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चित्रकूट: तीर्थों का तीर्थ क्यों माना जाता है? जानिए इसके धार्मिक महत्व और श्रीराम की तपोभूमि के रूप में इसकी विशेषता

Chitrakoot: Hindu Dharma में Tirth Sthano का विशेष महत्व होता है। Prayagraj को Tirthraj कहा जाता है, लेकिन मान्यताओं के अनुसार Chitrakoot को Tirthon Ka Tirth कहा जाता है। Chitrakoot को Lord Ram की Tapobhoomi माना जाता है। Ramayan के अनुसार, Lord Ram ने अपने Vanvas का अधिकांश समय Chitrakoot में बिताया था। यहां उन्होंने Mata Sita और Laxman के साथ रहकर Tapasya की थी। इसीलिए Chitrakoot का Lord Ram से गहरा नाता है।
Chitrakoot का धार्मिक महत्व:
एक मान्यता के अनुसार Magh Mela के दौरान Prayagraj में सभी Tirths का आह्वान किया जाता है लेकिन Chitrakoot वहां नहीं पहुंचता। इस पर एक बार Prayagraj ने Lord Ram से Chitrakoot की शिकायत की और उनके ना आने का कारण पूछा। तब Shri Ram ने कहा था कि Chitrakoot मेरा Nivas है और मैंने अपने Nivas का आपको राजा नहीं बनाया है। यह भी एक कारण है जिससे Chitrakoot को बड़ा Tirth माना जाता है।
क्यों Chitrakoot को माना जाता है Tirthon Ka Tirth?
Ramayan में Chitrakoot का वर्णन बहुत विस्तार से मिलता है। Lord Ram ने Chitrakoot में ही अपने Vanvas का अधिकांश समय बिताया था। Lord Ram ने स्वयं कहा था कि Chitrakoot उनका Nivas है। Chitrakoot को Lord Ram की Tapobhoomi माना जाता है। जब Lord Ram ने अपने पिता Dashrath का Shraddh किया था, तब सभी Devi-Devta Chitrakoot में Shuddhi Bhoj के लिए आए थे। यहां की Natural Beauty देख सभी Devta मोहित हो गए और वापस जाने के विचार भूल गए। इसलिए ऐसा माना जाता है कि सभी Devtas का Nivas Chitrakoot में है और यहां जाने से Devtas का Aashirwad प्राप्त होता है। Chitrakoot की Natural Beauty भी इसे एक Sacred Place बनाती है। यहां के Dense Forests, Mountains और Rivers मन को मोहित कर लेते हैं।

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