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Shri Tripura Bhairavi Kavacham || त्रिपुर भैरवी कवचम् : Maa Tripura Devi Mantra & Benefits
Tripura Bhairavi Kavacham (त्रिपुरभैरवी कवचम्)
त्रिपुर भैरवी माता को दस महाविद्याओं में से पांचवीं महाविद्या के रूप में जाना जाता है। यह कवच देवी भैरवी की साधना के लिए समर्पित है। त्रिपुर भैरवी कवच का पाठ साधक के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। इसे पढ़ने से जीवनयापन और व्यवसाय में अत्यधिक वृद्धि होती है। भले ही साधक दोनों हाथों से खर्च करे, लेकिन त्रिपुर भैरवी कवच का पाठ करने से धन की कोई कमी नहीं होती। इस कवच का पाठ करने से शरीर में आकर्षण उत्पन्न होता है, आँखों में सम्मोहन रहता है, और स्त्रियाँ उसकी ओर आकर्षित होती हैं। साधक बच्चों से लेकर वरिष्ठ मंत्री तक सभी को सम्मोहित कर सकता है। यदि त्रिपुर भैरवी यंत्र को कवच पाठ के दौरान सामने रखा जाए, तो साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार शुरू हो जाता है। उसका आत्मविश्वास बढ़ने लगता है, जिससे वह हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है। यह भी देखा गया है कि इस कवच का पाठ करने और त्रिपुर भैरवी गुटिका धारण करने से प्रेम जीवन की सभी बाधाएँ दूर होने लगती हैं। साधक को इच्छित वधु या वर से विवाह का सुख प्राप्त होता है। अच्छे जीवनसाथी का साथ मिलने से जीवन सुखमय हो जाता है।॥त्रिपुरभैरवी कवचम्॥
(Tripura Bhairavi Kavacha)
श्रीपार्वत्युवाच
देवदेव महादेव सर्वशास्त्रविशारद ।
कृपाङ्कुरु जगन्नाथ धर्मज्ञोऽसि महामते ॥
भैरवी या पुरा प्रोक्ता विद्या त्रिपुरपूर्विका ।
तस्यास्तु कवचन्दिव्यं मह्यङ्कथय तत्त्वतः ॥
तस्यास्तु वचनं श्रुत्वा जगाद जगदीश्वरः ।
अद्भुतङ्कवचन्देव्या भैरव्या दिव्यरूपि वै ॥
ईश्वर उवाच
कथयामि महाविद्याकवचं सर्वदुर्लभम् ।
शृणुष्व त्वञ्च विधिना श्रुत्वा गोप्यन्तवापि तत् ॥
यस्याः प्रसादात्सकलं बिभर्मि भुवनत्रयम् ।
यस्याः सर्वं समुत्पन्नयस्यामद्यापि तिष्ठति ॥
माता पिता जगद्धन्या जगद्ब्रह्मस्वरूपिणी ।
सिद्धिदात्री च सिद्धास्स्यादसिद्धा दुष्टजन्तुषु ॥
सर्वभूतहितकरी सर्वभूतस्वरूपिणी ।
ककारी पातु मान्देवी कामिनी कामदायिनी ॥
एकारी पातु मान्देवी मूलाधारस्वरूपिणी ।
इकारी पातु मान्देवी भूरि सर्वसुखप्रदा ॥
लकारी पातु मान्देवी इन्द्राणी वरवल्लभा ।
ह्रीङ्कारी पातु मान्देवी सर्वदा शम्भुसुन्दरी ॥
एतैर्वर्णैर्महामाया शम्भवी पातु मस्तकम् ।
ककारे पातु मान्देवी शर्वाणी हरगेहिनी ॥
मकारे पातु मान्देवी सर्वपापप्रणाशिनी ।
ककारे पातु मान्देवी कामरूपधरा सदा ॥
ककारे पातु मान्देवी शम्बरारिप्रिया सदा ।
पकारी पातु मान्देवी धराधरणिरूपधृक् ॥
ह्रीङ्कारी पातु मान्देवी आकारार्द्धशरीरिणी ।
एतैर्वर्णैर्महामाया कामराहुप्रियाऽवतु ॥
मकारः पातु मान्देवी सावित्री सर्वदायिनी ।
ककारः पातु सर्वत्र कलाम्बरस्वरूपिणी ॥
लकारः पातु मान्देवी लक्ष्मीः सर्वसुलक्षणा ।
ह्रीं पातु मान्तु सर्वत्र देवी त्रिभुवनेश्वरी ॥
एतैर्वर्णैर्महामाया पातु शक्तिस्वरूपिणी ।
वाग्भवं मस्तकमम्पातु वदनङ्कामराजिका ॥
शक्तिस्वरूपिणी पातु हृदययन्त्रसिद्धिदा ।
सुन्दरी सर्वदा पातु सुन्दरी परिरक्षति ॥
रक्तवर्णा सदा पातु सुन्दरी सर्वदायिनी ।
नानालङ्कारसंयुक्ता सुन्दरी पातु सर्वदा ॥
सर्वाङ्गसुन्दरी पातु सर्वत्र शिवदायिनी ।
जगदाह्लादजननी शम्भुरूपा च मां सदा ॥
सर्वमन्त्रमयी पातु सर्वसौभाग्यदायिनी ।
सर्वलक्ष्मीमयी देवी परमानन्ददायिनी ॥
पातु मां सर्वदा देवी नानाशङ्खनिधिः शिवा ।
पातु पद्मनिधिर्देवी सर्वदा शिवदायिनी ॥
दक्षिणामूर्तिर्माम्पातु ऋषिः सर्वत्र मस्तके ।
पङ्क्तिश्छन्दः स्वरूपा तु मुखे पातु सुरेश्वरी ॥
गन्धाष्टकात्मिका पातु हृदयं शङ्करी सदा ।
सर्वसंमोहिनी पातु पातु सङ्क्षोभिणी सदा ॥
सर्वसिद्धिप्रदा पातु सर्वाकर्षणकारिणी ।
क्षोभिणी सर्वदा पातु वशिनी सर्वदावतु ॥
आकर्षिणी सदा पातु सं मोहिनी सदावतु ।
रतिर्देवी सदा पातु भगाङ्गा सर्वदावतु ॥
महेश्वरी सदा पातु कौमारी सर्वदावतु ।
सर्वाह्लादनकारी माम्पातु सर्ववशङ्करी ॥
क्षेमङ्करी सदा पातु सर्वाङ्गसुन्दरी तथा ।
सर्वाङ्गयुवतिः सर्वं सर्वसौभाग्यदायिनी ॥
वाग्देवी सर्वदा पातु वाणिनी सर्वदावतु ।
वशिनी सर्वदा पातु महासिद्धिप्रदा सदा ॥
सर्वविद्राविणी पातु गणनाथः सदावतु ।
दुर्गा देवी सदा पातु बटुकः सर्वदावतु ॥
क्षेत्रपालः सदा पातु पातु चावरिशान्तिका ।
अनन्तः सर्वदा पातु वराहः सर्वदावतु ॥
पृथिवी सर्वदा पातु स्वर्णसिम्हासनन्तथा ।
रक्तामृतञ्च सततम्पातु मां सर्वकालतः ॥
सुरार्णवः सदा पातु कल्पवृक्षः सदावतु ।
श्वेतच्छत्रं सदा पातु रक्तदीपः सदावतु ॥
नन्दनोद्यानं सततम्पातु मां सर्वसिद्धये ।
दिक्पालाः सर्वदा पान्तु द्वन्द्वौघाः सकलास्तथा ॥
वाहनानि सदा पान्तु अस्त्राणि पान्तु सर्वदा ।
शस्त्राणि सर्वदा पान्तु योगिन्यः पान्तु सर्वदा ॥
सिद्धाः पान्तु सदा देवी सर्वसिद्धिप्रदावतु ।
सर्वाङ्गसुन्दरी देवी सर्वदावतु मान्तथा ॥
आनन्दरूपिणी देवी चित्स्वरूपा चिदात्मिका ।
सर्वदा सुन्दरी पातु सुन्दरी भवसुन्दरी ॥
पृथग्देवालये घोरे सङ्कटे दुर्गमे गिरौ ।
अरण्ये प्रान्तरे वापि पातु मां सुन्दरी सदा ॥
इदङ्कवचमित्युक्तं मन्त्रोद्धारश्च पार्वति ।
यः पठेत्प्रयतो भूत्वा त्रिसन्ध्यन्नियतः शुचिः ॥
तस्य सर्वार्थसिद्धिः स्याद्यद्यन्मनसि वर्तते ।
गोरोचनाकुङ्कुमेन रक्तचन्दनकेन वा ॥
स्वयम्भूकुसुमैः शुक्लैर्भूमिपुत्रे शनौ सुरे ।
श्मशाने प्रान्तरे वापि शून्यागारे शिवालये ॥
स्वशक्त्या गुरुणा यन्त्रम्पूजयित्वा कुमारिकाः ।
तन्मनुम्पूजयित्वा च गुरुपङ्क्तिन्तथैव च ॥
देव्यै बलिन्निवेद्याथ नरमार्जारसूकरैः ।
नकुलैर्महिषैर्मेषैः पूजयित्वा विधानतः ॥
धृत्वा सुवर्णमध्यस्तङ्कण्ठे वा दक्षिणे भुजे ।
सुतिथौ शुभनक्षत्रे सूर्यस्योदयने तथा ॥
धारयित्वा च कवचं सर्वसिद्धिलभेन्नरः ।
कवचस्य च माहात्म्यन्नाहवर्षशतैरपि ॥
शक्नोमि तु महेशानि वक्तुन्तस्य फलन्तु यत् ।
न दुर्भिक्षफलन्तत्र न चापि पीडनन्तथा ॥
सर्वविघ्नप्रशमनं सर्वव्याधिविनाशनम् ॥
सर्वरक्षाकरञ्जन्तोश्चतुर्वर्गफलप्रदम् ।
यत्र कुत्र न वक्तव्यन्न दातव्यङ्कदाचन ॥
मन्त्रम्प्राप्य विधानेन पूजयेत्सततं सुधीः ।
तत्रापि दुर्लभं मन्ये कवचन्देवरूपिणम् ॥
गुरोः प्रसादमासाद्य विद्याम्प्राप्य सुगोपिताम् ।
तत्रापि कवचन्दिव्यन्दुर्लभम्भुवनत्रये ॥
श्लोकवा स्तवमेकवा यः पठेत्प्रयतः शुचिः ।
तस्य सर्वार्थसिद्धिः स्याच्छङ्करेण प्रभाषितम् ॥
गुरुर्द्देवो हरः साक्षात्पत्नी तस्य च पार्वती ।
अभेदेन यजेद्यस्तु तस्य सिद्धिरदूरतः ॥
इति श्रीरुद्रयामले भैरवभैरवीसंआदे श्रीभैरवीकवचं सम्पूर्णम् ॥
Related to Kali
Shri Kali Chalisa (श्री काली चालीसा)
काली चालीसा माँ काली की स्तुति करती है। माँ काली को Chandi, Bhadrakali, और Mahishasuramardini भी कहा जाता है। इस चालीसा का पाठ spiritual transformation और life challenges को दूर करने के लिए किया जाता है।Chalisa
Maa Kali Kavacham (कालीकवचम् )
माँ काली कवचम् देवी काली की दिव्य शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक पवित्र सुरक्षा कवच है। इसमें देवी काली से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है, साथ ही बुराई, नकारात्मकता और संकटों से मुक्ति की कामना की जाती है।Kavacha
Maa Kali Stotra (कालीस्तव)
माँ काली स्तोत्र देवी काली की महिमा और उनकी दिव्य शक्तियों की स्तुति करने वाला एक पवित्र भक्ति गीत है। इसमें देवी काली की शक्ति, साहस, और अंधकार तथा बुराई को समाप्त करने की भूमिका का वर्णन किया गया है।Stotra
Shri Kalika Ashtakam (श्री कालिका अष्टकम्)
श्रीमत्शंकराचार्यजी द्वारा विरचित इस स्तोत्र में ग्यारह (११) श्लोक हैं । इन श्लोकों में भगवती दुर्गा के कालिका स्वरुप की, स्तुति की गयी है । इस स्तोत्र का पाठ करने से जगत् में यश की प्राप्ति होती है एवं अष्ट सिद्धियाँ भी प्राप्त होती हैं । कालिका अष्टकम के साथ-साथ यदि श्री सूक्तम, देवी सूक्तम का पाठ किया जाए तो, लक्ष्मी सूक्तम का बहुत लाभ मिलता है, मनोवांछित कामना पूर्ण होती है, यह सूक्तम शीघ्र ही फल देने लग जाता है| घर में सुख, शांति, समृधि रखने के लिए सिद्ध लक्ष्मी फ्रेम को घर में रखना चाहिए| और रोज़ सिद्ध लक्ष्मी फ्रेम की पूजा करनी चाहिए|Ashtakam
Shri Dhumavati Kavacham (धूमावती कवचम्)
Shri Dhumavati Kavacham देवी धूमावती की "Divine Shield" और "Supreme Protection" का आह्वान करता है, जो "Goddess of Destruction" और "Divine Guardian" के रूप में पूजी जाती हैं। यह कवच व्यक्ति को "Cosmic Energy" और "Spiritual Protection" प्रदान करता है। Shri Dhumavati Kavacham का जाप "Goddess Dhumavati Prayer" और "Divine Strength Chant" के रूप में किया जाता है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को "Inner Peace" और "Mental Clarity" मिलती है, जो जीवन के हर संकट से बचने के लिए प्रभावी होता है।Kavacha
Kali Sahasranama Stotram (काली सहस्रनाम स्तोत्रम्)
कालीका देवी दस महाविद्याओं (Ten Mahavidyas) में से एक उग्र देवी (fierce goddess) हैं। उनकी पूजा (worship) आंतरिक (internal) और बाहरी शत्रुओं (external enemies) को पराजित (defeat) करने के लिए की जाती है। मां काली (Maa Kali), देवी दुर्गा (Goddess Durga) के उग्र रूपों (fierce forms) में से एक हैं। वह भगवान शिव (Lord Shiva) की अर्धांगिनी (consort) हैं, जो हिंदू त्रिमूर्ति (Hindu Trinity) में संहारक (destroyer) के रूप में पूजित (worshipped) हैं। मां काली की पारंपरिक छवि (traditional image) में उनकी जीभ (tongue) बाहर निकली होती है और उनके गले (neck) में खोपड़ियों की माला (garland of skulls) होती है। उनके हाथों (hands) में विनाशकारी शस्त्र (deadly weapons) होते हैं, जो दुष्ट (wicked) और पापी (evil) लोगों में भय (terror) उत्पन्न करते हैं। हालांकि, काली अपने भक्तों (devotees) के लिए अत्यंत दयालु (kind) और कृपालु (merciful) हैं। वह अपने भक्तों को सभी संकटों (harm) से बचाती हैं और उन्हें समृद्धि (prosperity) और सफलता (success) का आशीर्वाद देती हैं। मां काली के अवतार (incarnation) का मुख्य उद्देश्य (ultimate purpose) उन दुष्टों (evil-doers) और राक्षसों (demons) का विनाश (destruction) करना है, जिन्हें देवता (gods) भी पराजित नहीं कर सके। वह अजेय (invincible) हैं और शक्तिशाली (powerful) व दुष्ट राक्षसों के लिए एक गंभीर खतरा (severe threat) पैदा कर सकती हैं। चूंकि मां काली का अवतरण (emanation) देवताओं (deities) और ऋषियों (sages) की प्रार्थनाओं (prayers) के जवाब में हुआ था, इसलिए सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां (powers) और शस्त्र मां काली को उनके दिव्य कार्य (divine mission) में सहायता के लिए प्रदान किए। इस कारण मां काली की शक्तियां (powers) अतुलनीय (incomparable) हैं। वह पापियों को पल भर में नष्ट कर सकती हैं और अपने भक्तों को हर तरह के संकट से बचा सकती हैं। देवी काली भौतिक प्रकृति (material nature) की अधीक्षक (superintendent) हैं। वह कृष्ण (Krishna) की महामाया (Mahamaya potency) शक्ति हैं और उनके कई प्रसिद्ध नाम (well-known names) हैं, जैसे दुर्गा (Durga)।Sahasranama-Stotram
Kali Kavacham (काली कवचम्)
Kali Kavach (काली कवच): माँ काली को दस Mahavidyas में प्रथम स्थान प्राप्त है। Maa Kali सभी enemies, diseases और Tantra obstacles को दूर करती हैं। जो व्यक्ति नियमित रूप से Kali Kavach का पाठ करता है, उसके enemies स्वतः ही नष्ट होने लगते हैं, diseases ठीक होने लगते हैं। चाहे enemy कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह Tantra-Mantra के सहारे भी उस व्यक्ति का कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जो यह Kali Kavach धारण करता है। यह एक अत्यंत powerful Kavach है। यदि किसी व्यक्ति की Kundli में Shani की Sade Sati, Shani की Mahadasha, Shani की Dhaiya है या Shani planet किसी भी प्रकार से harm पहुँचा रहा है, तो Kali Kavach का पाठ करने से वह effect धीरे-धीरे कम होने लगता है। जो लोग इसे नियमित रूप से Puja के समय पढ़ते हैं, उनके family से diseases धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं। परिवार का environment positive बनने लगता है। Job loss, business problems, debt, wealth loss आदि समस्याएँ दूर हो जाती हैं। Kali Yantra Kavach धारण करने और Kali Kavach का पाठ करने से व्यक्ति सभी enemies से सुरक्षित रहता है। Evil eye और black magic का effect समाप्त हो जाता है। यदि किसी पर hypnosis या Tantra किया गया हो, तो वह भी ineffective हो जाता है। माँ काली सभी तंत्र बाधाओं से रक्षा करती हैं।Kavacha
Shri Jwala-Kali Devi Ji Arti (श्रीज्वाला-काली देवीजी की आरती )
श्री ज्वाला देवी काली जी की आरती माँ काली और माँ ज्वाला की अद्वितीय शक्ति, तात्त्विक, और रौद्र रूप की स्तुति करती है। इसमें Maa Kali, जिन्हें Mahakali और Jwalamukhi के नाम से भी जाना जाता है, की रक्षा और बुराई का नाश करने वाली शक्ति का वर्णन है। आरती में माँ से संसार के दुख, भय और बुराई को नष्ट करने की प्रार्थना की जाती है।Arti