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बसंत पंचमी का दूसरा नाम क्या है? जानें कैसे मनाएं सरस्वती जयंती

बसंत पंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इसे सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देवी सरस्वती, कामदेव और विष्णु की पूजा की जाती है।
Vasant Basant Panchami 2025: Hindu scriptures के अनुसार Saraswati Jayanti, जिसे Basant Panchami भी कहा जाता है, Goddess Saraswati को समर्पित एक पर्व है। इस दिन schools, colleges और homes में Goddess Saraswati की पूजा की जाती है तथा wisdom, speech और intelligence की देवी से blessings प्राप्त की जाती हैं। वर्ष 2025 में Basant Panchami और Goddess Saraswati की Jayanti 02 February, Sunday को मनाई जा रही है। इस Vasant Panchami festival को Sanskrit में Vasant Panchami और Roman में Basant Panchami कहा जाता है। इसे Hindu Goddess Saraswati की Jayanti के सम्मान में Saraswati Puja भी कहा जाता है। यह त्योहार spring season के arrival की तैयारी का प्रतीक भी है।
वसंत पंचमी पर Saraswati Puja का महत्व:
Goddess Saraswati wisdom की देवी हैं। उनकी पूजा करने से intelligence और education में वृद्धि होती है। अत: knowledge की Goddess का आशीर्वाद लेने हेतु Vasant Panchami के दिन Goddess Saraswati का पूजा-अर्चना और mantra chanting किया जाता है। इस दिन new beginnings के लिए शुभ माना जाता है।
Goddess Saraswati को music और arts की देवी भी माना गया है। अत: इस दिन music और arts से जुड़े events आयोजित किए जाते हैं। इस दिन intellect और creativity को promote करने के लिए various programs आयोजित किए जाते हैं।
मां सरस्वती पूजा की विधि, कैसे मनाएं जयंती:
वसंत/बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
फिर पूजा स्थल की सजावट करें।
मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को एक साफ-सुथरे स्थान पर स्थापित करें।
आस-पास पुष्प, दीपक, धूप और रंगोली से सजाएं।
फिर मां सरस्वती के पास शास्त्र, वेद, पुस्तकें, वीणा और अन्य वाद्य यंत्र रखें।
तत्पश्चात मां सरस्वती की प्रतिमा को गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से स्नान कराएं या अभिषेक करें।
अब मां सरस्वती को सफेद या पीले रंग के वस्त्र और आभूषण पहनाएं।
वसंत पंचमी के दिन नैवेद्य में पीले रंगों का विशेष महत्व होने के कारण मां सरस्वती को पीली मिठाई, पीले फल और केसरिया खीर का भोग लगाएं।
मां सरस्वती के विभिन्न मंत्रों का जाप करें।
जैसे: - ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।
- 'ऎं ह्रीं श्रीं वाग्वादिनी सरस्वती देवी मम जिव्हायां। सर्व विद्यां देही दापय-दापय स्वाहा।'
फिर मां सरस्वती की आरती करें।
देवी सरस्वती स्तोत्र का पाठ करें।
इस दिन छोटे बच्चे को विद्या आरंभ करते हैं।
सरस्वती पूजा के दौरान ये कार्य नहीं करना चाहिए। जैसे- इस दिन अशुद्ध भोजन का सेवन न करें अर्थात् मांस, मछली और अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन झूठ बोलने से बचना चाहिए। किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।
सरस्वती पूजा के दौरान करने योग्य कार्य :
- सरस्वती जयंती के दिन बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करें तथा उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में बताएं। अत: घर में यदि कोई छोटा शिशु हो तो विद्यारंभ किया जा सकता है।
- सरस्वती पूजा के दौरान सफेद रंग धारण करें, यह शांति और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। साथ ही पीले रंग भी धारण करने की मान्यता है।
- इस दिन संगीत वाद्य यंत्र बजाना मां सरस्वती को प्रसन्न करता है।
- इस दिन शास्त्रों का अध्ययन करना शुभ माना जाता है।

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