No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Narayaniyam Dashaka 53 (नारायणीयं दशक 53)
नारायणीयं दशक 53 (Narayaniyam Dashaka 53)
अतीत्य बाल्यं जगतां पते त्वमुपेत्य पौगंडवयो मनोज्ञम् ।
उपेक्ष्य वत्सावनमुत्सवेन प्रावर्तथा गोगणपालनायाम् ॥1॥
उपक्रमस्यानुगुणैव सेयं मरुत्पुराधीश तव प्रवृत्तिः ।
गोत्रापरित्राणकृतेऽवतीर्णस्तदेव देवाऽऽरभथास्तदा यत् ॥2॥
कदापि रामेण समं वनांते वनश्रियं वीक्ष्य चरन् सुखेन ।
श्रीदामनाम्नः स्वसखस्य वाचा मोदादगा धेनुककाननं त्वम् ॥3॥
उत्तालतालीनिवहे त्वदुक्त्या बलेन धूतेऽथ बलेन दोर्भ्याम् ।
मृदुः खरश्चाभ्यपतत्पुरस्तात् फलोत्करो धेनुकदानवोऽपि ॥4॥
समुद्यतो धैनुकपालनेऽहं कथं वधं धैनुकमद्य कुर्वे ।
इतीव मत्वा ध्रुवमग्रजेन सुरौघयोद्धारमजीघनस्त्वम् ॥5॥
तदीयभृत्यानपि जंबुकत्वेनोपागतानग्रजसंयुतस्त्वम् ।
जंबूफलानीव तदा निरास्थस्तालेषु खेलन् भगवन् निरास्थः ॥6॥
विनिघ्नति त्वय्यथ जंबुकौघं सनामकत्वाद्वरुणस्तदानीम् ।
भयाकुलो जंबुकनामधेयं श्रुतिप्रसिद्धं व्यधितेति मन्ये ॥7॥
तवावतारस्य फलं मुरारे संजातमद्येति सुरैर्नुतस्त्वम् ।
सत्यं फलं जातमिहेति हासी बालैः समं तालफलान्यभुंक्थाः ॥8॥
मधुद्रवस्रुंति बृहंति तानि फलानि मेदोभरभृंति भुक्त्वा ।
तृप्तैश्च दृप्तैर्भवनं फलौघं वहद्भिरागाः खलु बालकैस्त्वम् ॥9॥
हतो हतो धेनुक इत्युपेत्य फलान्यदद्भिर्मधुराणि लोकैः ।
जयेति जीवेति नुतो विभो त्वं मरुत्पुराधीश्वर पाहि रोगात् ॥10॥
Related to Vishnu
Narayaniyam Dashaka 33 (नारायणीयं दशक 33)
नारायणीयं दशक 33 भगवान विष्णु के दिव्य कार्यों और उनकी कृपा का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की महिमा और उनके असीम अनुग्रह का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 66 (नारायणीयं दशक 66)
नारायणीयं दशक 66 भगवान नारायण की महिमा का वर्णन करता है और उनकी कृपा की प्रार्थना करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 6 (नारायणीयं दशक 6)
नारायणीयं दशक 6 में भगवान नारायण की भक्तों पर कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति की प्रार्थना की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के प्रेम और करुणा की विशेषता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Kamalapati Ashtakam (श्री कमलापति अष्टकम् )
श्री कमलापति अष्टकम भगवान विष्णु के प्रसिद्ध अष्टकमों में से एक है । कमलापत्य अष्टकम् भगवान विष्णु की स्तुति में रचित और गाया गया है। यह एक प्रार्थना है जो विष्णु को समर्पित है। विष्णु हमें सच्चा मार्ग दिखाते हैं और उस माया को दूर करते हैं जिसमें हम जीते हैं। यह अष्टकम स्तोत्र है, जिसे यदि पूर्ण भक्ति के साथ पढ़ा जाए तो यह मोक्ष या अंतिम मुक्ति के मार्ग पर ले जाता है। कमलापत्य अष्टकम् भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे स्वामी ब्रह्मानंद द्वारा रचा गया है।Ashtakam
Narayaniyam Dashaka 7 (नारायणीयं दशक 7)
नारायणीयं दशक 7 में भगवान नारायण के लीलाओं की उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं। यह दशक भक्तों को भगवान के दिव्य लीलाओं की अद्वितीयता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 31 (नारायणीयं दशक 31)
नारायणीयं दशक 31 भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों और उनके भक्तों को प्रदान की गई सहायता का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की महिमा और उनके अनंत अनुग्रह का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 27 (नारायणीयं दशक 27)
नारायणीयं का सत्ताईसवां दशक भगवान विष्णु की असीम कृपा और उनके भक्तों के प्रति उनके अनुग्रह का वर्णन करता है। इस दशक में, भगवान की कृपा और उनके भक्तों के प्रति उनके प्रेम की महिमा की गई है। भक्त भगवान की अनंत कृपा और उनकी दिव्यता का अनुभव करते हैं।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 8 (नारायणीयं दशक 8)
रायणीयं दशक 8 में भगवान नारायण के गुणों का वर्णन है। यह दशक भक्तों को भगवान के दिव्य गुणों की अद्वितीयता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka