No festivals today or in the next 14 days. 🎉

चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि कैसे मनाते हैं, जानें 5 प्रमुख बातें

Worship of Mother Durga: चैत्र Navratri और Sharadiya Navratri दोनों ही Hindu Dharma में Maa Navdurga को समर्पित महत्वपूर्ण festivals हैं। इन दोनों ही पर्वों पर नौ दिनों तक Mata Durga की पूजा-आराधना की जाती है। Akhand Jyoti जलाई जाती है तथा Ashtami-Navami Tithi पर Devi Puja के साथ-साथ Kanya Bhoj भी करवाया जाता है। इस बार 30 March से Chaitra Navratri का प्रारंभ हो रहा है तथा इसका समापन 6 April 2025 को Shri Ram Navami के साथ होगा।
हालांकि, इन दोनों में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। आइए जानते हैं Chaitra तथा Sharad Navratri के प्रमुख 5 अंतर...
1. Navratri का समय:
• यह Navratri Chaitra Maas के Shukla Paksha की Pratipada Tithi से शुरू होती है, जो आमतौर पर March या April में आती है। यह Navratri Hindu New Year की शुरुआत का प्रतीक भी है। Chaitra Navratri Chaitra Maas के Shukla Paksha की Pratipada से Navami तक मनाई जाती है। यह Navratri Vasant Ritu में आती है, इसलिए इसे Vasant Navratri भी कहा जाता है। Chaitra Navratri में Sharadiya Navratri की तरह ही rituals एवं अनुष्ठानों का पालन किया जाता है।
• Sharadiya Navratri Ashwin Maas के Shukla Paksha की Pratipada Tithi से शुरू होती है, जो आमतौर पर September या October में आती है। Sharadiya Navratri Ashwin Maas के Shukla Paksha की Pratipada से Navami तक मनाई जाती है। यह Navratri Sharad Ritu में आती है, इसलिए इसे Sharadiya Navratri कहा जाता है। Sharadiya Navratri के दौरान Ghatasthapana एवं Sandhi Puja Muhurat अधिक लोकप्रिय हैं।
2. Mahatva:
• Chaitra Navratri में Maa Durga के साथ-साथ Bhagwan Ram की भी पूजा की जाती है। Chaitra Navratri के नौवें दिन Shri Ram Navami मनाई जाती है, जो Bhagwan Ram के जन्म का प्रतीक है। इस अवसर पर Navdurga Puja के साथ-साथ Shri Ram का पूजन भी किया जाता है।
• Sharadiya Navratri Maa Durga की Mahishasur पर विजय का प्रतीक है। इस Navratri के दसवें दिन Dussehra मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। Ram-Ravan Yudh के समय स्वयं Prabhu Shri Ram ने Maa Durga की Aradhana करके उनसे विजयी होने का आशीष लिया था तथा बुराई के प्रतीक Ravan पर उन्होंने जीत हासिल करके विजय पताका फहराई थी।
3. Utsav का स्वरूप:
• Chaitra Navratri में नौ दिनों तक Vrat और Puja-Path का अधिक महत्व होता है तथा इन दिनों Upvaas रखकर Falahaari भोजन ग्रहण किया जाता है। कई लोग इस समयावधि में Chappal का त्याग करते हैं तो कई लोग Maun Vrat धारण करते हैं।
• Sharadiya Navratri में Vrat और Puja-Path के साथ-साथ Garba और Dandiya जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है, जिसे हर जगह बहुत ही धूमधाम से नौ दिनों तक Dandiya Raas का आयोजन करके Mata की Aradhana की जाती है तथा कई स्थानों पर Kanya Bhoj का आयोजन किया जाता है।
4. Parv की भिन्नता:
• Chaitra Navratri का पर्व North India में अधिक लोकप्रिय है। Chaitra Navratri की शुरुआत Maharashtra में Gudi Padwa से और Andhra Pradesh, Karnataka में Ugadi Festival से होती है।
• Sharadiya Navratri Gujarat, West Bengal, Madhya Pradesh और Maharashtra जैसे राज्यों में अधिक लोकप्रिय है। इस अवसर पर पर्व का उत्साह देखते ही बनता है। खासकर युवाओं में यह पर्व अधिक लोकप्रिय हो चला है।
5. Samapan:
• Chaitra Navratri का समापन Ram Navami के दिन होता है। इस दिन Prabhu Shri Ram के Janmotsav के साथ-साथ Chaitra Navratri का समापन भी होता है।
• Sharadiya Navratri का समापन Vijayadashami/ Dussehra के दिन होता है तथा इस दिन Ayudh Puja, Shastra Pujan का विशेष महत्व है। यह दिन Sharadiya Navratri की समाप्ति तथा बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक स्वरूप में मनाया जाता है।
और इस तरह दोनों ही Navratri में Maa Durga की Puja-Aradhana की जाती है और दोनों का अलग लेकिन अपना-अपना धार्मिक महत्व है।

Related Blogs

Dhanyaashtakam (धन्याष्टकम्)

न्याष्टकम् एक भक्तिपूर्ण भजन है जो भगवान विष्णु की महिमा और उनके दिव्य गुणों का गुणगान करता है।
Ashtakam

Venu Gopala Ashtakam (वेणु गोपाल अष्टकम्)

वेणु गोपाल अष्टकम् भगवान कृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि की स्तुति करने वाला एक अद्वितीय स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को गोपाल की बांसुरी की धुन और उनकी महिमा का अनुभव करने में मदद करता है।
Ashtakam

Medha Suktam (मेधा सूक्तम्)

मेधा सूक्तम्(Medha Suktam) तैत्तिरीयारण्यकम् - 4, प्रपाठकः - 10, अनुवाकः - 41-44 ॐ यश्छंदसामृषभो विश्वरूपः। छंदोभ्योऽध्यमृतात्संबभूव। स मेंद्रो मेधया स्पृणोतु। अमृतस्य देवधारणो भूयासम्। शरीरं मे विचर्षणम्। जिह्वा मे मधुमत्तमा। कर्णाभ्यां भूरिविश्रुवम्। ब्रह्मणः कोशोऽसि मेधया पिहितः। श्रुतं मे गोपाय ॥ ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ॥ ॐ मेधादेवी जुषमाणा न आगाद्विश्वाची भद्रा सुमनस्य माना। त्वया जुष्टा नुदमाना दुरुक्तान् बृहद्वदेम विदथे सुवीराः। त्वया जुष्ट ऋषिर्भवति देवि त्वया ब्रह्माऽऽगतश्रीरुत त्वया। त्वया जुष्टश्चित्रं-विंन्दते वसु सा नो जुषस्व द्रविणो न मेधे ॥ मेधां म इंद्रो ददातु मेधां देवी सरस्वती। मेधां मे अश्विनावुभावाधत्तां पुष्करस्रजा। अप्सरासु च या मेधा गंधर्वेषु च यन्मनः। दैवीं मेधा सरस्वती सा मां मेधा सुरभिर्जुषतात् स्वाहा ॥ आमां मेधा सुरभिर्विश्वरूपा हिरण्यवर्णा जगती जगम्या। ऊर्जस्वती पयसा पिन्वमाना सा मां मेधा सुप्रतीका जुषंताम् ॥ मयि मेधां मयि प्रजां मय्यग्नि-स्तेजो दधातु, मयि मेधां मयि प्रजां मय्यिंद्र इंद्रियं दधातु, मयि मेधां मयि प्रजां मयि सूर्यः भ्राजो दधातु ॥ [ॐ हंस हंसाय विद्महे परमहंसाय धीमहि। तन्नो हंसः प्रचोदया ॥ (हंसगायत्री)] ॐ शांतिः शांतिः शांतिः
Sukt

Durga Saptashati Chapter 5 (दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः) देवी माहात्म्यं

दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः: यह देवी दुर्गा के माहात्म्य का वर्णन करने वाला पाँचवा अध्याय है।
Durga-Saptashati-Sanskrit

Padmavati Stotram (पद्मावती स्तोत्रं)

पद्मावती स्तोत्रं: यह स्तोत्र देवी पद्मावती को समर्पित है और उनके आशीर्वाद और सौभाग्य के लिए जपा जाता है।
Stotra

Narayaniyam Dashaka 3 (नारायणीयं दशक 3)

नारायणीयं दशक 3 में भगवान नारायण के महिमा का गान किया गया है। यह दशक भक्तों को भगवान के शक्ति और कृपा के लिए प्रार्थना करता है।
Narayaniyam-Dashaka

Narayan Suktam (नारायण सूक्तम्)

नारायण सूक्तम्: यह वेदों में भगवान नारायण को समर्पित एक सूक्त है।
Sukt

Shri Mrityunjaya Stotram (श्री मृत्युञ्जय स्तोत्रम्)

Shri Mrityunjaya Stotram (श्री मृत्युंजय स्तोत्रम्): श्री मृत्युंजय स्तोत्र (Shri Mrityunjay Stotra) को सबसे प्राचीन वेदों (Vedas) में से एक माना जाता है। महा मृत्युंजय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra) गंभीर बीमारियों (serious ailments) से छुटकारा दिलाने में सहायक माना जाता है। यह मंत्र ऋग्वेद (Rig Veda) से लिया गया है और भगवान शिव (Lord Shiva) के रुद्र अवतार (Rudra Avatar) को संबोधित करता है। इस मंत्र का नियमित जप (regular chanting) न केवल आयु (longevity) बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि पारिवारिक कलह (familial discord), संपत्ति विवाद (property disputes), और वैवाहिक तनाव (marital stress) को भी सुलझाने में सहायक होता है। श्री मृत्युंजय स्तोत्र में अद्भुत उपचारात्मक शक्तियां (healing powers) हैं। यह हिंदुओं की सबसे आध्यात्मिक साधना (spiritual pursuit) मानी जाती है। भगवान शिव को सत्य (truth) और परमात्मा (Transcendent Lord) माना गया है। शिव के अनुयायियों का विश्वास है कि वे स्वयंभू (Swayambho) हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करना सरल है और वे अपने भक्तों (devotees) को आसानी से वरदान (boons) प्रदान करते हैं। धन (wealth), स्वास्थ्य (health), सुख (happiness), या समृद्धि (prosperity) से संबंधित कोई भी इच्छा, शिव पूरी करते हैं और भक्तों को कष्टों (sufferings) से मुक्त करते हैं। इसका उल्लेख शिव पुराण (Shiva Purana) में दो कहानियों के रूप में मिलता है। पहली कहानी के अनुसार, यह मंत्र केवल ऋषि मार्कंडेय (Rishi Markandeya) को ज्ञात था, जिन्हें स्वयं भगवान शिव ने यह मंत्र प्रदान किया था। आज के युग में शिव की पूजा (worship) का सही तरीका क्या है? सतयुग (Satyug) में मूर्ति पूजा (idol worship) प्रभावी थी, लेकिन कलयुग (Kalyug) में केवल मूर्ति के सामने प्रार्थना करना पर्याप्त नहीं है। भविषय पुराणों (Bhavishya Puranas) में भी इस बात का उल्लेख है कि सुख (happiness) और मन की शांति (peace of mind) के लिए मंत्र जप (chanting) का महत्व है। महा मृत्युंजय मंत्र का दैनिक जप (daily chanting) व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य (good health), धन (wealth), समृद्धि (prosperity) और दीर्घायु (long life) प्रदान करता है। यह सकारात्मक ऊर्जा (positive vibes) उत्पन्न करता है और विपत्तियों (calamities) से रक्षा करता है।
Stotra

Today Panchang

30 April 2025 (Wednesday)

Sunrise07:15 AM
Sunset05:43 PM
Moonrise03:00 PM
Moonset05:52 AM, Jan 12
Shaka Samvat1946 Krodhi
Vikram Samvat2081 Pingala