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Shri Shashti Devi Stotram (श्री षष्ठी देवी स्तोत्रम्)
श्री षष्ठी देवी स्तोत्रम्
(Shri Shashti Devi Stotram)
ध्यानम्
श्रीमन्मातरमंबिकां विधिमनोजातां सदाभीष्टदां
स्कंदेष्टां च जगत्प्रसूं विजयदां सत्पुत्र सौभाग्यदाम् ।
सद्रत्नाभरणान्वितां सकरुणां शुभ्रां शुभां सुप्रभां
षष्ठांशां प्रकृतेः परं भगवतीं श्रीदेवसेनां भजे ॥ 1 ॥
षष्ठांशां प्रकृतेः शुद्धां सुप्रतिष्ठां च सुव्रतां
सुपुत्रदां च शुभदां दयारूपां जगत्प्रसूम् ।
श्वेतचंपकवर्णाभां रक्तभूषणभूषितां
पवित्ररूपां परमं देवसेना परां भजे ॥ 2 ॥
स्तोत्रम्
नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शांत्यै नमो नमः ।
शुभायै देवसेनायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 1 ॥
वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नमः ।
सुखदायै मोक्षदायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 2 ॥
सृष्ट्यै षष्ठांशरूपायै सिद्धायै च नमो नमः ।
मायायै सिद्धयोगिन्यै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 3 ॥
सारायै शारदायै च परादेव्यै नमो नमः ।
बालाधिष्टातृदेव्यै च षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 4 ॥
कल्याणदायै कल्याण्यै फलदायै च कर्मणाम् ।
प्रत्यक्षायै सर्वभक्तानां षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 5 ॥
पूज्यायै स्कंदकांतायै सर्वेषां सर्वकर्मसु ।
देवरक्षणकारिण्यै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 6 ॥
शुद्धसत्त्वस्वरूपायै वंदितायै नृणां सदा ।
हिंसाक्रोधवर्जितायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 7 ॥
धनं देहि प्रियां देहि पुत्रं देहि सुरेश्वरि ।
मानं देहि जयं देहि द्विषो जहि महेश्वरि ॥ 8 ॥
धर्मं देहि यशो देहि षष्ठीदेवी नमो नमः ।
देहि भूमिं प्रजां देहि विद्यां देहि सुपूजिते ।
कल्याणं च जयं देहि षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 9 ॥
फलशृति
इति देवीं च संस्तुत्य लभेत्पुत्रं प्रियव्रतम् ।
यशश्विनं च राजेंद्रं षष्ठीदेवि प्रसादतः ॥ 10 ॥
षष्ठीस्तोत्रमिदं ब्रह्मान् यः शृणोति तु वत्सरम् ।
अपुत्रो लभते पुत्रं वरं सुचिर जीवनम् ॥ 11 ॥
वर्षमेकं च या भक्त्या संस्तुत्येदं शृणोति च ।
सर्वपापाद्विनिर्मुक्ता महावंध्या प्रसूयते ॥ 12 ॥
वीरं पुत्रं च गुणिनं विद्यावंतं यशस्विनम् ।
सुचिरायुष्यवंतं च सूते देवि प्रसादतः ॥ 13 ॥
काकवंध्या च या नारी मृतवत्सा च या भवेत् ।
वर्षं शृत्वा लभेत्पुत्रं षष्ठीदेवि प्रसादतः ॥ 14 ॥
रोगयुक्ते च बाले च पितामाता शृणोति चेत् ।
मासेन मुच्यते रोगान् षष्ठीदेवि प्रसादतः ॥ 15 ॥
जय देवि जगन्मातः जगदानंदकारिणि ।
प्रसीद मम कल्याणि नमस्ते षष्ठीदेवते ॥ 16 ॥
इति श्री षष्ठीदेवि स्तोत्रम् ।
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