No festivals today or in the next 14 days. 🎉

2025 में कब है जया (अजा) एकादशी व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि और नियम

Jaya Ekadashi 2025: वर्ष 2025 में Jaya Ekadashi Saturday, 08 February को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता अनुसार Magh Shukla Paksha में पड़ने वाली यह Ekadashi Vrat heavenly abode प्राप्त कराने वाली तथा Brahmahatya और अन्य sins से मुक्ति दिलाने वाली मानी गई है। Hindu Religion और Panchang के अनुसार Ekadashi Vrat रखने वाले भक्तों को इस दिन शुभ समय में Shri Hari Vishnu की पूजा करनी चाहिए।
Jaya Ekadashi का महत्व:
Jaya Ekadashi Vrat को Aja Ekadashi के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत Magh Month के Shukla Paksha Ekadashi Tithi को रखा जाता है। Hinduism में Ekadashi का दिन Lord Vishnu को समर्पित है। साल में 24 Ekadashi पड़ती हैं। इस दिन Lord Vishnu Puja और Vrat से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
मान्यता है कि इस Ekadashi Vrat को करने से सभी sins नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को Moksha (salvation) की प्राप्ति होती है। Jaya Ekadashi Vrat करने से व्यक्ति Brahmahatya और अन्य पापों से मुक्त होकर liberation प्राप्त करता है तथा ghost, evil spirits और negative energies से बचा रहता है।
Jaya/Aja Ekadashi Puja Vidhi:
1. Jaya या Aja Ekadashi पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और clean clothes पहनें।
2. Lord Vishnu की idol या picture को Gangajal से शुद्ध करें।
3. Yellow flowers, fruits, dhoop, deepak और Akshat अर्पित करें।
4. Vishnu Mantras का जाप करें और Ekadashi Katha पढ़ें।
5. Fast (Vrat) रखें और अगले दिन Dwadashi Tithi पर Vrat Parana करें।
6. Vishnu Mantras –
"ॐ नारायणाय नमः"
"ॐ विष्णवे नमः"
"ॐ हूं विष्णवे नमः"
"ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।"
"श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।"
Jaya Ekadashi Vrat के नियम:
•Jaya Ekadashi के दिन grains (Anaj) का सेवन नहीं करना चाहिए।
•दिन में sleeping नहीं करना चाहिए।
•Brahmacharya का पालन करें।
•Donation (Daan) करें और needy people की सहायता करें।
•Lord Vishnu का ध्यान करें और Mantra chanting करें।
•Falahar या जल उपवास रखा जाता है।
Jaya Ekadashi व्रत करने से spiritual benefits, mental peace और divine blessings प्राप्त होते हैं।

Related Blogs

Shri Panchayudha Stotram (श्री पञ्चायुध स्तोत्रम्)

श्री पञ्चायुध स्तोत्रम् भगवान विष्णु के पाँच दिव्य आयुधों की महिमा का वर्णन करता है, जो बुराई का नाश करते हैं और भक्तों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
Stotra

Tripurasundari(10 Mahavidya) (त्रिपुरसुन्दरी)

त्रिपुरसुन्दरी दस महाविद्याओं में सातवीं देवी हैं। वे सौंदर्य, सृजन, और प्रेम की देवी हैं। उनकी साधना अध्यात्म और शक्ति के उच्चतम स्तर को प्राप्त करने के लिए की जाती है। त्रिपुरसुन्दरी का स्वरूप सौम्यता और महानता का प्रतीक है।
10-Mahavidya

Shri Saraswati Stotra (श्रीसरस्वतीस्तोत्रम्)

सरस्वती को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के कई तरीके हैं। सरस्वती हिंदू धर्म की ज्ञान, संगीत, कला, बुद्धि और प्रकृति की देवी हैं। वह सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती की त्रिमूर्ति का हिस्सा हैं। ये तीनों रूप ब्रह्मा, विष्णु और शिव की त्रिमूर्ति की सृष्टि, पालन और विनाश की प्रक्रिया में सहायता करती हैं। देवी सरस्वती को पश्चिम और मध्य भारत के जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा भी पूजनीय माना जाता है।
Stotra

Chhinnamasta(10 Mahavidya) (छिन्नमस्ता)

छिन्नमस्ता दस महाविद्याओं में तीसरी देवी हैं। वे आत्म-त्याग, सृजन, और विनाश की शक्ति का प्रतीक हैं। देवी छिन्नमस्ता का रूप त्याग और पराक्रम को दर्शाता है। उनकी साधना शक्तिशाली तांत्रिक विधियों और आध्यात्मिक उत्थान के लिए की जाती है।
10-Mahavidya

Shiv Ashtakam Stotra (शिवाष्टकम्)

शिवाष्टकम् भगवान शिव की महिमा और शक्ति का वर्णन करने वाला एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान शिव की पूजा और स्तुति करने का सर्वोत्तम तरीका माना जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करना आसान है, और एक बार प्रसन्न होने पर वह अपने भक्तों से सभी कष्टों और विपत्तियों को नष्ट कर देते हैं। शिवाष्टकम् का उच्चारण करने से भक्त को भगवान शिव की आशीर्वाद प्राप्त होती है, जिससे वे अपने अस्तित्व को समझ पाते हैं और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। भगवान शिव वह दिव्य शक्ति हैं जो किसी भी परिस्थिति का मार्ग बदल सकते हैं और जो सब कुछ का नियंत्रण करते हैं। वह सभी स्थानों में विद्यमान हैं—सूर्य, चंद्रमा, वायु, यज्ञों में और हर एक तत्व में। सभी वेद और संत भगवान शिव की पूजा करते हैं, क्योंकि वह शुद्धता और धर्म का परम स्वरूप हैं। उनका अस्तित्व समग्र सृष्टि में व्याप्त है, और उनके आशीर्वाद से जीवन में स्थिरता और शांति प्राप्त होती है।
Stotra

Maha Lakshmyashtakam Strotra (महालक्ष्म्यष्टकम्)

महालक्ष्मी अष्टकम देवराज इन्द्र द्वारा रचित माता लक्ष्मी को समर्पित एक स्तोत्र है, इसका उल्लेख पद्म पुराण में हुआ है। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से साधक महालक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य संपन्न हो जाता है, उसके महान पातकों और शत्रुओं का नाश हो जाता है।
Stotra

Shri Vishnu 28 Naam Stotra (श्रीविष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रम्)

श्री विष्णु 28 नाम स्तोत्र भगवान विष्णु के 28 नामों का स्तुति पाठ है, जो भक्ति, धैर्य, और शांति का प्रतीक है। इसका पाठ करने से धन, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Stotra

Shri Ram Chalisa

राम चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान राम के जीवन, आदर्शों और गुणों पर आधारित है। यह 40 छन्दों से मिलकर बनी एक प्रसिद्ध प्रार्थना है। राम चालीसा का पाठ भगवान राम की कृपा पाने, शांति, सुख, और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए किया जाता है। इसे विशेष रूप से राम नवमी, दशहरा, दीपावली, और अन्य रामभक्त त्योहारों पर गाया जाता है। राम चालीसा का पाठ करने से भक्तों को श्रीरामचरितमानस, संपूर्ण रामायण, और हनुमान चालीसा के समान आध्यात्मिक लाभ मिलता है। यह भगवान राम के गुणों जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम, धैर्य, और त्याग को उजागर करता है। इस प्रार्थना को सुबह और शाम के समय, राम आरती, राम मंत्र जप, या राम कथा के साथ जोड़कर पाठ करना अत्यधिक शुभ माना गया है।
Chalisa

Today Panchang

30 April 2025 (Wednesday)

Sunrise07:15 AM
Sunset05:43 PM
Moonrise03:00 PM
Moonset05:52 AM, Jan 12
Shaka Samvat1946 Krodhi
Vikram Samvat2081 Pingala