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Durga Saptashati Siddha Samput Mantra || दुर्गा सप्तशती सिद्ध सम्पुट मंत्र : पाठ विधि, Full Lyrics with Benefits
Durga Saptashati Siddha Samput Mantra (दुर्गा सप्तशती सिद्ध सम्पुट मंत्र)
Durga Saptashati Siddha Samput Mantra देवी दुर्गा की "Divine Power" और "Cosmic Energy" का आह्वान करता है, जो "Supreme Goddess" और "Protector of the Universe" के रूप में पूजा जाती हैं। यह मंत्र विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती के "Sacred Protection" और "Victory over Evil" के रूप में प्रभावी होता है। इस मंत्र का जाप "Goddess Durga Prayer" और "Spiritual Protection Mantra" के रूप में किया जाता है। इसके नियमित पाठ से जीवन में "Positive Energy" का संचार होता है और व्यक्ति को "Divine Blessings" मिलती हैं। Durga Saptashati Siddha Samput Mantra का पाठ "Victory Prayer" और "Blessings for Prosperity" के रूप में किया जाता है। यह मंत्र मानसिक शांति, आत्मिक बल और "Inner Peace" को बढ़ाता है। इसका जाप करने से व्यक्ति को "Divine Protection" और "Spiritual Awakening" प्राप्त होती है। इस मंत्र से भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।|| दुर्गा सप्तशती सिद्ध सम्पुट मंत्र ||
(Durga Saptashati Siddha Samput Mantra)
सामूहिक कल्याण के लिये मंत्र
देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या
निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्र्या ।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां
भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ॥
विश्व के अशुभ तथा भय का विनाश करने के लिये मंत्र –
यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो
ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च ।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय
नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु ॥
विश्व की रक्षा के लिये मंत्र
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः ।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम् ॥
विश्व के अभ्युदय के लिये मंत्र
विश्वेश्वरि त्वं परिपासि विश्वं
विश्वात्मिका धारयसीति विश्वम् ।
विश्वेशवन्द्या भवती भवन्ति
विश्वाश्रया ये त्वयि भक्तिनम्राः ॥
विश्वव्यापी विपत्तियों के नाश के लिये मंत्र
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य ।
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ॥
विश्व के पाप-ताप-निवारण के लिये मंत्र
देवि प्रसीद परिपालय नोऽरिभीतेर्नित्यं
यथासुरवधादधुनैव सद्यः ।
पापानि सर्वजगतां प्रशमं नयाशु
उत्पातपाकजनितांश्च महोपसर्गान् ॥
विपत्ति-नाश के लिये मंत्र
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
विपत्तिनाश और शुभ की प्राप्ति के लिये मंत्र
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः ।
भय-नाश के लिये मंत्र
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ॥
एतत्ते वदनं सौम्यं लोचनत्रयभूषितम् ।
पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायनि नमोऽस्तु ते ॥
ज्वालाकरालमत्युग्रमशेषासुरसूदनम् ।
त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकालि नमोऽस्तु ते ॥
पाप-नाश के लिये मंत्र [10]
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योऽनः सुतानिव ॥
रोग-नाश के लिये मंत्र
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ॥
महामारी-नाश के लिये मंत्र
जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥
आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिये मंत्र
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥
सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति के लिये
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम् ।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम् ॥
बाधा-शान्ति के लिये मंत्र
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि ।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम् ॥
सर्वविध अभ्युदय के लिये मंत्र
ते सम्मता जनपदेषु धनानि तेषां
तेषां यशांसि न च सीदति धर्मवर्गः ।
धन्यास्त एव निभृतात्मजभृत्यदारा
येषां सदाभ्युदयदा भवती प्रसन्ना ॥
दारिद्र्यदुःखादिनाश के लिये मंत्र
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता ॥
रक्षा पाने के लिये मंत्र
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके ।
घण्टास्वनेन नः पाहि चापज्यानिःस्वनेन च ॥
समस्त विद्याओं की और समस्त स्त्रियों में मातृभाव की प्राप्ति के लिये मंत्र –
विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः
स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु ।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्का
ते स्तुतिः स्तव्यपरा परोक्तिः ॥
सब प्रकार के कल्याण के लिये मंत्र [20]
सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
शक्ति-प्राप्ति के लिये मंत्र
सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
प्रसन्नता की प्राप्ति के लिये मंत्र
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि ।
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ॥
विविध उपद्रवों से बचने के लिये मंत्र
रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र ।
दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम् ॥
बाधामुक्त होकर धन-पुत्रादि की प्राप्ति के लिये मंत्र
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वितः ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॥
भुक्ति-मुक्ति की प्राप्ति के लिये मंत्र
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम् ।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥
पापनाश तथा भक्ति की प्राप्ति के लिये मंत्र
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे ।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥
स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिये मंत्र
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी ।
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः ॥
स्वर्ग और मुक्ति के लिये मंत्र
सर्वस्य बुद्धिरुपेण जनस्य हृदि संस्थिते ।
स्वर्गापवर्गदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
मोक्ष की प्राप्ति के लिये मंत्र
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या
विश्वस्य बीजं परमासि माया ।
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्
त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्तिहेतुः ॥
स्वप्न में सिद्धि-असिद्धि जानने के लिये मंत्र
दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके ।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय ॥
दुर्गा सप्तशती के 30 सिद्ध सम्पुट मंत्र।
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Eighteen Shaktipeeth Stotram (अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्)
श्री आदि शंकराचार्य ने इस अष्टदशा शक्ति पीठ स्तोत्रम की रचना की। अष्टदशा शक्ति पीठ स्तोत्रम एक पवित्र स्तोत्र है जिसमें 18 शक्तिपीठों और वहां पूजी जाने वाली देवी-देवताओं के नामों का उल्लेख है। इसकी रचना श्री आदि शंकराचार्य ने की थी। अष्टदशा का शाब्दिक अर्थ अठारह होता है। अष्टदशा शक्ति पीठ भारतीय उपमहाद्वीप में 18 पवित्र स्थान हैं जहाँ देवी शक्ति/पार्वती/गौरी की पूजा की जाती है। दक्ष यज्ञ के दौरान आग में कूदकर सती की मृत्यु हो जाने के बाद, भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने दक्ष को मार डाला। भगवान शिव को उनकी सामान्य स्थिति में वापस लाने के लिए, भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र छोड़ा, जिसने सती के मृत शरीर को 18 टुकड़ों में विभाजित कर दिया, जो उपमहाद्वीप में 18 अलग-अलग स्थानों पर गिरा। ये 18 स्थान 18 शक्ति पीठ या अष्टदशा शक्ति पीठ हैं, जहाँ देवी पार्वती की अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है।Stotra
Durga saptashati(दुर्गा सप्तशती) 5 Chapter(पाँचवाँ अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन किया गया है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्यम, चंडी पाठ (चण्डीपाठः) के नाम से भी जाना जाता है और इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। दुर्गा सप्तशती का पांचवां अध्याय " देवी का दूत से संवाद " पर आधारित है ।Durga-Saptashati
Shri Shitalashtakam Stotram (श्री शीतला अष्टकम स्तोत्रम्)
श्री शीतलाष्टकम् स्तोत्रम् देवी Shitala Mata की स्तुति है, जो Hindu religion में disease healing और health goddess के रूप में पूजनीय हैं। इस स्तोत्र का पाठ smallpox और अन्य infectious diseases से protection पाने के लिए किया जाता है। इसे peace, prosperity और divine blessings प्राप्त करने का माध्यम माना गया है। Shitala Devi की पूजा से health, hygiene और spiritual energy का संचार होता है। यह स्तोत्र भक्तों को negativity से मुक्त कर सकारात्मकता प्रदान करता है।Devi-Stotra
Shri Durga Saptashati 13 Chapter (श्री दुर्गा सप्तशती तेरहवाँ अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिन्दु धार्मिक ग्रन्थ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्य, चण्डी पाठ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में बाँटा गया है। दुर्गा सप्तशती का त्रयोदश अध्याय "सुरथ और वैश्य को वरदान" देने पर पर आधारित है।Durga-Saptashati
Maa Durga Shabar Mantra (माँ दुर्गा शाबर मंत्र)
श्री Maa Durga Shabar Mantra अद्भुत divine power से युक्त है, जो हर संकट को दूर करता है और तुरंत प्रभाव देता है। यह spiritual mantra साधक को साहस, आत्मविश्वास और सुरक्षा प्रदान करता है। Goddess Durga blessings पाने के लिए इस मंत्र का जाप नवरात्रि, अष्टमी, दशहरा या किसी भी auspicious occasion पर करना अत्यंत फलदायी होता है। यह miraculous chant नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर और बाधाओं को दूर करता है। Protection and success के लिए इस मंत्र का जाप विशेष रूप से किया जाता है। इसे किसी भी समस्या के समाधान के लिए प्रयोग किया जाता है, जिससे instant results प्राप्त होते हैं। Sacred vibrations उत्पन्न करने वाला यह मंत्र जीवन में शक्ति, समृद्धि और सकारात्मकता लाता है। ध्यान और साधना के समय इस powerful mantra का जाप करने से आत्मबल बढ़ता है।MahaMantra
Durga saptashati(दुर्गा सप्तशती) 10 Chapter (दसवाँ अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिन्दु धार्मिक ग्रन्थ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्य, चण्डी पाठ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में बाँटा गया है। दुर्गा सप्तशती का दशम अध्याय "शुम्भ वध" पर आधारित है।Durga-Saptashati
Durga Maa Mantra (दुर्गा माँ मंत्र)
दुर्गा माँ मंत्र देवी दुर्गा की शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक शक्तिशाली मंत्र है। यह Durga Mantra for Protection भक्तों को बुराई, संकटों और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाता है, मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करता है। Devi Durga Powerful Mantra न केवल दुर्गा माँ के प्रति आस्था को बढ़ाता है, बल्कि यह जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और पॉजिटिव एनर्जी लाने में सहायक होता है। Durga Beej Mantra और Mantra to Remove Negativity विशेष रूप से उन भक्तों के लिए प्रभावी हैं जो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन चाहते हैं। यह मंत्र Maa Durga Aarti और दुर्गा सप्तशती के पाठ के साथ और अधिक फलदायक होता है। Durga Maa Ki Puja और Mantra for Peace and Security का नियमित जाप जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव कराता है।Mantra
Durga Saptashati(दुर्गा सप्तशती) 6 Chapter (छठा अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन किया गया है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्यम, चंडी पाठ (चण्डीपाठः) के नाम से भी जाना जाता है और इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। दुर्गा सप्तशती का छठा अध्याय " धूम्रलोचन के वध " पर आधारित है ।Durga-Saptashati