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Narayaniyam Dashaka 76 (नारायणीयं दशक 76)
नारायणीयं दशक 76 (Narayaniyam Dashaka 76)
गत्वा सांदीपनिमथ चतुष्षष्टिमात्रैरहोभिः
सर्वज्ञस्त्वं सह मुसलिना सर्वविद्या गृहीत्वा ।
पुत्रं नष्टं यमनिलयनादाहृतं दक्षिणार्थं
दत्वा तस्मै निजपुरमगा नादयन् पांचजन्यम् ॥1॥
स्मृत्वा स्मृत्वा पशुपसुदृशः प्रेमभारप्रणुन्नाः
कारुण्येन त्वमपि विवशः प्राहिणोरुद्धवं तम् ।
किंचामुष्मै परमसुहृदे भक्तवर्याय तासां
भक्त्युद्रेकं सकलभुवने दुर्लभं दर्शयिष्यन् ॥2॥
त्वन्माहात्म्यप्रथिमपिशुनं गोकुलं प्राप्य सायं
त्वद्वार्ताभिर्बहु स रमयामास नंदं यशोदाम् ।
प्रातर्द्दृष्ट्वा मणिमयरथं शंकिताः पंकजाक्ष्यः
श्रुत्वा प्राप्तं भवदनुचरं त्यक्तकार्याः समीयुः ॥3॥
दृष्ट्वा चैनं त्वदुपमलसद्वेषभूषाभिरामं
स्मृत्वा स्मृत्वा तव विलसितान्युच्चकैस्तानि तानि ।
रुद्धालापाः कथमपि पुनर्गद्गदां वाचमूचुः
सौजन्यादीन् निजपरभिदामप्यलं विस्मरंत्यः ॥4॥
श्रीमान् किं त्वं पितृजनकृते प्रेषितो निर्दयेन
क्वासौ कांतो नगरसुदृशां हा हरे नाथ पायाः ।
आश्लेषाणाममृतवपुषो हंत ते चुंबनाना-
मुन्मादानां कुहकवचसां विस्मरेत् कांत का वा ॥5॥
रासक्रीडालुलितललितं विश्लथत्केशपाशं
मंदोद्भिन्नश्रमजलकणं लोभनीयं त्वदंगम् ।
कारुण्याब्धे सकृदपि समालिंगितुं दर्शयेति
प्रेमोन्मादाद्भुवनमदन त्वत्प्रियास्त्वां विलेपुः ॥6॥
एवंप्रायैर्विवशवचनैराकुला गोपिकास्ता-
स्त्वत्संदेशैः प्रकृतिमनयत् सोऽथ विज्ञानगर्भैः ।
भूयस्ताभिर्मुदितमतिभिस्त्वन्मयीभिर्वधूभि-
स्तत्तद्वार्तासरसमनयत् कानिचिद्वासराणि ॥7॥
त्वत्प्रोद्गानैः सहितमनिशं सर्वतो गेहकृत्यं
त्वद्वार्तैव प्रसरति मिथः सैव चोत्स्वापलापाः ।
चेष्टाः प्रायस्त्वदनुकृतयस्त्वन्मयं सर्वमेवं
दृष्ट्वा तत्र व्यमुहदधिकं विस्मयादुद्धवोऽयम् ॥8॥
राधाया मे प्रियतममिदं मत्प्रियैवं ब्रवीति
त्वं किं मौनं कलयसि सखे मानिनीमत्प्रियेव।
इत्याद्येव प्रवदति सखि त्वत्प्रियो निर्जने मा-
मित्थंवादैररमदयं त्वत्प्रियामुत्पलाक्षीम् ॥9॥
एष्यामि द्रागनुपगमनं केवलं कार्यभारा-
द्विश्लेषेऽपि स्मरणदृढतासंभवान्मास्तु खेदः ।
ब्रह्मानंदे मिलति नचिरात् संगमो वा वियोग-
स्तुल्यो वः स्यादिति तव गिरा सोऽकरोन्निर्व्यथास्ताः ॥10॥
एवं भक्ति सकलभुवने नेक्षिता न श्रुता वा
किं शास्त्रौघैः किमिह तपसा गोपिकाभ्यो नमोऽस्तु ।
इत्यानंदाकुलमुपगतं गोकुलादुद्धवं तं
दृष्ट्वा हृष्टो गुरुपुरपते पाहि मामामयौघात् ॥11॥
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Shri Vishnu Ashtottara Satanam Stotram (श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्)
श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम भगवान विष्णु के 108 पावन नामों का महत्त्वपूर्ण स्तोत्र है, जो भक्तों को सुख, समृद्धि, शांति और पापों से मुक्ति प्रदान करता है। इस स्तोत्र में भगवान के पालनकर्ता, नारायण, जनार्दन, मधुसूदन, केशव जैसे दिव्य नामों का स्मरण किया गया है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को संकटों का नाश, धन-वैभव की प्राप्ति, और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मिलता है। इस स्तोत्र का पाठ व्रत, पूजा, एकादशी और विशेष अवसरों पर करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। भगवान विष्णु के 108 नामों का जप व्यक्ति को सफलता, धार्मिक ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।Stotra
Sudarshan Kavach (श्री सुदर्शन कवच )
सुदर्शन कवच (Sudarshan Kavach) भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का महान रक्षात्मक कवच (protective shield) है। इस कवच का पाठ (recitation) करने से व्यक्ति गंभीर बीमारियों (serious illnesses), बुरी नजर (evil eye), काले जादू (black magic) आदि से सुरक्षित रहता है और उसे उत्तम स्वास्थ्य (good health) प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी (chronic disease) से पीड़ित है, जिसे उपचार (treatment) और दवाओं (medication) के बावजूद राहत नहीं मिल रही है, जिसके कारण उसे बहुत शारीरिक कष्ट (physical suffering) और पीड़ा सहनी पड़ रही है और उसका परिवार भी अत्यधिक परेशान है, तो ऐसी स्थिति में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) अवश्य करना चाहिए। इस पाठ (recitation) से गंभीर बीमारियां (serious illnesses) धीरे-धीरे ठीक होने लगती हैं और शारीरिक स्वास्थ्य (physical health) भी अच्छा बना रहता है। व्यक्ति को दीर्घायु (longevity) का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि किसी व्यक्ति के घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), बुरी नजर (evil eye), तंत्र-मंत्र (tantra-mantra) का प्रभाव, काला जादू (black magic) आदि है, जिसके कारण परिवार के सदस्यों के बीच रोज किसी न किसी बात पर झगड़े होते हैं, सभी के मन में एक-दूसरे के प्रति नाराजगी रहती है, और घर में अशांति रहती है, तो ऐसी स्थिति में सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) करने और घर में सुदर्शन यंत्र (Sudarshan Yantra) स्थापित करने से व्यक्ति और उसका परिवार सभी नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), काले जादू (black magic) आदि से सुरक्षित होने लगता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी दैनिक पूजा (daily worship) में सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) अवश्य करना चाहिए, ताकि वह भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के दिव्य आशीर्वाद (divine blessings) प्राप्त कर सके।Kavacha
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