिक, और तामसिक श्रेणियों में विभाजित कर उनके प्रभावों का वर्णन किया गया है। श्रीकृष्ण बताते हैं कि केवल सात्त्विक कर्म (Pure Actions) और श्रद्धा से ही आध्यात्मिक प्रगति (Spiritual Progress) और मोक्ष (Liberation) प्राप्त किया जा सकता है। यह अध्याय व्यक्ति को सद्गुणों (Virtues) और धर्म (Righteousness) के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
Bhagwat-Gita

Alabhya Gayatri Kavacham (अलभ्य श्री गायत्री कवचम्)

अलभ्य श्री गायत्री कवचम् एक दिव्य spiritual armor है, जो माता Goddess Gayatri की कृपा से साधक को अद्भुत protection and wisdom प्रदान करता है। इस sacred kavach का पाठ करने से साधक को divine blessings प्राप्त होती हैं और वह हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षित रहता है। यह powerful mantra मानसिक शांति, आध्यात्मिक शक्ति और positive energy को बढ़ाने में सहायक है। श्री Gayatri Kavacham का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को success, prosperity और spiritual growth प्राप्त होती है। जो व्यक्ति अपने जीवन में knowledge, intelligence और आत्मिक बल चाहता है, उसके लिए यह sacred shield अत्यंत प्रभावशाली है। यह divine armor व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है तथा उसे peace, happiness और समृद्धि की ओर अग्रसर करता है। Goddess Gayatri की कृपा से व्यक्ति के भीतर clarity of mind आती है और वह अपने जीवन के सही मार्ग को पहचानने में सक्षम होता है।
Kavacha

Shri Gayatri Kavacham (श्री गायत्री कवचम्‌)

श्री Gayatri Kavach एक महान Kavach है जिसे स्वयं भगवान Shri Narayana ने Maharishi Narada को सिखाया और Maharishi Ved Vyasa द्वारा इसे रचित किया गया। Shri Gayatri Kavach का उल्लेख Shrimad Devi Bhagavata Purana के 12वें Skandha के तीसरे अध्याय में किया गया है। भगवान Sriman Narayana ने Maharishi Narada को Devi Gayatri के इस दिव्य Kavach की महिमा और इसे जपने से मिलने वाले Punya के बारे में बताया। भगवान ने कहा कि इस पवित्र Kavach का पाठ करने से साधक के समस्त Pap नष्ट हो जाते हैं, सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं, और साधक को Moksha की प्राप्ति होती है। भगवान Sriman Narayana ने आगे बताया कि Devi Gayatri का यह दिव्य Kavach सभी बाधाओं और बुराइयों को नष्ट करने में सक्षम है। यह साधक को 64 प्रकार के Knowledge (Art Forms) प्रदान करने और Moksha देने में समर्थ है। इसके अलावा, जो भी व्यक्ति Gayatri Kavach का पाठ करता है या इसकी महिमा को सुनता है, वह एक हजार Gau-Daan (एक हजार Cows का दान) के बराबर Punya प्राप्त करता है। इस प्रकार Shri Gayatri Kavach एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली रचना है, जो जीवन के सभी कष्टों को समाप्त कर, साधक को Divinity और Moksha की ओर ले जाती है।
Kavacha

Durga Saptashati(दुर्गासप्तशती) 3 Chapter (तीसरा अध्याय)

दुर्गा सप्तशती एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। दुर्गा सप्तशती का अनुष्ठानिक पाठ देवी दुर्गा के सम्मान में नवरात्रि (अप्रैल और अक्टूबर के महीनों में पूजा के नौ दिन) समारोह का हिस्सा है। यह शाक्त परंपरा का आधार और मूल है। दुर्गा सप्तशती का तीसरा अध्याय " महिषासुर वध " पर आधारित है ।
Durga-Saptashati

Sundarkand (सुन्दरकाण्ड)

सुंदरकांड रामायण का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो भगवान श्रीराम के भक्त हनुमान जी द्वारा लंका में सीता माता की खोज के समय की घटनाओं का वर्णन करता है। इसमें Hanuman के साहस, भक्ति, और Sri Ram के प्रति अडिग विश्वास को दर्शाया गया है।
Sundarkand

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19 June 2025 (Thursday)

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