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Narayaniyam Dashaka 94 (नारायणीयं दशक 94)
नारायणीयं दशक 94 (Narayaniyam Dashaka 94)
शुद्धा निष्कामधर्मैः प्रवरगुरुगिरा तत्स्वरूपं परं ते
शुद्धं देहेंद्रियादिव्यपगतमखिलव्याप्तमावेदयंते ।
नानात्वस्थौल्यकार्श्यादि तु गुणजवपुस्संगतोऽध्यासितं ते
वह्नेर्दारुप्रभेदेष्विव महदणुतादीप्तताशांततादि ॥1॥
आचार्याख्याधरस्थारणिसमनुमिलच्छिष्यरूपोत्तरार-
ण्यावेधोद्भासितेन स्फुटतरपरिबोधाग्निना दह्यमाने ।
कर्मालीवासनातत्कृततनुभुवनभ्रांतिकांतारपूरे
दाह्याभावेन विद्याशिखिनि च विरते त्वन्मयी खल्ववस्था ॥2॥
एवं त्वत्प्राप्तितोऽन्यो नहि खलु निखिलक्लेशहानेरुपायो
नैकांतात्यंतिकास्ते कृषिवदगदषाड्गुण्यषट्कर्मयोगाः ।
दुर्वैकल्यैरकल्या अपि निगमपथास्तत्फलान्यप्यवाप्ता
मत्तास्त्वां विस्मरंतः प्रसजति पतने यांत्यनंतान् विषादान्॥3॥
त्वल्लोकादन्यलोकः क्वनु भयरहितो यत् परार्धद्वयांते
त्वद्भीतस्सत्यलोकेऽपि न सुखवसतिः पद्मभूः पद्मनाभ ।
एवं भावे त्वधर्मार्जितबहुतमसां का कथा नारकाणां
तन्मे त्वं छिंधि बंधं वरद् कृपणबंधो कृपापूरसिंधो ॥4॥
याथार्थ्यात्त्वन्मयस्यैव हि मम न विभो वस्तुतो बंधमोक्षौ
मायाविद्यातनुभ्यां तव तु विरचितौ स्वप्नबोधोपमौ तौ ।
बद्धे जीवद्विमुक्तिं गतवति च भिदा तावती तावदेको
भुंक्ते देहद्रुमस्थो विषयफलरसान्नापरो निर्व्यथात्मा ॥5॥
जीवन्मुक्तत्वमेवंविधमिति वचसा किं फलं दूरदूरे
तन्नामाशुद्धबुद्धेर्न च लघु मनसश्शोधनं भक्तितोऽन्यत् ।
तन्मे विष्णो कृषीष्ठास्त्वयि कृतसकलप्रार्पणं भक्तिभारं
येन स्यां मंक्षु किंचिद् गुरुवचनमिलत्त्वत्प्रबोधस्त्वदात्मा ॥6॥
शब्द्ब्रह्मण्यपीह प्रयतितमनसस्त्वां न जानंति केचित्
कष्टं वंध्यश्रमास्ते चिरतरमिह गां बिभ्रते निष्प्रसूतिम् ।
यस्यां विश्वाभिरामास्सकलमलहरा दिव्यलीलावताराः
सच्चित्सांद्रं च रूपं तव न निगदितं तां न वाचं भ्रियासम् ॥7॥
यो यावान् यादृशो वा त्वमिति किमपि नैवावगच्छामि भूम्-
न्नेवंचानन्यभावस्त्वदनुभजनमेवाद्रिये चैद्यवैरिन् ।
त्वल्लिंगानां त्वदंघ्रिप्रियजनसदसां दर्शनस्पर्शनादि-
र्भूयान्मे त्वत्प्रपूजानतिनुतिगुणकर्मानुकीर्त्यादरोऽपि ॥8॥
यद्यल्लभ्येत तत्तत्तव समुपहृतं देव दासोऽस्मि तेऽहं
त्वद्गेहोन्मार्जनाद्यं भवतु मम मुहुः कर्म निर्मायमेव ।
सूर्याग्निब्राह्मणात्मादिषु लसितचतुर्बाहुमाराधये त्वां
त्वत्प्रेमार्द्रत्वरूपो मम सततमभिष्यंदतां भक्तियोगः ॥9॥
ऐक्यं ते दानहोमव्रतनियमतपस्सांख्ययोगैर्दुरापं
त्वत्संगेनैव गोप्यः किल सुकृतितमा प्रापुरानंदसांद्रम् ।
भक्तेष्वन्येषु भूयस्स्वपि बहुमनुषे भक्तिमेव त्वमासां
तन्मे त्वद्भक्तिमेव द्रढय हर गदान् कृष्ण वातालयेश ॥10॥
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Sudarshan Kavach (श्री सुदर्शन कवच )
सुदर्शन कवच (Sudarshan Kavach) भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का महान रक्षात्मक कवच (protective shield) है। इस कवच का पाठ (recitation) करने से व्यक्ति गंभीर बीमारियों (serious illnesses), बुरी नजर (evil eye), काले जादू (black magic) आदि से सुरक्षित रहता है और उसे उत्तम स्वास्थ्य (good health) प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी (chronic disease) से पीड़ित है, जिसे उपचार (treatment) और दवाओं (medication) के बावजूद राहत नहीं मिल रही है, जिसके कारण उसे बहुत शारीरिक कष्ट (physical suffering) और पीड़ा सहनी पड़ रही है और उसका परिवार भी अत्यधिक परेशान है, तो ऐसी स्थिति में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) अवश्य करना चाहिए। इस पाठ (recitation) से गंभीर बीमारियां (serious illnesses) धीरे-धीरे ठीक होने लगती हैं और शारीरिक स्वास्थ्य (physical health) भी अच्छा बना रहता है। व्यक्ति को दीर्घायु (longevity) का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि किसी व्यक्ति के घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), बुरी नजर (evil eye), तंत्र-मंत्र (tantra-mantra) का प्रभाव, काला जादू (black magic) आदि है, जिसके कारण परिवार के सदस्यों के बीच रोज किसी न किसी बात पर झगड़े होते हैं, सभी के मन में एक-दूसरे के प्रति नाराजगी रहती है, और घर में अशांति रहती है, तो ऐसी स्थिति में सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) करने और घर में सुदर्शन यंत्र (Sudarshan Yantra) स्थापित करने से व्यक्ति और उसका परिवार सभी नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), काले जादू (black magic) आदि से सुरक्षित होने लगता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी दैनिक पूजा (daily worship) में सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) अवश्य करना चाहिए, ताकि वह भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के दिव्य आशीर्वाद (divine blessings) प्राप्त कर सके।Kavacha
Shri Vishnu Ji Vandana (श्री विष्णु-वन्दना)
श्री विष्णु वंदना भगवान विष्णु की पूजा और वंदना का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जिसमें भगवान के पालक, रक्षक, और सृष्टि के संरक्षणकर्ता रूप की महिमा का गुणगान किया जाता है। विष्णु जी को धर्म, समृद्धि, और शांति के देवता माना जाता है।Vandana
Narayaniyam Dashaka 5 (नारायणीयं दशक 5)
नारायणीयं दशक 5 में भगवान नारायण के लीलाओं की विस्तृत व्याख्या की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के मार्गदर्शन और उनके विचारों को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Vishnu Sahasranama Stotram (विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम्)
विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम् भगवान Vishnu के 1000 divine names का संग्रह है, जो उनकी महिमा और eternal power को दर्शाता है। इसे Hindu scriptures में सबसे powerful और sacred chants माना गया है। इस स्तोत्र के पाठ से भक्तों को peace, prosperity और spiritual enlightenment प्राप्त होता है। Lord Vishnu की स्तुति troubles, negativity और karmic obstacles को दूर करती है। यह स्तोत्र life में positivity, divine blessings और protection का मार्ग प्रशस्त करता है।Sahasranama-Stotram
Shri Dashavatar rupahari-Vandana (श्रीदशावतार रूपहरि-वन्दना)
श्री दशावतार रूपहारी वंदना भगवान विष्णु के दस दिव्य अवतारों की स्तुति है। इसमें मत्स्य से लेकर कल्कि तक सभी अवतारों की महिमा, उनके रूप और कार्यों का वर्णन किया गया है। यह वंदना भक्ति, धर्म और आदर्श जीवन मूल्यों की प्रेरणा देती है।Vandana
Shri Vishnu Chalisa (श्री विष्णु चालीसा)
विष्णु चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान विष्णु पर आधारित है। हिन्दू मान्यतानुसार भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक हैं। Vishnu Chalisa का पाठ विशेष रूप से Vaikuntha Ekadashi और अन्य पूजा अवसरों पर किया जाता है। यह divine protection और blessings प्राप्त करने का एक अत्यंत शक्तिशाली साधन है। Vishnu mantra जीवन में peace और spiritual growth को बढ़ावा देता है।Chalisa
Dashaavatara Stotram (दशावतार स्तोत्रम्)
दशावतार स्तोत्रम् भगवान Vishnu के दस अवतारों की महिमा का वर्णन करता है, जो "Preserver of Universe" और "Supreme Protector" के रूप में पूजित हैं। यह स्तोत्रम् भक्तों को भगवान के Matsya, Kurma, Varaha, Narasimha, Vamana, Parashurama, Rama, Krishna, Buddha, और Kalki अवतारों के दिव्य कार्यों और उनके उद्देश्यों की याद दिलाता है। प्रत्येक अवतार पृथ्वी पर धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए अवतरित हुआ है। यह स्तोत्रम् "Divine Chant for Vishnu Avatars" और "Evil Destroyer Hymn" के रूप में लोकप्रिय है। दशावतार स्तोत्रम् का नियमित पाठ "Spiritual Devotion" और "Positive Energy Mantra" के रूप में लाभकारी माना जाता है। भगवान Vishnu के इन अवतारों की स्तुति से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है। इसे "Vishnu Avatars Prayer" और "Hymn of Divine Incarnations" के रूप में पढ़ने से आध्यात्मिक जागरूकता और भक्तिभाव को बढ़ावा मिलता है।Stotra
Narayaniyam Dashaka 42 (नारायणीयं दशक 42)
नारायणीयं दशक 42 भगवान विष्णु की कृपा और उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की अनंत कृपा और उनकी भक्तों के प्रति अद्वितीय प्रेम का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka