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Shri Parvatvasini Jwala Ji Arti || श्री पर्वतवासिनी ज्वालाजी की आरती - सुन मेरी देवी पर्वतवासिनि तेरा पार न पाया...
Shri Parvatvasini Jwala Ji Arti (श्री पर्वतवासिनी ज्वालाजी की आरती )
श्री पर्वतवासिनी ज्वाला जी की आरती माँ ज्वाला की शक्ति, ऊर्जा, और महिमा का गान करती है। इसमें Maa Jwala, जिन्हें Parvatvasini और Jwalamukhi Devi भी कहा जाता है, की प्रचंड ज्वालामुखी जैसी शक्ति और भक्तों की रक्षा करने वाली क्षमताओं का वर्णन है। माँ की आरती में उनके उग्र रूप और करुणा दोनों की प्रार्थना की जाती है।श्री पर्वतवासिनी ज्वालाजी की आरती
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनि तेरा पार न पाया॥ टेक ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले तेरे भेंट चढ़ाया॥
सुवा चोली तेरे अंग विराजै केसर तिलक लगाया।
नंगे पाँव तेरे अकबर जाकर सोनेका छत्र चढ़ाया॥
ऊँचे-ऊँचे पर्वत बना देवालय नीचे शहर बसाया।
सत्ययुग त्रेता द्वापर मध्ये कलियुग राज सवाया॥
धूप दीप नैवेद्य आरती मोहन भोग लगाया।
धानू भगत मैया ( तेरा ) गुण गावै मन वांछित फल पाया॥
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