No festivals today or in the next 14 days. 🎉

कोलकाता का कालीघाट मंदिर: 51 शक्तिपीठों में शामिल, मां काली की सोने से बनी है जीभ

Kalighat Shaktipeeth Kolkata: चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होने वाली है। Hindu Religion में Navratri Festival का विशेष महत्व होता है। Navratri पर देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। भारत के अलावा Nepal और Bangladesh में मां के कई प्राचीन मंदिर हैं। Devi Bhagavata Purana में 108, Kalika Purana में 26, Shiva Charitra में 51, Durga Saptashati और Tantra Chudamani में Shakti Peeth की संख्या 52 बताई गई है। सामान्यतः 51 Shakti Peeth माने जाते हैं। Tantra Chudamani में लगभग 52 Shakti Peeths के बारे में बताया गया है।
इस आलेख में हम आपको माता सती के Kalighat Shaktipeeth के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो Kolkata, West Bengal में स्थित है।
Kalighat Kolkata Kalika Shaktipeeth: मां काली को देवी दुर्गा की Das Mahavidya में से एक माना जाता है। मां काली के चार रूप हैं - Dakshina Kali, Shamshan Kali, Matri Kali और Mahakali। West Bengal Kolkata के Kalighat में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। इसकी शक्ति है Kalika और भैरव को Nakuleshwar कहते हैं। इसे Dakshineshwar Kali Temple भी कहते हैं। यहां पर देवी काली की चांदी से बनी मूर्ति है। Kalighat Temple में स्थापित मां काली की मूर्ति की जीभ सोने की बनी हुई है।
Ramakrishna Paramhansa की आराध्या देवी मां कालिका का Kolkata में विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। कुछ की मान्यता अनुसार इस स्थान पर Sati's Right Foot Fingers गिरी थीं। इसलिए यह सती के 51 Shakti Peeths में शामिल है। इस स्थान पर 1847 में Jan Bazaar Queen Rani Rashmoni ने मंदिर का निर्माण करवाया था। 25 एकड़ क्षेत्र में फैले इस मंदिर का निर्माण कार्य सन् 1855 पूरा हुआ। Kalighat Area कोलकाता के उत्तर में Vivekananda Bridge के पास स्थित है।
मंदिर का समय
कालीघाट मंदिर के द्वार भक्तों के लिए सुबह 5:00 बजे से रात 10:30 बजे तक खुले रहते हैं। वहीँ शनिवार और रविवार को मंदिर देर रात तक खुला रहता है और मंदिर के दरवाजे रात 11:30 बजे बंद होते हैं। इसी के साथ त्योहारों और विशेष दिनों के दौरान कालीघाट काली मंदिर के दर्शन का समय बदल दिया जाता है। दुर्गा अष्टमी के दिन यहां बहुत बड़े स्तर पर पूजा का आयोजन किया जाता है। सामान्य दिनों में पूजा, सुबह 5:30 से 7:00 बजे तक, भोग राग, दोपहर 2:00 बजे से 3:00 बजे तक और शाम को आरती, 6:30 से 7:00 बजे तक होती है।
कैसे बने शक्तिपीठ : पौराणिक कथा के अनुसार जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। हालांकि पौराणिक आख्यायिका के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई, जो भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिनमें में 51 का खास महत्व है।

Related Blogs

Hanuman Mala Mantra (हनुमान् माला मन्त्रम्)

हनुमान् माला मन्त्रम् भगवान हनुमान को समर्पित शक्तिशाली मंत्रों की एक श्रृंखला है, जो अक्सर माला (जपमाला) का उपयोग करके जपा जाता है। इस मंत्र का जाप करने से सुरक्षा, शक्ति और आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त होता है।
MahaMantra

Shri Saraswati Chalisa (श्री सरस्वती चालीसा)

सरस्वती चालीसा माँ सरस्वती को समर्पित है। माँ सरस्वती को Goddess of Knowledge, Veena Vadini, और Vagdevi कहा जाता है। Saraswati mantra for students जैसे "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" का जाप सरस्वती चालीसा के साथ करने से विद्या और बुद्धि का विकास होता है।
Chalisa

Bhagavad Gita Tenth Chapter (भगवद गीता दसवाँ अध्याय)

भगवद गीता दसवाँ अध्याय "विभूति योग" कहलाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य विभूतियों का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि वे सृष्टि के हर उत्तम गुण, सत्य, और शक्ति के आधार हैं। यह अध्याय "ईश्वर की महानता", "दिव्य शक्तियों", और "ईश्वर के प्रति भक्ति" को विस्तार से समझाता है।
Bhagwat-Gita

Kshama Praarthana Mantra (क्षमा प्रार्थना मंत्र)

क्षमा प्रार्थना प्रायः दुर्गा सप्तशती (चण्डी पाठ) (सिद्धकुञ्जिका) के बाद देवी दुर्गा से क्षमा मांगने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है, जिसमें हम अपने द्वारा जाने-अनजाने में की गई गलतियों की क्षमा याचना करते हैं। क्षमा प्रार्थना के शब्द प्रस्तुत किए गए हैं।
Mantra

Shiv Tandava Stotra (शिवताण्डवस्तोत्रम्)

शिव तांडव स्तोत्र को बहुत चमत्कारी माना जाता है। इसकी रचना रावण द्वारा की गई है। कहा जाता है कि एक बार अहंकारवश रावण ने कैलाश को उठाने की कोशिश की तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया, जिससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया। तब पीड़ा में रावण ने भगवान शिव की स्तुति की। रावण द्वारा की गई यह स्तुति शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानी जाती है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अन्य किसी भी पाठ की तुलना में भगवान शिव को अधिक प्रिय है। इसका पाठ करने से शिव जी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।
Stotra

Shri Maha Mrityunjay Kavach (श्री महा मृत्युञ्जय कवच)

महा मृत्युञ्जय कवच का पाठ करने से जपकर्ता की देह सुरक्षित होती है। जिस प्रकार सैनिक की रक्षा उसके द्वारा पहना गया कवच करता है उसी प्रकार साधक की रक्षा यह कवच करता है। इस कवच को लिखकर गले में धारण करने से शत्रु परास्त होता है। इसका प्रातः, दोपहर व सायं तीनों काल में जप करने से सभी सुख प्राप्त होते हैं। इसके धारण मात्र से किसी शत्रु द्वारा कराए गए तांत्रिक अभिचारों का अंत हो जाता है। धन के इच्छुक को धन, संतान के इच्छुक को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
Kavacha

Shri Ganesh Ji Mantra (श्री गणेश जी मंत्र)

भगवान श्री गणेश (Lord Ganesh) सभी तरह के विघ्न हरने वाले देवता हैं। भगवान गणेश के मंत्रों (Ganesh Mantra) का जाप करना अतिशुभ माना जाता है। श्री गणेश की कृपा पाने के लिए उनके मंत्रों का जाप हमें नियमित रूप से करना चाहिए। प्रतिदिन इन मंत्रों के जाप से आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। यहां आपके लिए प्रस्तुत हैं भगवान श्री गणेश के सरल मंत्र (Ganesh Ke Saral Mantra)
Mantra

Shri Ramchandra Arti (श्री रामचन्द्र आरती)

श्री रामचंद्र आरती भगवान श्री रामचंद्र की भक्ति और महिमा को समर्पित एक पवित्र स्तुति है।
Arti

Today Panchang

30 April 2025 (Wednesday)

Sunrise07:15 AM
Sunset05:43 PM
Moonrise03:00 PM
Moonset05:52 AM, Jan 12
Shaka Samvat1946 Krodhi
Vikram Samvat2081 Pingala