No festivals today or in the next 14 days. 🎉

'भद्रा' उपरांत करें होलिका-दहन, जानें मुहूर्त और होली की विशेष साधनाएं और अनुष्ठान

Holika Dahan 2025: इस वर्ष देश भर में रंगों का त्योहार Holi 2025 Date 13 March को मनाया जाएगा एवं 14 March Dhulandi 2025 खेला जाएगा। Holika Dahan 2025 प्रतिवर्ष की भांति Phalgun Shukla Purnima तिथि की रात्रि को होगा। Shastra According to Bhadra Kaal में Holika Dahan वर्जित माना जाता है। 13 मार्च को भद्राकाल रात्रि 11 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। अत: भद्राकाल व्यतीत हो जाने के उपरांत अर्थात् रात्रि 11 बजकर 28 मिनट के उपरांत ही होलिका-दहन किया जा सकेगा। भद्राकाल में होलिका दहन करने से राजा को हानि व प्रजा को कष्ट होता है व राष्ट्र में विद्रोह एवं अशांति होती है। भद्राकाल में होलिका-दहन किया जाना शास्त्रानुसार निषिद्ध है।
13 मार्च को मृत्युलोक में है भद्रा का वास: इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को चन्द्रमा के सिंह राशि में स्थित होने से भद्रा का वास 'मृत्युलोक' में रहेगा। शास्त्रानुसार 'मृत्युलोक' की भद्रा सर्वाधिक हानिकारक व त्याज्य मानी जाती है। अत: इस वर्ष होलिका दहन भद्राकाल के व्यतीत होने के उपरांत रात्रि 11 बजकर 28 मिनट के पश्चात ही किया जाना श्रेयस्कर रहेगा।
होली का धुआं यदि पूर्व दिशा की ओर जाए तो देश में सुख रहेगा, आग्नेय कोण की ओर जाए आगजनी, यदि दक्षिण दिशा की ओर जाए तो सत्ता-परिवर्तन होगा व अकाल की संभावना, नैऋत्य की ओर जाए कृषि की हानि हो, पश्चिम दिशा की ओर होली का धुआं जाने से राज्य में अकाल की संभावना होती है, वायव्य दिशा की ओर जाने से चक्रवात एवं आंधी तूफान की संभावना एवं उत्तर व ईशान दिशा की ओर होली का धुआं जाने से धन-धान्य व सुख-समृद्धि होती है। यदि होली का धुआं चारों दिशाओं में पृथक-पृथक जाए तो यह राष्ट्रसंकट का द्योतक होता है।
होली पर करें विशेष साधनाएं: शास्त्रानुसार होलिका दहन प्रतिवर्ष फ़ाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को किया जाता है। आमजन के लिए होली रंग, हर्ष व उल्लास का त्योहार है। इस दिन लोग परस्पर बैर-भाव एवं द्वेष को विस्मरण पुन: प्रेम के रंग में रंग जाते हैं। साधकों की दृष्टि से होली; साधना के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। होली की रात्रि साधकगण विशेष साधनाएं संपन्न कर लाभ प्राप्त करते हैं। होलिका दहन की रात्रि में किए गए अनुष्ठान से शीघ्र ही सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
1. कामनापूर्ती के लिए अनुष्ठान:
यह प्रयोग साधक की मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति करने में सहायक होता है।
दिन- होलिक दहन वाले दिन
समय-प्रात:
स्थान-हनुमान मंदिर
सामग्री-तिल या सरसों का तेल, फ़ूल वाली लौंग, 5 दीपक
अनुष्ठान- इस अनुष्ठान के लिए साधक किसी हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान जी के विग्रह के समक्ष 5 दीपक में तेल, लौंग व बाती डालकर प्रज्वलित करे। दीप प्रज्वलन के पश्चात् साधक निम्न मंत्र की '108 माला' की संख्या में जप करें। इस जप-अनुष्ठान में मूंगे की माला प्रयुक्त करनी आवश्यक है। इस प्रयोग को पूर्ण श्रद्धाभाव व नियम से करने से साधक की मनोवांछित इच्छाओं की प्राप्ति की संभावना प्रबल होती है।
मंत्र- 'ॐ सर्वतोभद्राय मनोवांछितं देहि ॐ फट्'
2. धनलाभ के लिए अनुष्ठान:
यह प्रयोग साधक के आर्थिक संकट को दूर धनागम कराने में सहायक होता है।
दिन- होलिक दहन वाली रात्रि
समय-होलिका दहन के पश्चात्
स्थान-घर का पूजा स्थान
सामग्री-चौकी, गोमती चक्र, काले तिल, घी का पंचमुखा दीपक
अनुष्ठान- इस अनुष्ठान के लिए साधक स्नान के उपरांत स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपने घर के पूजा स्थान में बैठकर इस प्रयोग को संपन्न करे। सर्वप्रथम भगवान के विग्रह के समक्ष घी का पंचमुखा दीपक प्रज्वलित करे, तत्पश्चात् चौकी पर काले तिल की 5 ढेरियां बनाकर उन पर एक-एक 'गोमती चक्र' स्थापित करे।
इस क्रिया के पश्चात् निम्न मंत्र की '108 माला' की संख्या में जप करें। इस जप-अनुष्ठान में स्फटिक की माला प्रयुक्त करनी आवश्यक है। इस प्रयोग को पूर्ण श्रद्धाभाव व नियम से करने से साधक को आर्थिक संकटों से मुक्ति प्राप्त होकर उसे धन लाभ होने की संभावना प्रबल होती है।
मंत्र- 'ॐ ह्रीं श्रीं धनं देहि ॐ फट्'
होलिका दहन मुहूर्त:
शास्त्रानुसार होलिका भद्रा काल में किया जाना वर्जित है। भद्राकाल में होलिका दहन से राष्ट्र में अशांति व विद्रोह की संभावना प्रबल होती है। अत: होलिका दहन भद्रा रहित शुभ लग्न किया जाना श्रेयस्कर होता है। होलिका दहन के लिए निम्न समय का मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ शुभ है।
रात्रि- 11:30 से मध्यरात्रि 01:58 तक।

Related Blogs

Shri Radhapadal Stotram (श्री राधापटल स्तोत्रम्)

Shri Radhapadal Stotram (श्री राधापटल स्तोत्रम्)/Shri Radha Kripa Kataksh Stotra का पाठ करने से Radha Rani की असीम कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि Radha का नाम लेने मात्र से Shri Krishna का रोम-रोम प्रफुल्लित हो जाता है, इसलिए सदैव Radha का नाम Krishna से पहले लिया जाता है। यदि आप Radha Rani की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस अत्यंत powerful stotra का नियमित पाठ अवश्य करें। Shri Radha Kripa Kataksh Stotra के रचयिता स्वयं Lord Shiva हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, Mahadev ने Radha Rani को प्रसन्न करने के लिए इस stotra का वर्णन Mata Parvati को सुनाया था। इस stotra में Radha Rani के shringar, beauty और compassion का अद्भुत वर्णन किया गया है। यदि कोई साधक इसका daily recitation नहीं कर सकता, तो वह special tithis जैसे Ashtami, Dashami, Ekadashi, Trayodashi और Purnima पर इस stotra का पाठ कर सकता है। इससे Radha Rani की असीम कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
Stotra

Shri Dhumavati Kavacham (धूमावती कवचम्)

Shri Dhumavati Kavacham देवी धूमावती की "Divine Shield" और "Supreme Protection" का आह्वान करता है, जो "Goddess of Destruction" और "Divine Guardian" के रूप में पूजी जाती हैं। यह कवच व्यक्ति को "Cosmic Energy" और "Spiritual Protection" प्रदान करता है। Shri Dhumavati Kavacham का जाप "Goddess Dhumavati Prayer" और "Divine Strength Chant" के रूप में किया जाता है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को "Inner Peace" और "Mental Clarity" मिलती है, जो जीवन के हर संकट से बचने के लिए प्रभावी होता है।
Kavacha

Shri Baglamukhi Kavacham ( श्री बगलामुखी कवचं)

Baglamukhi Kavach (बगलामुखी कवच): Maa Baglamukhi दस Mahavidyas में आठवीं Mahavidya मानी जाती हैं। यह एक अत्यंत शक्तिशाली कवच है, जो Evil Intentions से रक्षा करता है। यदि कोई Enemy आपको नुकसान पहुँचाने, आपका Money बर्बाद करने या Gambling, Alcohol, Cigarettes जैसी बुरी आदतों में धकेलने की कोशिश कर रहा है, तो ऐसे में Maa Baglamukhi Kavach का नियमित पाठ करना चाहिए। यह कवच सभी Enemy Problems को समाप्त करता है। यदि आप किसी Property Dispute, Court Case या किसी अन्य विवाद में फंसे हैं, तो इसका पाठ करने से Victory प्राप्त होती है। आज के समय में कुछ लोग Black Magic, Sorcery और Vashikaran से दूसरों को हानि पहुँचाने का प्रयास करते हैं। ऐसे में यदि आप Baglamukhi Gutika धारण करें और Baglamukhi Kavach का नियमित पाठ करें, तो आप Evil Powers और सभी Negative Energies से सुरक्षित रहते हैं। इसलिए हर व्यक्ति को इस कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए।
Kavacha

Tripura Bhairavi Kavacham (त्रिपुरभैरवी कवचम्)

त्रिपुर भैरवी माता को दस महाविद्याओं में से पांचवीं महाविद्या के रूप में जाना जाता है। यह कवच देवी भैरवी की साधना के लिए समर्पित है। त्रिपुर भैरवी कवच का पाठ साधक के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। इसे पढ़ने से जीवनयापन और व्यवसाय में अत्यधिक वृद्धि होती है। भले ही साधक दोनों हाथों से खर्च करे, लेकिन त्रिपुर भैरवी कवच का पाठ करने से धन की कोई कमी नहीं होती। इस कवच का पाठ करने से शरीर में आकर्षण उत्पन्न होता है, आँखों में सम्मोहन रहता है, और स्त्रियाँ उसकी ओर आकर्षित होती हैं। साधक बच्चों से लेकर वरिष्ठ मंत्री तक सभी को सम्मोहित कर सकता है। यदि त्रिपुर भैरवी यंत्र को कवच पाठ के दौरान सामने रखा जाए, तो साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार शुरू हो जाता है। उसका आत्मविश्वास बढ़ने लगता है, जिससे वह हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है। यह भी देखा गया है कि इस कवच का पाठ करने और त्रिपुर भैरवी गुटिका धारण करने से प्रेम जीवन की सभी बाधाएँ दूर होने लगती हैं। साधक को इच्छित वधु या वर से विवाह का सुख प्राप्त होता है। अच्छे जीवनसाथी का साथ मिलने से जीवन सुखमय हो जाता है।
Kavacha

Shri Shitalashtakam Stotram (श्री शीतला अष्टकम स्तोत्रम्)

श्री शीतलाष्टकम् स्तोत्रम् देवी Shitala Mata की स्तुति है, जो Hindu religion में disease healing और health goddess के रूप में पूजनीय हैं। इस स्तोत्र का पाठ smallpox और अन्य infectious diseases से protection पाने के लिए किया जाता है। इसे peace, prosperity और divine blessings प्राप्त करने का माध्यम माना गया है। Shitala Devi की पूजा से health, hygiene और spiritual energy का संचार होता है। यह स्तोत्र भक्तों को negativity से मुक्त कर सकारात्मकता प्रदान करता है।
Devi-Stotra

Shri Kamalapati Ashtakam (श्री कमलापति अष्टकम् )

श्री कमलापति अष्टकम भगवान विष्णु के प्रसिद्ध अष्टकमों में से एक है । कमलापत्य अष्टकम् भगवान विष्णु की स्तुति में रचित और गाया गया है। यह एक प्रार्थना है जो विष्णु को समर्पित है। विष्णु हमें सच्चा मार्ग दिखाते हैं और उस माया को दूर करते हैं जिसमें हम जीते हैं। यह अष्टकम स्तोत्र है, जिसे यदि पूर्ण भक्ति के साथ पढ़ा जाए तो यह मोक्ष या अंतिम मुक्ति के मार्ग पर ले जाता है। कमलापत्य अष्टकम् भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे स्वामी ब्रह्मानंद द्वारा रचा गया है।
Ashtakam

Ganesh Kavacha (विध्नविनाशक गणेश कवचम्‌)

गणेश कवच (Ganesh Kavach): श्री गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना गया है। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले गणेश कवच का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। जैसे नई वस्तु खरीदना, व्यवसाय शुरू करना, इंटरव्यू के लिए जाना आदि। गणेश कवच का पाठ करने से सबसे बड़ी समस्याएं भी दूर होने लगती हैं, धन हानि रुक जाती है, कर्ज समाप्त हो जाते हैं, बुरी नजर और तांत्रिक बाधाओं से सुरक्षा मिलती है। यदि गणेश कवच का 11 दिनों तक 108 बार पाठ किया जाए, तो व्यापार और पारिवारिक कार्यों में आने वाली सभी बाधाएं धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं।
Kavacha

Today Panchang

22 September 2025 (Monday)

Sunrise07:15 AM
Sunset05:43 PM
Moonrise03:00 PM
Moonset05:52 AM, Jan 12
Shaka Samvat1946 Krodhi
Vikram Samvat2081 Pingala