No festivals today or in the next 14 days. 🎉
श्री अम्बाजी की आरती - जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामागौरी - Divine Prayer to Goddess Durga
Shri Amba Ji Arti (श्री अम्बाजी की आरती)
श्री अम्बा जी की आरती माँ अम्बे के शक्ति, साहस और करुणा की स्तुति करती है। इसमें माँ अम्बे, जिन्हें Sherawali और Jagat Janani के नाम से भी जाना जाता है, को सिंहवाहिनी, त्रिशूलधारिणी और Mahishasurmardini स्वरूप में पूजा जाता है। आरती में Goddess Amba की शौर्य, दया, और भक्ति का वर्णन है। भक्त Maa Ambe Aarti गाकर उनसे संकट हरने, जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद माँगते हैं।श्री अम्बाजी की आरती
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामागौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी॥१॥जय अम्बे०
माँग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको।
उज्ज्बलसे दोउ नैना,चंद्रवदन नीको॥२॥जय अम्बे०
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्त-पुष्प गल माला,कण्ठनपर साजै॥३॥जय अम्बे०
केहरि वाहन राजत, खड्ग खपर धारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥४॥जय अम्बे०
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर सम राजत ज्योती॥५॥जय अम्बे०
शुम्भ निशुम्भ विदारे,महिषासुर-घाती।
धूम्रविलोचन नैना निशिदिन मदमाती॥६॥जय अम्बे०
चण्ड मुण्ड संहारे,शोणितबीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥७॥जय अम्बे०
ब्रह्माणी, रुद्राणी तुम कमलारानी।
आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥८॥जय अम्बे०
चौंसठ योगिनि गावत,नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा औ बाजत डमरू॥९॥जय अम्बे०
तुम ही जगकी माता,तुम ही हो भरता।
भक्त तनकी दुख हरता सुख सम्पति करता॥१०॥जय अम्बे०
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत,सेवत नर-नारी॥ ११॥जय अम्बे०
कंचन थाल विराजत अगर कपुर बाती।
(श्री)मालकेतुमें राजत कोटिरतन ज्योती॥१२॥जय अम्बे०
(श्री)अम्बेजीकी आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानॉद स्वामी,सुख सम्पति पावै॥१३॥जय अम्बे०
Related to Durga
Shri Devi Ji Arti (3) श्री देवीजी की आरती
श्री देवी जी की आरती माँ दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती के दिव्य स्वरूप की महिमा का गुणगान करती है। इसमें Maa Durga को आदिशक्ति, Goddess Lakshmi को धन की देवी, और Goddess Saraswati को ज्ञान की अधिष्ठात्री के रूप में पूजा जाता है। आरती में Durga Aarti, Lakshmi Aarti, और Saraswati Aarti का संगम होता है, जो भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संदेश देती है।Arti
Durga saptashati(दुर्गा सप्तशती) 4 Chapter (चौथी अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन किया गया है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्यम, चंडी पाठ (चण्डीपाठः) के नाम से भी जाना जाता है और इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। दुर्गा सप्तशती का चौथा अध्याय " देवी स्तुति " पर आधारित है ।Durga-Saptashati
Shri Kamakhya Devi Kavacham (श्री कामाख्या देवी कवचम्)
shri Kamakhya kavachaShri Kamakhya Kavacha (श्री कामाख्या कवच) आज हर व्यक्ति उन्नति, यश, वैभव, कीर्ति और धन-संपदा प्राप्त करना चाहता है, वह भी बिना किसी बाधा के। Maa Kamakhya Devi का कवच पाठ करने से सभी Obstacles समाप्त हो जाते हैं, और साधक को Success तथा Prosperity प्राप्त होती है। यदि आप अपने जीवन में मनोकामना पूर्ति चाहते हैं, तो इस कवच का नियमित पाठ करें। यह Maa Kamakhya की Divine Protection प्रदान करता है और जीवन से Negative Energies तथा दुर्भाग्य को दूर करता है।Kavacha
Manidvipa Varnan - 2 (Devi Bhagavatam) मणिद्वीप वर्णन - 2 (देवी भागवतम्)
मणिद्वीप का वर्णन देवी भागवतम् के अनुसार। यह खंड देवी के स्वर्गीय निवास, मणिद्वीप की दिव्य और आध्यात्मिक महत्ता का अन्वेषण करता है। देवी की भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान चाहने वालों के लिए आदर्श।Manidvipa-Varnan
Durga Saptashati Chapter 10 (दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः) देवी माहात्म्यं
दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः: यह देवी दुर्गा के माहात्म्य का वर्णन करने वाला दसवां अध्याय है।Durga-Saptashati-Sanskrit
Durga Saptashati Chapter 6 (दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः) देवी माहात्म्यं
दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः: यह देवी दुर्गा के माहात्म्य का वर्णन करने वाला छठा अध्याय है।Durga-Saptashati-Sanskrit
Durga Saptashati Chapter 12 (दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः) देवी माहात्म्यं
दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः: यह देवी दुर्गा के माहात्म्य का वर्णन करने वाला बारहवां अध्याय है।Durga-Saptashati-Sanskrit
Durga Saptashati Chapter 1 (दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः देवी माहात्म्यं)
दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः: यह देवी दुर्गा के माहात्म्य का वर्णन करने वाला पहला अध्याय है।Durga-Saptashati-Sanskrit