No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Shri Shiv Aparadh Kshamapan Stotram || श्री शिवापराध क्षमापण स्तोत्रम् : Full Lyrics in Sanskrit
Shri Shiv Aparadh Kshamapan Stotram (श्री शिवापराध क्षमापण स्तोत्रम्)
Shiv Apradh Kshamapan Stotra(शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र) आदि Adi Shankaracharya द्वारा रचित एक दिव्य Sacred Stotra है, जिसे Lord Shiva की पूजा में Forgiveness Prayer के लिए गाया जाता है 🙏। यह Hindu Devotional Stotra पूजा और Worship के दौरान हुई भूलों के लिए Apology Request करने का सर्वोत्तम साधन है। इस Powerful Hymn का नियमित पाठ Sadhak को Goddess Durga’s Blessings और Lord Shiva’s Infinite Grace प्रदान करता है। इस Shiva Stotra में भक्त Lord Shiva से हाथ, पैर, वाणी, शरीर, मन और हृदय से किए गए Sins and Mistakes की क्षमा मांगते हैं। वे अपने Past and Future Sins के लिए भी Mercy Request करते हैं 🕉️। इस Divine Chanting का पाठ Lord Shiva को Pleased करता है, जो Trinity Destroyer माने जाते हैं और करोड़ों Hindu Devotees द्वारा मुख्य Deity रूप में पूजे जाते हैं। Shiva Worship के बाद Shiv Apradh Kshamapan Stotra का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। Lord Shiva’s Sacred Panchakshar Mantra "Na Ma Si Va Ya" इस Stotra में विशेष रूप से प्रतिष्ठित है, जिससे Sadhak के जीवन में Positive Transformation आता है और वह Spiritually Elevated होता है 🚩।श्री शिवापराध क्षमापण स्तोत्रम्
(Shri Shiv Aparadh Kshamapan Stotram)
आदौ कर्मप्रसंगात्कलयति कलुषं मातृकुक्षौ स्थितं मां
विण्मूत्रामेध्यमध्ये क्वथयति नितरां जाठरो जातवेदाः ।
यद्यद्वै तत्र दुःखं व्यथयति नितरां शक्यते केन वक्तुं
क्षंतव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शंभो ॥ 1॥
बाल्ये दुःखातिरेको मललुलितवपुः स्तन्यपाने पिपासा
नो शक्तश्चेंद्रियेभ्यो भवगुणजनिताः जंतवो मां तुदंति ।
नानारोगादिदुःखाद्रुदनपरवशः शंकरं न स्मरामि
क्षंतव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शंभो ॥ 2॥
प्रौढोऽहं यौवनस्थो विषयविषधरैः पंचभिर्मर्मसंधौ
दष्टो नष्टो विवेकः सुतधनयुवतिस्वादुसौख्ये निषण्णः ।
शैवीचिंताविहीनं मम हृदयमहो मानगर्वाधिरूढं
क्षंतव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शंभो ॥ 3॥
वार्धक्ये चेंद्रियाणां विगतगतिमतिश्चाधिदैवादितापैः
पापै रोगैर्वियोगैस्त्वनवसितवपुः प्रौढहीनं च दीनम् ।
मिथ्यामोहाभिलाषैर्भ्रमति मम मनो धूर्जटेर्ध्यानशून्यं
क्षंतव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शंभो ॥ 4॥
स्नात्वा प्रत्यूषकाले स्नपनविधिविधौ नाहृतं गांगतोयं
पूजार्थं वा कदाचिद्बहुतरगहनात्खंडबिल्वीदलानि ।
नानीता पद्ममाला सरसि विकसिता गंधधूपैः त्वदर्थं
क्षंतव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शंभो ॥ 5॥
दुग्धैर्मध्वाज्ययुक्तैर्दधिसितसहितैः स्नापितं नैव लिंगं
नो लिप्तं चंदनाद्यैः कनकविरचितैः पूजितं न प्रसूनैः ।
धूपैः कर्पूरदीपैर्विविधरसयुतैर्नैव भक्ष्योपहारैः
क्षंतव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शंभो ॥ 6॥
नो शक्यं स्मार्तकर्म प्रतिपदगहनप्रत्यवायाकुलाख्यं
श्रौते वार्ता कथं मे द्विजकुलविहिते ब्रह्ममार्गानुसारे । वर् ब्रह्ममार्गे सुसारे
ज्ञातो धर्मो विचारैः श्रवणमननयोः किं निदिध्यासितव्यं
क्षंतव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शंभो ॥ 7॥
ध्यात्वा चित्ते शिवाख्यं प्रचुरतरधनं नैव दत्तं द्विजेभ्यो
हव्यं ते लक्षसंख्यैर्हुतवहवदने नार्पितं बीजमंत्रैः ।
नो तप्तं गांगातीरे व्रतजपनियमैः रुद्रजाप्यैर्न वेदैः
क्षंतव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शंभो ॥ 8॥
नग्नो निःसंगशुद्धस्त्रिगुणविरहितो ध्वस्तमोहांधकारो
नासाग्रे न्यस्तदृष्टिर्विदितभवगुणो नैव दृष्टः कदाचित् ।
उन्मन्याऽवस्थया त्वां विगतकलिमलं शंकरं न स्मरामि
क्षंतव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शंभो ॥ 9॥
स्थित्वा स्थाने सरोजे प्रणवमयमरुत्कुंभके (कुंडले) सूक्ष्ममार्गे
शांते स्वांते प्रलीने प्रकटितविभवे ज्योतिरूपेऽपराख्ये ।
लिंगज्ञे ब्रह्मवाक्ये सकलतनुगतं शंकरं न स्मरामि
क्षंतव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शंभो ॥ 10॥
हृद्यं वेदांतवेद्यं हृदयसरसिजे दीप्तमुद्यत्प्रकाशं
सत्यं शांतस्वरूपं सकलमुनिमनःपद्मषंडैकवेद्यम् ।
जाग्रत्स्वप्ने सुषुप्तौ त्रिगुणविरहितं शंकरं न स्मरामि
क्षंतव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शंभो ॥ 11॥
चंद्रोद्भासितशेखरे स्मरहरे गंगाधरे शंकरे
सर्पैर्भूषितकंठकर्णविवरे नेत्रोत्थवैश्वानरे । युगले
दंतित्वक्कृतसुंदरांबरधरे त्रैलोक्यसारे हरे
मोक्षार्थं कुरु चित्तवृत्तिमचलामन्यैस्तु किं कर्मभिः ॥ 12॥
किं वाऽनेन धनेन वाजिकरिभिः प्राप्तेन राज्येन किं
किं वा पुत्रकलत्रमित्रपशुभिर्देहेन गेहेन किम् ।
ज्ञात्वैतत्क्षणभंगुरं सपदि रे त्याज्यं मनो दूरतः
स्वात्मार्थं गुरुवाक्यतो भज मन श्रीपार्वतीवल्लभम् ॥ 13॥
पौरोहित्यं रजनिचरितं ग्रामणीत्वं नियोगो
माठापत्यं ह्यनृतवचनं साक्षिवादः परान्नम् ।
ब्रह्मद्वेषः खलजनरतिः प्राणिनां निर्दयत्वं
मा भूदेवं मम पशुपते जन्मजन्मांतरेषु ॥ 14॥
आयुर्नश्यति पश्यतां प्रतिदिनं याति क्षयं यौवनं
प्रत्यायांति गताः पुनर्न दिवसाः कालो जगद्भक्षकः ।
लक्ष्मीस्तोयतरंगभंगचपला विद्युच्चलं जीवितं
तस्मात्त्वां शरणागतं शरणद त्वं रक्ष रक्षाधुना ॥ 15॥ तस्मान्मां
वंदे देवमुमापतिं सुरगुरुं वंदे जगत्कारणं
वंदे पन्नगभूषणं मृगधरं वंदे पशूनां पतिम् ।
वंदे सूर्यशशांकवह्निनयनं वंदे मुकुंदप्रियं
वंदे भक्तजनाश्रयं च वरदं वंदे शिवं शंकरम् ॥16॥
गात्रं भस्मसितं सितं च हसितं हस्ते कपालं सितं वर् स्मितं च
खट्वांगं च सितं सितश्च वृषभः कर्णे सिते कुंडले ।
गंगा फेनसिता जटा पशुपतेश्चंद्रः सितो मूर्धनि
सोऽयं सर्वसितो ददातु विभवं पापक्षयं सर्वदा ॥ 17॥
करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वाऽपराधम् ।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्ष्मस्व
शिव शिव करुणाब्धे श्रीमहादेव शंभो ॥ 18॥
॥ इति श्रीमद् शंकराचार्यकृत शिवापराधक्षमापणस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
Related to Shiv
Parvati Vallabha Neelkantha Ashtakam (पार्वतीवल्लभ नीलकण्ठाष्टकम्)
Shri Parvati Vallabha Ashtakam (पार्वतीवल्लभ नीलकण्ठाष्टकम्) का पाठ calm mind और devotion के साथ करने से wealth, prosperity, और fame में वृद्धि होती है। ऐसी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति regularly इस ashtakam का पाठ करता है, तो उसके sorrows और problems समाप्त हो जाते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस divine stotra का पाठ करने से Goddess Parvati और Lord Shiva की divine blessings प्राप्त होती हैं। यदि घर में happiness और prosperity बनाए रखना चाहते हैं, तो daily recitation अत्यंत beneficial सिद्ध हो सकता है। इसके माध्यम से mental और spiritual strength का विकास होता है, जिससे जीवन में positive changes आने लगते हैं। Shri Parvati Vallabha Ashtakam का regular chanting व्यक्ति के भीतर new courage उत्पन्न करता है, जिससे fear of failure कम होकर success की संभावनाएं बढ़ती हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह sacred hymn bad luck को दूर कर negative energy को खत्म कर देता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में peace और harmony बनी रहती है।Ashtakam
Rudrasukt (रुद्रसूक्त)
आदिपुरुष भगवान् सदाशिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्रसूक्त के पाठ का विशेष महत्व है। भगवान शिव के पूजन में रुद्राभिषेक की परम्परा है, जिसमें रुद्रसूक्त का ही प्रमुखता से उच्चारण किया जाता है। रुद्राभिषेक के अन्तर्गत रुद्राष्टाध्यायी के पाठ में ग्यारह बार रुद्रसूक्त का उच्चारण करने पर ही पूर्ण रुद्राभिषेक माना जाता है। 'रुद्रसूक्त' आध्यात्मिक (spiritual), आधिदैविक (divine) एवं आधिभौतिक- त्रिविध तापों से मुक्त कराने तथा अमृतत्व (eternal bliss) की ओर अग्रसर करने का अन्यतम उपाय है।Sukt
Amogh Shiva Kavach (अमोघ शिव कवच)
Amogh Shiv Kavach एक अत्यंत शक्तिशाली Maha Kavach है। यह Lord Shiva के Rudra form का प्रतीक है। जो व्यक्ति नियमित रूप से Amogh Shiv Kavach का पाठ करता है, उसे Lord Shiva's special grace प्राप्त होती है। यह Kavach व्यक्ति को सभी Graha Dosh पीड़ा, Tantra Badha, Nazar Dosh, Pitru Dosh, Sudden Death, Physical troubles, Mental troubles, Financial troubles आदि से बचाता है। जो व्यक्ति Shiv Kavach Pendant पहनता है, उसके जीवन से negativity धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है। यदि साधक Shiva Yantra Kavach पहनकर Amogh Shiv Kavach का पाठ करता है, तो वह भयंकर calamities से छुटकारा पाने लगता है। Navagraha के evil effects में कमी आने लगती है। साधक सभी प्रकार की diseases, Tantra-Mantra-Yantra से सुरक्षित रहता है। हर व्यक्ति को इस Amogh Shiv Kavach का पाठ अपनी daily worship में अवश्य करना चाहिए, ताकि वह और उसका परिवार troubles से बच सके।Kavacha
Shata Rudriyam (शत रुद्रीयम्)
Shata Rudriyam भगवान शिव के "Divine Glory" और "Supreme Power" का आह्वान करता है, जिन्हें "Lord of the Universe" और "Destroyer of Evil" के रूप में पूजा जाता है। यह अत्यंत शक्तिशाली मंत्र भगवान शिव की "Cosmic Energy" और "Divine Protection" को प्राप्त करने का एक विशेष उपाय है। Shata Rudriyam का जाप "Divine Blessings Prayer" और "Shiva Worship Chant" के रूप में किया जाता है। यह मंत्र भगवान शिव की "Grace and Mercy" को आकर्षित करता है, जो जीवन में "Positive Energy" और "Protection from Negativity" का संचार करता है। Shata Rudriyam से भगवान शिव की "Divine Protection" प्राप्त होती है, जिससे भक्तों को हर प्रकार की कठिनाई और संकट से मुक्ति मिलती है।Shloka-Mantra
Ardhanarishwar Stuti (अर्धनारीश्वर स्तुति)
Ardhanarishwar Stuti भगवान Shiva और देवी Parvati के अद्भुत रूप की स्तुति है, जो "Divine Union" और "Supreme Energy" का प्रतीक हैं। यह स्तुति उनके संयुक्त रूप की "Cosmic Power" और "Balance of Energies" को दर्शाती है। यह स्तोत्र "Shiva-Parvati Devotional " और "Spiritual Harmony Prayer" के रूप में प्रसिद्ध है। इसके पाठ से जीवन में मानसिक शांति और ऊर्जा का संचार होता है। Ardhanarishwar Stuti को "Divine Protector Prayer" और "Sacred Chant for Balance" के रूप में पढ़ने से आंतरिक शक्ति मिलती है।Stuti
Chandrasekhara Ashtakam (चंद्रशेखराष्टकम्)
Chandrasekhara Ashtakam भगवान Lord Shiva की स्तुति में रचित एक पवित्र Hindu Devotional Stotra है। इसमें Chandrasekhara Shiva की महिमा और उनकी Divine Powers का वर्णन किया गया है। इस Sacred Hymn का पाठ करने से भक्तों को Spiritual Growth और कष्टों से मुक्ति मिलती है। Shiva Bhajan और Mantra Chanting से जीवन में Positive Energy और समृद्धि आती है। यह Powerful Stotra संकटों को हरने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। Lord Shiva Worship के साथ इसका नियमित पाठ भक्तों को अनंत कृपा देता है।Ashtakam
Dakshina Murthy Stotram (दक्षिणा मूर्ति स्तोत्रम्)
दक्षिणा मूर्ति स्तोत्रम् भगवान दक्षिणामूर्ति को समर्पित एक स्तोत्र है, जो उन्हें ज्ञान और शिक्षा के देवता के रूप में पूजता है।Stotra
Bhagwan Shri Shankar Arti (भगवान् श्री शंकर की आरती )
जयति जयति जग-निवास भगवान शंकर की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। इसमें Shankar या Shiva, जिन्हें Lord of the Universe कहा जाता है, के प्रति असीम भक्ति और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।Arti