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प्रभु श्रीराम के जन्म के 5 प्रामाणिक सबूत

Archaeological Evidence of Existence of Ram: देश के ऐसे कई लोग हैं जो Lord Ram के कभी होने के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं। वे Ramayan को एक mythological text मानते हैं। ऐसा करने वाले लोग वे हैं जो Indian civilization और Hindu religion history को अच्‍छे से नहीं जानते हैं या वे लोग हैं जो atheist हो चले हैं। ऐसे लोगों को history study निष्‍पक्ष रहकर करना चाहिए। आज हम बताते हैं Lord Ram existence के 5 historical evidence यानी प्रमाण।
1. Shri Ram ki Vanshavali (Genealogy of Lord Ram):
वंशावली उसी की होती है जो कभी earth पर मौजूद रहा है। कभी किसी fictional character की lineage और descendants का किसी ancient text में जिक्र नहीं होता है। Lord Ram's descendants आज भी इस धरती पर मौजूद हैं। सभी Suryavanshi Shri Ram's son Luv and Kush lineage से संबंध रखते हैं। यह living proof है।
Louisiana University, USA के प्रो. Subhash Kak ने अपनी पुस्तक 'The Astronomical Code of Rigveda' में Shri Ram's 63 ancestors का वर्णन किया है जिन्होंने Ayodhya पर शासन किया था। Genealogy of Ram का वर्णन उन्होंने क्रमश: इस प्रकार किया— Manu, Ikshvaku, Vikukshi, Kakutstha, Vishwarasva, Yuvanashva, Mandhata, Purukutsa, Harishchandra, Bhagirath, Dilip, Sagara, Dasharath और फिर Ram।
2. Archaeological Evidence (Puratatvik Praman):
Lord Ram से जुड़े 200+ archaeological sites खोज लिए गए। Renowned historian and archaeologist Dr. Ram Avatar ने Lord Ram and Goddess Sita’s life events से जुड़े 200+ locations का पता लगाया है, जहां Ram and Sita रुके थे। इनमें मुख्य स्थान शामिल हैं— जहां आज भी तत्संबंधी स्मारक स्थल विद्यमान हैं, जहां श्रीराम और सीता रुके या रहे थे। वहां के स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं आदि स्थानों के समय-काल की जांच-पड़ताल वैज्ञानिक तरीकों से की गई है। इन स्थानों में से प्रमुख के नाम है- सरयू और तमसा नदी के पास के स्थान, प्रयागराज के पास श्रृंगवेरपुर तीर्थ, सिंगरौर में गंगा पार कुरई गांव, प्रायागराज, चित्रकूट (मप्र), सतना (मप्र), दंडकारण्य के कई स्थान, पंचवटी नासिक, सर्वतीर्थ, पर्णशाला, तुंगभद्रा, शबरी का आश्रम, ऋष्यमूक पर्वत, कोडीकरई, रामेश्‍वरम, धनुषकोडी, रामसेतु और नुवारा एलिया पर्वत श्रृंखला।
3. Maharishi Valmiki (Primary Historical Evidence):
सर्वप्रथम ऋषि वाल्मीकि ने ही श्रीराम की कथा लिखी थी। वाल्मीकि जी श्रीराम के ही काल में थे। 14 वर्ष के वनवास के बाद उन्हीं के आश्रम में माता सीता ने रुककर लव और कुश को जन्म दिया था। वाल्मीकि जी ने अपने ग्रंथ में श्रीराम के जीवन से जुड़े करीब 400 से ज्यादा स्थानों का वर्णन किया है जो आज भी भारत की धरती पर मौजूद है। वहां जाकर आप पुरातात्विक अवशेष को देख सकते हैं। इसी के साथ ऐसे कई अभिलेख भी मिल जाएंगे जो राम के होने को प्रमाणित करते हैं। उन्होंने राम के जन्म काल के ग्रह नक्षत्रों का भी वर्णन किया है जिससे उनके जन्म का समय 5,114 ईस्वी पूर्व निकलकर आता है।
श्रीवाल्मीकि ने रामायण की संरचना श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद वर्ष 5075 ईपू के आसपास की होगी (1/4/1- 2)। श्रुति-स्मृति की प्रथा के माध्यम से पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिचलित रहने के बाद वर्ष 1000 ईपू के आसपास इसको लिखित रूप दिया गया होगा। इस निष्कर्ष के बहुत से प्रमाण मिलते हैं। रामायण की कहानी के संदर्भ निम्नलिखित रूप में उपलब्ध हैं- कौटिल्य का अर्थशास्त्र (चौथी शताब्दी ईपू), बौ‍द्ध साहित्य में दशरथ जातक (तीसरी शताब्दी ईपू), कौशाम्बी में खुदाई में मिलीं टेराकोटा (पक्की मिट्‍टी) की मूर्तियां (दूसरी शताब्दी ईपू), नागार्जुनकोंडा (आंध्रप्रदेश) में खुदाई में मिले स्टोन पैनल (तीसरी शताब्दी), नचार खेड़ा (हरियाणा) में मिले टेराकोटा पैनल (चौथी शताब्दी), श्रीलंका के प्रसिद्ध कवि कुमार दास की काव्य रचना 'जानकी हरण' (सातवीं शताब्दी), आदि।
4. Research on Ram (Scientific Studies):
राम हुए या नहीं, इस पर कई शोध हुए। उनमें से एक शोध फादर कामिल बुल्के ने भी किया। उन्होंने राम की प्रामाणिकता पर शोध किया और पूरी दुनिया में रामायण से जुड़े करीब 300 रूपों की पहचान की। 'प्ले‍नेटेरियम' : राम के बारे में एक दूसरा शोध चेन्नई की एक गैरसरकारी संस्था भारत ज्ञान द्वारा किया गया। 6 वर्षों के शोध के बाद उनके अनुसार राम के जन्म को हुए 7,138 वर्ष हो चुके हैं। उनका मानना है कि राम एक ऐतिहासिक व्यक्ति थे और इसके पर्याप्त प्रमाण हैं। राम का जन्म 5,114 ईस्वी पूर्व हुआ था।
वाल्मीकि रामायण में लिखी गई नक्षत्रों की स्थिति को 'प्ले‍नेटेरियम' नामक सॉफ्टवेयर से गणना की गई तो उक्त तारीख का पता चला। यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो आगामी सूर्य और चंद्र ग्रहण की भविष्यवाणी कर सकता है और पिछले लाखों वर्षों की ग्रह स्थिति और मौसम की गणना कर सकता है। सरोज बाला, अशोक भटनागर और कुलभूषण मिश्र द्वारा लिखित एवं वेदों पर वैज्ञानिक शोध संस्थान (आई-सर्व) हैदराबाद द्वारा प्रकाशित 'वैदिक युग एवं रामायणकाल की ऐतिहासिकता : समुद्र की गहराइयों से आकाश की ऊंचाइयों तक के वैज्ञानिक प्रमाण' नामक शोधग्रंथ में भी इसका उल्लेख मिलता है।
5. Rameshwaram Shivling & Ram Setu:
14 years exile के अंतिम 2 years, Lord Ram ने Dandakaranya forests से निकलकर search for Sita Mata शुरू की। Ram's army ने Rameshwaram की ओर कूच किया।
Epic Ramayan के अनुसार, Lord Ram ने Lord Shiva की worship के लिए Rameshwaram Jyotirlinga स्थापित किया। इसके बाद, Nal and Neel के माध्यम से world’s first bridge (Ram Setu) समुद्र पर बनाया।
आज इसे Ram Setu (Adam's Bridge) कहा जाता है, लेकिन इसका मूल नाम Nal Setu था। NASA satellite images से यह प्रमाणित हुआ कि यह man-made structure है।

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Durga Saptashati (दुर्गासप्तशती) 1 chapter (पहला अध्याय)

दुर्गा सप्तशती एक हिन्दु धार्मिक ग्रन्थ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्य, चण्डी पाठके नाम से भी जाना जाता है। इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में बाँटा गया है। दुर्गा सप्तशती का पहला अध्याय "मधु और कैटभ का वध" पर आधारित है।
Durga-Saptashati

Arti Ki Vidhi (आरती की विधि)

देवी देवता की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पूजा के बाद आरती जरूर करना चाहिए। बिना आरती किए पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। ग्रंथों और पुराणों में आरती से जुड़े कई नियम बताए गए हैं कि किस दिशा में दीपक रखें और कैसे करें आरती। "आरती को 'आरात्रिक' अथवा 'नीराजन' के नाम से भी पुकारा गया है। घर और मंदिर में आरती करने की विधि अलग अलग होती है। शंख-ध्वनि और घंटे-घड़ियाल आरती के प्रधान अंग हैं। प्राचीन काल में प्रभु की उपासना कई विधियों द्वारा की जाती रही है। जैसे संध्या वंदन, प्रात: वंदन, प्रार्थना, हवन, ध्यान, भजन, कीर्तन आदि। आरती पूजा के अंत में की जाती है।
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