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Ganapati Prarthana Ghanapathah (गणपति प्रार्थन घनपाठः)
गणपति प्रार्थन घनपाठः (Ganapati Prarthana Ghanapathah)
ॐ श्री गुरुभ्यो नमः । हरिः ओम् ॥
ग॒णानां᳚ त्वा त्वा ग॒णानां᳚ ग॒णानां᳚ त्वा ग॒णप॑तिं ग॒णप॑तिं त्वा ग॒णानां᳚ ग॒णानां᳚ त्वा ग॒णप॑तिम् ॥
त्वा॒ ग॒णप॑तिं ग॒णप॑तिं त्वात्वा ग॒णप॑तिग्ं हवामहे हवामहे ग॒णप॑तिं त्वात्वा गणप॑तिग्ं हवामहे । ग॒णप॑तिग्ं हवामहे हवामहे ग॒णप॑तिं ग॒णप॑तिग्ं हवामहे क॒विन्क॒विग्ं ह॑वामहे ग॒णप॑तिं ग॒णप॑तिग्ं हवामहे क॒विम् । ग॒णप॑ति॒मिति॑ग॒ण-प॒ति॒म् ॥
ह॒वा॒म॒हे॒ क॒विं क॒विग्ं॒ ह॑वामहे हवामहे क॒विं क॑वी॒नान्क॑वी॒नां क॒विग्ं॒ ह॑वामहे हवामहे क॒विन्क॑वी॒नाम् ॥
क॒विन्क॑वी॒नान्क॑वी॒नां क॒विन्क॒विं क॑वी॒नामु॑प॒मश्र॑वस्तम मुप॒मश्र॑वस्तमंक॑वी॒नां क॒विन्क॒विं क॑वी॒नामु॑प॒मश्र॑वस्तमम् ॥
क॒वी॒नामु॑प॒मश्र॑व स्तममुप॒मश्र॑वस्तमं कवी॒ना न्क॑वी॒ना मु॑प॒मश्र॑वस्तमम् । उ॒प॒मश्र॑वस्तम॒ मित्यु॑प॒मश्र॑वः-त॒म॒म् ॥
ज्ये॒ष्ट॒राजं॒ ब्रह्म॑णां॒ ब्रह्म॑णां ज्येष्ठ॒राजं॑ ज्येष्ठ॒राजं॒ ब्रह्म॑णां ब्रह्मणो ब्रह्मणो॒ ब्रह्म॑णां ज्येष्ठ॒राजं॑ ज्येष्ठ॒राजं॒ ब्रह्म॑णां ब्रह्मणः । ज्ये॒ष्ठ॒राज॒मिति॑ज्येष्ठ राजम्᳚ ॥
ब्रह्म॑णां ब्रह्मणो ब्रह्मणो॒ ब्रह्म॑णां॒ ब्रह्म॑णां ब्रह्मणस्पते पतेब्रह्मणो॒ ब्रह्म॑णां॒ ब्रह्म॑णां ब्रह्मणस्पते ॥
ब्र॒ह्म॒ण॒स्प॒ते॒ प॒ते॒ ब्र॒ह्म॒णो॒ ब्र॒ह्म॒ण॒स्प॒त॒ आप॑ते ब्रह्मणो ब्रह्मणस्पत॒ आ । प॒त॒ आ प॑तेपत॒ आनो॑न॒ आप॑ते पत॒ आनः॑ ॥
आनो॑न॒ आन॑श्शृ॒ण्वन्छृ॒ण्वन्न॒ आन॑श्शृण्वन्न् । न॒ श्शृण्वन्छृ॒ण्वन्नो॑न श्शृ॒ण्वन्नू॒तिभि॑ रू॒तिभि॑श्शृ॒ण्वन्नो॑न श्शृ॒ण्वन्नू॒तिभिः॑ ॥
श्शृ॒ण्वन्नू॒तिभि॑ रू॒तिभि॑श्शृ॒ण्वन्छृ॒ण्वन्नू॒तिभि॑स्सीद सीदो॒तिभि॑श्शृ॒ण्वन् छृ॒ण्वन्नू॒तिभि॑स्सीद ॥
ऊ॒तिभि॑स्सीद सीदो॒तिभि॑ रू॒तिभि॑स्सीद॒ साद॑न॒ग्ं॒ साद॑नग्ं॒ सीदो॒तिभि॑रू॒तिभि॑स्सीद॒ साद॑नम् । ऊ॒तिभि॒ रित्यू॒ति-भिः॒ ॥
सी॒द॒साद॑न॒ग्ं॒ साद॑नग्ं॒ सीद सीद॒ साद॑नम् । साद॑न॒मिति॒ साद॑नम् ॥
ॐ श्री महागणपतये नमः ॥
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