No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Narayaniyam Dashaka 87 (नारायणीयं दशक 87)
नारायणीयं दशक 87 (Narayaniyam Dashaka 87)
कुचेलनामा भवतः सतीर्थ्यतां गतः स सांदीपनिमंदिरे द्विजः ।
त्वदेकरागेण धनादिनिस्स्पृहो दिनानि निन्ये प्रशमी गृहाश्रमी ॥1॥
समानशीलाऽपि तदीयवल्लभा तथैव नो चित्तजयं समेयुषी ।
कदाचिदूचे बत वृत्तिलब्धये रमापतिः किं न सखा निषेव्यते ॥2॥
इतीरितोऽयं प्रियया क्षुधार्तया जुगुप्समानोऽपि धने मदावहे ।
तदा त्वदालोकनकौतुकाद्ययौ वहन् पटांते पृथुकानुपायनम् ॥3॥
गतोऽयमाश्चर्यमयीं भवत्पुरीं गृहेषु शैब्याभवनं समेयिवान् ।
प्रविश्य वैकुंठमिवाप निर्वृतिं तवातिसंभावनया तु किं पुनः ॥4॥
प्रपूजितं तं प्रियया च वीजितं करे गृहीत्वाऽकथयः पुराकृतम् ।
यदिंधनार्थं गुरुदारचोदितैरपर्तुवर्ष तदमर्षि कानने ॥5॥
त्रपाजुषोऽस्मात् पृथुकं बलादथ प्रगृह्य मुष्टौ सकृदाशिते त्वया ।
कृतं कृतं नन्वियतेति संभ्रमाद्रमा किलोपेत्य करं रुरोध ते ॥6॥
भक्तेषु भक्तेन स मानितस्त्वया पुरीं वसन्नेकनिशां महासुखम् ।
बतापरेद्युर्द्रविणं विना ययौ विचित्ररूपस्तव खल्वनुग्रहः ॥7॥
यदि ह्ययाचिष्यमदास्यदच्युतो वदामि भार्यां किमिति व्रजन्नसौ ।
त्वदुक्तिलीलास्मितमग्नधीः पुनः क्रमादपश्यन्मणिदीप्रमालयम् ॥8॥
किं मार्गविभ्रंश इति भ्रंमन् क्षणं गृहं प्रविष्टः स ददर्श वल्लभाम् ।
सखीपरीतां मणिहेमभूषितां बुबोध च त्वत्करुणां महाद्भुताम् ॥9॥
स रत्नशालासु वसन्नपि स्वयं समुन्नमद्भक्तिभरोऽमृतं ययौ ।
त्वमेवमापूरितभक्तवांछितो मरुत्पुराधीश हरस्व मे गदान् ॥10॥
Related to Vishnu
Narayaniyam Dashaka 38 (नारायणीयं दशक 38)
नारायणीयं दशक 38 भगवान विष्णु के भक्तों के प्रति अनुग्रह और उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की महिमा और उनकी असीम कृपा का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 64 (नारायणीयं दशक 64)
नारायणीयं दशक 64 भगवान नारायण की महिमा और उनके दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 23 (नारायणीयं दशक 23)
नारायणीयं का तेईसवां दशक भगवान नारायण की कृपा और भक्तों की भक्ति के बारे में है। इसमें भगवान की महानता और उनकी लीला का वर्णन है। भक्तों को भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी शरण में जाने की प्रेरणा मिलती है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 42 (नारायणीयं दशक 42)
नारायणीयं दशक 42 भगवान विष्णु की कृपा और उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की अनंत कृपा और उनकी भक्तों के प्रति अद्वितीय प्रेम का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 58 (नारायणीयं दशक 58)
नारायणीयं दशक 58 भगवान नारायण की महिमा का गुणगान करता है और उनकी कृपा का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 10 (नारायणीयं दशक 10)
नारायणीयं दशक 10 में भगवान नारायण की कृपा और आशीर्वाद की अपेक्षा है। यह दशक भक्तों को भगवान के दिव्य समर्थन और संजीवनी शक्ति की विशेषता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 21 (नारायणीयं दशक 21)
नारायणीयं दशक 21 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Panchayudha Stotram (श्री पञ्चायुध स्तोत्रम्)
श्री पञ्चायुध स्तोत्रम् भगवान विष्णु के पाँच दिव्य आयुधों की महिमा का वर्णन करता है, जो बुराई का नाश करते हैं और भक्तों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।Stotra