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Uddhava Gita - Chapter 2 (उद्धवगीता - द्वितीयोऽध्यायः)
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Bhagavad Gita Sixteenth Chapter (भगवत गीता सोलहवाँ अध्याय)
भगवद गीता सोलहवाँ अध्याय "दैवासुर सम्पद विभाग योग" है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण दैवी (सद्गुण) और आसुरी (दुर्गुण) स्वभाव का वर्णन करते हैं। वे बताते हैं कि दैवी गुण से व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है और आसुरी गुण से बंधन में फंसता है। यह अध्याय "सद्गुणों की महिमा", "दुर्गुणों का परित्याग", और "सही जीवनशैली" पर आधारित है।Bhagwat-Gita
Panduranga Ashtkam (श्री पांडुरंग अष्टकम्)
श्री पांडुरंग अष्टकम् भगवान विट्ठल की स्तुति करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को पांडुरंग की कृपा और भक्ति का अनुभव करने में मदद करता है।Ashtakam
Murari Stuti (मुरारि स्तुति)
Shri Murari Stuti (मुरारि स्तुति) का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय peaceful और spiritual atmosphere में करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसे Shri Krishna की idol या image के सामने बैठकर गाया जा सकता है। पाठ करने से पहले मन को शांत करें और Lord Krishna के divine form का ध्यान करें। भक्त इसे soft voice में या with music भी गा सकते हैं। Murari Stuti का गायन करने से भक्तों के हृदय में deep devotion और love for Lord Krishna उत्पन्न होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तुति का नियमित recitation करने से व्यक्ति को mental peace मिलती है और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह स्तुति positive energy को बढ़ाती है और व्यक्ति को spiritual path पर प्रेरित करती है। जो भक्त regularly इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन से अनेक प्रकार के sufferings दूर हो जाते हैं और वे divine grace प्राप्त करते हैं।Stuti
Uddhava Gita - Chapter 9 (उद्धवगीता - नवमोऽध्यायः)
उद्धवगीता के नवमोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में सृष्टि और उसके रहस्यों पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Govinda Damodar Stotram (गोविन्द दामोदर स्तोत्रम्)
गोविन्द दामोदर स्तोत्रम् (Govinda Damodar Stotram) गोविन्द दामोदर स्तोत्रम् (लघु) करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् । वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव । जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 1 विक्रेतुकामाखिलगोपकन्या मुरारिपादार्पितचित्तवृत्तिः । दध्यादिकं मोहवशादवोचत् गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 2 गृहे गृहे गोपवधूकदम्बाः सर्वे मिलित्वा समवाप्य योगम् । पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 3 सुखं शयाना निलये निजेऽपि नामानि विष्णोः प्रवदन्ति मर्त्याः । ते निश्चितं तन्मयतां व्रजन्ति गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 4 जिह्वे सदैवं भज सुन्दराणि नामानि कृष्णस्य मनोहराणि । समस्त भक्तार्तिविनाशनानि गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 5 सुखावसाने इदमेव सारं दुःखावसाने इदमेव ज्ञेयम् । देहावसाने इदमेव जाप्यं गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 6 जिह्वे रसज्ञे मधुरप्रिये त्वं सत्यं हितं त्वां परमं वदामि । अवर्णयेथा मधुराक्षराणि गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 7 त्वामेव याचे मम देहि जिह्वे समागते दण्डधरे कृतान्ते । वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 8 श्रीकृष्ण राधावर गोकुलेश गोपाल गोवर्धननाथ विष्णो । जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 9Stotra
Venu Gopala Ashtakam (वेणु गोपाल अष्टकम्)
वेणु गोपाल अष्टकम् भगवान कृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि की स्तुति करने वाला एक अद्वितीय स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को गोपाल की बांसुरी की धुन और उनकी महिमा का अनुभव करने में मदद करता है।Ashtakam
Govinda Damodara Stotram (गोविंद दामोदर स्तोत्रम्)
गोविंद दामोदर स्तोत्रम् भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को गोविंद, दामोदर और माधव के नामों की महिमा का अनुभव करने में मदद करता है।Stotra
Shri Krishna Sharanam mam (श्रीकृष्णः शरणं मम)
श्री कृष्ण शरणम मम: भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी और वसुदेव के घर हुआ था, और उन्हें वृंदावन में नंद और यशोदा ने पाल-पोसा। चंचल और शरारती भगवान श्री कृष्ण की पूजा विशेष रूप से उनकी बाल्य और युवावस्था की रूप में की जाती है, जो भारत और विदेशों में व्यापक रूप से प्रचलित है। श्री कृष्ण शरणम मम: का उच्चारण करके भक्त भगवान श्री कृष्ण की शरण में आते हैं, यह मंत्र श्री कृष्ण की कृपा और संरक्षण प्राप्त करने का एक प्रमुख उपाय माना जाता है।Stotra