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Gangaur Teej 2025: गणगौर तीज का महत्व, पूजन विधि और पौराणिक कथा

Gangaur Vrat 2025: गणगौर तीज, जिसे Gangaur Vrat के नाम से भी जाना जाता है, Rajasthan, Madhya Pradesh, Gujarat, और Haryana में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण Hindu festival है। यह त्योहार Chaitra month के Shukla Paksha की Tritiya Tithi को मनाया जाता है। बता दें कि इस बार Gangaur Teej 2025 में 01 April, Monday को मनाई जाएगी।
Gangaur Teej ka Mahatva (Importance of Gangaur Teej)
Gangaur festival मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने husband की long life और good fortune के लिए मनाया जाता है। Unmarried girls भी best life partner की कामना के लिए इस व्रत को करती हैं। धार्मिक मान्यतानुसार Gangaur का अर्थ है 'Gan' यानी Lord Shiva और 'Gaur' यानी Goddess Parvati, इसलिए इस दिन Shiva and Parvati Puja की जाती है।
यह त्योहार spring season के आगमन और harvest festival का भी प्रतीक है। Chaitra Krishna Ekadashi के दिन प्रातः holy bath करके गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के ही किसी sacred place पर लकड़ी की बनी टोकरी में wheatgrass (Jaware) sowing की जाती है तथा immersion (visarjan) तक व्रती को ekasana (one-time meal) करना चाहिए।
Gangaur Teej Puja Vidhi (Pooja Rituals of Gangaur Teej)
1. Gangaur Puja Chaitra month के Krishna Paksha Tritiya से शुरू होती है और Shukla Paksha Tritiya तक चलती है।
2. इस दौरान, महिलाएं clay idol of Goddess Gauri बनाती हैं और उन्हें सजाती हैं।
3. Gangaur day पर, महिलाएं सुबह जल्दी उठकर holy bath लेती हैं और new clothes पहनती हैं।
4. वे Gauri and Lord Shiva idols की पूजा करती हैं और उन्हें flowers, fruits, sweets, and other offerings अर्पित करती हैं।
5. वे Gangaur Katha सुनती हैं और traditional songs गाती हैं।
6. कुछ महिलाएं इस दिन fasting (vrat) भी रखती हैं।
7. Gangaur day पर, महिलाएं अपने hands and feet पर Mehendi (Henna) लगाती हैं।
8. वे अपने family and friends के साथ त्योहार मनाती हैं और traditional food का आनंद लेती हैं।
9. Gangaur Poojan में Goddess Gauri's ten forms— Gauri, Uma, Latika, Subhaga, Bhagmalini, Manokamna, Bhavani, Kamda, Saubhagyavardhini, और Ambika आदि की पूजा की जाती है।
-मान्यतानुसार इस व्रत को करने से happiness, prosperity, children, wealth, तथा good fortune की प्राप्ति होती है और जीवन blessed हो जाता है।
Gangaur Katha (Mythological Story of Gangaur Teej)
Gangaur ki Mythological Story के अनुसार एक बार Lord Shiva तथा Goddess Parvati Narad Muni के साथ भ्रमण को निकले। चलते-चलते वे Chaitra Shukla Tritiya के दिन एक गांव में पहुंच गए। उनके आगमन का समाचार सुनकर गांव की high-class women उनके स्वागत के लिए delicious food बनाने लगीं। Cooking करते-करते उन्हें काफी विलंब हो गया। किंतु ordinary-class women turmeric (haldi) and rice (akshat) लेकर पहले ही Goddess Parvati Pooja हेतु पहुंच गईं।
Goddess Parvati ने उनके devotion and faith को स्वीकार कर Suhag Ras उन पर छिड़क दिया। वे eternal marital bliss (Akhand Suhagan) प्राप्ति का blessing पाकर लौटीं। तत्पश्चात high-class women अनेक प्रकार के delicious dishes (pakwan) लेकर Goddess Parvati and Lord Shiva Puja करने पहुंचीं।
उन्हें देखकर Lord Shiva ने Goddess Parvati से कहा, "तुमने सारा Suhag Ras तो ordinary women को ही दे दिया, अब high-class women को क्या दोगी?"
Goddess Parvati ने उत्तर दिया, "Prannath (Beloved Husband), आप चिंता मत कीजिए। उन स्त्रियों को मैंने केवल outer material-based Suhag Ras दिया है, परंतु मैं इन high-class women को अपनी उंगली चीरकर अपने रक्त का Suhag Ras दूंगी।"
यह Suhag Ras, जिसके fate में पड़ा, वह blessed हो गई और lifelong marital happiness प्राप्त किया।
जब स्त्रियों ने पूजन समाप्त कर दिया, तब पार्वती जी ने अपनी उंगली चीर कर उन पर छिड़क दिया तथा जिस पर जैसा छींटा पड़ा, उसने वैसा ही सुहाग पा लिया। तत्पश्चात भगवान शिव की आज्ञा से पार्वती जी ने नदी तट पर स्नान किया और बालू की शिव-मूर्ति बनाकर पूजन करने लगीं। पूजन के बाद बालू के पकवान बनाकर शिव जी को भोग लगाया। प्रदक्षिणा करके नदी तट की मिट्टी से माथे पर तिलक लगाकर दो कण बालू का भोग लगाया। इतना सब करते-करते पार्वती को काफी समय लग गया।
काफी देर बाद जब वे लौटकर आईं तो महादेव जी ने उनसे देर से आने का कारण पूछा। उत्तर में पार्वती जी ने झूठ ही कह दिया कि वहां मेरे भाई-भावज आदि मायके वाले मिल गए थे। उन्हीं से बातें करने में देर हो गई। परंतु महादेव तो महादेव ही थे। वे कुछ और ही लीला रचना चाहते थे। अत: उन्होंने पूछा- 'पार्वती! तुमने नदी के तट पर पूजन करके किस चीज का भोग लगाया था और स्वयं कौन-सा प्रसाद खाया था?' स्वामी! पार्वती जी ने पुन: झूठ बोल दिया- 'मेरी भावज ने मुझे दूध-भात खिलाया। उसे खाकर मैं सीधी यहां चली आ रही हूं।'
यह सुनकर शिव जी भी दूध-भात खाने के लालच में नदी तट की ओर चल दिए। पार्वती जी दुविधा में पड़ गईं। तब उन्होंने मौन भाव से भगवान भोलेशंकर का ही ध्यान किया और प्रार्थना की- 'हे भगवन्! यदि मैं आपकी अनन्य दासी हूं तो आप इस समय मेरी लाज रखिए।' यह प्रार्थना करती हुईं पार्वती जी भगवान शिव के पीछे-पीछे चलती रहीं। उन्हें दूर नदी के तट पर माया का महल दिखाई दिया। उस महल के भीतर पहुंचकर वे देखती हैं कि वहां शिव जी के साले तथा सलहज आदि सपरिवार उपस्थित हैं। उन्होंने गौरी तथा शंकर का भावभीना स्वागत किया। वे 2 दिनों तक वहां रहे। तीसरे दिन पार्वती जी ने शिव से चलने के लिए कहा, पर शिव जी तैयार नहीं हुए। वे अभी और रुकना चाहते थे।
तब पार्वती जी रूठकर अकेली ही चल दीं। ऐसी हालत में भगवान शिव जी को पार्वती के साथ चलना ही पड़ा। नारद जी भी साथ-साथ चल दिए। चलते-चलते वे बहुत दूर निकल आए। उस समय भगवान सूर्य अपने धाम (पश्चिम) को पधार रहे थे। अचानक भगवान शंकर पार्वती जी से बोले- 'मैं तुम्हारे मायके में अपनी माला भूल आया हूं।'
'ठीक है, मैं ले आती हूं', पार्वती जी ने कहा और वे जाने को तत्पर हो गईं, परंतु भगवान ने उन्हें जाने की आज्ञा न दी और इस कार्य के लिए ब्रह्मपुत्र नारद जी को भेज दिया, ले‍किन वहां पहुंचने पर नारद जी को कोई महल नजर नहीं आया। वहां तो दूर-दूर तक जंगल ही जंगल था जिसमें हिंसक पशु विचर रहे थे। नारद जी वहां भटकने लगे और सोचने लगे कि कहीं वे किसी गलत स्थान पर तो नहीं आ गए? मगर सहसा ही बिजली चमकी और नारद जी को शिव जी की माला एक पेड़ पर टंगी हुई दिखाई दी।
नारद जी ने माला उतार ली और शिव जी के पास पहुंचकर वहां का हाल बताया।शिव जी ने हंसकर कहा- 'नारद! यह सब पार्वती की ही लीला है।' इस पर पार्वती बोलीं- 'मैं किस योग्य हूं?' तब नारद जी ने सिर झुकाकर कहा- 'माता! आप पतिव्रताओं में सर्वश्रेष्ठ हैं। आप सौभाग्यवती समाज में आदिशक्ति हैं। यह सब आपके पतिव्रत का ही प्रभाव है।
संसार की स्त्रियां आपके नाम-स्मरण मात्र से ही अटल सौभाग्य प्राप्त कर सकती हैं और समस्त सिद्धियों को बना तथा मिटा सकती हैं। तब आपके लिए यह कर्म कौन-सी बड़ी बात है?' नारद जी ने आगे कहा कि 'महामाये! गोपनीय पूजन अधिक शक्तिशाली तथा सार्थक होता है। आपकी भावना तथा चमत्कारपूर्ण शक्ति को देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है।
मैं आशीर्वाद रूप में कहता हूं कि जो स्त्रियां इसी तरह गुप्त रूप से पति का पूजन करके मंगलकामना करेंगी, उन्हें महादेव जी की कृपा से दीर्घायु वाले पति का संसर्ग मिलेगा।' इसलिए गणगौर पर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजन किया जाता है। और गणगौर तीज को देवी पार्वती और भगवान शिव के प्रेम और समर्पण के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

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