No festivals today or in the next 14 days. 🎉

बसंत पंचमी का दूसरा नाम क्या है? जानें कैसे मनाएं सरस्वती जयंती

बसंत पंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इसे सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देवी सरस्वती, कामदेव और विष्णु की पूजा की जाती है।
Vasant Basant Panchami 2025: Hindu scriptures के अनुसार Saraswati Jayanti, जिसे Basant Panchami भी कहा जाता है, Goddess Saraswati को समर्पित एक पर्व है। इस दिन schools, colleges और homes में Goddess Saraswati की पूजा की जाती है तथा wisdom, speech और intelligence की देवी से blessings प्राप्त की जाती हैं। वर्ष 2025 में Basant Panchami और Goddess Saraswati की Jayanti 02 February, Sunday को मनाई जा रही है। इस Vasant Panchami festival को Sanskrit में Vasant Panchami और Roman में Basant Panchami कहा जाता है। इसे Hindu Goddess Saraswati की Jayanti के सम्मान में Saraswati Puja भी कहा जाता है। यह त्योहार spring season के arrival की तैयारी का प्रतीक भी है।
वसंत पंचमी पर Saraswati Puja का महत्व:
Goddess Saraswati wisdom की देवी हैं। उनकी पूजा करने से intelligence और education में वृद्धि होती है। अत: knowledge की Goddess का आशीर्वाद लेने हेतु Vasant Panchami के दिन Goddess Saraswati का पूजा-अर्चना और mantra chanting किया जाता है। इस दिन new beginnings के लिए शुभ माना जाता है।
Goddess Saraswati को music और arts की देवी भी माना गया है। अत: इस दिन music और arts से जुड़े events आयोजित किए जाते हैं। इस दिन intellect और creativity को promote करने के लिए various programs आयोजित किए जाते हैं।
मां सरस्वती पूजा की विधि, कैसे मनाएं जयंती:
वसंत/बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
फिर पूजा स्थल की सजावट करें।
मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को एक साफ-सुथरे स्थान पर स्थापित करें।
आस-पास पुष्प, दीपक, धूप और रंगोली से सजाएं।
फिर मां सरस्वती के पास शास्त्र, वेद, पुस्तकें, वीणा और अन्य वाद्य यंत्र रखें।
तत्पश्चात मां सरस्वती की प्रतिमा को गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से स्नान कराएं या अभिषेक करें।
अब मां सरस्वती को सफेद या पीले रंग के वस्त्र और आभूषण पहनाएं।
वसंत पंचमी के दिन नैवेद्य में पीले रंगों का विशेष महत्व होने के कारण मां सरस्वती को पीली मिठाई, पीले फल और केसरिया खीर का भोग लगाएं।
मां सरस्वती के विभिन्न मंत्रों का जाप करें।
जैसे: - ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।
- 'ऎं ह्रीं श्रीं वाग्वादिनी सरस्वती देवी मम जिव्हायां। सर्व विद्यां देही दापय-दापय स्वाहा।'
फिर मां सरस्वती की आरती करें।
देवी सरस्वती स्तोत्र का पाठ करें।
इस दिन छोटे बच्चे को विद्या आरंभ करते हैं।
सरस्वती पूजा के दौरान ये कार्य नहीं करना चाहिए। जैसे- इस दिन अशुद्ध भोजन का सेवन न करें अर्थात् मांस, मछली और अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन झूठ बोलने से बचना चाहिए। किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।
सरस्वती पूजा के दौरान करने योग्य कार्य :
- सरस्वती जयंती के दिन बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करें तथा उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में बताएं। अत: घर में यदि कोई छोटा शिशु हो तो विद्यारंभ किया जा सकता है।
- सरस्वती पूजा के दौरान सफेद रंग धारण करें, यह शांति और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। साथ ही पीले रंग भी धारण करने की मान्यता है।
- इस दिन संगीत वाद्य यंत्र बजाना मां सरस्वती को प्रसन्न करता है।
- इस दिन शास्त्रों का अध्ययन करना शुभ माना जाता है।

Related Blogs

Durga Saptashati Chapter 7 (दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः) देवी माहात्म्यं

दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः: यह देवी दुर्गा के माहात्म्य का वर्णन करने वाला सातवां अध्याय है।
Durga-Saptashati-Sanskrit

Durga Saptashati(दुर्गासप्तशती) 3 Chapter (तीसरा अध्याय)

दुर्गा सप्तशती एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। दुर्गा सप्तशती का अनुष्ठानिक पाठ देवी दुर्गा के सम्मान में नवरात्रि (अप्रैल और अक्टूबर के महीनों में पूजा के नौ दिन) समारोह का हिस्सा है। यह शाक्त परंपरा का आधार और मूल है। दुर्गा सप्तशती का तीसरा अध्याय " महिषासुर वध " पर आधारित है ।
Durga-Saptashati

Shri Vishnu Chalisa (श्री विष्णु चालीसा)

विष्णु चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान विष्णु पर आधारित है। हिन्दू मान्यतानुसार भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक हैं। Vishnu Chalisa का पाठ विशेष रूप से Vaikuntha Ekadashi और अन्य पूजा अवसरों पर किया जाता है। यह divine protection और blessings प्राप्त करने का एक अत्यंत शक्तिशाली साधन है। Vishnu mantra जीवन में peace और spiritual growth को बढ़ावा देता है।
Chalisa

Shiv Ashtakam Stotra (शिवाष्टकम्)

शिवाष्टकम् भगवान शिव की महिमा और शक्ति का वर्णन करने वाला एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान शिव की पूजा और स्तुति करने का सर्वोत्तम तरीका माना जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करना आसान है, और एक बार प्रसन्न होने पर वह अपने भक्तों से सभी कष्टों और विपत्तियों को नष्ट कर देते हैं। शिवाष्टकम् का उच्चारण करने से भक्त को भगवान शिव की आशीर्वाद प्राप्त होती है, जिससे वे अपने अस्तित्व को समझ पाते हैं और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। भगवान शिव वह दिव्य शक्ति हैं जो किसी भी परिस्थिति का मार्ग बदल सकते हैं और जो सब कुछ का नियंत्रण करते हैं। वह सभी स्थानों में विद्यमान हैं—सूर्य, चंद्रमा, वायु, यज्ञों में और हर एक तत्व में। सभी वेद और संत भगवान शिव की पूजा करते हैं, क्योंकि वह शुद्धता और धर्म का परम स्वरूप हैं। उनका अस्तित्व समग्र सृष्टि में व्याप्त है, और उनके आशीर्वाद से जीवन में स्थिरता और शांति प्राप्त होती है।
Stotra

Shri Shakambhari Chalisa (श्री शाकम्भरी चालीसा)

श्री शकंभरी चालीसा देवी शकंभरी माँ को समर्पित एक शक्तिशाली प्रार्थना है। Shakambhari, जिन्हें Goddess of Nourishment के रूप में पूजा जाता है, का आशीर्वाद सभी कष्टों से मुक्ति, सुख-समृद्धि, और दुर्लभ चीजों के प्राप्ति में सहायक है।
Chalisa

Shankaracharya Krit Shiva Ashtakam (शंकराचार्य कृत शिव अष्टकम्)

Shankaracharya Krit Shiva Ashtakam भगवान शिव की praise में रचित एक दिव्य stotra है, जो आठ श्लोकों में शिव के divine qualities और शक्ति का वर्णन करता है। यह chanting नियमित रूप से करने से spiritual enlightenment और blessings प्राप्त होती हैं। Shiva को संसार के सर्वोत्तम god और supreme power के रूप में पूजा जाता है। इस hymn का पाठ devotees को जीवन के troubles से मुक्ति और peace प्रदान करता है।
Ashtakam

Bhagwan Kailashwashi Arti (भगवान् कैलासवासी आरती )

शीश गंग अर्धन्ग पार्वती भगवान कैलाशवासी की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। इसमें Lord Kailashnath और उनकी अर्धांगिनी Goddess Parvati के प्रति श्रद्धा और भक्ति का वर्णन है। यह आरती Shiva-Parvati के मिलन और उनके दिव्य रूप की स्तुति करती है।
Arti

Chhinnamasta(10 Mahavidya) (छिन्नमस्ता)

छिन्नमस्ता दस महाविद्याओं में तीसरी देवी हैं। वे आत्म-त्याग, सृजन, और विनाश की शक्ति का प्रतीक हैं। देवी छिन्नमस्ता का रूप त्याग और पराक्रम को दर्शाता है। उनकी साधना शक्तिशाली तांत्रिक विधियों और आध्यात्मिक उत्थान के लिए की जाती है।
10-Mahavidya

Today Panchang

30 April 2025 (Wednesday)

Sunrise07:15 AM
Sunset05:43 PM
Moonrise03:00 PM
Moonset05:52 AM, Jan 12
Shaka Samvat1946 Krodhi
Vikram Samvat2081 Pingala