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महाशिवरात्रि व्रत एवं पूजन विधि: संपूर्ण जानकारी और आवश्यक सामग्री

Mahashivratri Vrat and Puja Vidhi: भगवान Shiva हिंदुओं की प्रमुख आराध्य deity हैं। Mahashivratri festival शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। Hindu Puranas के अनुसार इस दिन भगवान Shiva का प्राकट्य और विवाह दोनों हुआ था। इसीलिए इस विशेष दिन Lord Shiva worship का महत्व बहुत अधिक है। Mantrashala पर आज हम आपको बताते हैं Mahashivratri Vrat Vidhi की सही और प्रामाणिक विधि। साथ ही जानिए कैसे करनी चाहिए Shiva Puja और उन्हें क्या अर्पित करना चाहिए।
Shivratri से एक दिन पूर्व Trayodashi Tithi में Shiv Ji Puja करनी चाहिए और Vrat Sankalp लेना चाहिए। इसके उपरांत Chaturdashi Tithi को Nirahar Vrat रखना चाहिए। Mahashivratri के दिन भगवान Shiva को Ganga Jal Abhishek करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
Mahashivratri Puja Vidhi: इस दिन Shivling Abhishek को Panchamrit Snan कराकर 'Om Namah Shivay' मंत्र से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद Ratri ke Chaar Prahar Puja करनी चाहिए और अगले दिन प्रातःकाल Brahmin Daan Dakshina देकर Vrat Parana करना चाहिए।
Vrat Vidhan:
नित्य नैमित्यक क्रिया शौचादि से निवृत्ति के वाद व्रत का संकल्प,पूजन हवन, शिव अभिषेक नमक-चमक से, ब्रह्मचर्य का पालन, अक्रोध, श्रद्धा भक्ति।
Puja Samagri:
Scented Flowers, Bilva Patra, Dhatura, Bhang, Ber, Aamra Manjari, Jau ki Baal, Mandaara Flowers, Cow Milk, Sugarcane Juice, Curd, Pure Desi Ghee, Honey, Holy Ganga Water, Sacred Water, Camphor, Incense Sticks (Dhoop), Deepak, Rui Batti, Chandan, Five Fruits, Panch Mewa, Panch Ras, Ittar, Gandh Roli, Mouli Janeyu, Shiv Parvati Shringar Samagri, Vastra Abhushan, Gold, Silver, Dakshina Puja Ke Bartan, Kushasan आदि।
Vrat and Puja Mantra:
ॐ नमः शिवाय का जाप या मनन श्रद्धा व ध्यान से।
Bilva Patra चढ़ाने का मंत्र:
नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च
नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥
दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌। अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌॥
अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌। कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥
गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर। सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय।
इसके बाद Shivratri Vrat Katha का वाचन करें। Mriga aur Shikari Ki Katha, Shivling Prakat Katha, तथा Shiv Puran Katha पढ़नी चाहिए।
इस प्रकार Mahashivratri Vrat and Puja विधि को अपनाकर Lord Shiva Blessings प्राप्त कर सकते हैं।

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