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पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा

Ekadashi Story 2025: Hindu Panchang Calendar के अनुसार Chaitra महीने के Krishna Paksha की Papmochani Ekadashi वर्ष 2025 में इस बार 25 March, दिन Tuesday को मनाई जा रही है। इस दिन Bhagwan Shri Vishnu का पूजन (worship) किया जाता हैं। धार्मिक मान्यतानुसार यह दिन सभी पापों (sins) का नाश (destruction) करने वाला माना गया है।
आइए जानते हैं यहां Papmochani Ekadashi की पौराणिक कथा (mythological story) -
इस संबंध में प्राप्त Papmochani Ekadashi की Vrat Katha के अनुसार प्राचीन समय में Chitrarath नामक एक रमणिक वन (beautiful forest) था। इस वन में Devraj Indra Gandharva कन्याओं (heavenly maidens) तथा Devtas (deities) सहित स्वच्छंद विहार (free movement) करते थे। एक बार Medhavi नामक ऋषि (sage) भी वहां पर तपस्या (penance) कर रहे थे। वे ऋषि Shiva उपासक (devotee) तथा अप्सराएं (celestial nymphs) Shiva Drohini Anang Dasi/ Anuchari थी।
एक बार Kamdev ने मुनि (sage) का तप भंग करने के लिए उनके पास Manjughosha नामक अप्सरा (Apsara) को भेजा। युवावस्था (youth) वाले मुनि अप्सरा के हाव भाव (gestures), नृत्य-गीत (dance and song) तथा कटाक्षों पर काम मोहित (enamored) हो गए। Rati-Krida करते हुए 57 वर्ष व्यतीत हो गए। एक दिन Manjughosha ने Devalok जाने की आज्ञा मांगी। उसके द्वारा आज्ञा मांगने पर मुनि को भान आया और उन्हें आत्मज्ञान (self-realization) हुआ कि मुझे Rasatal (hell) में पहुंचाने का एकमात्र कारण Apsara Manjughosha ही हैं। क्रोधित होकर उन्होंने Manjughosha को Pishachini (demoness) होने का श्राप (curse) दे दिया।
ऋषि का श्राप सुनकर अप्सरा Manjughosha ने कांपते हुए मुनि से इससे मुक्ति (liberation) का उपाय (remedy) पूछा। तब मुनिश्री ने Papmochani Ekadashi का व्रत (fast) रखने को कहा और अप्सरा को मुक्ति (freedom) का उपाय बताकर पिता Chyavan के आश्रम (hermitage) में चले गए।
पुत्र के मुख से श्राप देने की बात सुनकर Chyavan Rishi ने पुत्र की घोर निंदा (criticism) की तथा उन्हें Papmochani Chaitra Krishna Ekadashi का व्रत करने की आज्ञा दी। इस व्रत के प्रभाव (effect) से Manjughosha Apsara Pishachini देह से मुक्त (freed) होकर Devalok चली गई।
इस प्रकार Brahmaji के मुख से कहें वचनानुसार जो कोई मनुष्य विधिपूर्वक Papmochani Ekadashi व्रत करेगा, उसके सभी पापों (sins) की मुक्ति (freedom) निश्चित ही होती है, साथ ही जो कोई इस व्रत के Mahatmya (glory) को पढ़ता या सुनता है उसको सारे संकटों (difficulties) से मुक्ति (relief) मिल जाती है। ऐसी Papmochani Ekadashi की Mahima (significance) है।
अतः ऐसा कहा जाता है कि जीवन (life) के सभी पापों (sins) की मुक्ति (salvation) के लिए तथा Moksha (liberation) प्राप्ति के लिए हर मनुष्य को Chaitra Mah की Papmochani Ekadashi का व्रत अवश्य रखना चाहिए।

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