No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Narayaniyam Dashaka 5 (नारायणीयं दशक 5)
नारायणीयं दशक 5 (Narayaniyam Dashaka 5)
व्यक्ताव्यक्तमिदं न किंचिदभवत्प्राक्प्राकृतप्रक्षये
मायायां गुणसाम्यरुद्धविकृतौ त्वय्यागतायां लयम् ।
नो मृत्युश्च तदाऽमृतं च समभून्नाह्नो न रात्रेः स्थिति-
स्तत्रैकस्त्वमशिष्यथाः किल परानंदप्रकाशात्मना ॥1॥
कालः कर्म गुणाश्च जीवनिवहा विश्वं च कार्यं विभो
चिल्लीलारतिमेयुषि त्वयि तदा निर्लीनतामाययुः ।
तेषां नैव वदंत्यसत्त्वमयि भोः शक्त्यात्मना तिष्ठतां
नो चेत् किं गगनप्रसूनसदृशां भूयो भवेत्संभवः ॥2॥
एवं च द्विपरार्धकालविगतावीक्षां सिसृक्षात्मिकां
बिभ्राणे त्वयि चुक्षुभे त्रिभुवनीभावाय माया स्वयम् ।
मायातः खलु कालशक्तिरखिलादृष्टं स्वभावोऽपि च
प्रादुर्भूय गुणान्विकास्य विदधुस्तस्यास्सहायक्रियाम् ॥3॥
मायासन्निहितोऽप्रविष्टवपुषा साक्षीति गीतो भवान्
भेदैस्तां प्रतिबिंबतो विविशिवान् जीवोऽपि नैवापरः ।
कालादिप्रतिबोधिताऽथ भवता संचोदिता च स्वयं
माया सा खलु बुद्धितत्त्वमसृजद्योऽसौ महानुच्यते ॥4॥
तत्रासौ त्रिगुणात्मकोऽपि च महान् सत्त्वप्रधानः स्वयं
जीवेऽस्मिन् खलु निर्विकल्पमहमित्युद्बोधनिष्पाद्कः ।
चक्रेऽस्मिन् सविकल्पबोधकमहंतत्त्वं महान् खल्वसौ
संपुष्टं त्रिगुणैस्तमोऽतिबहुलं विष्णो भवत्प्रेरणात् ॥5॥
सोऽहं च त्रिगुणक्रमात् त्रिविधतामासाद्य वैकारिको
भूयस्तैजसतामसाविति भवन्नाद्येन सत्त्वात्मना
देवानिंद्रियमानिनोऽकृत दिशावातार्कपाश्यश्विनो
वह्नींद्राच्युतमित्रकान् विधुविधिश्रीरुद्रशारीरकान् ॥6॥
भूमन् मानसबुद्ध्यहंकृतिमिलच्चित्ताख्यवृत्त्यन्वितं
तच्चांतःकरणं विभो तव बलात् सत्त्वांश एवासृजत् ।
जातस्तैजसतो दशेंद्रियगणस्तत्तामसांशात्पुन-
स्तन्मात्रं नभसो मरुत्पुरपते शब्दोऽजनि त्वद्बलात् ॥7॥
श्ब्दाद्व्योम ततः ससर्जिथ विभो स्पर्शं ततो मारुतं
तस्माद्रूपमतो महोऽथ च रसं तोयं च गंधं महीम् ।
एवं माधव पूर्वपूर्वकलनादाद्याद्यधर्मान्वितं
भूतग्राममिमं त्वमेव भगवन् प्राकाशयस्तामसात् ॥8॥
एते भूतगणास्तथेंद्रियगणा देवाश्च जाताः पृथङ्-
नो शेकुर्भुवनांडनिर्मितिविधौ देवैरमीभिस्तदा ।
त्वं नानाविधसूक्तिभिर्नुतगुणस्तत्त्वान्यमून्याविशं-
श्चेष्टाशक्तिमुदीर्य तानि घटयन् हैरण्यमंडं व्यधाः ॥9॥
अंडं तत्खलु पूर्वसृष्टसलिलेऽतिष्ठत् सहस्रं समाः
निर्भिंदन्नकृथाश्चतुर्दशजगद्रूपं विराडाह्वयम् ।
साहस्रैः करपादमूर्धनिवहैर्निश्शेषजीवात्मको
निर्भातोऽसि मरुत्पुराधिप स मां त्रायस्व सर्वामयात् ॥10॥
Related to Vishnu
Narayaniyam Dashaka 39 (नारायणीयं दशक 39)
नारायणीयं दशक 39 भगवान विष्णु के अनंत अनुग्रह और उनकी दिव्य कृपा का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की महिमा और उनकी अद्भुत लीलाओं का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Vishnu Sahasranama Stotram (विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम्)
विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम् भगवान Vishnu के 1000 divine names का संग्रह है, जो उनकी महिमा और eternal power को दर्शाता है। इसे Hindu scriptures में सबसे powerful और sacred chants माना गया है। इस स्तोत्र के पाठ से भक्तों को peace, prosperity और spiritual enlightenment प्राप्त होता है। Lord Vishnu की स्तुति troubles, negativity और karmic obstacles को दूर करती है। यह स्तोत्र life में positivity, divine blessings और protection का मार्ग प्रशस्त करता है।Sahasranama-Stotram
Shri Vishnu 28 Naam Stotra (श्रीविष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रम्)
श्री विष्णु 28 नाम स्तोत्र भगवान विष्णु के 28 नामों का स्तुति पाठ है, जो भक्ति, धैर्य, और शांति का प्रतीक है। इसका पाठ करने से धन, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।Stotra
Shri Vishnu Chalisa (श्री विष्णु चालीसा)
विष्णु चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान विष्णु पर आधारित है। हिन्दू मान्यतानुसार भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक हैं। Vishnu Chalisa का पाठ विशेष रूप से Vaikuntha Ekadashi और अन्य पूजा अवसरों पर किया जाता है। यह divine protection और blessings प्राप्त करने का एक अत्यंत शक्तिशाली साधन है। Vishnu mantra जीवन में peace और spiritual growth को बढ़ावा देता है।Chalisa
Shri Badrinathji Arti (भगवान् श्री बदरीनाथ जी की आरती)
भगवान श्री बद्रीनाथ जी की आरती हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप की वंदना है। बद्रीनाथ धाम, जो चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, को मोक्ष और दिव्यता का स्थान माना जाता है। इस आरती में भगवान विष्णु की कृपा, शांति, संपत्ति, और मोक्ष का गुणगान किया गया है। Badrinath Ji Aarti गाने से भक्तों को धार्मिक शुद्धि, आत्मिक शांति, और जीवन में स्थिरता की प्राप्ति होती है।Arti
Narayaniyam Dashaka 21 (नारायणीयं दशक 21)
नारायणीयं दशक 21 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Jagannath Ashtakam (श्री जगन्नाथाष्टकम्)
Shri Jagannath Ashtakam (श्री जगन्नाथाष्टकम्) की रचना Adi Shankaracharya ने Lord Jagannath की स्तुति में की थी, जब वे Puri पहुंचे थे। यह one of the most important hymns मानी जाती है, जिसे Sri Chaitanya Mahaprabhu ने भी अपने Jagannath Temple visit के दौरान गाया था। ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति Shri Jagannath Ashtakam का श्रद्धा और भक्ति के साथ recitation करता है, तो वह sinless और pure-hearted हो जाता है और अंततः Vishnuloka को प्राप्त करता है। इस sacred Ashtakam के chanting से material existence की व्यर्थता समाप्त हो जाती है, और ocean of sins नष्ट हो जाता है। ऐसा निश्चित रूप से माना जाता है कि Lord Jagannath उन fallen souls पर अपनी divine grace बरसाते हैं, जिनका इस संसार में कोई shelter नहीं है, सिवाय उनके lotus feet के।Ashtakam
Narayaniyam Dashaka 3 (नारायणीयं दशक 3)
नारायणीयं दशक 3 में भगवान नारायण के महिमा का गान किया गया है। यह दशक भक्तों को भगवान के शक्ति और कृपा के लिए प्रार्थना करता है।Narayaniyam-Dashaka