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Narayaniyam Dashaka 90 (नारायणीयं दशक 90)
नारायणीयं दशक 90 (Narayaniyam Dashaka 90)
वृकभृगुमुनिमोहिन्यंबरीषादिवृत्ते-
ष्वयि तव हि महत्त्वं सर्वशर्वादिजैत्रम् ।
स्थितमिह परमात्मन् निष्कलार्वागभिन्नं
किमपि यदवभातं तद्धि रूपं तवैव ॥1॥
मूर्तित्रयेश्वरसदाशिवपंचकं यत्
प्राहुः परात्मवपुरेव सदाशिवोऽस्मिन् ।
तत्रेश्वरस्तु स विकुंठपदस्त्वमेव
त्रित्वं पुनर्भजसि सत्यपदे त्रिभागे ॥2॥
तत्रापि सात्त्विकतनुं तव विष्णुमाहु-
र्धाता तु सत्त्वविरलो रजसैव पूर्णः ।
सत्त्वोत्कटत्वमपि चास्ति तमोविकार-
चेष्टादिकंच तव शंकरनाम्नि मूर्तौ ॥3॥
तं च त्रिमूर्त्यतिगतं परपूरुषं त्वां
शर्वात्मनापि खलु सर्वमयत्वहेतोः ।
शंसंत्युपासनविधौ तदपि स्वतस्तु
त्वद्रूपमित्यतिदृढं बहु नः प्रमाणम् ॥4॥
श्रीशंकरोऽपि भगवान् सकलेषु ताव-
त्त्वामेव मानयति यो न हि पक्षपाती ।
त्वन्निष्ठमेव स हि नामसहस्रकादि
व्याख्यात् भवत्स्तुतिपरश्च गतिं गतोऽंते ॥5॥
मूर्तित्रयातिगमुवाच च मंत्रशास्त्र-
स्यादौ कलायसुषमं सकलेश्वरं त्वाम् ।
ध्यानं च निष्कलमसौ प्रणवे खलूक्त्वा
त्वामेव तत्र सकलं निजगाद नान्यम् ॥6॥
समस्तसारे च पुराणसंग्रहे
विसंशयं त्वन्महिमैव वर्ण्यते ।
त्रिमूर्तियुक्सत्यपदत्रिभागतः
परं पदं ते कथितं न शूलिनः ॥7॥
यत् ब्राह्मकल्प इह भागवतद्वितीय-
स्कंधोदितं वपुरनावृतमीश धात्रे ।
तस्यैव नाम हरिशर्वमुखं जगाद
श्रीमाधवः शिवपरोऽपि पुराणसारे ॥8॥
ये स्वप्रकृत्यनुगुणा गिरिशं भजंते
तेषां फलं हि दृढयैव तदीयभक्त्या।
व्यासो हि तेन कृतवानधिकारिहेतोः
स्कंदादिकेषु तव हानिवचोऽर्थवादैः ॥9॥
भूतार्थकीर्तिरनुवादविरुद्धवादौ
त्रेधार्थवादगतयः खलु रोचनार्थाः ।
स्कांदादिकेषु बहवोऽत्र विरुद्धवादा-
स्त्वत्तामसत्वपरिभूत्युपशिक्षणाद्याः ॥10॥
यत् किंचिदप्यविदुषाऽपि विभो मयोक्तं
तन्मंत्रशास्त्रवचनाद्यभिदृष्टमेव ।
व्यासोक्तिसारमयभागवतोपगीत
क्लेशान् विधूय कुरु भक्तिभरं परात्मन् ॥11॥
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Shri Jagannath Ashtakam (श्री जगन्नाथाष्टकम्)
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Sarvrup Hari Vandana (सर्वरूप हरि-वन्दन)
सर्वरूप हरि वंदना में भगवान हरि के सभी रूपों की पूजा और वंदना की जाती है। यह वंदना भगवान के सर्वशक्तिमान, निराकार, और सृष्टि के पालनहार रूपों की महिमा का वर्णन करती है। Sarvaroop Hari Vandana गाने से भक्त भगवान की अद्वितीय शक्ति, करुणा, और मंगलकारी रूप की अनुभूति करते हैं।Vandana
Shri Hari Sharanashtakam (श्री हरि शरणाष्टकम् )
Hari Sharan Ashtakam (हरि शरण अष्टकम): हरी शरण अष्टकम Lord Hari या Mahavishnu को समर्पित एक Ashtakam है। Mahabharata के Vishnu Sahasranama Stotra में "Hari" नाम Vishnu का 650वां नाम है। संस्कृत शब्द 'Sharanam' का अर्थ है Shelter। यह मंत्र हमें Hari's Shelter में लाने की प्रार्थना करता है, जो Place of Refuge है। Hari's Protection का आशीर्वाद सभी Anxieties को दूर कर देता है। Hari Sharan Ashtakam Stotra Prahlad द्वारा Lord Hari की Praise में रचित और गाया गया था। यह प्रार्थना Vishnu को Hari के रूप में समर्पित है। Hari का अर्थ है वह जो आपको True Path दिखाते हैं और उस Illusion (Maya) को दूर करते हैं जिसमें आप जी रहे हैं। यदि इस Stotra का सच्चे मन और Devotion के साथ पाठ किया जाए, तो यह व्यक्ति को Moksha (Ultimate Liberation) के मार्ग पर स्थापित कर सकता है। Hari Vedas, Guru Granth Sahib, और South Asian Sacred Texts में Supreme Absolute का एक नाम है। Rigveda's Purusha Suktam (जो Supreme Cosmic Being की Praise करता है), में Hari God (Brahman) का पहला और सबसे महत्वपूर्ण नाम है। Yajurveda's Narayan Suktam के अनुसार, Hari और Purusha के बाद Supreme Being का वैकल्पिक नाम Narayan है। Hindu Tradition में, Hari और Vishnu को एक-दूसरे के समान माना जाता है। Vedas में, किसी भी Recitation के पहले "Hari Om" Mantra का उच्चारण करने का नियम है, ताकि यह घोषित किया जा सके कि हर Ritual उस Supreme Divine को समर्पित है, भले ही वह किसी भी Demi-God की Praise क्यों न हो। Hinduism में, किसी भी God's Praise Song को "Hari Kirtan" कहा जाता है और Storytelling को "Hari Katha" के रूप में जाना जाता है।Ashtakam
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