No festivals today or in the next 14 days. 🎉

Holi Katha: होली की कथा से जुड़ी है कामदेव और शिव की कहानी

Holi ki katha Hindu calendar के अनुसार Hindu year के अंतिम माह यानी Phalgun month की पूर्णिमा को Holika Dahan किया जाता है। बता दें कि Holi ki pauranik katha चार घटनाओं से जुड़ी हुई है। पहली Holika aur bhakt Prahlad, दूसरी Kamdev aur Lord Shiva, तीसरी Raja Prithu aur rakshasi Dhundhi और चौथी Lord Krishna aur Putana।
आइए यहां जानते हैं Kamdev aur Lord Shiva की Holi se judi pauranik aur pramanik katha
इस कथा के अनुसार जब माता सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में कूदकर भस्म हो जाती है तो उसके बाद शिव जी गंगा और तमसा नदी के संगम किनारे गहन तपस्या में लीन हो जाते हैं। इस दौरान दो घटनाएं घटती हैं पहली तो यह कि तारकासुर नामक असुर तपस्या करके ब्रह्मा से अमरता का वरदान मांगता है तो ब्रह्मा जी कहते हैं कि यह संभव नहीं कुछ और मांगों- तो वह यह वरदान मांग लेता है कि मुझे सिर्फ शिव पुत्र ही मार सके, क्योंकि तारकासुर जानता था कि सती तो भस्म हो गई है और शिव जी तपस्या में लीन है जो हजारों वर्ष तक लीन ही रहेंगे। ऐसे में शिव का कोई पुत्र ही नहीं होगा तो मेरा वध कौन करेगा?
यह वरदान प्राप्त करके वह तीनों लोक पर अपना आतंक कायम कर देता है और स्वर्ग का अधिपति बन जाता है। दूसरी घटना यह कि इसी दौरान माता सती अपने दूसरे जन्म में हिमवान और मैनादेवी के यहां पार्वती के रूप में जन्म लेकर शिव जी की तपस्या में लीन हो जाती है उन्हें पुन: प्राप्त करने हेतु।
जब यह बात देवताओं को पता चलती है तो सभी मिलकर विचार करते हैं कि कौन शिव जी की तपस्या भंग करें। सभी माता पार्वती के पास जाकर निवेदन करते हैं। माता इसके लिए तैयार नहीं होती है। ऐसे में सभी देवताओं की अनुशंसा पर कामदेव और देवी रति शिवजी की तपस्या भंग करने का जोखिम उठाते हैं।
शिव जी के सामने फाल्गुन मास में कामदेव और रति नृत्य और गान करते हैं और फिर कामदेव आम के पेड़ के पीछे छिपकर एक-एक करके अपने पुष्प बाण को शिवजी पर छोड़ते हैं। अंत में एक बाण उनके हृदय पर लगता है जिसके चलते शिव जी की तपस्या भंग हो जाती है। तपस्या भंग होते ही उन्हें आम के पेड़ के पीछे छुपे कामदेव नजर आते हैं तो वे क्रोध में अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर देते हैं।
यह देखकर देवी रति के साथ ही सभी देवी और देवता दु:खी हो जाते हैं। अपने पति की राख को देखकर देवी रति विलाप करने लगती हैं और कहती हैं कि इसमें मेरे पति की कोई गलती नहीं थी। मेरे साथ क्या करो भोलेनाथ। मेरे पति को पुन: जीवित करो।
जब भगवान शिव को यह ज्ञात होता है कि संसार के कल्याण के लिए देवताओं की बनाई योजना के तहत ही कामदेव कार्य कर रहे थे तो उनका क्रोध शांत होता है। तब वे राख में से देवी रति के पति कामदेव की आत्मा को प्रकट कर देते हैं और फिर शिव देवी रति को वचन देते हैं कि द्वापर युग में य‍दुकुल में जब श्रीविष्णु कृष्ण रूप में जन्म लेंगे तो उनके पुत्र के रूप में तुम्हारे पति का जन्म होगा, जिसका नाम प्रद्युम्न रहेगा। उस काल में संभरासुर का वध करने के बाद तुम्हारे पति से पुन: तुम्हारा मिलन होगा। इस वरदान से सभी देवता खुश हो जाते हैं।
शिव जी पार्वती से विवाह करने की सहमति भी देते हैं। यह सुनकर प्रसन्न होकर सभी देवता फूल और रंगों की वर्षा करके खुशियां मनाते हैं और दूसरे दिन उत्सव मनाते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार होलिका का दहन होली के दिन किया जाता है और दूसरे दिन धुलैंडी पर रंग खेला जाता है। धुलैंडी पर रंग खेलने की शुरुआत देवी-देवताओं को रंग लगाकर की जाती है। इसके लिए सभी देवी-देवताओं का एक प्रिय रंग होता है और उस रंग की वस्तुएं उनको समर्पित करने से शुभता मिलती है, उनकी कृपा प्राप्त होती है, जीवन में समृद्धि मिलती है, खुशहाली आती है और धन-धान्य से घर भरे हुए होते हैं। इस तरह होली के पर्व से जुड़ी यह कथा होली के त्योहार पर अवश्य पढ़ना या सुनना चाहिए।

Related Blogs

Narayaniyam Dashaka 5 (नारायणीयं दशक 5)

नारायणीयं दशक 5 में भगवान नारायण के लीलाओं की विस्तृत व्याख्या की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के मार्गदर्शन और उनके विचारों को समझाता है।
Narayaniyam-Dashaka

Shri Surya Ashtakam (श्री सूर्य अष्टकम्)

Surya Ashtakam Stotra Path: सूर्य देव की पूजा-आराधना के लिए रविवार का दिन समर्पित होता है। सूर्य देव नवग्रहों के राजा, आरोग्य, बुद्धि, यश व समृद्धि के देवता कहलाते हैं। कहा जाता है कि कलयुगी संसार में सूर्य देव एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो साक्षात दिखाई पड़ते हैं। सूर्य देव की उपासना करने और अर्घ्य देने से व्यक्ति को समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है। रोजगार पाने की चाह रखने, मनचाही नौकरी नहीं मिल रही है, सरकारी नौकरी मिलने में कठिनाई आ रही है उन लोगों को प्रत्येक रविवार को सुबह स्नान करके सूर्याष्टकम का पाठ पूरे श्रद्धा व भक्ति भाव से करना चाहिए।
Ashtakam

Shri Ganeshji Arti (श्री गणेशजी कीआरती )

श्री गणेश जी की आरती भगवान गणेश की विघ्नहर्ता, सिद्धिदाता और शुभारंभ के प्रतीक के रूप में पूजा का महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह आरती भगवान गणेश की शक्ति, स्मृति, और संपत्ति का गुणगान करती है।
Arti

Saptashloki Gita Stotra (सप्तश्लोकी गीता स्तोत्र)

सप्तश्लोकी गीता स्तोत्र (Saptashloki Gita Stotra): श्रीमद्भगवद्गीता भारत के वैदिक दर्शन का सार प्रस्तुत करती है और यह सनातन धर्म का सच्चा ग्रंथ है, जो सबसे प्राचीन है और धर्म का मार्ग प्रशस्त करता है। श्री वेदव्यास ने महाभारत में कहा है कि गीता को बड़े मनोयोग से पढ़ना चाहिए, क्योंकि इसमें भगवान विष्णु स्वयं मनुष्यों के लिए आचार संहिता का वर्णन करते हैं। इसलिए सनातन धर्म के अन्य शास्त्रों का अध्ययन करने की आवश्यकता नहीं है। यह मान्यता है कि हिंदू धर्म के अन्य शास्त्रों में भगवान के सीधे दिव्य ज्ञान का उपदेश नहीं है, जबकि **श्रीमद्भगवद्गीता** में स्वयं भगवान ने यह ज्ञान दिया है। वास्तव में, गीता को हिंदू धर्म का एक प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है और इसे धर्मनिरपेक्ष उद्देश्यों के लिए भी उपयोग किया जाता है, जैसे शपथ ग्रहण के समय। सप्तश्लोकी गीता गीता के सात महत्वपूर्ण श्लोकों का संग्रह है, जो गीता के पूरे सार को सरल और संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है। इसे पढ़ने और समझने से जीवन में धर्म, कर्तव्य और ज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
Stotra

10 Mahavidya (दस महाविद्या)

दस महाविद्या देवी दुर्गा के दस स्वरूपों को कहा जाता है। ये काली, तारा, छिन्नमस्ता, भुवनेश्वरी, त्रिपुरसुन्दरी, षोडशी, धूमावती, मातंगी, बगलामुखी, और कमला के रूप में पूजित हैं। इन सभी स्वरूपों का महत्व तंत्र और साधना में है। यह "आध्यात्मिक शक्ति", "साधना", और "आत्मज्ञान" का प्रतीक है।
10-Mahavidya

Shri Ganesh Ji Mantra (श्री गणेश जी मंत्र)

भगवान श्री गणेश (Lord Ganesh) सभी तरह के विघ्न हरने वाले देवता हैं। भगवान गणेश के मंत्रों (Ganesh Mantra) का जाप करना अतिशुभ माना जाता है। श्री गणेश की कृपा पाने के लिए उनके मंत्रों का जाप हमें नियमित रूप से करना चाहिए। प्रतिदिन इन मंत्रों के जाप से आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। यहां आपके लिए प्रस्तुत हैं भगवान श्री गणेश के सरल मंत्र (Ganesh Ke Saral Mantra)
Mantra

Shankaracharya Krit Shiva Ashtakam (शंकराचार्य कृत शिव अष्टकम्)

Shankaracharya Krit Shiva Ashtakam भगवान शिव की praise में रचित एक दिव्य stotra है, जो आठ श्लोकों में शिव के divine qualities और शक्ति का वर्णन करता है। यह chanting नियमित रूप से करने से spiritual enlightenment और blessings प्राप्त होती हैं। Shiva को संसार के सर्वोत्तम god और supreme power के रूप में पूजा जाता है। इस hymn का पाठ devotees को जीवन के troubles से मुक्ति और peace प्रदान करता है।
Ashtakam

Shri Ram Arti (श्री राम आरती)

श्री राम आरती भगवान श्रीराम की स्तुति में गाया जाने वाला एक भक्ति गीत है, जो उनके दिव्य रूप, मर्यादा, आदर्श चरित्र और धर्म की स्थापना को समर्पित है।
Arti

Today Panchang

07 November 2025 (Friday)

Sunrise07:15 AM
Sunset05:43 PM
Moonrise03:00 PM
Moonset05:52 AM, Jan 12
Shaka Samvat1946 Krodhi
Vikram Samvat2081 Pingala