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फरवरी 2025 के प्रमुख व्रत एवं त्योहारों की लिस्ट

February 2025 Festival List: फरवरी माह कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों से भरा हुआ है। इनके अलावा भी फरवरी महीने में कई अन्य छोटे त्योहार और व्रत भी मनाए जाते हैं। यहां आपके लिए कुछ महत्वपूर्ण व्रत की तिथियां, इसमें अलग-अलग पंचांगों के अनुसार थोड़ा अंतर आ सकता है। आप चाहे तो सटीक तिथियों के लिए स्थानीय पंचांग अथवा इन त्योहारों के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप अपने स्थानीय पुजारी या पंडित से संपर्क कर सकते हैं।
1. विनायक चतुर्थी- 1 फरवरी 2025:
यह दिन श्री गणेश जी को समर्पित है। इस दिन गणेश जी की पूजा की जाती है और विशेष भोग लगाया जाता है।
2. बसंत पंचमी- 2 फरवरी 2025:
बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है तथा उनकी जयंती मनाई जाती है।
3. स्कंद षष्ठी- 3 फरवरी 2025:
स्कंद षष्ठी को भगवान कार्तिकेय की जयंती के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन कार्तिकेय की पूजा की जाती है।
4. नर्मदा जयंती- 4 फरवरी 2025:
नर्मदा जयंती पर नर्मदा नदी की पूजा की जाती है। तथा उनके रखरखाव और बचाव हेतु संकल्प लिया जाता है।
5. रथ सप्तमी- 4 फरवरी 2025:
रथ सप्तमी व्रत सूर्य देव को समर्पित पर्व है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है।
6. जया एकादशी- 8 फरवरी 2025:
जया एकादशी का व्रत भगवान श्रीहरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। साथ ही इस दिन भ. विश्वकर्मा प्रकटोत्सव भी मनाया जाएगा। इस दिन गुरु हरराय तथा नित्यानंद प्रभु की जयंती भी पड़ रही है।
7. माघ पूर्णिमा- 12 फरवरी 2025:
माघ पूर्णिमा, हिन्दु कैलेण्डर में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण दिन होता है। धर्म ग्रन्थों में माघ माह में किये जाने वाले पवित्र स्नान एवं तप की महिमा का वर्णन किया गया है। मान्यताओं के अनुसार, माघ माह का प्रत्येक दिन दान-पुण्य आदि गतिविधियों हेतु विशेष महत्वपूर्ण होता है।
8. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी- 16 फरवरी 2025:
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत श्री गणेश जी को समर्पित त्योहार है और इस दिन गणेश जी की पूजा की जाती है।
9. सीताष्टमी पर्व- 21 फरवरी 2025 :
इस अवसर पर श्री जानकी प्रकटोत्सव मनाया जाएगा तथा माता शबरी की जयंती भी इसी दिन होगी।
10. महाशिवरात्रि- 26 फरवरी 2025:
शिव भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में महाशिवरात्रि एक है। इस दिन भगवान शिव की पूजा रात भर की जाती है तथा उन्हें प्रसन्न किया जाता है।
11. फाल्गुन अमावस्या- 27 फरवरी 2025:
इस बार फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी को पड़ रही है और यदि तिथि पितृदोष निवारण के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है।

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Ratri Suktam (रात्रि सूक्तम)

रात्रि सूक्तम् देवी दुर्गा (Goddess Durga) का एक प्रसिद्ध स्तोत्र है और यह देवी की स्तुति करता है। रात्रि सूक्तम् वास्तव में नारायण (Narayan) और हर साधक (Sadhak) में स्थित गुप्त ऊर्जा (latent energy) की प्रशंसा है। इस सूक्त का उपयोग उस ऊर्जा को जागृत करने और मानसिक शक्ति (mind powers) को बढ़ाने के लिए किया जाता है। रात्रि सूक्तम् नींद संबंधी विकारों (sleep disorders) से पीड़ित लोगों द्वारा भी उपयोग किया जाता है। इसका नियमित पाठ (regular recitation) मन को जल्दी सोने के लिए तैयार करता है और शरीर में ऊर्जा (energy level) को संतुलित करता है। इसे सोने से पहले 2-3 बार पढ़ने की सलाह दी जाती है। रात्रि सूक्तम् ऋग्वेद (Rig Veda) से लिया गया है। ऋग्वेद चारों वेदों में प्रमुख स्थान रखता है और यह संभवतः सभी मानव जाति के लिए देवी काली (Divine Mother Kali) को समर्पित सबसे प्राचीन प्रार्थना है। रात्रि सूक्तम् देवी से अज्ञान (ignorance) और आंतरिक शत्रुओं (inner nocturnal enemies) जैसे अनिद्रा (sleeplessness) और वासनाओं (lust) को दूर करने की प्रार्थना करता है। ऋग्वेद संहिता में रात्रि और तंत्र में वर्णित देवी महात्म्य का सर्वोच्च ब्रह्म (Supreme Absolute Brahman) एक ही है। यह संस्कृत में लिखा गया सूक्तम् (Sanskrit hymn) है। सप्तशती पाठ (SaptaShati Patha) के दौरान रात्रि सूक्तम् और उसके बाद अगरला स्तोत्र (Agarla Stotra) व कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotra) का पाठ किया जाता है। रात्रि सूक्तम् देवी मां की शक्तियों और उनके भक्तों के लिए उनकी कृपा का वर्णन करता है। यह दर्शाता है कि देवी मां हमें वह सबकुछ देने में सक्षम हैं जिसकी हम कामना करते हैं। ऋग्वेद के इस स्तोत्र में रात्रि का अर्थ ‘देने वाली’ (giver) से लिया गया है, जो आनंद (bliss), शांति (peace) और सुख (happiness) प्रदान करती है। वैदिक सूक्त दो प्रकार की रातों का उल्लेख करता है - एक जो नश्वर प्राणियों के लिए होती है और दूसरी जो दिव्य प्राणियों के लिए होती है। पहली रात में अस्थायी गतिविधियां रुक जाती हैं, जबकि दूसरी रात में दिव्यता की गतिविधियां भी स्थिर हो जाती हैं। "काल" (Kala) का अर्थ समय (time) है, और यह पूर्ण रात्रि विनाश की रात्रि है। मां काली (Mother Kali) का नाम इसी शब्द से लिया गया है।
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