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Narayaniyam Dashaka 69 (नारायणीयं दशक 69)
नारायणीयं दशक 69 (Narayaniyam Dashaka 69)
केशपाशधृतपिंछिकाविततिसंचलन्मकरकुंडलं
हारजालवनमालिकाललितमंगरागघनसौरभम् ।
पीतचेलधृतकांचिकांचितमुदंचदंशुमणिनूपुरं
रासकेलिपरिभूषितं तव हि रूपमीश कलयामहे ॥1॥
तावदेव कृतमंडने कलितकंचुलीककुचमंडले
गंडलोलमणिकुंडले युवतिमंडलेऽथ परिमंडले ।
अंतरा सकलसुंदरीयुगलमिंदिरारमण संचरन्
मंजुलां तदनु रासकेलिमयि कंजनाभ समुपादधाः ॥2॥
वासुदेव तव भासमानमिह रासकेलिरससौरभं
दूरतोऽपि खलु नारदागदितमाकलय्य कुतुकाकुला ।
वेषभूषणविलासपेशलविलासिनीशतसमावृता
नाकतो युगपदागता वियति वेगतोऽथ सुरमंडली ॥3॥
वेणुनादकृततानदानकलगानरागगतियोजना-
लोभनीयमृदुपादपातकृततालमेलनमनोहरम् ।
पाणिसंक्वणितकंकणं च मुहुरंसलंबितकरांबुजं
श्रोणिबिंबचलदंबरं भजत रासकेलिरसडंबरम् ॥4॥
स्पर्धया विरचितानुगानकृततारतारमधुरस्वरे
नर्तनेऽथ ललितांगहारलुलितांगहारमणिभूषणे ।
सम्मदेन कृतपुष्पवर्षमलमुन्मिषद्दिविषदां कुलं
चिन्मये त्वयि निलीयमानमिव सम्मुमोह सवधूकुलम् ॥5॥
स्विन्नसन्नतनुवल्लरी तदनु कापि नाम पशुपांगना
कांतमंसमवलंबते स्म तव तांतिभारमुकुलेक्षणा ॥
काचिदाचलितकुंतला नवपटीरसारघनसौरभं
वंचनेन तव संचुचुंब भुजमंचितोरुपुलकांकुरा ॥6॥
कापि गंडभुवि सन्निधाय निजगंडमाकुलितकुंडलं
पुण्यपूरनिधिरन्ववाप तव पूगचर्वितरसामृतम् ।
इंदिराविहृतिमंदिरं भुवनसुंदरं हि नटनांतरे
त्वामवाप्य दधुरंगनाः किमु न सम्मदोन्मददशांतरम् ॥7॥
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