No festivals today or in the next 14 days. 🎉

Prayagraj's Hidden Gems: Top Attractions to Explore

महा कुंभ मेला 2025: एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव
प्रयागराज में हर 144 वर्षों में आयोजित होने वाला महा कुंभ मेला 2025 इस बार लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए तैयार है। यह भारत की आध्यात्मिक धरोहर में डूबने का एक जीवनभर में एक बार मिलने वाला अवसर है। इस विशाल आयोजन के लिए Indian Railways ने देशभर में लगभग 3,000 Maha Kumbh 2025 Special Trains की सेवा शुरू की है, जिससे तीर्थयात्रियों को आसान और सुगम यात्रा मिल सके।
जहां कुंभ के पवित्र स्नान और शाही स्नान मुख्य आकर्षण होंगे, वहीं प्रयागराज और इसके आसपास के क्षेत्र सिर्फ धार्मिक स्थलों तक सीमित नहीं हैं। यहां Sarnath के प्राचीन बौद्ध मठ, भव्य Allahabad Fort और कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरें भी देखने लायक हैं।
चाहे आप मेले में हिस्सा लेने आए हों या शहर के समृद्ध इतिहास और संस्कृति में गहराई से उतरना चाहते हों, प्रयागराज के ये 8 प्रमुख स्थान आपके अनुभव को अविस्मरणीय बनाएंगे।
1. त्रिवेणी संगम (Triveni Sangam)
त्रिवेणी संगम वह स्थान है जिसे Prayagraj की यात्रा के दौरान आप बिल्कुल भी miss नहीं कर सकते। यह sacred confluence Ganga, Yamuna और mythical Saraswati rivers का मिलन स्थल है, जो spiritual significance से भरपूर है। Pilgrims यहां holy dip के लिए आते हैं, जबकि tourists peaceful boat ride का आनंद लेते हुए इसके tranquil और divine atmosphere में खो जाते हैं। यह एक ऐसा unique destination है जो शहर की spiritual heritage को बखूबी दर्शाता है।
2. Allahabad Fort
यमुना नदी के किनारे स्थित Allahabad Fort फारसी और Mughal architecture का एक खूबसूरत संगम है, जिसे महान Emperor Akbar ने बनवाया था। यह historic structure उस era की grandeur को दर्शाती है, जहां history और art का अनूठा मेल देखने को मिलता है। किले के अंदर Patalpuri Temple में स्थित प्रसिद्ध Akshaya Vat का tree इसकी mythical और mysterious छवि को और भी खास बनाता है। यह एक ऐसा experience है जिसे आप बिल्कुल भी miss नहीं करना चाहेंगे!
3. Sarnath, Varanasi
प्रयागराज से मात्र ढाई घंटे की दूरी पर स्थित, Sarnath Varanasi के पास एक tranquil village है, जो अपनी deep Buddhist roots के लिए प्रसिद्ध है। यह sacred place वह है जहां Gautama Buddha ने पहली बार Dharma के अपने teachings दिए थे। Sarnath में Dhamek Stupa, Ashoka Pillar, Chaukhandi Stupa, Sarnath Archaeological Museum, एक Tibetan Temple और peaceful Deer Park स्थित हैं, जो इसे history और spirituality lovers के लिए एक must-visit destination बनाते हैं।
4. Purwa Falls
मध्य प्रदेश के Rewa district में स्थित Purwa Waterfall Tamsa River पर 70 meters की ऊंचाई से गिरता हुआ एक breathtaking view प्रस्तुत करता है। यह majestic waterfall प्रकृति की अद्वितीय शक्ति को दर्शाता है। Kumbh Mela में आए pilgrims के लिए यह एक perfect destination है, जहां वे peace और beauty से भरे इस natural spot पर जाकर अपनी spirit को refresh कर सकते हैं। यह nature की tranquility में खो जाने के लिए एक ideal retreat है।
5. Chandauli
चंदौली जिले में स्थित Devdari Waterfall की खूबसूरती वास्तव में mesmerizing है, जो इसे देखने के लिए 3-hour drive को पूरी तरह से worthwhile बना देती है। Chandraprabha Wildlife Sanctuary के बीच बसा यह hidden gem nature के बीच एक serene escape का अवसर प्रदान करता है। Waterfall के साथ-साथ आप शांत Musakhand Dam का भी आनंद ले सकते हैं, जो इस region की underrated beauty को experience करने के लिए एक perfect spot है।
6. Anand Bhavan
Anand Bhavan, Nehru family का ancestral home, historical और political significance का एक important site है। यह iconic building, जहां Jawaharlal Nehru ने अपने early years बिताए थे, अब एक museum है जो India’s freedom struggle से जुड़ी artifacts और stories को showcase करता है। यहां आप इसके well-preserved rooms को देख सकते हैं, vintage photographs की प्रशंसा कर सकते हैं और India’s Independence movement की rich legacy में immerse हो सकते हैं।
7. Chitrakoot
"The Hill of Many Wonders" Chitrakoot, Madhya Pradesh का एक sacred destination है, जो rich cultural heritage से भरा हुआ है। इसकी spiritual significance के अलावा, यह charming city Ganesh Bagh, historic Kalinjar Fort और tranquil Panna National Park जैसे attractions की पेशकश करता है। यह Hindu mythology और epic Ramayana के अनुसार immense importance रखता है।
8. Shri Bade Hanuman Ji Temple, Prayagraj
प्रसिद्ध Prayagraj Railway Station के पास स्थित, Bade Hanuman Ji Temple भगवान Hanuman को समर्पित सबसे पुराने और प्रतिष्ठित temples में से एक है। यह पवित्र स्थल हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, विशेष रूप से Maha Kumbh Mela के दौरान, जो यहां prayers अर्पित करने और divine blessings प्राप्त करने के लिए आते हैं। इसका समृद्ध history और spiritual significance इसे pilgrims और spiritual seekers के लिए एक must-visit destination बनाता है।
जैसे ही Maha Kumbh की divine festival की शुरुआत होती है, Prayagraj में एक unique energy का संचार होता है। Sacred Triveni Sangam से लेकर majestic Allahabad Fort तक, इस शहर के हर कोने में India’s heritage की एक कहानी छुपी हुई है। चाहे आप Maha Kumbh Mela के लिए pilgrim हों या historical marvels की तलाश में traveler, Prayagraj एक ऐसा destination है जो एक lasting impression छोड़ता है। इसके hidden gems का exploration करना न भूलें—यह city हर किसी के लिए कुछ न कुछ खास पेश करता है!

Related Blogs

Shiva Puja Vidhi (शिव पूजा विधि)

चाहे सावन सोमवार हो या शिवरात्रि हो या अन्‍य कोई व्रत या त्‍यौहार हो जिसमें आपको शिव जी की पूजा करनी होती है तब आप पूजा करते तो है पर आपको पूरी शिव पूजा विधि नहीं पता होती है कि कोई पूजा किस तरीके करनी है, क्‍या सामग्री लगेगी महादेव पूजा में और कब क्‍या करना होता है यह नहीं पता होता है तो यहाँ हम आपको भगवान शिव जी की संपूर्ण पूजा विधि पंडित जी अनुसार बताने जा रहे हैं। जिससे आप पंडित द्वारा की जाने की विधि को श्‍‍लोक, मंत्र सहित जान पाएंगें और पूजा को विधि विधान से कर पाएंगे।
Puja-Vidhi

Shiv Tandava Stotra (शिवताण्डवस्तोत्रम्)

शिव तांडव स्तोत्र को बहुत चमत्कारी माना जाता है। इसकी रचना रावण द्वारा की गई है। कहा जाता है कि एक बार अहंकारवश रावण ने कैलाश को उठाने की कोशिश की तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया, जिससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया। तब पीड़ा में रावण ने भगवान शिव की स्तुति की। रावण द्वारा की गई यह स्तुति शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानी जाती है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अन्य किसी भी पाठ की तुलना में भगवान शिव को अधिक प्रिय है। इसका पाठ करने से शिव जी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।
Stotra

Shri Mrityunjaya Stotram (श्री मृत्युञ्जय स्तोत्रम्)

Shri Mrityunjaya Stotram (श्री मृत्युंजय स्तोत्रम्): श्री मृत्युंजय स्तोत्र (Shri Mrityunjay Stotra) को सबसे प्राचीन वेदों (Vedas) में से एक माना जाता है। महा मृत्युंजय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra) गंभीर बीमारियों (serious ailments) से छुटकारा दिलाने में सहायक माना जाता है। यह मंत्र ऋग्वेद (Rig Veda) से लिया गया है और भगवान शिव (Lord Shiva) के रुद्र अवतार (Rudra Avatar) को संबोधित करता है। इस मंत्र का नियमित जप (regular chanting) न केवल आयु (longevity) बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि पारिवारिक कलह (familial discord), संपत्ति विवाद (property disputes), और वैवाहिक तनाव (marital stress) को भी सुलझाने में सहायक होता है। श्री मृत्युंजय स्तोत्र में अद्भुत उपचारात्मक शक्तियां (healing powers) हैं। यह हिंदुओं की सबसे आध्यात्मिक साधना (spiritual pursuit) मानी जाती है। भगवान शिव को सत्य (truth) और परमात्मा (Transcendent Lord) माना गया है। शिव के अनुयायियों का विश्वास है कि वे स्वयंभू (Swayambho) हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करना सरल है और वे अपने भक्तों (devotees) को आसानी से वरदान (boons) प्रदान करते हैं। धन (wealth), स्वास्थ्य (health), सुख (happiness), या समृद्धि (prosperity) से संबंधित कोई भी इच्छा, शिव पूरी करते हैं और भक्तों को कष्टों (sufferings) से मुक्त करते हैं। इसका उल्लेख शिव पुराण (Shiva Purana) में दो कहानियों के रूप में मिलता है। पहली कहानी के अनुसार, यह मंत्र केवल ऋषि मार्कंडेय (Rishi Markandeya) को ज्ञात था, जिन्हें स्वयं भगवान शिव ने यह मंत्र प्रदान किया था। आज के युग में शिव की पूजा (worship) का सही तरीका क्या है? सतयुग (Satyug) में मूर्ति पूजा (idol worship) प्रभावी थी, लेकिन कलयुग (Kalyug) में केवल मूर्ति के सामने प्रार्थना करना पर्याप्त नहीं है। भविषय पुराणों (Bhavishya Puranas) में भी इस बात का उल्लेख है कि सुख (happiness) और मन की शांति (peace of mind) के लिए मंत्र जप (chanting) का महत्व है। महा मृत्युंजय मंत्र का दैनिक जप (daily chanting) व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य (good health), धन (wealth), समृद्धि (prosperity) और दीर्घायु (long life) प्रदान करता है। यह सकारात्मक ऊर्जा (positive vibes) उत्पन्न करता है और विपत्तियों (calamities) से रक्षा करता है।
Stotra

Sundarkand (सुन्दरकाण्ड)

सुंदरकांड रामायण का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो भगवान श्रीराम के भक्त हनुमान जी द्वारा लंका में सीता माता की खोज के समय की घटनाओं का वर्णन करता है। इसमें Hanuman के साहस, भक्ति, और Sri Ram के प्रति अडिग विश्वास को दर्शाया गया है।
Sundarkand

Kali Stuti (काली स्तुति)

Kali Stuti (काली स्तुति):काली स्तुति माँ काली को समर्पित है। माँ काली को माता के सभी रूपों में सबसे शक्तिशाली रूप माना जाता है। नियमित रूप से काली स्तुति का पाठ करने से भय दूर होता है, बुद्धिमत्ता प्राप्त होती है, शत्रुओं का नाश होता है, और सभी प्रकार के कष्ट अपने आप समाप्त हो जाते हैं। माँ काली केवल प्रधान ही नहीं, बल्कि महाविद्याओं में सबसे महत्वपूर्ण हैं। माँ काली महाविद्याओं का प्रतीक हैं। सभी नौ महाविद्याएँ माँ काली से उत्पन्न होती हैं और उनके गुणों व शक्तियों को विभिन्न रूपों में साझा करती हैं। माँ काली विनाश और संहार की प्रतीक हैं। वे अज्ञान को नष्ट करती हैं, संसार के नियमों को बनाए रखती हैं और जो भगवान के ज्ञान की खोज करते हैं, उन्हें आशीर्वाद देकर मुक्त करती हैं। माँ काली देवी दुर्गा के उग्र रूपों में से एक हैं और भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं, जो हिंदू त्रिमूर्ति में संहारक हैं। माँ काली की विशिष्ट छवि में उनकी बाहर निकली हुई जीभ, खोपड़ियों की माला, और घातक हथियार होते हैं, जो दुष्ट और पापी लोगों में भय उत्पन्न करते हैं। हालांकि, माँ काली अपने भक्तों के प्रति अत्यंत दयालु और करुणामयी हैं। वे अपने भक्तों को सभी संकटों से बचाती हैं और उन्हें समृद्धि व सफलता प्रदान करती हैं। काली स्तुति का नियमित पाठ करने से साधक को भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है, आकर्षण शक्ति मिलती है, पाप नष्ट होते हैं, शत्रु समाप्त होते हैं, और साधक के भीतर एक विशेष ऊर्जा उत्पन्न होती है। वेदों में माँ काली को अग्नि देव से जोड़ा गया है। देवी को सात झिलमिलाती अग्नि की जीभों के रूप में वर्णित किया गया है, जिनमें से काली काली और भयानक जीभ थीं। उनका स्वरूप भयावह है: डरावनी आँखें, लाल उभरी हुई जीभ, और चार भुजाएँ – जिनमें से दो में खून से सनी तलवार और राक्षस का कटा हुआ सिर है, और बाकी दो भय निवारण और वरदान देने की मुद्रा में हैं। उनके गले में मानव खोपड़ियों की माला और कमर पर कटी हुई भुजाओं की कमरबंध है। माँ काली की स्तुति उनके भक्तों के लिए अत्यंत प्रिय है।
Stuti

Shri Devi Stotram (श्री देवी स्तोत्रम)

श्री देवी स्तोत्रम देवी (देवी शक्ति) को समर्पित एक प्रार्थना है। यह 10-श्लोकों वाला स्तोत्रम है। अंतिम श्लोक में श्री देवी स्तोत्रम के जाप के गुण और लाभों के बारे में बताया गया है।
Stotra

Shri Amba Ji Arti (श्री अम्बाजी की आरती)

श्री अम्बा जी की आरती माँ अम्बे के शक्ति, साहस और करुणा की स्तुति करती है। इसमें माँ अम्बे, जिन्हें Sherawali और Jagat Janani के नाम से भी जाना जाता है, को सिंहवाहिनी, त्रिशूलधारिणी और Mahishasurmardini स्वरूप में पूजा जाता है। आरती में Goddess Amba की शौर्य, दया, और भक्ति का वर्णन है। भक्त Maa Ambe Aarti गाकर उनसे संकट हरने, जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद माँगते हैं।
Arti

Maha Saraswati Stavam (महा सरस्वती स्तवम्)

महा सरस्वती स्तवम् (Maha Saraswati Stavam) अश्वतर उवाच । जगद्धात्रीमहं देवीमारिराधयिषुः शुभाम् । स्तोष्ये प्रणम्य शिरसा ब्रह्मयोनिं सरस्वतीम् ॥ 1 ॥ सदसद्देवि यत्किञ्चिन्मोक्षवच्चार्थवत्पदम् । तत्सर्वं त्वय्यसंयोगं योगवद्देवि संस्थितम् ॥ 2 ॥ त्वमक्षरं परं देवि यत्र सर्वं प्रतिष्ठितम् । अक्षरं परमं देवि संस्थितं परमाणुवत् ॥ 3 ॥ अक्षरं परमं ब्रह्म विश्वञ्चैतत्क्षरात्मकम् । दारुण्यवस्थितो वह्निर्भौमाश्च परमाणवः ॥ 4 ॥ तथा त्वयि स्थितं ब्रह्म जगच्चेदमशेषतः । ओङ्काराक्षरसंस्थानं यत्तु देवि स्थिरास्थिरम् ॥ 5 ॥ तत्र मात्रात्रयं सर्वमस्ति यद्देवि नास्ति च । त्रयो लोकास्त्रयो वेदास्त्रैविद्यं पावकत्रयम् ॥ 6 ॥ त्रीणि ज्योतींषि वर्णाश्च त्रयो धर्मागमास्तथा । त्रयो गुणास्त्रयः शब्दस्त्रयो वेदास्तथाश्रमाः ॥ 7 ॥ त्रयः कालास्तथावस्थाः पितरोऽहर्निशादयः । एतन्मात्रात्रयं देवि तव रूपं सरस्वति ॥ 8 ॥ विभिन्नदर्शिनामाद्या ब्रह्मणो हि सनातनाः । सोमसंस्था हविः संस्थाः पाकसंस्थाश्च सप्त याः ॥ 9 ॥ तास्त्वदुच्चारणाद्देवि क्रियन्ते ब्रह्मवादिभिः । अनिर्देश्यं तथा चान्यदर्धमात्रान्वितं परम् ॥ 10 ॥ अविकार्यक्षयं दिव्यं परिणामविवर्जितम् । तवैतत्परमं रूपं यन्न शक्यं मयोदितुम् ॥ 11 ॥ न चास्येन च तज्जिह्वा ताम्रोष्ठादिभिरुच्यते । इन्द्रोऽपि वसवो ब्रह्मा चन्द्रार्कौ ज्योतिरेव च ॥ 12 ॥ विश्वावासं विश्वरूपं विश्वेशं परमेश्वरम् । साङ्ख्यवेदान्तवादोक्तं बहुशाखास्थिरीकृतम् ॥ 13 ॥ अनादिमध्यनिधनं सदसन्न सदेव यत् । एकन्त्वनेकं नाप्येकं भवभेदसमाश्रितम् ॥ 14 ॥ अनाख्यं षड्गुणाख्यञ्च वर्गाख्यं त्रिगुणाश्रयम् । नानाशक्तिमतामेकं शक्तिवैभविकं परम् ॥ 15 ॥ सुखासुखं महासौख्यरूपं त्वयि विभाव्यते । एवं देवि त्वया व्याप्तं सकलं निष्कलञ्च यत् । अद्वैतावस्थितं ब्रह्म यच्च द्वैते व्यवस्थितम् ॥ 16 ॥ येऽर्था नित्या ये विनश्यन्ति चान्ये ये वा स्थूला ये च सूक्ष्मातिसूक्ष्माः । ये वा भूमौ येऽन्तरीक्षेऽन्यतो वा तेषां तेषां त्वत्त एवोपलब्धिः ॥ 17 ॥ यच्चामूर्तं यच्च मूर्तं समस्तं यद्वा भूतेष्वेकमेकञ्च किञ्चित् । यद्दिव्यस्ति क्ष्मातले खेऽन्यतो वा त्वत्सम्बन्धं त्वत्स्वरैर्व्यञ्जनैश्च ॥ 18 ॥ इति श्रीमार्कण्डेयपुराणे त्रयोविंशोऽध्याये अश्वतर प्रोक्त महासरस्वती स्तवम् ।
MahaMantra

Today Panchang

03 August 2025 (Sunday)

Sunrise07:15 AM
Sunset05:43 PM
Moonrise03:00 PM
Moonset05:52 AM, Jan 12
Shaka Samvat1946 Krodhi
Vikram Samvat2081 Pingala