No festivals today or in the next 14 days. 🎉

सूर्य व शनि की कुंभ राशि में युति, बढ़ेंगी हिंसक घटनाएं, जानिए क्या होगा 12 राशियों पर असर

12 फरवरी 2025 तक सूर्य मकर राशि पर रहेंगे तत्पश्चात 12 फरवरी 2025 को सूर्य का कुंभ संक्रांति काल प्रारंभ होगा
Sun and Saturn Conjunction in Aquarius: सूर्य का transit period ज्योतिषीय रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि सूर्य आत्मा के कारक ग्रह हैं जिसका प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ता है। वर्तमान में सूर्य Capricorn zodiac sign पर गोचर कर रहे हैं। 12 फरवरी 2025 तक सूर्य मकर राशि पर रहेंगे तत्पश्चात 12 फरवरी 2025 को सूर्य का Kumbh Sankranti period प्रारंभ होगा अर्थात सूर्य Aquarius zodiac sign में प्रवेश करेंगे। सूर्य अपने पुत्र शनि की मूल त्रिकोण राशि कुंभ में 14 मार्च 2025 तक रहेंगे।
वर्तमान में Saturn planet कुंभ राशि में स्थित हैं, अर्थात एक वर्ष बाद फिर से Sun-Saturn Conjunction in Aquarius बनेगा। यह योग world events, राजनीति और 12 राशियों पर सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव डालेगा। कुंभ राशि पर सूर्य-शनि की युति ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ नहीं मानी जाती। इसके प्रभाव से violent incidents में वृद्धि हो सकती है और राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इस astrological conjunction से आतंकी घटनाएं बढ़ सकती हैं और बड़े नेताओं की सुरक्षा पर सवाल उठ सकते हैं।
12 राशियों पर प्रभाव:
🔸 Aries (मेष): मेष राशि वाले जातकों के लिए सूर्य एकादश भाव में गोचर करेंगे, जहां पर शनि ग्रह पहले से विराजमान हैं। लाभ भाव में सूर्य शनि की युति मेष राशि वाले जातकों के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है| Sun-Saturn transit लाभ भाव में होगा, जिससे आय में वृद्धि होगी, मान-सम्मान मिलेगा और नए career opportunities मिल सकते हैं।
🔸 Taurus (वृषभ):वृषभ राशि वाले जातकों के लिए सूर्य एवं शनि की युति दशम भाव में होगी। दशम भाव में सूर्य शनि का योग पिता के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता तथा कार्य क्षेत्र में भी रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है। दशम भाव में युति होने से job promotion के मौके बनेंगे लेकिन मेहनत अधिक करनी पड़ेगी। Father’s health पर ध्यान देना होगा।
🔸 Gemini (मिथुन): मिथुन राशि वाले जातकों के लिए सूर्य शनि की युति नवम भाव में होगी, नवम भाव में सूर्य शनि के योग से इन राशि वालों को यात्रा का अवसर प्राप्त हो सकता है तथा धार्मिक यात्रा के अवसर मिलेंगे | नवम भाव में युति से travel opportunities मिलेंगी, लेकिन भाई-बंधुओं से मतभेद हो सकता है।
🔸 Cancer (कर्क): कर्क राशि वाले जातकों के लिए सूर्य शनि की युति अष्टम भाव में होगी, अष्टम भाव में सूर्य शनि का योग स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता। अतः इनको स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा, सूर्य शनि के प्रभाव से आर्थिक हानि के योग भी बन सकते हैं। अष्टम भाव में सूर्य-शनि का योग financial loss और स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
🔸 Leo (सिंह): सिंह राशि वाले जातकों के लिए सूर्य का गोचर सप्तम भाव में होगा, सप्तम भाव में सूर्य शनि के प्रभाव से जीवनसाथी के साथ में मतभेद हो सकते हैं तथा कार्य क्षेत्र में भी रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है। सप्तम भाव में यह planetary conjunction वैवाहिक जीवन में तनाव और कार्यक्षेत्र में बाधाएं ला सकता है।
🔸 Virgo (कन्या): कन्या राशि वाले जातकों के लिए सूर्य शनि का योग छठे भाव में होगा। इसके प्रभाव से इनका शत्रु पक्ष निर्बल होगा, कर्ज से राहत मिल सकती है। छठे भाव में युति होने से loan clearance, रोजगार और financial growth होगी।
🔸 Libra (तुला): तुला राशि वाले जातकों के लिए सूर्य शनि का योग पंचम भाव में होगा, इसके प्रभाव से इनकी कार्य सिद्धि में रुकावटें आ सकती हैं तथा संतान सुख में भी कमी हो सकती है | पंचम भाव में सूर्य-शनि का योग संतान से मतभेद और career obstacles ला सकता है।
🔸 Scorpio (वृश्चिक): वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए सूर्य शनि का योग चतुर्थ भाव में होगा। इसके प्रभाव से उनके कार्य क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी तथा उच्च अधिकारियों के साथ में मतभेद हो सकते हैं| चतुर्थ भाव में युति होने से कार्यक्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी लेकिन debt relief मिल सकती है।
🔸 Sagittarius (धनु): धनु राशि वाले जातकों के लिए सूर्य शनि का योग तृतीय भाव में होगा। तृतीय भाव में सूर्य शनि के प्रभाव से व्यक्ति का पराक्रम, साहस, मान सम्मान में बढ़ोतरी होगी | तृतीय भाव में यह zodiac alignment साहस, मान-सम्मान में वृद्धि देगा और नए business opportunities देगा।
🔸 Capricorn (मकर): मकर राशि वाले जातकों के लिए सूर्य शनि का योग द्वितीय भाव में होगा, इसके प्रभाव से मकर राशि वालों के पारिवारिक मतभेद बढ़ सकते हैं।| द्वितीय भाव में यह युति family disputes और धन हानि का कारण बन सकती है।
🔸 Aquarius (कुंभ): कुंभ राशि वाले जातकों के लिए सूर्य शनि का योग लग्न भाव में होगा। इसके प्रभाव से कुंभ राशि वालों को मानसिक अशांति हो सकती है, जीवनसाथी के साथ में मतभेद हो सकते हैं| लग्न भाव में mental stress, वैवाहिक जीवन में तनाव और कार्यक्षेत्र में बाधाएं उत्पन्न कर सकता है।
🔸 Pisces (मीन): मीन राशि वाले जातकों के लिए सूर्य शनि द्वादश भाव में योग करेंगे इसके प्रभाव से उनकी विदेश यात्रा का योग बनेगा, पारिवारिक मतभेद हो सकते हैं। द्वादश भाव में यह foreign travel के योग बनाएगा और कर्ज से मुक्ति दिला सकता है।

Related Blogs

Shri Bhuvaneshwari Kavacham (श्री भुवनेश्वरी कवचम्)

श्री भुवनेश्वरी कवचम एक पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है, जो देवी भुवनेश्वरी की कृपा पाने का माध्यम है। इसमें देवी को आदिशक्ति, जगत की पालनहार और सर्वशक्तिमान देवी के रूप में वर्णित किया गया है। इस कवच का पाठ भक्तों को आत्मिक शांति, सुरक्षा और जीवन में सुख व समृद्धि प्रदान करता है। "divine protection", "spiritual energy", और "sacred hymn" जैसे शब्द इसकी आध्यात्मिक महिमा को बढ़ाते हैं। यह कवच नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त कर सकारात्मकता लाता है और भक्त को हर प्रकार की बाधा से बचाता है। देवी भुवनेश्वरी को similar to god और cosmic power के रूप में पूजा जाता है, जो भक्त के जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और दिव्य आशीर्वाद का संचार करती हैं। "protection mantra", "mantra for peace", और "universal energy" इसे साधकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी बनाते हैं।
Kavacha

Saptashloki Gita Stotra (सप्तश्लोकी गीता स्तोत्र)

सप्तश्लोकी गीता स्तोत्र (Saptashloki Gita Stotra): श्रीमद्भगवद्गीता भारत के वैदिक दर्शन का सार प्रस्तुत करती है और यह सनातन धर्म का सच्चा ग्रंथ है, जो सबसे प्राचीन है और धर्म का मार्ग प्रशस्त करता है। श्री वेदव्यास ने महाभारत में कहा है कि गीता को बड़े मनोयोग से पढ़ना चाहिए, क्योंकि इसमें भगवान विष्णु स्वयं मनुष्यों के लिए आचार संहिता का वर्णन करते हैं। इसलिए सनातन धर्म के अन्य शास्त्रों का अध्ययन करने की आवश्यकता नहीं है। यह मान्यता है कि हिंदू धर्म के अन्य शास्त्रों में भगवान के सीधे दिव्य ज्ञान का उपदेश नहीं है, जबकि **श्रीमद्भगवद्गीता** में स्वयं भगवान ने यह ज्ञान दिया है। वास्तव में, गीता को हिंदू धर्म का एक प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है और इसे धर्मनिरपेक्ष उद्देश्यों के लिए भी उपयोग किया जाता है, जैसे शपथ ग्रहण के समय। सप्तश्लोकी गीता गीता के सात महत्वपूर्ण श्लोकों का संग्रह है, जो गीता के पूरे सार को सरल और संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है। इसे पढ़ने और समझने से जीवन में धर्म, कर्तव्य और ज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
Stotra

Uchchishta Ganesha Kavacham (उच्छिष्ट गणेश कवचम्)

भगवान गणेश के अनेक रूप हैं, और उन्हीं में से एक उनके सोलह अत्यधिक पूजनीय रूपों में से एक है उच्छिष्ठ गणेश, जिसे उच्छिष्ठ गणपति के नाम से भी जाना जाता है। यह रूप तांत्रिकों और वाम मार्ग (बाईं राह) का अनुसरण करने वाले साधकों के बीच अत्यधिक प्रिय है। साथ ही, यह कुछ श्रीविद्या उपासकों या श्रीविद्या मार्ग का अनुसरण करने वाले भक्तों के बीच भी विशेष रूप से लोकप्रिय है, जो देवी माँ ललिता की भक्ति और उपासना करते हैं। उच्छिष्ट अर्थात संसार के नष्ट हो जाने के उपरांत भी रहने वाला तथा कवच अर्थात शरीर के रक्षा के लिए पहना जाने वाला आवरण। संसार के नष्ट हो जाने पर भी विद्यमान रहने वाले ऐसे श्री गणेश को प्रणाम करते हुए सम्पूर्ण सुरक्षा के लिए श्री उच्छिष्ट गणेश कवच का पाठ करें:
Kavacha

Shri Deenbandhu Ashtakam (श्री दीनबन्धु अष्टकम्)

Shri Deenbandhu Ashtakam (श्री दीनबन्धु अष्टकम्): श्री दीनबंधु अष्टकम् का नियमित पाठ करने से सभी दुख, दरिद्रता आदि दूर हो जाते हैं। सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्री दीनबंधु अष्टकम् को किसी भी शुक्ल पक्ष की पंचमी से शुरू करके अगले शुक्ल पक्ष तक प्रत्येक दिन चार मण्यों के साथ तुलसी की माला से दीप जलाकर करना चाहिए। दीनबंधु वह अष्टक है जो गरीबों की नम्रता को हराता है। इस स्तोत्र का पाठ तुलसी की माला से दीप जलाकर और अगले चंद्र मास के शुक्ल पक्ष से प्रारंभ करने से सभी प्रकार के दुख, दरिद्रता, और दुःख समाप्त होते हैं और हर प्रकार की सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्री दीनबंधु अष्टकम् उन भक्तों के लिए है जिन्होंने प्रपत्ति की है और प्रपन्न बन गए हैं, और साथ ही उन लोगों के लिए भी जो प्रपत्ति की इच्छा रखते हैं। भगवान की त्वरा (जल्दी से मदद करने की क्षमता) का उल्लेख पहले और आखिरी श्लोकों में किया गया है, जो संकट में फंसे लोगों की रक्षा के लिए है। इस अष्टकम् में, रचनाकार भगवान के ऐश्वर्य, मोक्ष-प्रदाता होने, आदि का उल्लेख करते हुए हमें भगवान के पास जाने की प्रेरणा देते हैं, और बताते हैं कि भगवान के अलावा किसी और से मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है। यह एक ऐसा अष्टकम् है जिसमें पूर्ण आत्मसमर्पण (प्रपत्ति) और इसके प्रभाव को बहुत संक्षेप में आठ श्लोकों में प्रस्तुत किया गया है। पहले श्लोक में, रचनाकार हमारे जीवन की तुलना उस व्यक्ति से करते हैं जिसे हमारी इंद्रियां चारों ओर से हमला कर रही हैं और जो उन्हें अपनी ओर खींच रही हैं, जैसे कि वह किसी जंगली मगरमच्छ द्वारा खींचा जा रहा हो, और भगवान की कृपा और रक्षा की प्रार्थना करते हैं। दूसरे श्लोक में, रचनाकार हमें यह महसूस करने की आवश्यकता बताते हैं कि हम हमेशा भगवान के निर्भर हैं और हम उनसे स्वतंत्र नहीं हैं। यह प्रपत्ति के अंगों में से एक अंग है – कर्पण्य। जब हम प्रपत्ति के अंगों का पालन करते हैं, तब भगवान हमें अपने चरणों में समर्पण करने की इच्छा देते हैं, जो भगवान को प्राप्त करने का अगला कदम है। तीसरे श्लोक में, रचनाकार भगवान की महानता का गुणगान करते हैं, जो निम्नतम प्राणियों के साथ भी सहजता से मिल जाते हैं। हम सभी उनके द्वारा दी गई पाड़ा-पूजा की याद कर सकते हैं, जिसमें महालक्ष्मी जल का कलश लेकर उनके चरणों की पूजा करती हैं और फिर उस जल को भगवान और महालक्ष्मी के सिर पर छिड़कती हैं। इस प्रकार, प्रत्येक श्लोक में दीनबंधु की महानता का वर्णन किया गया है और इसके पाठ के प्रभावों का भी उल्लेख किया गया है।
Ashtakam

Aikamatya Suktam (ऐकमत्य सूक्तम्)

ऐकमत्य सूक्तम् ऋग्वेद में सभी देवताओं के एकत्व का वर्णन करता है। यह सूक्त सभी देवताओं के समर्थन, सौम्यता और आध्यात्मिक समृद्धि के लिए प्रार्थना करता है।
Sukt

Santana Gopala Stotram (संतान गोपाल स्तोत्रम्)

संतान गोपाल स्तोत्रम् भगवान कृष्ण की स्तुति करने वाला एक विशेष स्तोत्र है। यह स्तोत्र विशेष रूप से संतान की प्राप्ति के लिए गाया जाता है और भक्तों को गोपाल की कृपा का अनुभव करने में मदद करता है।
Stotra

Narayaniyam Dashaka 72 (नारायणीयं दशक 72)

नारायणीयं दशक 72 भगवान नारायण की महिमा का गुणगान करता है और उनकी कृपा की प्रार्थना करता है।
Narayaniyam-Dashaka

Siddha Kunjika Stotram (सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम्)

सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम्: यह स्तोत्र देवी दुर्गा को समर्पित है और उनके अद्भुत शक्तियों का वर्णन करता है।
Stotra

Today Panchang

07 November 2025 (Friday)

Sunrise07:15 AM
Sunset05:43 PM
Moonrise03:00 PM
Moonset05:52 AM, Jan 12
Shaka Samvat1946 Krodhi
Vikram Samvat2081 Pingala