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होली की अनजानी कथा : इलोजी और होलिका की प्रेम गाथा

Holika Dahan 2025 : धार्मिक शास्त्रों के अनुसार Holika Dahan festival का पर्व Vishnu bhakt Prahlad की कथा से जुड़ा है। Holika उनकी Bua थी और Hiranyakashipu उनके Pitaji थे। Holika को Brahmaji ने Agni se jalkar nahi marne का वरदान दिया था। इसी वरदान के चलते Holika ने Hiranyakashipu के कहने पर Bhakt Prahlad को अपनी Goad में बैठाकर Agni Kund में बैठ गई थीं।
हालांकि Varadan ke durupyog करने के चलते वे Agni Kund में जल गईं लेकिन Shri Hari की कृपा से Prahlad बच गए। इसी कारण सभी लोग Holika को Khalnayika मानते हैं, परंतु Holika ki apni ek dardbhari kahani भी है। आओ जानते हैं उसी कहानी को-
यह कहानी हमें Himachal ki Lok Katha में मिलती है। Janshruti के आधार पर यह माना जाता है कि Holika ki ek prem katha भी थी। उसे वहां पर एक Bebas Preyasi के तौर पर देखा जाता है, जो अपने Priyatam से मिलने के खातिर Maut ko gale लगा लेती है। Holika महान Asur Raja Hiranyakashipu की Behan थी और उसका विवाह Iloji से तय हुआ था और विवाह Purnima को तय हुआ था।
हालांकि उसी समय Hiranyakashipu अपने बेटे Prahlad ki Vishnu Bhakti से परेशान था। सभी उपाय करने के बाद भी वह उसे Maut ke ghat उतार नहीं पा रहा था। तब उसने Holika ke samne Prahlad ko Agni me jalaane का प्रस्ताव रखा, जिसे Holika ne manne se inkar कर दिया।
होलिका के इनकार करने के कारण हिरण्यकश्यप ने उसके विवाह में व्यवधान डालने की धमकी थी। आखिरकार मजबूर होकर होलिका ने भाई की बात मान ली और प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठने की बात स्वीकार कर ली। होलिका अग्नि की उपासक थी और उसे अग्नि का भय नहीं था। जिस दिन होलिका का विवाह होना था उसी दिन उसे यह कार्य भी करना था।
दूसरी ओर होलिका का जिससे विवाह हो रहा था, वह इन सभी बातों से अनजान था। उसका नाम इलोजी था और वह बारात लेकर आ रहा था। इधर मंडप सजा था और उधर होलिका प्रहलाद को जलाने के प्रयास में स्वयं जलकर भस्म हो गई। जब इलोजी बारात लेकर पहुंचा तब तक होलिका की देह खाक हो चुकी थी।
इलोजी यह सब देखकर बहुत दु:खी हुआ और वह यह सहन नहीं कर पाया और उन्होंने भी उसी अग्नि कुंड में कूद गया, लेकिन तब तक आग बुझ चुकी थी। अपना संतुलन खोकर वे राख और लकड़ियां लोगों पर फेंकने लगे। वह पागल जैसे हो गया और फिर इस अवस्था में उसने अपना पूरा जीवन गुजारा। आज भी होलिका-इलोजी की प्रेम कहानी हिमाचल प्रदेश के लोग गाकर याद रखते हैं।

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सर्वेशे सर्वशक्ति स्वरूपिणी। पूजम गृहण कौमारी! जगन्मातरनमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कन्या पूजयामि॥ (24.) नीराजन (Nirajan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करने के पश्चात देवी दुर्गा की आरती करें। नीराजनं सुमंगल्यं कर्पूरेण समन्वितम्। चन्द्रार्कवह्नि सदृशं महादेवी! नमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कर्पूर निराजनं समर्पयामि॥ (25.) प्रदक्षिणा (Pradakshina) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए फूलों से प्रतीकात्मक प्रदक्षिणा (देवी दुर्गा की बाएं से दाएं परिक्रमा) करें। प्रदक्षिणं त्रयं देवि प्रयत्नेन प्रकल्पितम्। पश्यद्य पावने देवि अम्बिकायै नमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः प्रदक्षिणं समर्पयामि॥ (26.) क्षमापन (Kshamapan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए पूजा के दौरान हुई किसी भी ज्ञात-अज्ञात गलती के लिए देवी दुर्गा से क्षमा मांगें। अपराधा शतम् देवि मत्कृतम् च दीने दीने। क्षमायतम पावने देवी-देवेष नमोअस्तु ते॥
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