No festivals today or in the next 14 days. 🎉

Gangaur Teej 2025: गणगौर तीज का महत्व, पूजन विधि और पौराणिक कथा

Gangaur Vrat 2025: गणगौर तीज, जिसे Gangaur Vrat के नाम से भी जाना जाता है, Rajasthan, Madhya Pradesh, Gujarat, और Haryana में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण Hindu festival है। यह त्योहार Chaitra month के Shukla Paksha की Tritiya Tithi को मनाया जाता है। बता दें कि इस बार Gangaur Teej 2025 में 01 April, Monday को मनाई जाएगी।
Gangaur Teej ka Mahatva (Importance of Gangaur Teej)
Gangaur festival मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने husband की long life और good fortune के लिए मनाया जाता है। Unmarried girls भी best life partner की कामना के लिए इस व्रत को करती हैं। धार्मिक मान्यतानुसार Gangaur का अर्थ है 'Gan' यानी Lord Shiva और 'Gaur' यानी Goddess Parvati, इसलिए इस दिन Shiva and Parvati Puja की जाती है।
यह त्योहार spring season के आगमन और harvest festival का भी प्रतीक है। Chaitra Krishna Ekadashi के दिन प्रातः holy bath करके गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के ही किसी sacred place पर लकड़ी की बनी टोकरी में wheatgrass (Jaware) sowing की जाती है तथा immersion (visarjan) तक व्रती को ekasana (one-time meal) करना चाहिए।
Gangaur Teej Puja Vidhi (Pooja Rituals of Gangaur Teej)
1. Gangaur Puja Chaitra month के Krishna Paksha Tritiya से शुरू होती है और Shukla Paksha Tritiya तक चलती है।
2. इस दौरान, महिलाएं clay idol of Goddess Gauri बनाती हैं और उन्हें सजाती हैं।
3. Gangaur day पर, महिलाएं सुबह जल्दी उठकर holy bath लेती हैं और new clothes पहनती हैं।
4. वे Gauri and Lord Shiva idols की पूजा करती हैं और उन्हें flowers, fruits, sweets, and other offerings अर्पित करती हैं।
5. वे Gangaur Katha सुनती हैं और traditional songs गाती हैं।
6. कुछ महिलाएं इस दिन fasting (vrat) भी रखती हैं।
7. Gangaur day पर, महिलाएं अपने hands and feet पर Mehendi (Henna) लगाती हैं।
8. वे अपने family and friends के साथ त्योहार मनाती हैं और traditional food का आनंद लेती हैं।
9. Gangaur Poojan में Goddess Gauri's ten forms— Gauri, Uma, Latika, Subhaga, Bhagmalini, Manokamna, Bhavani, Kamda, Saubhagyavardhini, और Ambika आदि की पूजा की जाती है।
-मान्यतानुसार इस व्रत को करने से happiness, prosperity, children, wealth, तथा good fortune की प्राप्ति होती है और जीवन blessed हो जाता है।
Gangaur Katha (Mythological Story of Gangaur Teej)
Gangaur ki Mythological Story के अनुसार एक बार Lord Shiva तथा Goddess Parvati Narad Muni के साथ भ्रमण को निकले। चलते-चलते वे Chaitra Shukla Tritiya के दिन एक गांव में पहुंच गए। उनके आगमन का समाचार सुनकर गांव की high-class women उनके स्वागत के लिए delicious food बनाने लगीं। Cooking करते-करते उन्हें काफी विलंब हो गया। किंतु ordinary-class women turmeric (haldi) and rice (akshat) लेकर पहले ही Goddess Parvati Pooja हेतु पहुंच गईं।
Goddess Parvati ने उनके devotion and faith को स्वीकार कर Suhag Ras उन पर छिड़क दिया। वे eternal marital bliss (Akhand Suhagan) प्राप्ति का blessing पाकर लौटीं। तत्पश्चात high-class women अनेक प्रकार के delicious dishes (pakwan) लेकर Goddess Parvati and Lord Shiva Puja करने पहुंचीं।
उन्हें देखकर Lord Shiva ने Goddess Parvati से कहा, "तुमने सारा Suhag Ras तो ordinary women को ही दे दिया, अब high-class women को क्या दोगी?"
Goddess Parvati ने उत्तर दिया, "Prannath (Beloved Husband), आप चिंता मत कीजिए। उन स्त्रियों को मैंने केवल outer material-based Suhag Ras दिया है, परंतु मैं इन high-class women को अपनी उंगली चीरकर अपने रक्त का Suhag Ras दूंगी।"
यह Suhag Ras, जिसके fate में पड़ा, वह blessed हो गई और lifelong marital happiness प्राप्त किया।
जब स्त्रियों ने पूजन समाप्त कर दिया, तब पार्वती जी ने अपनी उंगली चीर कर उन पर छिड़क दिया तथा जिस पर जैसा छींटा पड़ा, उसने वैसा ही सुहाग पा लिया। तत्पश्चात भगवान शिव की आज्ञा से पार्वती जी ने नदी तट पर स्नान किया और बालू की शिव-मूर्ति बनाकर पूजन करने लगीं। पूजन के बाद बालू के पकवान बनाकर शिव जी को भोग लगाया। प्रदक्षिणा करके नदी तट की मिट्टी से माथे पर तिलक लगाकर दो कण बालू का भोग लगाया। इतना सब करते-करते पार्वती को काफी समय लग गया।
काफी देर बाद जब वे लौटकर आईं तो महादेव जी ने उनसे देर से आने का कारण पूछा। उत्तर में पार्वती जी ने झूठ ही कह दिया कि वहां मेरे भाई-भावज आदि मायके वाले मिल गए थे। उन्हीं से बातें करने में देर हो गई। परंतु महादेव तो महादेव ही थे। वे कुछ और ही लीला रचना चाहते थे। अत: उन्होंने पूछा- 'पार्वती! तुमने नदी के तट पर पूजन करके किस चीज का भोग लगाया था और स्वयं कौन-सा प्रसाद खाया था?' स्वामी! पार्वती जी ने पुन: झूठ बोल दिया- 'मेरी भावज ने मुझे दूध-भात खिलाया। उसे खाकर मैं सीधी यहां चली आ रही हूं।'
यह सुनकर शिव जी भी दूध-भात खाने के लालच में नदी तट की ओर चल दिए। पार्वती जी दुविधा में पड़ गईं। तब उन्होंने मौन भाव से भगवान भोलेशंकर का ही ध्यान किया और प्रार्थना की- 'हे भगवन्! यदि मैं आपकी अनन्य दासी हूं तो आप इस समय मेरी लाज रखिए।' यह प्रार्थना करती हुईं पार्वती जी भगवान शिव के पीछे-पीछे चलती रहीं। उन्हें दूर नदी के तट पर माया का महल दिखाई दिया। उस महल के भीतर पहुंचकर वे देखती हैं कि वहां शिव जी के साले तथा सलहज आदि सपरिवार उपस्थित हैं। उन्होंने गौरी तथा शंकर का भावभीना स्वागत किया। वे 2 दिनों तक वहां रहे। तीसरे दिन पार्वती जी ने शिव से चलने के लिए कहा, पर शिव जी तैयार नहीं हुए। वे अभी और रुकना चाहते थे।
तब पार्वती जी रूठकर अकेली ही चल दीं। ऐसी हालत में भगवान शिव जी को पार्वती के साथ चलना ही पड़ा। नारद जी भी साथ-साथ चल दिए। चलते-चलते वे बहुत दूर निकल आए। उस समय भगवान सूर्य अपने धाम (पश्चिम) को पधार रहे थे। अचानक भगवान शंकर पार्वती जी से बोले- 'मैं तुम्हारे मायके में अपनी माला भूल आया हूं।'
'ठीक है, मैं ले आती हूं', पार्वती जी ने कहा और वे जाने को तत्पर हो गईं, परंतु भगवान ने उन्हें जाने की आज्ञा न दी और इस कार्य के लिए ब्रह्मपुत्र नारद जी को भेज दिया, ले‍किन वहां पहुंचने पर नारद जी को कोई महल नजर नहीं आया। वहां तो दूर-दूर तक जंगल ही जंगल था जिसमें हिंसक पशु विचर रहे थे। नारद जी वहां भटकने लगे और सोचने लगे कि कहीं वे किसी गलत स्थान पर तो नहीं आ गए? मगर सहसा ही बिजली चमकी और नारद जी को शिव जी की माला एक पेड़ पर टंगी हुई दिखाई दी।
नारद जी ने माला उतार ली और शिव जी के पास पहुंचकर वहां का हाल बताया।शिव जी ने हंसकर कहा- 'नारद! यह सब पार्वती की ही लीला है।' इस पर पार्वती बोलीं- 'मैं किस योग्य हूं?' तब नारद जी ने सिर झुकाकर कहा- 'माता! आप पतिव्रताओं में सर्वश्रेष्ठ हैं। आप सौभाग्यवती समाज में आदिशक्ति हैं। यह सब आपके पतिव्रत का ही प्रभाव है।
संसार की स्त्रियां आपके नाम-स्मरण मात्र से ही अटल सौभाग्य प्राप्त कर सकती हैं और समस्त सिद्धियों को बना तथा मिटा सकती हैं। तब आपके लिए यह कर्म कौन-सी बड़ी बात है?' नारद जी ने आगे कहा कि 'महामाये! गोपनीय पूजन अधिक शक्तिशाली तथा सार्थक होता है। आपकी भावना तथा चमत्कारपूर्ण शक्ति को देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है।
मैं आशीर्वाद रूप में कहता हूं कि जो स्त्रियां इसी तरह गुप्त रूप से पति का पूजन करके मंगलकामना करेंगी, उन्हें महादेव जी की कृपा से दीर्घायु वाले पति का संसर्ग मिलेगा।' इसलिए गणगौर पर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजन किया जाता है। और गणगौर तीज को देवी पार्वती और भगवान शिव के प्रेम और समर्पण के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

Related Blogs

Shiv Dhyaan Mantra (शिव ध्यान मंत्र)

Shiv Dhyaan Mantra का जाप करने से inner peace, spiritual awakening, और positive energy प्राप्त होती है। Lord Shiva, जिन्हें Mahadev, Bholenath, और Adi Yogi कहा जाता है, उनकी उपासना से negative energy removal, stress relief, और mental clarity मिलती है। Om Namah Shivaya, Mahamrityunjaya Mantra, और Shiva Panchakshari Mantra जैसे powerful Shiv Mantra का जाप करने से good health, success in career, और protection from evil प्राप्त होता है। विशेष रूप से Mahashivratri, Sawan Somvar, Pradosh Vrat, Shravan Maas, और Masik Shivratri पर इन मंत्रों का जाप करने से divine blessings, happiness, और prosperity मिलती है।
Dhayan-Mantra

Vishnu Shatpadi (विष्णु षट्पदि)

विष्णु षट्पदि एक दिव्य भजन है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह भजन भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करता है और भक्तों को शांति और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करता है।
Shloka-Mantra

Sankat Mochan Hanuman Ashtakam (संकट मोचन हनुमान अष्टकम्)

संकट मोचन हनुमान अष्टक, जिसे Hanuman Ashtak भी कहा जाता है, एक Devotional Hindi Bhajan है जो Lord Hanuman को समर्पित है। Sankat Mochan Hanuman Ashtakam ("Sankat Mochan Naam Tiharo") की रचना Mahakavi Tulsidas ने की थी, जो Hanuman Ji के महान Devotee थे। Ashtak या Ashtakam का अर्थ होता है Eight, और यह Prayer Lord Hanuman की Stuti (Praise) में Eight Verses में रची गई है, और इसके अंत में एक Doha आता है। अधिकांश Hanuman Ji Temples में, इस Sankat Mochan Hanuman Ashtak का Path (Chanting) Hanuman Chalisa के बाद किया जाता है। यह Mantra न केवल इसे Recite करने वाले व्यक्ति को Benefits प्रदान करता है, बल्कि उसके Family Members के लिए भी Auspicious होता है। यह Mantra Mental Peace प्रदान करता है और Family Harmony लाने में Helpful होता है। इस Mantra का Regular Chanting करने से Health Improvement होता है, चाहे वह Adults का हो या Kids का। कई मामलों में, यह Mantra Court Cases में Positive Results लाने में भी Helpful सिद्ध हुआ है। Sankat Mochan Hanuman Ashtak का Recitation व्यक्ति और उसके Loved Ones के Overall Well-being के लिए किया जाता है। यह सभी Obstacles को Remove करता है और किसी भी Field में Success प्राप्त करने में Supportive होता है।
Ashtakam

Shri Hanuman Praarthana Shlok (श्री हनुमत्‌ प्रार्थना श्लोक)

श्री हनुमान प्रार्थना श्लोक Lord Hanuman की Sacred Prayer है, जो उन्हें Symbol of Strength, Devotion, और Courage के रूप में Glorify करता है। यह Shloka Bajrangbali को Protector from Evil, Remover of Obstacles, और Divine Guardian मानकर उनकी Worship करता है। Hanuman Chalisa और यह Mantra Chanting करने से Positive Energy, Success, और Fearlessness प्राप्त होती है। Best Time to Chant: ...Tuesdays और Saturdays को Hanuman Ji की Aradhana करने से Spiritual Growth और Blessings मिलती हैं। ...Hanuman Jayanti, Ram Navami, और Navratri में यह Shloka विशेष रूप से Auspicious होता है।
Shloka-Mantra

Bilva Ashtakam (बिल्वाअष्टकम्)

Shri Shiva Bilvashtakam (बिल्वाअष्टकम्) को Jagad Guru Sri Adi Shankaracharya द्वारा रचित किया गया था। यह एक अत्यंत powerful stotra है जो Lord Shiva को Bilva leaves अर्पित करने की glory और power का वर्णन करता है। Bilva leaves को तीन पत्तियों के समूह में चढ़ाया जाता है और यह कहा जाता है कि इसमें ऐसे features होते हैं जो इसे स्वयं Lord Shiva से जोड़ते हैं। Bilva Patra का Lord Shiva से एक विशेष संबंध है। Shiva को Belpatra अथवा Bilva leaves अत्यंत प्रिय हैं। यदि कोई व्यक्ति pure mind से Lord Shiva की worship करता है और Shivalinga पर Belpatra अर्पित करता है, तो Lord Shiva उसे इच्छित blessings प्रदान करते हैं। अतः Belpatra Lord Shiva की puja का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ingredient माना जाता है। Bilva leaves Wood Apple Tree से उत्पन्न होते हैं। यह trifoliate होते हैं, जो holy TrinityBrahma, Vishnu और Mahesh—का प्रतीक हैं। यह Lord Shiva के three eyes का भी प्रतिनिधित्व करता है। Shiva Purana के अनुसार, Bilva Lord Shiva का symbol माना जाता है। इसकी greatness को deities भी पूरी तरह नहीं समझ सकते। Blessed हैं वे जो Bilva अर्पित करते हैं। Shiva Purana में कहा गया है कि एक Bilva हजार lotus के समान फल देता है। जो भी sacred Bilvashtakam का पाठ Lord Shiva के समीप करता है, वह समस्त sins से मुक्त होकर Shiva Loka को प्राप्त करता है।
Ashtakam

Shri Jagannath Ashtakam (श्री जगन्नाथाष्टकम्)

Shri Jagannath Ashtakam (श्री जगन्नाथाष्टकम्) की रचना Adi Shankaracharya ने Lord Jagannath की स्तुति में की थी, जब वे Puri पहुंचे थे। यह one of the most important hymns मानी जाती है, जिसे Sri Chaitanya Mahaprabhu ने भी अपने Jagannath Temple visit के दौरान गाया था। ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति Shri Jagannath Ashtakam का श्रद्धा और भक्ति के साथ recitation करता है, तो वह sinless और pure-hearted हो जाता है और अंततः Vishnuloka को प्राप्त करता है। इस sacred Ashtakam के chanting से material existence की व्यर्थता समाप्त हो जाती है, और ocean of sins नष्ट हो जाता है। ऐसा निश्चित रूप से माना जाता है कि Lord Jagannath उन fallen souls पर अपनी divine grace बरसाते हैं, जिनका इस संसार में कोई shelter नहीं है, सिवाय उनके lotus feet के।
Ashtakam

Sadashiva Kavacham (श्री सदाशिव कवचम्)

Sadashiva Kavacham एक शक्तिशाली Shiva Protection Stotra है, जो Lord Sadashiva की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। यह Divine Shield भक्तों को नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है। Sacred Mantra के रूप में, यह Spiritual Energy को बढ़ाकर आत्मिक शांति देता है। Mahadeva Armor का यह पाठ भक्तों को Positive Vibes और आध्यात्मिक उन्नति देता है। Shiv Kavach का नियमित जाप करने से Divine Blessings और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
Kavacha

Shri Janki Ji Arti (श्री जानकी जी की आरती)

श्री Janki Ji की आरती देवी Sita Mata की divine grace और पवित्रता का वर्णन करती है। Hindu mythology में उन्हें goddess of devotion, purity और strength के रूप में revered किया जाता है। यह आरती भक्तों को peace, happiness और spiritual energy प्रदान करती है। Sita Mata की पूजा से life में obstacles दूर होते हैं और prosperity, blessings और positivity का संचार होता है। उनकी आरती का गान भक्तों को divine protection और dharma के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
Arti

Today Panchang

22 September 2025 (Monday)

Sunrise07:15 AM
Sunset05:43 PM
Moonrise03:00 PM
Moonset05:52 AM, Jan 12
Shaka Samvat1946 Krodhi
Vikram Samvat2081 Pingala