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Navaratna Malika Stotram (नवरत्न मालिका स्तोत्रम्)
नवरत्न मालिका स्तोत्रम्
(Navaratna Malika Stotram)
हारनूपुरकिरीटकुंडलविभूषितावयवशोभिनीं
कारणेशवरमौलिकोटिपरिकल्प्यमानपदपीठिकाम् ।
कालकालफणिपाशबाणधनुरंकुशामरुणमेखलां
फालभूतिलकलोचनां मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ 1 ॥
गंधसारघनसारचारुनवनागवल्लिरसवासिनीं
सांध्यरागमधुराधराभरणसुंदराननशुचिस्मिताम् ।
मंधरायतविलोचनाममलबालचंद्रकृतशेखरीं
इंदिरारमणसोदरीं मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ 2 ॥
स्मेरचारुमुखमंडलां विमलगंडलंबिमणिमंडलां
हारदामपरिशोभमानकुचभारभीरुतनुमध्यमाम् ।
वीरगर्वहरनूपुरां विविधकारणेशवरपीठिकां
मारवैरिसहचारिणीं मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ 3 ॥
भूरिभारधरकुंडलींद्रमणिबद्धभूवलयपीठिकां
वारिराशिमणिमेखलावलयवह्निमंडलशरीरिणीम् ।
वारिसारवहकुंडलां गगनशेखरीं च परमात्मिकां
चारुचंद्रविलोचनां मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ 4 ॥
कुंडलत्रिविधकोणमंडलविहारषड्दलसमुल्लस-
त्पुंडरीकमुखभेदिनीं च प्रचंडभानुभासमुज्ज्वलाम् ।
मंडलेंदुपरिवाहितामृततरंगिणीमरुणरूपिणीं
मंडलांतमणिदीपिकां मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ 5 ॥
वारणाननमयूरवाहमुखदाहवारणपयोधरां
चारणादिसुरसुंदरीचिकुरशेकरीकृतपदांबुजाम् ।
कारणाधिपतिपंचकप्रकृतिकारणप्रथममातृकां
वारणांतमुखपारणां मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ 6 ॥
पद्मकांतिपदपाणिपल्लवपयोधराननसरोरुहां
पद्मरागमणिमेखलावलयनीविशोभितनितंबिनीम् ।
पद्मसंभवसदाशिवांतमयपंचरत्नपदपीठिकां
पद्मिनीं प्रणवरूपिणीं मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ 7 ॥
आगमप्रणवपीठिकाममलवर्णमंगलशरीरिणीं
आगमावयवशोभिनीमखिलवेदसारकृतशेखरीम् ।
मूलमंत्रमुखमंडलां मुदितनादबिंदुनवयौवनां
मातृकां त्रिपुरसुंदरीं मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ 8 ॥
कालिकातिमिरकुंतलांतघनभृंगमंगलविराजिनीं
चूलिकाशिखरमालिकावलयमल्लिकासुरभिसौरभाम् ।
वालिकामधुरगंडमंडलमनोहराननसरोरुहां
कालिकामखिलनायिकां मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ 9 ॥
नित्यमेव नियमेन जल्पतां – भुक्तिमुक्तिफलदामभीष्टदाम् ।
शंकरेण रचितां सदा जपेन्नामरत्ननवरत्नमालिकाम् ॥ 10 ॥
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