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Shri Badrinathji Arti || भगवान् श्रीबदरीनाथ जी की आरती
Shri Badrinathji Arti (भगवान् श्री बदरीनाथ जी की आरती)
भगवान श्री बद्रीनाथ जी की आरती हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप की वंदना है। बद्रीनाथ धाम, जो चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, को मोक्ष और दिव्यता का स्थान माना जाता है। इस आरती में भगवान विष्णु की कृपा, शांति, संपत्ति, और मोक्ष का गुणगान किया गया है। Badrinath Ji Aarti गाने से भक्तों को धार्मिक शुद्धि, आत्मिक शांति, और जीवन में स्थिरता की प्राप्ति होती है।भगवान् श्री बदरीनाथ जी की आरती
जय जय श्रीबदरीनाथ जयति योग-ध्यानी॥ टेक ॥
निर्गुण सगुण स्वरूप, मेघवर्ण अति अनूप,
सेवत चरण सुरभूप, ज्ञानी विज्ञानी॥ जय जय०॥
झलकत है शीश छत्र, छबि अनूप अति विचित्र,
बरनत पावन चरित्र सकुचत बरबानी॥ जय जय०॥
तिलक भाल अति विशाल, गलमें मणि-मुक्त-माल,
प्रततपाल अति दयाल, सेवक सुखदानी॥ जय जय०॥
कानन कुंडल ललाम, मूरति सुखमाकी धाम,
सुमिरत हों सिद्धि काम, कहत गुण बरखानी॥ जय जय०॥
गावत गुण शंभु, शेष, इन्द्र, चन्द्र अरू दिनेश,
विनवत श्यामा हमेश जोरि जुगल पानी॥ जय जय०॥
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