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Ardhanarishwar Stuti || अर्धनारीश्वर स्तुति : Full Lyrics and Meaning to Seek Divine Blessings of Lord Shiva and Goddess Parvati
Ardhanarishwar Stuti (अर्धनारीश्वर स्तुति)
Ardhanarishwar Stuti भगवान Shiva और देवी Parvati के अद्भुत रूप की स्तुति है, जो "Divine Union" और "Supreme Energy" का प्रतीक हैं। यह स्तुति उनके संयुक्त रूप की "Cosmic Power" और "Balance of Energies" को दर्शाती है। यह स्तोत्र "Shiva-Parvati Devotional " और "Spiritual Harmony Prayer" के रूप में प्रसिद्ध है। इसके पाठ से जीवन में मानसिक शांति और ऊर्जा का संचार होता है। Ardhanarishwar Stuti को "Divine Protector Prayer" और "Sacred Chant for Balance" के रूप में पढ़ने से आंतरिक शक्ति मिलती है।|| अर्धनारीश्वर स्तुति ||
(Ardhanarishwar Stuti)
॥ श्रीः ॥
वन्देमह्यमलमयूखमौलिरत्नं
देवस्य प्रकटितसर्वमङ्गलाख्यम् ।
अन्योन्यं सदृशमहीनकङ्कणाङ्कं
देहार्धद्वितयमुमार्धरुद्धमूर्तेः ॥
तद्वन्द्वे गिरिपतिपुत्रिकार्धमिश्रं
श्रैकण्ठं वपुरपुनर्भवाय यत्र ।
वक्त्रेन्दोर्घटयति खण्डितस्य देव्या
साधर्म्यं मुकुटगतो मृगाङ्कखण्डः ॥
एकत्र स्फटिकशिलामलं यदर्धे
प्रत्यग्रद्रुतकनकोज्ज्वलं परत्र ।
बालार्कद्युतिभरपिञ्जरैकभाग-
प्रालेयक्षितिधरशृङ्गभङ्गिमेति ॥
यत्रैकं चकितकुरङ्गभङ्गि चक्षुः
प्रोन्मीलत्कुचकलशोपशोभि वक्षः ।
मध्यं च ऋशिमसमेतमुत्तमाङ्गं
भृङ्गालीरुचिकचसञ्चयाञ्चितं च ॥
स्राभोगं घननिबिडं नितम्बबिम्बं
पादोऽपि स्फुटमणिनूपुराभिरामः ।
आलोक्य क्षणमिति नन्दिनोऽप्यकस्मा-
दाश्चर्यं परमुदभूदभूतपूर्वम् ॥
यत्रार्धं घटयति भूरिभूतिशुभ्रं
चन्द्रांशुच्छुरितकुबेरशैलशोभाम् ।
अर्धं च प्रणिहितकुङ्कुमाङ्गरागं
पर्यस्तारुणरुचिकाञ्चनाद्रिमुद्राम् ॥
यत्कान्तिं दधदपि काञ्चनाभिरामां
प्रोन्मीलद्भुजगशुभाङ्गदोपगूढम् ।
बिभ्राणं मुकुटमुपोढचारुचन्द्रं
सन्धत्ते सपदि परस्परोपमानम् ॥
आश्चर्यं तव दयिते हितं विधातुं
प्रागल्भ्यं किमपि भवोपतापभाजाम् ।
अन्योन्यं गतमिति वाक्यमेकवक्त्र-
प्रोद्भिन्नं घटयति यत्र सामरस्यम् ॥
प्रत्यङ्गं घनपरिरम्भतः प्रकम्पं
वामार्धं भुजगभयादिवैति यत्र ।
यत्रापि स्फुटपुलकं चकास्ति शीत-
स्वःसिन्धुस्नपिततयेव दक्षिणार्धम् ॥
एकत्र स्फुरति भुजङ्गभोगभङ्गि-
र्नीलेन्दीवरदलमालिका परत्र ।
एकत्र प्रथयति भास्मनोऽङ्गरागः
शुभ्रत्वं मलयजरञ्जनं परत्र ॥
एकत्रार्पयति विषं गलस्य कार्ष्ण्यं
कस्तूरीकृतमपि पुण्ड्रकं परत्र ।
एकत्र द्युतिरमलास्थिमालिकाना-
मन्यत्र प्रसरति मौक्तिकावलीनाम् ॥
एकत्र स्रुतरुधिरा करीन्द्रकृत्तिः
कौसुम्भं वसनमनश्वरं परत्र ।
इत्यादीन्यपि हि परस्परं विरुद्धा-
न्येकत्वं दधति विचित्रधाम्नि यत्र ॥
दन्तानां सितिमनि कज्जलप्रयुक्ते
मालिन्येऽप्यलिकविलोचनस्य यत्र ।
रक्तत्वे करचरणाधरस्य चान्यो
नान्योन्यं समजनि नूतनो विशेषः ॥
कण्ठस्य भ्रमरनिभा विभार्धभागं
मुक्त्वा किं स्थितिमकरोच्छिरोरुहार्धे ।
अर्धं वा कनकसदृग्रुचिः कचानां
सन्त्यज्य न्यविशत किं गलैकदेशे ॥
सौवर्णः करकमले यथैव वामे
सव्येऽपि ध्रुवमभवत्तथैव कुम्भः ।
क्रीडैकप्रसृतमतिर्विभुर्बिभर्ति
स्वाच्छन्द्यादुरसि तमेव नूनमेनम् ॥
यत्रासीज्जगदखिलं युगावसाने
पूर्णत्वं यदुचितमत्र मध्यभागे ।
संरम्भाद्गलितमदस्तदेव नूनं
विश्रान्तं घनकठिने नितम्बबिम्बे ॥
इत्यादीन्प्रविदधुरेव यत्र ताव-
त्सङ्कल्पान्प्रथमसमागमे गणेन्द्राः ।
यावत्स प्रणतिविधौ पदारविन्दं
भृङ्गीशः परिहरति स्म नाम्बिकायाः ॥
किमयं शिवः किमु शिवाथ शिवा-
विति यत्र वन्दनविधौ भवति ।
अविभाव्यमेव वचनं विदुषा-
मविभाव्यमेव वचनं विदुषाम् ॥
एकः स्तनः समुचितोन्नतिरेकमक्षि
लक्ष्याञ्जनं तनुरपि क्रशिमान्वितेति ।
लिङ्गैस्त्रिभिर्व्यवसिते सविभक्तिकेऽपि
यत्राव्ययत्वमविखण्डितमेव भाति ॥
यत्र ध्रुवं हृदय एव यदैक्यमासी-
द्वाक्काययोरपि पुनः पतितं तदेव ।
यस्मात्सतां हृदि यदेव तदेव वाचि
यच्चैव वाचि करणेऽप्युचितं तदेव ॥
कान्ते शिवे त्वयि विरूढमिदं मनश्च
मूर्तिश्च मे हृदयसम्मददायिनीति ।
अन्योन्यमभ्यभिहितं वितनोति यत्र
साधारणस्मितमनोरमतां मुखस्य ॥
उद्यन्निरुत्तरपरस्परसामरस्य-
सम्भावनव्यसनिनोरनवद्यहृद्यम् ।
अद्वैतमुत्तमचमत्कृतिसाधनं त-
द्युष्माकमस्तु शिवयोः शिवयोजनाय ॥
लक्ष्याण्यलक्ष्याण्यपरत्र यत्र
विलक्षणान्येव हि लक्षणानि
साहित्यमत्यद्भुतमीशयोस्त-
न्न कस्य रोमाञ्चमुदञ्चयेत ॥
जूटाहेर्मुकुटेन्द्रनीलरुचिभिः श्यामं दधत्यूर्ध्वगं
भागं वह्निशिखापिशङ्गमधरं मध्ये सुधाच्छच्छविः ।
धत्ते शक्रधनुःश्रियं प्रतिमिता यत्रेन्दुलेखानृजु-
र्युष्माकं स पयोधरो भगवतो हर्षामृतं वर्षतु ॥
इत्यर्धनारीश्वरस्तुतिः सम्पूर्णा ॥
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Shri Shiv Sukti (श्री शिव सूक्ति)
श्री शिव सुक्ति एक दिव्य ग्रंथ है जो महादेव (Supreme God) की महिमा और उनकी अलौकिक शक्ति (Divine Power) का वर्णन करता है। इसमें भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों, उनकी कृपा, और उनके सृष्टि संचालन (Cosmic Creation) के महत्व को दर्शाया गया है। शिव को "योगेश्वर" (Master of Yoga) और आध्यात्मिक ज्ञान (Spiritual Wisdom) के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रंथ शिव की स्तुति, मंत्रों (Mantras), और ध्यान के माध्यम से व्यक्ति को आत्मिक शांति (Inner Peace) और मुक्ति (Liberation) प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। शिव भक्तों (Devotees) के लिए यह ग्रंथ एक प्रेरणास्त्रोत (Source of Inspiration) है, जो उन्हें शिव की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) और समृद्धि का अनुभव करने में मदद करता है। इसमें शिवलिंग (Shivling) की पूजा, रुद्राक्ष (Rudraksha) के महत्व, और शिव भक्ति (Devotion) के प्रभाव को सरल और प्रभावशाली तरीके से बताया गया है। श्री शिव सुक्ति का संदेश हर युग में प्रासंगिक है और यह शिव के प्रति आस्था (Faith) और धर्म (Righteousness) के मार्ग को प्रेरित करता है।Sukti
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Bhagwan Shri Bholenath Arti (भगवान् श्री भोलेनाथ जी की आरती )
भगवान भोलेनाथ की आरती भगवान शिव की महिमा का गुणगान करती है। इसमें भोलेनाथ के सरल स्वभाव, दयालुता और उनकी शक्तियों का वर्णन किया गया है। Lord Shiva, जिन्हें Mahadev, Shankar, और Bholenath के नाम से भी जाना जाता है, के भक्त उनकी आरती गाकर दुखों का नाश, शांति, और मोक्ष की कामना करते हैं।Arti
Shiv Dhyaan Mantra (शिव ध्यान मंत्र)
Shiv Dhyaan Mantra का जाप करने से inner peace, spiritual awakening, और positive energy प्राप्त होती है। Lord Shiva, जिन्हें Mahadev, Bholenath, और Adi Yogi कहा जाता है, उनकी उपासना से negative energy removal, stress relief, और mental clarity मिलती है। Om Namah Shivaya, Mahamrityunjaya Mantra, और Shiva Panchakshari Mantra जैसे powerful Shiv Mantra का जाप करने से good health, success in career, और protection from evil प्राप्त होता है। विशेष रूप से Mahashivratri, Sawan Somvar, Pradosh Vrat, Shravan Maas, और Masik Shivratri पर इन मंत्रों का जाप करने से divine blessings, happiness, और prosperity मिलती है।Dhayan-Mantra
Shri Rudra Kavacham (श्री रुद्र कवचम्)
Shri Rudra Kavacham भगवान Shiva की शक्ति और कृपा का वर्णन करता है, जो "Destroyer of Evil" और "Supreme God" के रूप में पूजित हैं। यह Kavacham (armor) भक्त को सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और शत्रुओं से रक्षा प्रदान करता है। इस पाठ में महादेव की महिमा का गान करते हुए उनके विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है, जो भक्त को "Protection Mantra" और "Divine Shield" के रूप में सुरक्षा प्रदान करते हैं। Shri Rudra Kavacham का पाठ "Spiritual Armor" और "Evil Protection Prayer" के रूप में भी लोकप्रिय है। यह Kavach व्यक्ति के चारों ओर एक ऊर्जा कवच तैयार करता है, जो उसकी आंतरिक शक्ति को जागृत करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। भक्त इसे "Shiva's Protective Shield" के रूप में मानते हैं, जो उन्हें जीवन की कठिनाइयों से बचाता है और शुभ फल प्रदान करता है।Kavacha
Bhagwan Shri Shankar Arti (भगवान् श्री शंकर की आरती )
जयति जयति जग-निवास भगवान शंकर की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। इसमें Shankar या Shiva, जिन्हें Lord of the Universe कहा जाता है, के प्रति असीम भक्ति और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।Arti
Shri Shiv Panchakshar Stotram (श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्रम्)
Shri Shiv Panchakshar Stotram भगवान Lord Shiva की स्तुति में रचित दिव्य Shloka संग्रह है। इसमें Om Namah Shivaya Mantra के पांच अक्षरों की महिमा का वर्णन किया गया है। इस Sacred Hymn के पाठ से भक्तों को Positive Energy और आशीर्वाद मिलता है। Shiva Stotra का जाप करने से जीवन में शांति, शक्ति और Spiritual Growth प्राप्त होती है। महादेव की कृपा पाने के लिए Shiv Bhajan और Rudra Puja का भी विशेष महत्व है। यह Hindu Devotional Stotra भक्तों को मोक्ष का मार्ग दिखाता है।Stotra
Amogh Shiva Kavach (अमोघ शिव कवच)
Amogh Shiv Kavach एक अत्यंत शक्तिशाली Maha Kavach है। यह Lord Shiva के Rudra form का प्रतीक है। जो व्यक्ति नियमित रूप से Amogh Shiv Kavach का पाठ करता है, उसे Lord Shiva's special grace प्राप्त होती है। यह Kavach व्यक्ति को सभी Graha Dosh पीड़ा, Tantra Badha, Nazar Dosh, Pitru Dosh, Sudden Death, Physical troubles, Mental troubles, Financial troubles आदि से बचाता है। जो व्यक्ति Shiv Kavach Pendant पहनता है, उसके जीवन से negativity धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है। यदि साधक Shiva Yantra Kavach पहनकर Amogh Shiv Kavach का पाठ करता है, तो वह भयंकर calamities से छुटकारा पाने लगता है। Navagraha के evil effects में कमी आने लगती है। साधक सभी प्रकार की diseases, Tantra-Mantra-Yantra से सुरक्षित रहता है। हर व्यक्ति को इस Amogh Shiv Kavach का पाठ अपनी daily worship में अवश्य करना चाहिए, ताकि वह और उसका परिवार troubles से बच सके।Kavacha