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Shri Narayana Ashtakam || श्री नारायण अष्टकम् : Full Meaning, Benefits, and Lyrics for Spiritual Awakening
Shri Narayana Ashtakam (श्री नारायण अष्टकम् )
श्री नारायण अष्टकम्: हिंदू मान्यता के अनुसार, श्री नारायण अष्टकम का नियमित जाप भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का सबसे प्रभावी तरीका है। सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करने के लिए, श्री नारायण अष्टकम का पाठ सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने करना चाहिए। इसके प्रभाव को अधिकतम करने के लिए, पहले श्री नारायण अष्टकम का अर्थ हिंदी में समझना चाहिए।श्री नारायण अष्टकम्
(Shri Narayana Ashtakam)
॥ श्री नारायणाष्टकम् ॥
वात्सल्यादभयप्रदान-समयादार्तिनिर्वापणा-
दौदार्यादघशोषणाद-गणितश्रेयःपदप्रापणात्।
सेव्यः श्रीपतिरेक एवजगतामेतेऽभवन्साक्षिणः
प्रह्लादश्च विभीषणश्चकरिराट् पाञ्चाल्यहल्या ध्रुवः॥1॥
प्रह्लादास्ति यदीश्वरो वदहरिः सर्वत्र मे दर्शय
स्तम्भे चैवमितिब्रुवन्तमसुरं तत्राविरासीद्धरिः।
वक्षस्तस्य विदारयन्निजन-खैर्वात्सल्यमापाद-
यन्नार्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥2॥
श्रीरामात्र विभीषणोऽयमनघोरक्षोभयादागतः
सुग्रीवानय पालयैनमधुनापौलस्त्यमेवागतम्।
इत्युक्त्वाभयमस्यसर्वविदितं यो राघवो
दत्तवानार्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥3॥
नक्रग्रस्तपदं समुद्धतकरंब्रह्मादयो भो सुराः
पाल्यन्तामिति दीनवाक्यकरिणंदेवेष्वशक्तेषु यः।
मा भैषीरिति यस्यनक्रहनने चक्रायुधः श्रीधर।
आर्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥4॥
भो कृष्णाच्युत भो कृपालयहरे भो पाण्डवानां सखे
क्वासि क्वासि सुयोधनादपहृतांभो रक्ष मामातुराम्।
इत्युक्तोऽक्षयवस्त्रसंभृततनुंयोऽपालयद्द्रौपदी-
मार्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥5॥
यत्पादाब्जनखोदकं त्रिजगतांपापौघविध्वंसनं
यन्नामामृतपूरकं चपिबतां संसारसन्तारकम्।
पाषाणोऽपि यदङ्घ्रिपद्मरजसाशापान्मुनेर्मोचित।
आर्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥6॥
पित्रा भ्रातरमुत्तमासनगतंचौत्तानपादिध्रुवो दृष्ट्वा
तत्सममारुरुक्षुरधृतोमात्रावमानं गतः।
यं गत्वा शरणं यदापतपसा हेमाद्रिसिंहासन-
मार्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥7॥
आर्ता विषण्णाः शिथिलाश्च भीताघोरेषु च व्याधिषु वर्तमानाः।
सङ्कीर्त्य नारायणशब्दमात्रंविमुक्तदुःखाः सुखिनो भवन्ति॥8॥
॥ इति श्रीकूरेशस्वामिविरचितं श्रीनारायणाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
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