No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Shri Tripura Bhairavi Kavacham || त्रिपुर भैरवी कवचम् : Maa Tripura Devi Mantra & Benefits
Tripura Bhairavi Kavacham (त्रिपुरभैरवी कवचम्)
त्रिपुर भैरवी माता को दस महाविद्याओं में से पांचवीं महाविद्या के रूप में जाना जाता है। यह कवच देवी भैरवी की साधना के लिए समर्पित है। त्रिपुर भैरवी कवच का पाठ साधक के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। इसे पढ़ने से जीवनयापन और व्यवसाय में अत्यधिक वृद्धि होती है। भले ही साधक दोनों हाथों से खर्च करे, लेकिन त्रिपुर भैरवी कवच का पाठ करने से धन की कोई कमी नहीं होती। इस कवच का पाठ करने से शरीर में आकर्षण उत्पन्न होता है, आँखों में सम्मोहन रहता है, और स्त्रियाँ उसकी ओर आकर्षित होती हैं। साधक बच्चों से लेकर वरिष्ठ मंत्री तक सभी को सम्मोहित कर सकता है। यदि त्रिपुर भैरवी यंत्र को कवच पाठ के दौरान सामने रखा जाए, तो साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार शुरू हो जाता है। उसका आत्मविश्वास बढ़ने लगता है, जिससे वह हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है। यह भी देखा गया है कि इस कवच का पाठ करने और त्रिपुर भैरवी गुटिका धारण करने से प्रेम जीवन की सभी बाधाएँ दूर होने लगती हैं। साधक को इच्छित वधु या वर से विवाह का सुख प्राप्त होता है। अच्छे जीवनसाथी का साथ मिलने से जीवन सुखमय हो जाता है।॥त्रिपुरभैरवी कवचम्॥
(Tripura Bhairavi Kavacha)
श्रीपार्वत्युवाच
देवदेव महादेव सर्वशास्त्रविशारद ।
कृपाङ्कुरु जगन्नाथ धर्मज्ञोऽसि महामते ॥
भैरवी या पुरा प्रोक्ता विद्या त्रिपुरपूर्विका ।
तस्यास्तु कवचन्दिव्यं मह्यङ्कथय तत्त्वतः ॥
तस्यास्तु वचनं श्रुत्वा जगाद जगदीश्वरः ।
अद्भुतङ्कवचन्देव्या भैरव्या दिव्यरूपि वै ॥
ईश्वर उवाच
कथयामि महाविद्याकवचं सर्वदुर्लभम् ।
शृणुष्व त्वञ्च विधिना श्रुत्वा गोप्यन्तवापि तत् ॥
यस्याः प्रसादात्सकलं बिभर्मि भुवनत्रयम् ।
यस्याः सर्वं समुत्पन्नयस्यामद्यापि तिष्ठति ॥
माता पिता जगद्धन्या जगद्ब्रह्मस्वरूपिणी ।
सिद्धिदात्री च सिद्धास्स्यादसिद्धा दुष्टजन्तुषु ॥
सर्वभूतहितकरी सर्वभूतस्वरूपिणी ।
ककारी पातु मान्देवी कामिनी कामदायिनी ॥
एकारी पातु मान्देवी मूलाधारस्वरूपिणी ।
इकारी पातु मान्देवी भूरि सर्वसुखप्रदा ॥
लकारी पातु मान्देवी इन्द्राणी वरवल्लभा ।
ह्रीङ्कारी पातु मान्देवी सर्वदा शम्भुसुन्दरी ॥
एतैर्वर्णैर्महामाया शम्भवी पातु मस्तकम् ।
ककारे पातु मान्देवी शर्वाणी हरगेहिनी ॥
मकारे पातु मान्देवी सर्वपापप्रणाशिनी ।
ककारे पातु मान्देवी कामरूपधरा सदा ॥
ककारे पातु मान्देवी शम्बरारिप्रिया सदा ।
पकारी पातु मान्देवी धराधरणिरूपधृक् ॥
ह्रीङ्कारी पातु मान्देवी आकारार्द्धशरीरिणी ।
एतैर्वर्णैर्महामाया कामराहुप्रियाऽवतु ॥
मकारः पातु मान्देवी सावित्री सर्वदायिनी ।
ककारः पातु सर्वत्र कलाम्बरस्वरूपिणी ॥
लकारः पातु मान्देवी लक्ष्मीः सर्वसुलक्षणा ।
ह्रीं पातु मान्तु सर्वत्र देवी त्रिभुवनेश्वरी ॥
एतैर्वर्णैर्महामाया पातु शक्तिस्वरूपिणी ।
वाग्भवं मस्तकमम्पातु वदनङ्कामराजिका ॥
शक्तिस्वरूपिणी पातु हृदययन्त्रसिद्धिदा ।
सुन्दरी सर्वदा पातु सुन्दरी परिरक्षति ॥
रक्तवर्णा सदा पातु सुन्दरी सर्वदायिनी ।
नानालङ्कारसंयुक्ता सुन्दरी पातु सर्वदा ॥
सर्वाङ्गसुन्दरी पातु सर्वत्र शिवदायिनी ।
जगदाह्लादजननी शम्भुरूपा च मां सदा ॥
सर्वमन्त्रमयी पातु सर्वसौभाग्यदायिनी ।
सर्वलक्ष्मीमयी देवी परमानन्ददायिनी ॥
पातु मां सर्वदा देवी नानाशङ्खनिधिः शिवा ।
पातु पद्मनिधिर्देवी सर्वदा शिवदायिनी ॥
दक्षिणामूर्तिर्माम्पातु ऋषिः सर्वत्र मस्तके ।
पङ्क्तिश्छन्दः स्वरूपा तु मुखे पातु सुरेश्वरी ॥
गन्धाष्टकात्मिका पातु हृदयं शङ्करी सदा ।
सर्वसंमोहिनी पातु पातु सङ्क्षोभिणी सदा ॥
सर्वसिद्धिप्रदा पातु सर्वाकर्षणकारिणी ।
क्षोभिणी सर्वदा पातु वशिनी सर्वदावतु ॥
आकर्षिणी सदा पातु सं मोहिनी सदावतु ।
रतिर्देवी सदा पातु भगाङ्गा सर्वदावतु ॥
महेश्वरी सदा पातु कौमारी सर्वदावतु ।
सर्वाह्लादनकारी माम्पातु सर्ववशङ्करी ॥
क्षेमङ्करी सदा पातु सर्वाङ्गसुन्दरी तथा ।
सर्वाङ्गयुवतिः सर्वं सर्वसौभाग्यदायिनी ॥
वाग्देवी सर्वदा पातु वाणिनी सर्वदावतु ।
वशिनी सर्वदा पातु महासिद्धिप्रदा सदा ॥
सर्वविद्राविणी पातु गणनाथः सदावतु ।
दुर्गा देवी सदा पातु बटुकः सर्वदावतु ॥
क्षेत्रपालः सदा पातु पातु चावरिशान्तिका ।
अनन्तः सर्वदा पातु वराहः सर्वदावतु ॥
पृथिवी सर्वदा पातु स्वर्णसिम्हासनन्तथा ।
रक्तामृतञ्च सततम्पातु मां सर्वकालतः ॥
सुरार्णवः सदा पातु कल्पवृक्षः सदावतु ।
श्वेतच्छत्रं सदा पातु रक्तदीपः सदावतु ॥
नन्दनोद्यानं सततम्पातु मां सर्वसिद्धये ।
दिक्पालाः सर्वदा पान्तु द्वन्द्वौघाः सकलास्तथा ॥
वाहनानि सदा पान्तु अस्त्राणि पान्तु सर्वदा ।
शस्त्राणि सर्वदा पान्तु योगिन्यः पान्तु सर्वदा ॥
सिद्धाः पान्तु सदा देवी सर्वसिद्धिप्रदावतु ।
सर्वाङ्गसुन्दरी देवी सर्वदावतु मान्तथा ॥
आनन्दरूपिणी देवी चित्स्वरूपा चिदात्मिका ।
सर्वदा सुन्दरी पातु सुन्दरी भवसुन्दरी ॥
पृथग्देवालये घोरे सङ्कटे दुर्गमे गिरौ ।
अरण्ये प्रान्तरे वापि पातु मां सुन्दरी सदा ॥
इदङ्कवचमित्युक्तं मन्त्रोद्धारश्च पार्वति ।
यः पठेत्प्रयतो भूत्वा त्रिसन्ध्यन्नियतः शुचिः ॥
तस्य सर्वार्थसिद्धिः स्याद्यद्यन्मनसि वर्तते ।
गोरोचनाकुङ्कुमेन रक्तचन्दनकेन वा ॥
स्वयम्भूकुसुमैः शुक्लैर्भूमिपुत्रे शनौ सुरे ।
श्मशाने प्रान्तरे वापि शून्यागारे शिवालये ॥
स्वशक्त्या गुरुणा यन्त्रम्पूजयित्वा कुमारिकाः ।
तन्मनुम्पूजयित्वा च गुरुपङ्क्तिन्तथैव च ॥
देव्यै बलिन्निवेद्याथ नरमार्जारसूकरैः ।
नकुलैर्महिषैर्मेषैः पूजयित्वा विधानतः ॥
धृत्वा सुवर्णमध्यस्तङ्कण्ठे वा दक्षिणे भुजे ।
सुतिथौ शुभनक्षत्रे सूर्यस्योदयने तथा ॥
धारयित्वा च कवचं सर्वसिद्धिलभेन्नरः ।
कवचस्य च माहात्म्यन्नाहवर्षशतैरपि ॥
शक्नोमि तु महेशानि वक्तुन्तस्य फलन्तु यत् ।
न दुर्भिक्षफलन्तत्र न चापि पीडनन्तथा ॥
सर्वविघ्नप्रशमनं सर्वव्याधिविनाशनम् ॥
सर्वरक्षाकरञ्जन्तोश्चतुर्वर्गफलप्रदम् ।
यत्र कुत्र न वक्तव्यन्न दातव्यङ्कदाचन ॥
मन्त्रम्प्राप्य विधानेन पूजयेत्सततं सुधीः ।
तत्रापि दुर्लभं मन्ये कवचन्देवरूपिणम् ॥
गुरोः प्रसादमासाद्य विद्याम्प्राप्य सुगोपिताम् ।
तत्रापि कवचन्दिव्यन्दुर्लभम्भुवनत्रये ॥
श्लोकवा स्तवमेकवा यः पठेत्प्रयतः शुचिः ।
तस्य सर्वार्थसिद्धिः स्याच्छङ्करेण प्रभाषितम् ॥
गुरुर्द्देवो हरः साक्षात्पत्नी तस्य च पार्वती ।
अभेदेन यजेद्यस्तु तस्य सिद्धिरदूरतः ॥
इति श्रीरुद्रयामले भैरवभैरवीसंआदे श्रीभैरवीकवचं सम्पूर्णम् ॥
Related to Kali
Shri Kali Chalisa (श्री काली चालीसा)
काली चालीसा माँ काली की स्तुति करती है। माँ काली को Chandi, Bhadrakali, और Mahishasuramardini भी कहा जाता है। इस चालीसा का पाठ spiritual transformation और life challenges को दूर करने के लिए किया जाता है।Chalisa
Shri Jwala-Kali Devi Ji Arti (श्रीज्वाला-काली देवीजी की आरती )
श्री ज्वाला देवी काली जी की आरती माँ काली और माँ ज्वाला की अद्वितीय शक्ति, तात्त्विक, और रौद्र रूप की स्तुति करती है। इसमें Maa Kali, जिन्हें Mahakali और Jwalamukhi के नाम से भी जाना जाता है, की रक्षा और बुराई का नाश करने वाली शक्ति का वर्णन है। आरती में माँ से संसार के दुख, भय और बुराई को नष्ट करने की प्रार्थना की जाती है।Arti
Vairinashnam Shri Kalika Kavachm (वैरिनाशनं श्री कालिका कवचम्)
Vairinashnam Sri Kalika Kavacha एक अत्यंत शक्तिशाली कवच है, जो Maa Kali की कृपा से Enemies, Tantra-Mantra और Negative Energies से रक्षा करता है। इसका नियमित पाठ करने से साधक को Fearlessness, Success और Prosperity प्राप्त होती है। जो व्यक्ति जीवन में Obstacles, Graha Dosh, या Tantra Dosh से परेशान हैं, उन्हें इस कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। यह Maa Kali की Divine Protection प्रदान कर सभी Problems को दूर करता है।Kavacha
Kali Stuti (काली स्तुति)
Kali Stuti (काली स्तुति):काली स्तुति माँ काली को समर्पित है। माँ काली को माता के सभी रूपों में सबसे शक्तिशाली रूप माना जाता है। नियमित रूप से काली स्तुति का पाठ करने से भय दूर होता है, बुद्धिमत्ता प्राप्त होती है, शत्रुओं का नाश होता है, और सभी प्रकार के कष्ट अपने आप समाप्त हो जाते हैं। माँ काली केवल प्रधान ही नहीं, बल्कि महाविद्याओं में सबसे महत्वपूर्ण हैं। माँ काली महाविद्याओं का प्रतीक हैं। सभी नौ महाविद्याएँ माँ काली से उत्पन्न होती हैं और उनके गुणों व शक्तियों को विभिन्न रूपों में साझा करती हैं। माँ काली विनाश और संहार की प्रतीक हैं। वे अज्ञान को नष्ट करती हैं, संसार के नियमों को बनाए रखती हैं और जो भगवान के ज्ञान की खोज करते हैं, उन्हें आशीर्वाद देकर मुक्त करती हैं। माँ काली देवी दुर्गा के उग्र रूपों में से एक हैं और भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं, जो हिंदू त्रिमूर्ति में संहारक हैं। माँ काली की विशिष्ट छवि में उनकी बाहर निकली हुई जीभ, खोपड़ियों की माला, और घातक हथियार होते हैं, जो दुष्ट और पापी लोगों में भय उत्पन्न करते हैं। हालांकि, माँ काली अपने भक्तों के प्रति अत्यंत दयालु और करुणामयी हैं। वे अपने भक्तों को सभी संकटों से बचाती हैं और उन्हें समृद्धि व सफलता प्रदान करती हैं। काली स्तुति का नियमित पाठ करने से साधक को भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है, आकर्षण शक्ति मिलती है, पाप नष्ट होते हैं, शत्रु समाप्त होते हैं, और साधक के भीतर एक विशेष ऊर्जा उत्पन्न होती है। वेदों में माँ काली को अग्नि देव से जोड़ा गया है। देवी को सात झिलमिलाती अग्नि की जीभों के रूप में वर्णित किया गया है, जिनमें से काली काली और भयानक जीभ थीं। उनका स्वरूप भयावह है: डरावनी आँखें, लाल उभरी हुई जीभ, और चार भुजाएँ – जिनमें से दो में खून से सनी तलवार और राक्षस का कटा हुआ सिर है, और बाकी दो भय निवारण और वरदान देने की मुद्रा में हैं। उनके गले में मानव खोपड़ियों की माला और कमर पर कटी हुई भुजाओं की कमरबंध है। माँ काली की स्तुति उनके भक्तों के लिए अत्यंत प्रिय है।Stuti
Maa Kali dhayan mantra (माँ काली ध्यान मंत्र)
माँ काली ध्यान मंत्र देवी काली की ध्यान साधना के लिए एक शक्तिशाली मंत्र है, जो मानसिक शांति, शक्ति और सकारात्मकता की प्राप्ति के लिए जाप किया जाता है। इस मंत्र से भक्त देवी काली की कृपा प्राप्त करते हैं और बुराई, भय तथा नकारात्मकता से मुक्ति पाते हैं।Dhayan-Mantra
Shri Mahakali Stotram (श्री महाकाली स्तोत्रं)
श्री महाकाली स्तोत्रं: यह स्तोत्र देवी महाकाली को समर्पित है और उनके आशीर्वाद और सुरक्षा के लिए जपा जाता है।Stotra
Kali Puja Yantra (काली पूजा यंत्र)
काली पूजा यंत्र देवी Kali की पूजा और आराधना के लिए एक पवित्र यंत्र है, जो उनकी divine power और grace प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह यंत्र साधक को mental peace, protection, और freedom from difficulties प्रदान करने में सहायक होता है।Yantra-Mantra
Shri Dhumavati Kavacham (धूमावती कवचम्)
Shri Dhumavati Kavacham देवी धूमावती की "Divine Shield" और "Supreme Protection" का आह्वान करता है, जो "Goddess of Destruction" और "Divine Guardian" के रूप में पूजी जाती हैं। यह कवच व्यक्ति को "Cosmic Energy" और "Spiritual Protection" प्रदान करता है। Shri Dhumavati Kavacham का जाप "Goddess Dhumavati Prayer" और "Divine Strength Chant" के रूप में किया जाता है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को "Inner Peace" और "Mental Clarity" मिलती है, जो जीवन के हर संकट से बचने के लिए प्रभावी होता है।Kavacha