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Sudarshan Kavach || श्री सुदर्शन कवच : Full Lyrics in Sanskrit; Protective Hymn
Sudarshan Kavach (श्री सुदर्शन कवच )
सुदर्शन कवच (Sudarshan Kavach) भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का महान रक्षात्मक कवच (protective shield) है। इस कवच का पाठ (recitation) करने से व्यक्ति गंभीर बीमारियों (serious illnesses), बुरी नजर (evil eye), काले जादू (black magic) आदि से सुरक्षित रहता है और उसे उत्तम स्वास्थ्य (good health) प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी (chronic disease) से पीड़ित है, जिसे उपचार (treatment) और दवाओं (medication) के बावजूद राहत नहीं मिल रही है, जिसके कारण उसे बहुत शारीरिक कष्ट (physical suffering) और पीड़ा सहनी पड़ रही है और उसका परिवार भी अत्यधिक परेशान है, तो ऐसी स्थिति में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) अवश्य करना चाहिए। इस पाठ (recitation) से गंभीर बीमारियां (serious illnesses) धीरे-धीरे ठीक होने लगती हैं और शारीरिक स्वास्थ्य (physical health) भी अच्छा बना रहता है। व्यक्ति को दीर्घायु (longevity) का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि किसी व्यक्ति के घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), बुरी नजर (evil eye), तंत्र-मंत्र (tantra-mantra) का प्रभाव, काला जादू (black magic) आदि है, जिसके कारण परिवार के सदस्यों के बीच रोज किसी न किसी बात पर झगड़े होते हैं, सभी के मन में एक-दूसरे के प्रति नाराजगी रहती है, और घर में अशांति रहती है, तो ऐसी स्थिति में सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) करने और घर में सुदर्शन यंत्र (Sudarshan Yantra) स्थापित करने से व्यक्ति और उसका परिवार सभी नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), काले जादू (black magic) आदि से सुरक्षित होने लगता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी दैनिक पूजा (daily worship) में सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) अवश्य करना चाहिए, ताकि वह भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के दिव्य आशीर्वाद (divine blessings) प्राप्त कर सके।श्री सुदर्शन कवच (Sudarshan Kavach)
ॐ अस्य श्री सुदर्शनकवचमालामन्त्रस्य।
श्रीलक्ष्मीनृसिंहः परमात्मा देवता । मम सर्वकार्यसिद्धयर्थं जपे
विनियोगः। ॐ क्षां अंगुष्ठाभ्यां नमः ॐ हीं तर्जनीभ्यां नमः।
ॐ श्रीं मध्यमाभ्यां नमः ॐ सहस्रार अनाभिकाभ्यां नमः।
ॐ हुँ फट् कनिष्ठिकाभ्यां नमः। ॐ स्वाहा करतल-कर
पृष्ठाभ्यां नमः एवं हदयादि। ध्यानम् उपास्महे नृसिंहाख्यं
ब्रह्मवेदान्तगोचरम् । भूयो लालित-संसारच्छेदहेतुं जगद्गुरम् ॥
मानस-पूजा: लं पुथिव्यात्पकं गन्धं समर्पयामि । आकाशत्मिकं
पुष्यं समर्पयामि यं वाय्वात्मकं धूपं समर्पयामि । रं बहन्यात्मकं
दीपं समर्पयामि। वं अमृतात्मकं नैवेद्यं निवेदयाभि। सं सवांत्मकं
ताम्बूलं समर्पयामि। नमस्करोमि। ॐ सुदर्शनाय नमः। ॐ
आं ही क्रों नमो भगवते प्रलयकालमहाज्वालाघोर-वीर-
सुदर्शन-नारसिंहाय ॐ मरहाचक्रराजाय महाबलाय
सहस्रकोटिसूर्यप्रकाशाय सहस्रशीर्षाय सहस्राक्षाय सहस्रपादाय
संकर्षणत्मने सहस्रदिव्याश्र-सहस्रहस्ताय
सर्वतोमुखज्वलनज्वालामालावृताया विस्फुलिंगस्फोटपरिस्फोटित
ब्रह्माण्ड भाण्डाय महापराक्रमाय महोग्रविग्रहाय
महाविराय महाविष्णुरूपिणे व्यतीतकालान्तकाय महाभद्ररौद्रावताराय
मृत्युस्वरूपाय किरीटहार-केयूर-ग्रेवेय-कटकांगुलयी-
कटिसूत्र मजीरादिकनकमणिखचित दिव्यभूषणाय
महाभीषणाय महाभीक्षया व्याहततेजोरूपनिधेय रक्त
चण्डान्तक मण्डितमदोरुकुण्डादुर्निरीक्षणाण प्रत्यक्षाय
ब्रह्मचक्र विष्णुचक्र-कालचक्र-भूमिचक्र-तेजोरूपाव
आश्रितरक्षाय। ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि।
तन्नश्चक्रः प्रचोदयात् इतिस्वाहा स्वाहा ॥ (दो बार) भो भो
सुदर्शन नारसिंह मां रक्षय रक्षय। ॐ सुदर्शनाय व्रिदमहे
महाज्वालाय धीमहि । तन्नश्चक्रः प्रचोदयात्॥ (दो बार) मम
शत्रुन्नाशय नाशय ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि
तन्नश्चक्र प्रचोदयात्॥ (दो बार) ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
चंड चंड प्रचंड प्रचंड स्फुर प्रस्फुर घोर घोर घोरतर घोरतर
चट चट प्रचट प्रचरं प्रस्फुट दह कहर भग भिंधि हंधि खटट
प्रचट फट जहि जहि पय सस प्रलयवा पुरुषाय रं रं
नोत्रग्निरूपाय। ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि।
तन्नश्चक्रः प्रचोदयात् (दो बार) भो भो सुदर्शन नारसिंह माँ
रक्षय रक्षय। ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि।
तन्नश्चक्रः प्रचोदयात् ॥ (दो बार) एहि एहि आगच्छ आगच्छ
भूतग्रह-प्रेतग्रह-पिशाचग्रह-दानवग्रह कृतिमग्रह-प्रयोगग्रह-
आवेशग्रह-आगतग्रह-अनागतग्रहान ब्रह्मग्रह-रुद्रग्रह-पाताल-
निराकारग्रह-आचारअनाचारग्रह-ननजातिग्रह-भूचरग्रह-
खेचरग्रह - वृक्षचरग्रह - पीक्षिचरग्रह गिरिचरग्रह-
शमशानचरग्रह - जलचरग्रह कूपचरग्रह - देगारचलग्रह-
शून्याचारचरग्रह-स्वप्नग्रह-दिवामनोग्रह-बालग्रह-मूकग्रह-
मूखग्रह-बधिरग्रह-स्त्रीग्रह-पुरुषग्रह यक्षग्रह-राक्षसग्रह-
प्रेतग्रह-किन्नरग्रह-साध्यचरग्रह-सिद्धचरग्रह कामिनीग्रह-
मोहिनीग्रह-पद्मिनीग्रह-यक्षिणीग्रह-पक्षिणीग्रह-संध्याग्रह-
मार्गग्रह-कलिंगदेवोग्रह-भैरवग्रह-बेतालग्रह-गन्धर्वग्रह
प्रमुखसकलदुष्टग्रह रातांन् आकर्षय आकर्षय आवेशय ड ड
ठ ठ ह्यय वाचय दह्य भस्मी कुरू उच्चाटय उच्चाटय। ॐ
सुदर्शन विद्महे महाज्वाला धीमहि। तन्नश्चक्रः प्रचोदयात् ॥
(दो बार) ॐ क्षां श्रीं क्षं थें क्षों क्षः भ्रां श्रीं धुं भें भ्रौं भ्रः ह्रां
ह्रीं हूं हैं हों हः घ्रां घीं घुं में घ्रों घः श्रां श्रीं श्रृं थें श्रों श्रः।
ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि। तन्नश्चक्रः
प्रचोदयात् ।। (दो बार) एहि एहि सालवं संहारय शरभं क्रंदया
विद्रावय विद्रावय भैरव भीषय भीषय प्रत्यगिरि मर्दय मर्दय
चिदम्बरं बन्धय बन्धय विडम्बरं ग्रासय ग्रासय शांर्भवां निवतंय
कालीं दह दह महिषासुरीं छेदय छेदय दुष्टशक्ति निर्मूलय निर्मूलय
रूं रूं हूं हूं मुरु मुरु परमंत्रपरयंत्र-परतंत्र कटुपरं
वादुपर जप पर होमपर सहस्रदीपकोटिपूजां भेदय भेदय मारय
मारय खंडय खंडय परकतृकं विषं निर्विषं कुरु कुरु अग्निमुख
प्रकाण्ड नानाविधि-कर्तृमुख वनमुखंग्रहान् चूर्णय चूर्णय मारी
विदारय कूष्माडं वैनायक मारीचगणान् भेदय भेदय
मन्त्रांपरस्मांकं विमोचय विमोचय अक्षिशूलकुक्षिशूल-
गुल्मशूल-पार्श्व-शूल-सर्वाबाधां निवारय निवारय पांडुरोगं
संहारय संहारय विषमज्वरं त्रासय त्रासय एकाहिकं द्वाहिकं
त्रयाहिकं चातुर्थिकं पंचाहिकं षष्टज्वर सप्तमज्वरं अष्टमज्वरं
नवमज्वरं प्रेतज्वरं पिशाचज्वरं दानवज्वरं महाकालज्वरं दुर्गाज्वरं
ब्रह्माविष्णुज्वरं माहेश्वरज्वरं चुतुःषष्टीयोगिनी ज्वरं गंधर्वज्वरं
बेतालज्वरं एतान् ज्वारानाशय नाशय दोषं मंथय मंथय दुरित
हर हर अन्नतवासुकि तक्षक कालौय पदा कुलिक ककोर्टक
शख पालाद्यष्टनागकुलानां विषं हन हन खं खं घं घं पाशुपतं
नाशय नाशय शिखण्डं खंडय खंडय ज्वालामालिनीं निवर्तय
सर्वेन्द्रियाणि स्तंभय स्तंभय खंडय खंडय प्रमुखदुष्टतंत्र
स्फोटय स्फोटय भ्रामय भ्रामय महानारायणस्त्राय
पंचाशब्धर्णरूपाय लल लल शरणागतरक्षणाय हुं हूं गं व गं
व शं शं अपृतमूर्तये तथ्यं नमः। ॐ सुदर्शनाय विद्महे
महाज्वालाय धीमहि। तन्नश्चक्रः प्रचोदयात् ॥ (दो बार) भो
भो सुदर्शन नारसिंह मां रश्चय रक्षय । ॐ सुदर्शनाय विदमहे
महाज्वालाय धीमहि। तन्नश्चक्रः प्रचोदयात्॥ मम
सर्वारिष्टशातिं कुरु कुरु सर्वतो रक्ष रक्ष ॐ ह्रीं हूँ फट् स्वाहा ।
ॐ श्च ह्रीं श्री सहस्त्रार हं फट् स्वाहा ।
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