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Bhagwan Surya Arti || भगवान् सूर्य की आरती - Divine Hymn to Sun God (नमो नमस्तेउस्तु सदा विभावसो)
Bhagwan Surya Arti (भगवान् सूर्य की आरती)
भगवान सूर्य की आरती सूर्य देव की तेजस्विता, शक्ति, और ऊर्जा की स्तुति करती है। इसमें Surya Dev, जिन्हें Aditya, Bhaskar, और Ravi के नाम से भी जाना जाता है, को सभी ग्रहों के राजा, प्रकाश के स्रोत, और जीवन के दाता के रूप में पूजा जाता है। आरती में भगवान सूर्य से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद माँगा जाता है।श्री सूर्य-वन्दना
नमो नमस्तेउस्तु सदा विभावसो
सर्वात्मने सप्तहयाय भानवे।
अनन्तशक्तिर्मणिभूषणेन
वदस्व भक्तिं मम मुक्तिमव्ययाम् ॥
भगवान् सूर्य
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति-नन्दन।
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन भक्त-हृदय-चन्दन॥ टेक ॥
सप्त-अश्वरथ राजित एक चक्रधारी।
दुखहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी ॥ जय० ॥
सुर-मुनि- भूसुर-वंदित, विमल विभवशाली |
अघ-दल-दलन दिवाकर दिव्य किरण माली॥ जय०॥
सकल-सुकर्म-प्रसविता सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन भव-बंधन भारी ॥ जय० ॥
कमल-समूह-विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति मनसिज-संतापा॥ जय०॥
नेत्र-व्याधि-हर सुरवर भू-पीड़ा-हारी |
वृष्टि-विमोचन संतत परहित-ब्रतधारी ॥ जय० ॥
सूर्यदेव करुणाकर अब करुणा कीजे।
हर अज्ञान-मोह सब तत्त्वज्ञान दीजै॥ जय०॥
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