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Shri Durga Apaduddharaka Stotram || श्री दुर्गा आपदुद्धारक स्तोत्रम् : With Full Lyrics !! Powerful Durga Mantra for Protection from Enemies
Shri Durga Apaduddharaka Stotram (श्री दुर्गा आपदुद्धारक स्तोत्रम्)
Shri Durga Apaduddharaka Stotram एक powerful Hindu stotra है, जो Maa Durga Worship के लिए विशेष रूप से crisis removal और protection from dangers के लिए chant किया जाता है। यह sacred hymn किसी भी life problems, obstacles, और negative energies से बचाने में सहायक माना जाता है। Navratri Puja, Durga Saptashati Path या किसी भी spiritual occasion पर इसका devotional chanting किया जाता है, जिससे divine blessings और success in life प्राप्त होती है। Durga devotees इस holy prayer को positivity, courage, और inner strength के लिए chant करते हैं।श्री दुर्गा आपदुद्धारक स्तोत्रम्
(Shri Durga Apaduddharaka Stotram)
नमस्ते शरण्ये शिवे सानुकंपे
नमस्ते जगद्व्यापिके विश्वरूपे ।
नमस्ते जगद्वंद्यपादारविंदे
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ 1 ॥
नमस्ते जगच्चिंत्यमानस्वरूपे
नमस्ते महायोगिविज्ञानरूपे ।
नमस्ते नमस्ते सदानंदरूपे
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ 2 ॥
अनाथस्य दीनस्य तृष्णातुरस्य
भयार्तस्य भीतस्य बद्धस्य जंतोः ।
त्वमेका गतिर्देवि निस्तारकर्त्री
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ 3 ॥
अरण्ये रणे दारुणे शत्रुमध्ये-
ऽनले सागरे प्रांतरे राजगेहे ।
त्वमेका गतिर्देवि निस्तारनौका
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ 4 ॥
अपारे महादुस्तरेऽत्यंतघोरे
विपत्सागरे मज्जतां देहभाजाम् ।
त्वमेका गतिर्देवि निस्तारहेतु-
र्नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ 5 ॥
नमश्चंडिके चंडदुर्दंडलीला-
समुत्खंडिता खंडिताऽशेषशत्रोः ।
त्वमेका गतिर्देवि निस्तारबीजं
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ 6 ॥
त्वमेका सदाराधिता सत्यवादि-
न्यनेकाखिला क्रोधना क्रोधनिष्ठा ।
इडा पिंगला त्वं सुषुम्ना च नाडी
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ 7 ॥
नमो देवि दुर्गे शिवे भीमनादे
सदासर्वसिद्धिप्रदातृस्वरूपे ।
विभूतिः शची कालरात्रिः सती त्वं
नमस्ते जगत्तारिणि त्राहि दुर्गे ॥ 8 ॥
शरणमसि सुराणां सिद्धविद्याधराणां
मुनिमनुजपशूनां दस्युभिस्त्रासितानां
नृपतिगृहगतानां व्याधिभिः पीडितानाम् ।
त्वमसि शरणमेका देवि दुर्गे प्रसीद ॥ 9 ॥
इदं स्तोत्रं मया प्रोक्तमापदुद्धारहेतुकम् ।
त्रिसंध्यमेकसंध्यं वा पठनाद्घोरसंकटात् ॥ 10 ॥
मुच्यते नात्र संदेहो भुवि स्वर्गे रसातले ।
सर्वं वा श्लोकमेकं वा यः पठेद्भक्तिमान्सदा ॥ 11 ॥
स सर्वं दुष्कृतं त्यक्त्वा प्राप्नोति परमं पदम् ।
पठनादस्य देवेशि किं न सिद्ध्यति भूतले ।
स्तवराजमिदं देवि संक्षेपात्कथितं मया ॥ 12
इति श्री सिद्धेश्वरीतंत्रे परमशिवोक्त श्री दुर्गा आपदुद्धार स्तोत्रम् ।
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