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Shiva Swarnamala Stuti || शिव स्वर्णमाला स्तुति : Full Lyrics !! आदि शंकराचार्य रचित Lord Shiva Stotram
Shiva Swarnamala Stuti (शिव स्वर्णमाला स्तुति)
Shiv Swarnamala Stuti (शिव स्वर्णमाला स्तुति) भगवान Shankar को समर्पित एक अत्यंत divine stotra है, जिसकी रचना Adi Guru Shankaracharya जी द्वारा की गई है। सभी Shiv Bhakt यह भली-भांति जानते हैं कि भगवान Shiva की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है। इस stuti का recitation किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन Monday को इसका पाठ करना विशेष लाभकारी माना गया है, क्योंकि सोमवार का दिन Lord Shiva को अत्यंत प्रिय है। इस hymn के पाठ से भगवान Shankar शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त को wish-fulfilling blessings प्रदान करते हैं, जिससे उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।॥शिव स्वर्णमाला स्तुति॥
(Shiva Swarnamala Stuti)
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
ईशगिरीश नरेश परेश महेश
बिलेशय भूषण भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
उमया दिव्य सुमङ्गल विग्रह
यालिङ्गित वामाङ्ग विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
ऊरी कुरु मामज्ञमनाथं दूरी
कुरु मे दुरितं भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
ॠषिवर मानस हंस चराचर
जनन स्थिति लय कारण भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
अन्तः करण विशुद्धिं भक्तिं
च त्वयि सतीं प्रदेहि विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
करुणा वरुणा लय मयिदास
उदासस्तवोचितो न हि भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
जय कैलास निवास प्रमाथ
गणाधीश भू सुरार्चित भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
झनुतक झङ्किणु झनुतत्किट तक
शब्दैर्नटसि महानट भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
धर्मस्थापन दक्ष त्र्यक्ष गुरो
दक्ष यज्ञशिक्षक भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
बलमारोग्यं चायुस्त्वद्गुण रुचितं
चिरं प्रदेहि विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
शर्व देव सर्वोत्तम सर्वद
दुर्वृत्त गर्वहरण विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
भगवन् भर्ग भयापह भूत
पते भूतिभूषिताङ्ग विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
षड्रिपु षडूर्मि षड्विकार हर
सन्मुख षण्मुख जनक विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्मे
त्येल्लक्षण लक्षित भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
हाऽहाऽहूऽहू मुख सुरगायक
गीता पदान पद्य विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम्॥
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