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Amogh Shiva Kavach || अमोघ शिव कवच : Full Lyrics in Sanskrit with Meaning; श्री अमोघ शिव कवच स्तॊत्रम्
Amogh Shiva Kavach (अमोघ शिव कवच)
Amogh Shiv Kavach एक अत्यंत शक्तिशाली Maha Kavach है। यह Lord Shiva के Rudra form का प्रतीक है। जो व्यक्ति नियमित रूप से Amogh Shiv Kavach का पाठ करता है, उसे Lord Shiva's special grace प्राप्त होती है। यह Kavach व्यक्ति को सभी Graha Dosh पीड़ा, Tantra Badha, Nazar Dosh, Pitru Dosh, Sudden Death, Physical troubles, Mental troubles, Financial troubles आदि से बचाता है। जो व्यक्ति Shiv Kavach Pendant पहनता है, उसके जीवन से negativity धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है। यदि साधक Shiva Yantra Kavach पहनकर Amogh Shiv Kavach का पाठ करता है, तो वह भयंकर calamities से छुटकारा पाने लगता है। Navagraha के evil effects में कमी आने लगती है। साधक सभी प्रकार की diseases, Tantra-Mantra-Yantra से सुरक्षित रहता है। हर व्यक्ति को इस Amogh Shiv Kavach का पाठ अपनी daily worship में अवश्य करना चाहिए, ताकि वह और उसका परिवार troubles से बच सके।अमोघ शिव कवच (Amogh Shiva Kavach)
ॐ नमो भगवते सदाशिवाय सकलतत्त्वात्मकाय
सकलतत्वविहाराय सकललोकैककत्रें सकललोककैकभर्ते
सकललोकैकहर्ने सकललोकैकगुरवे सकललोकराक्षिणे
सकलनिगमगुह्याय सकलवरप्रदाय सकलदुरितार्तिभञ्जनाय
सकलजगदभयंकराय सकललोकैकशंकराय शशांकशेखराय
शाश्चतनिजाभासाय निर्गुणाय नीरुपमाय नीरूपाय निराभासाय
निरामयाय निष्प्रपंचाय निष्कलंकाय निर्द्धन्दधाय निस्संगाय
निर्मलाय निर्गमाय नित्यरूपविभवाय निरुपमविभवाय
निराधाराय नित्यशुद्धबुद्धपरिपूर्णसच्चिदानन्दाद्ययाय
परमशान्तप्रकाश तेजोरूपा जय जय
महारुद्र महारौद्र भद्रावतार दुःखदावदारण महाभैरव
कालभैरव कल्पान्तभैरव कपालमालाधर
खटवांगखंगचर्मपाशांकुशडमरुशूलचापबाणगदाशक्तिभिन्दिपा-
लतोमरमूसलमुगद्रपटिटशपरशुपरिघभुशुण्डीशताघ्नीचक्राद्या-
युधभीषणकर सहस्रमुख दंष्टोकराल विकटाट्टहासविसफा-
रितब्रह्माण्डमण्डलनागेन्द्रगुण्डल नागेन्द्रहार नागेन्द्रवलय
नागेन्द्रचर्मधर मृत्युञ्जय ज्यम्बक त्रिपुरान्तक विरूपाक्ष
विश्वेश्वर वृषभवाहन विषभूषण विश्वतोमुख सर्वतो रक्ष
रक्ष मां ज्वल ज्वल महामत्युभयमुत्सादयोत्सादयं नाशय नाशय
रोगभयमुत्सादयोत्सादय विषसर्पभयं शमय शमय चोरभयं
मारय मारय मम शतरुनुच्चाटयोच्चाटय शूलेन विदारय विदारय
कुठारेण भिन्धि भिन्धि खंगेन छिन्धि छिन्धि खट्वांगेन
विपोथय विपोथय मूसलेन निष्येषय निष्येषय बाणैः संताडय
संताडय रक्षांसि भीषय भीषय भूतानि विद्रावय विद्राव्य
कूष्यांडवेतालमारीगणब्रह्य राक्षसान् संत्रासय स्त्रासय |
ममाभयं कुरु कुरु वित्रस्तं मामाश्वासयाश्वासय नरक
भयान्मामुद्धारयोद्धारय संजीवय संजीवय क्षुत्तदभ्यां
ममाप्याययाप्यायय दुःखातुरं मामानन्दयानन्दय शिवकवचेन
पापाच्छादयाच्छादय जयम्बक सदाशिव नमस्ते नमस्ते नमस्ते।
अमोघ शिवकवचम् Meaning(अर्थ)
" ॐ ' जिनका वाचक है, सम्पूर्णं तत्त्व जिनके स्वरूप हैं, जो सम्पूर्ण तत्त्वो मे विचरण करने वाले, समस्त लोकों के एकमात्र कर्ता ओर समस्त विश्व के एकमात्र भरण-पोषण करने वाले हैं, जो अखिल विश्व के एक ही संहारकारी, सब लोकों के एकमात्र गुरु, समस्त संसार के एकमात्र साक्षी, सम्पूर्ण वेदों के गुद तत्त्व, सबको वर देने वाले, समस्त पापों ओर पीड़ाओं का नाश करने वाले, सारे संसार को अभय देने वाले, समस्त लोकों के एकमात्र कल्याणकारी, चन्द्रमा का मुकुट धारण करने वाले, अपने सनातन-प्रकाश से प्रकाशित होने वाले, निर्गुण, उपमारहित, निराकार, निराभास, निरामय, निष्प्रपञ्च, निष्कलंक, निर्रद्, निस्संग, निर्मल, गति -शून्य, नित्यरूप, नित्य वैभव से सम्पन्न, अनुपम रेश्वर्य से सुशोभित, आधार शून्य, नित्य-शुद्ध-बुद्ध, परिपूर्ण, सच्िदानन्दघन, अद्वितीय तथा परमशांत, प्रकाशमय, तेजःस्वरूप हैं, उन भगवान सदाशिव को नमस्कार है। हे महारुद्र, महारौद्र, भद्रावतार, दुःख-दावाग्नि विदारण,महाभैरव, कालभैरव, कलपान्तभैरव, कपालमालाधारी! हे खटवांङ्ग खंग, ढाल, फन्दा, अंकुश, डमरू, त्रिशूल, धनुष, बाण, गदा
शक्ति, भिन्दिपाल, तोमर, मूसल, मुग्दर, पट्टिश, परशु, परिघ भुशुण्डी शतघ्नी और चक्र आदि आयुधों के द्वारा भयंकर हाथा वाले! हजार मुख और द्रष्टा से कराल. विकट अट्टहास से विशाल ब्रह्माण्डमंडल का विस्तार करने वाले, नागेन्द्र वासुकि को कुण्डल, हार, कंकण तथा ढाल के रूप में धारण करने वाले, मृत्युञ्जय, त्रिनेत्र, त्रिपुरनाशक, भयंकर नेत्रों वाले, विश्वेश्वर, विश्वरूप में प्रकट, बैल पर सवारी करने वाले, विष को गले में भूषण रूप में धारण करने वाले तथा सब ओर मुख वाले भगवान् शंकर ! आपकी जय हो, जय हो! आप मेरी सब ओर से रक्षा कीजिये। प्रज्ज्वलित होइये प्रज्ज्वलित होइये। मेरे महामृत्युञ्जय भय का तथा अपमृत्यु के भय का नाश कीजिये, नाश कीजिये। बाहर और भीतरी रोग-भय को जड़ से मिटा दीजिये. जड़ से मिटा दीजिये। विष और सर्प के भय को शान्त कीजिये, शान्त कीजिये। चोरभय को मार डालिये, मार डालिये। मेरे (काम, क्रोध, लोभादि भीतरी तथा इन्द्रियों के और शरीर के द्वारा होने वाले पापकर्मरूपी बाहरी) शत्रुओं का उच्चाटन क्रीजिये, उच्चाटन कीजिये। त्रिशूल के द्वारा विदारण कीजिये, विदारण कीजिये। कुठार के द्वारा काट डालिये, काट डालिये। खड्ग के द्वारा छेद डालिए, छेद डालिए। खटवाड़ के द्वारा नाश कीजिये, नाश कीजिये। मूसल क द्वारा पीस डालिये, पीस डालिये ओर बाणो के द्वारा बीध डालिए, बींध डालिए्। (आप मेरी हिसा करने वाले) राक्षसो को भय दिखाइये, भय दिखाइये। भूतो को भगा दीजिये, भगा दीजिये। कूष्माण्ड, वेताल, मारियों और ब्रह्मराक्षसों को संत्रस्त कीजिये, संत्रस्त कीजिये। मुञ्च को अभय दीजिये, अभय दीजिये। मुझे अत्यन्त डरे हुए को आश्वासन दीजिए, आश्वासन दीजिए। नरक भय से मरा उद्धार कीजिए, उद्धार कौजिए। मुझे जीवनदान दीजिए, जीवनदान दीजिए। क्षुधा-तृष्णा का निवारण करके मुञ्जको आप्यायित कीजिए, आप्यायित कीजिए। आपकी जय हो, जय हो। मुझ दुःखातुर को आनन्दित कीजिए, आनन्दित कीजिए। शिव कवच से मुझे आच्छादित कीजिए, आच्छादित कीजिए। त्रयम्बक सदाशिव आपको नमस्कार है, नमस्कार हे, नमस्कार हे।
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Shiva Swarnamala Stuti (शिव स्वर्णमाला स्तुति)
Shiv Swarnamala Stuti (शिव स्वर्णमाला स्तुति) भगवान Shankar को समर्पित एक अत्यंत divine stotra है, जिसकी रचना Adi Guru Shankaracharya जी द्वारा की गई है। सभी Shiv Bhakt यह भली-भांति जानते हैं कि भगवान Shiva की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है। इस stuti का recitation किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन Monday को इसका पाठ करना विशेष लाभकारी माना गया है, क्योंकि सोमवार का दिन Lord Shiva को अत्यंत प्रिय है। इस hymn के पाठ से भगवान Shankar शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त को wish-fulfilling blessings प्रदान करते हैं, जिससे उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।Stuti
Shri Vaidyanath Ashtakam (श्री वैद्यनाथ अष्टकम)
Shri Vaidyanath Ashtakam (श्री वैद्यनाथ अष्टकम) भगवान Shiva के Vaidyanath Jyotirlinga की महिमा का वर्णन करने वाला एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है। यह अष्टकम भगवान शिव के divine healer रूप का गुणगान करता है, क्योंकि Vaidyanath को समस्त रोगों और कष्टों को दूर करने वाला माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्तोत्र के नियमित पाठ से good health, mental peace और spiritual upliftment प्राप्त होता है। श्री वैद्यनाथाष्टकम् के साथ-साथ यदि Shiva Aarti का पाठ किया जाए तो Shri Vaidyanath Ashtakam का बहुत लाभ मिलता है, मनोवांछित कामना पूर्ण होती है, और यह अष्टकम शीघ्र ही फल देने लग जाता है। घर में peace, prosperity और harmony बनाए रखने के लिए Shiva Chalisa का पाठ करना चाहिए। साथ ही, प्रतिदिन Shiva Sahasranama का पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।Ashtakam
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न्याष्टकम् एक भक्तिपूर्ण भजन है जो भगवान विष्णु की महिमा और उनके दिव्य गुणों का गुणगान करता है।Ashtakam
Mahamrityunjaya Mantra (संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र)
महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख Rigveda से लेकर Yajurveda तक में मिलता है। वहीं Shiv Puran सहित अन्य scriptures में भी इसका importance बताया गया है। संस्कृत में महामृत्युंजय उस व्यक्ति को कहते हैं जो death को जीतने वाला हो। इसलिए Lord Shiva की स्तुति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का chanting किया जाता है। इसके chanting से संसार के सभी sufferings से liberation मिलती है। ये मंत्र life-giving है। इससे vitality तो बढ़ती ही है साथ ही positivity बढ़ती है। महामृत्युंजय मंत्र के effect से हर तरह का fear और tension खत्म हो जाती है। Shiv Puran में उल्लेख किए गए इस मंत्र के chanting से आदि शंकराचार्य को भी life की प्राप्ति हुई थी।Mantra
Anand Lahari (आनन्द लहरि)
आनन्द लहरि एक आध्यात्मिक भजन है जो भगवान शिव की स्तुति में गाया जाता है, जो उनकी कृपा और आनंद को व्यक्त करता है।Lahari
Shri Rudrashtakam Stotra (श्रीरुद्राष्टकम्)
सनातन धर्म में भगवान शिव शंकर को सभी देवों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि शिव जी आसानी से प्रसन्न हो जाने वाले देवता हैं। यदि कोई भक्त श्रद्धा पूर्वक उन्हें केवल एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। यदि आप शिव जी की विशेष कृपा पाना चाहते हैं 'श्री शिव रूद्राष्टकम' का पाठ करना चाहिए। 'शिव रुद्राष्टकम' अपने-आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई शत्रु आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से शिव जी बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश पल भर में करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था।Stotra
Shri Shrishail Mallikarjun Suprabhatam (श्री श्रीशैल मल्लिकार्जुन सुप्रभातम्)
श्री श्रीशैल मल्लिकार्जुन सुप्रभातम् भगवान मल्लिकार्जुन को समर्पित एक प्रार्थना है, जो भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रातःकालीन भजन के रूप में गाई जाती है।Shloka-Mantra
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