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श्री अम्बाजी की आरती - जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामागौरी - Divine Prayer to Goddess Durga
Shri Amba Ji Arti (श्री अम्बाजी की आरती)
श्री अम्बा जी की आरती माँ अम्बे के शक्ति, साहस और करुणा की स्तुति करती है। इसमें माँ अम्बे, जिन्हें Sherawali और Jagat Janani के नाम से भी जाना जाता है, को सिंहवाहिनी, त्रिशूलधारिणी और Mahishasurmardini स्वरूप में पूजा जाता है। आरती में Goddess Amba की शौर्य, दया, और भक्ति का वर्णन है। भक्त Maa Ambe Aarti गाकर उनसे संकट हरने, जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद माँगते हैं।श्री अम्बाजी की आरती
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामागौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी॥१॥जय अम्बे०
माँग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको।
उज्ज्बलसे दोउ नैना,चंद्रवदन नीको॥२॥जय अम्बे०
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्त-पुष्प गल माला,कण्ठनपर साजै॥३॥जय अम्बे०
केहरि वाहन राजत, खड्ग खपर धारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥४॥जय अम्बे०
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर सम राजत ज्योती॥५॥जय अम्बे०
शुम्भ निशुम्भ विदारे,महिषासुर-घाती।
धूम्रविलोचन नैना निशिदिन मदमाती॥६॥जय अम्बे०
चण्ड मुण्ड संहारे,शोणितबीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥७॥जय अम्बे०
ब्रह्माणी, रुद्राणी तुम कमलारानी।
आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥८॥जय अम्बे०
चौंसठ योगिनि गावत,नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा औ बाजत डमरू॥९॥जय अम्बे०
तुम ही जगकी माता,तुम ही हो भरता।
भक्त तनकी दुख हरता सुख सम्पति करता॥१०॥जय अम्बे०
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत,सेवत नर-नारी॥ ११॥जय अम्बे०
कंचन थाल विराजत अगर कपुर बाती।
(श्री)मालकेतुमें राजत कोटिरतन ज्योती॥१२॥जय अम्बे०
(श्री)अम्बेजीकी आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानॉद स्वामी,सुख सम्पति पावै॥१३॥जय अम्बे०
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