No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Shata Rudriyam || शत रुद्रीयम् : Powerful Vedic Hymn Dedicated to Lord Shiva
Shata Rudriyam (शत रुद्रीयम्)
Shata Rudriyam भगवान शिव के "Divine Glory" और "Supreme Power" का आह्वान करता है, जिन्हें "Lord of the Universe" और "Destroyer of Evil" के रूप में पूजा जाता है। यह अत्यंत शक्तिशाली मंत्र भगवान शिव की "Cosmic Energy" और "Divine Protection" को प्राप्त करने का एक विशेष उपाय है। Shata Rudriyam का जाप "Divine Blessings Prayer" और "Shiva Worship Chant" के रूप में किया जाता है। यह मंत्र भगवान शिव की "Grace and Mercy" को आकर्षित करता है, जो जीवन में "Positive Energy" और "Protection from Negativity" का संचार करता है। Shata Rudriyam से भगवान शिव की "Divine Protection" प्राप्त होती है, जिससे भक्तों को हर प्रकार की कठिनाई और संकट से मुक्ति मिलती है।शत रुद्रीयम्
(Shata Rudriyam)
व्यास उवाच
प्रजा पतीनां प्रथमं तेजसां पुरुषं प्रभुम् ।
भुवनं भूर्भुवं देवं सर्वलोकेश्वरं प्रभुम्॥ 1
ईशानां वरदं पार्थ दृष्णवानसि शङ्करम् ।
तं गच्च शरणं देवं वरदं भवनेश्वरम् ॥ 2
महादेवं महात्मान मीशानं जटिलं शिवम् ।
त्य्रक्षं महाभुजं रुद्रं शिखिनं चीरवासनम् ॥ 3
महादेवं हरं स्थाणुं वरदं भवनेश्वरम् ।
जगत्र्पाधानमधिकं जगत्प्रीतमधीश्वरम् ॥ 4
जगद्योनिं जगद्द्वीपं जयनं जगतो गतिम् ।
विश्वात्मानं विश्वसृजं विश्वमूर्तिं यशस्विनम् ॥ 5
विश्वेश्वरं विश्ववरं कर्माणामीश्वरं प्रभुम् ।
शम्भुं स्वयम्भुं भूतेशं भूतभव्यभवोद्भवम् ॥ 6
योगं योगेश्वरं शर्वं सर्वलोकेश्वरेश्वरम् ।
सर्वश्रेष्टं जगच्छ्रेष्टं वरिष्टं परमेष्ठिनम् ॥ 7
लोकत्रय विधातारमेकं लोकत्रयाश्रयम् ।
सुदुर्जयं जगन्नाथं जन्ममृत्यु जरातिगम् ॥ 8
ज्ञानात्मानां ज्ञानगम्यं ज्ञानश्रेष्ठं सुदर्विदम् ।
दातारं चैव भक्तानां प्रसादविहितान् वरान् ॥ 9
तस्य पारिषदा दिव्यारूपै र्नानाविधै र्विभोः ।
वामना जटिला मुण्डा ह्रस्वग्रीव महोदराः ॥ 10
महाकाया महोत्साहा महाकर्णास्तदा परे ।
आननैर्विकृतैः पादैः पार्थवेषैश्च वैकृतैः ॥ 11
ईदृशैस्स महादेवः पूज्यमानो महेश्वरः ।
सशिवस्तात तेजस्वी प्रसादाद्याति तेऽग्रतः ॥ 12
तस्मिन् घोरे सदा पार्थ सङ्ग्रामे रोमहर्षिणे ।
द्रौणिकर्ण कृपैर्गुप्तां महेष्वासैः प्रहारिभिः ॥ 13
कस्तां सेनां तदा पार्ध मनसापि प्रधर्षयेत् ।
ऋते देवान्महेष्वासाद्बहुरूपान्महेश्वरात् ॥ 14
प्थातुमुत्सहते कश्चिन्नतस्मिन्नग्रतः स्थिते ।
न हि भूतं समं तेन त्रिषु लोकेषु विद्यते ॥ 15
गन्धे नापि हि सङ्ग्रामे तस्य कृद्दस्य शत्रवः ।
विसञ्ज्ञा हत भूयिष्टा वेपन्तिच पतन्ति च ॥ 16
तस्मै नमस्तु कुर्वन्तो देवा स्तिष्ठन्ति वैदिवि ।
ये चान्ये मानवा लोके येच स्वर्गजितो नराः ॥ 17
ये भक्ता वरदं देवं शिवं रुद्रमुमापतिम् ।
इह लोके सुखं प्राप्यते यान्ति परमां गतिम् ॥ 18
नमस्कुरुष्व कौन्तेय तस्मै शान्ताय वै सदा ।
रुद्राय शितिकण्ठाय कनिष्ठाय सुवर्चसे ॥ 19
कपर्दिने करलाय हर्यक्षवरदायच ।
याम्यायरक्तकेशाय सद्वृत्ते शङ्करायच ॥ 20
काम्याय हरिनेत्राय स्थाणुवे पुरुषायच ।
हरिकेशाय मुण्डाय कनिष्ठाय सुवर्चसे ॥ 21
भास्कराय सुतीर्थाय देवदेवाय रंहसे ।
बहुरूपाय प्रियाय प्रियवाससे ॥ 22
उष्णीषिणे सुवक्त्राय सहस्राक्षाय मीडुषे ।
गिरीशीय सुशान्ताय पतये चीरवाससे ॥ 23
हिरण्यबाहवे राजन्नुग्राय पतयेदिशाम् ।
पर्जन्यपतयेचैव भूतानां पतये नमः ॥ 24
वृक्षाणां पतयेचैव गवां च पतये तथा ।
वृक्षैरावृत्तकायाय सेनान्ये मध्यमायच ॥ 25
स्रुवहस्ताय देवाय धन्विने भार्गवाय च ।
बहुरूपाय विश्वस्य पतये मुञ्जवाससे ॥ 26
सहस्रशिरसे चैव सहस्र नयनायच ।
सहस्रबाहवे चैव सहस्र चरणाय च ॥ 27
शरणं गच्छ कौन्तेय वरदं भुवनेश्वरम् ।
उमापतिं विरूपाक्षं दक्षं यज्ञनिबर्हणम् ॥ 28
प्रजानां पतिमव्यग्रं भूतानां पतिमव्ययम् ।
कपर्दिनं वृषावर्तं वृषनाभं वृषध्वजम् ॥ 29
वृषदर्पं वृषपतिं वृषशृङ्गं वृषर्षभम् ।
वृषाकं वृषभोदारं वृषभं वृषभेक्षणम् ॥ 30
वृषायुधं वृषशरं वृषभूतं महेश्वरम् ।
महोदरं महाकायं द्वीपचर्मनिवासिनम् ॥ 31
लोकेशं वरदं मुण्डं ब्राह्मण्यं ब्राह्मणप्रियम् ।
त्रिशूलपाणिं वरदं खड्गचर्मधरं शुभम् ॥ 32
पिनाकिनं खड्गधरं लोकानां पतिमीश्वरम् ।
प्रपद्ये शरणं देवं शरण्यं चीरवासनम् ॥ 33
नमस्तस्मै सुरेशाय यस्य वैश्रवणस्सखा ।
सुवाससे नमो नित्यं सुव्रताय सुधन्विने ॥ 34
धनुर्धराय देवाय प्रियधन्वाय धन्विने ।
धन्वन्तराय धनुषे धन्वाचार्याय ते नमः ॥ 35
उग्रायुधाय देवाय नमस्सुरवराय च ।
नमोऽस्तु बहुरूपाय नमस्ते बहुदन्विने ॥ 36
नमोऽस्तु स्थाणवे नित्यन्नमस्तस्मै सुधन्विने ।
नमोऽस्तु त्रिपुरघ्नाय भवघ्नाय च वै नमः ॥ 37
वनस्पतीनां पतये नराणां पतये नमः ।
मातॄणां पतये चैव गणानां पतये नमः ॥ 38
गवां च पतये नित्यं यज्ञानां पतये नमः ।
अपां च पतये नित्यं देवानां पतये नमः ॥ 39
पूष्णो दन्तविनाशाय त्र्यक्षाय वरदायच ।
हराय नीलकण्ठाय स्वर्णकेशाय वै नमः ॥ 40
ॐ शान्तिः ॐ शान्तिः ॐ शान्तिः
Related to Shiv
Anand Lahari (आनन्द लहरि)
आनन्द लहरि एक आध्यात्मिक भजन है जो भगवान शिव की स्तुति में गाया जाता है, जो उनकी कृपा और आनंद को व्यक्त करता है।Lahari
Bhagwan Shri Shivshankar Arti (भगवान् श्री शिवशंकर की आरती)
भगवान महादेव की आरती भगवान शिव की स्तुति में गाया जाने वाला एक भक्तिपूर्ण गीत है। इस आरती के माध्यम से भक्त Lord Shiva से आशीर्वाद, दुखों का नाश, और मोक्ष की कामना करते हैं।Arti
Shri Rudra Kavacham (श्री रुद्र कवचम्)
Shri Rudra Kavacham भगवान Shiva की शक्ति और कृपा का वर्णन करता है, जो "Destroyer of Evil" और "Supreme God" के रूप में पूजित हैं। यह Kavacham (armor) भक्त को सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और शत्रुओं से रक्षा प्रदान करता है। इस पाठ में महादेव की महिमा का गान करते हुए उनके विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है, जो भक्त को "Protection Mantra" और "Divine Shield" के रूप में सुरक्षा प्रदान करते हैं। Shri Rudra Kavacham का पाठ "Spiritual Armor" और "Evil Protection Prayer" के रूप में भी लोकप्रिय है। यह Kavach व्यक्ति के चारों ओर एक ऊर्जा कवच तैयार करता है, जो उसकी आंतरिक शक्ति को जागृत करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। भक्त इसे "Shiva's Protective Shield" के रूप में मानते हैं, जो उन्हें जीवन की कठिनाइयों से बचाता है और शुभ फल प्रदान करता है।Kavacha
Dwadash Jyotirlinga Stotram (द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्)
Dwadash Jyotirlinga Stotram भगवान Shiva के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान शिव को "Destroyer of Evil" और "Supreme Protector" के रूप में आदरपूर्वक स्मरण करता है। इसमें सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, काशी विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर, रामेश्वरम, और अन्य ज्योतिर्लिंगों की "Sacred Sites of Shiva" के रूप में स्तुति की गई है। यह स्तोत्र "Shiva Devotional Hymn" और "Spiritual Protection Chant" के रूप में प्रसिद्ध है। इसके नियमित पाठ से जीवन में शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है। Dwadash Jyotirlinga Stotram को "Hymn for 12 Jyotirlingas" और "Prayer for Divine Blessings" के रूप में पढ़ने से भक्त का मनोबल और विश्वास बढ़ता है।Stotra
Mahamrityunjaya Stotram (महामृत्युञ्जयस्तोत्रम्)
महामृत्युञ्जय स्तोत्रम् भगवान शिव की स्तुति में रचित एक प्रार्थना है, जो मृत्यु और भय से मुक्ति दिलाने के लिए गाई जाती है।Stotra
Bhagwan Shri Shankar Arti (भगवान् श्री शंकर की आरती )
जयति जयति जग-निवास भगवान शंकर की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। इसमें Shankar या Shiva, जिन्हें Lord of the Universe कहा जाता है, के प्रति असीम भक्ति और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।Arti
Shiva Sankalpa Upanishad (शिवसङ्कल्पोपनिषत् )
शिवसङ्कल्पोपनिषत् एक प्राचीन ग्रंथ है जो भगवान शिव की महिमा और उनके दिव्य स्वरूप का वर्णन करता है।Shloka-Mantra
Shri Kaal Bhairav Ashtakam (श्री कालभैरवअष्टकम्)
श्री कालभैरव अष्टकम भगवान कालभैरव, जो भगवान शिव के उग्र और भयानक रूप हैं, की स्तुति में रचित एक पवित्र स्तोत्र है। इसमें काल (समय) के स्वामी कालभैरव की महिमा का वर्णन किया गया है, जो भक्तों को पापों, भय और बाधाओं से मुक्ति प्रदान करते हैं। भगवान कालभैरव का वास विशेष रूप से काशी (वाराणसी) में माना जाता है, जहां वे काशी के रक्षक देवता के रूप में पूजे जाते हैं। इस अष्टकम में उनके त्रिशूल, डमरू, और उनके दिव्य रूप का उल्लेख है, जो उनकी शक्ति और करूणा का प्रतीक है। श्री कालभैरव की आराधना कालाष्टमी, महाशिवरात्रि, और अमावस्या के दिनों में अत्यधिक फलदायी मानी जाती है। उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर, और सोमनाथ जैसे पवित्र स्थलों पर उनकी पूजा विशेष रूप से प्रभावशाली मानी जाती है।Ashtakam