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Bhagavad Gita Chapter 5: Karma Yoga in Hindi-English | भगवद गीता अध्याय 5: कर्म योग
Bhagavad Gita sixth chapter (भगवद गीता छठा अध्याय)
भगवद गीता छठा अध्याय "ध्यान योग" के रूप में जाना जाता है। इस अध्याय में भगवान कृष्ण ध्यान और आत्म-संयम के महत्व पर जोर देते हैं। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति मन और इंद्रियों को वश में रखकर ध्यान करता है, वही सच्चा योगी है। यह अध्याय हमें "ध्यान योग", "मन का नियंत्रण", और "आध्यात्मिक उन्नति" के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।Page no.
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Bhagavad Gita second chapter (भगवद गीता दूसरा अध्याय)
भगवद गीता के दूसरे अध्याय का नाम "सांख्य योग" या "ज्ञान का योग" है। यह अध्याय गीता का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है, क्योंकि इसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को जीवन, कर्तव्य और आत्मा के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान देते हैं। श्रीकृष्ण अर्जुन को आत्मा की अमरता, कर्मयोग का महत्व और समभाव बनाए रखने की शिक्षा देते हैं। यह अध्याय जीवन में सही दृष्टिकोण अपनाने और अपने धर्म का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।Bhagwat-Gita
Santana Gopala Stotram (संतान गोपाल स्तोत्रम्)
संतान गोपाल स्तोत्रम् भगवान कृष्ण की स्तुति करने वाला एक विशेष स्तोत्र है। यह स्तोत्र विशेष रूप से संतान की प्राप्ति के लिए गाया जाता है और भक्तों को गोपाल की कृपा का अनुभव करने में मदद करता है।Stotra
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 7 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - सप्तमोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के सप्तमोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को भक्ति योग और ईश्वर की अद्वितीयता के बारे में समझाया है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Nanda Kumar Ashtkam (नंद कुमार अष्टकम्)
नंद कुमार अष्टकम् भगवान कृष्ण के बाल रूप की स्तुति करने वाला एक विशेष स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को बाल कृष्ण की लीलाओं और उनकी महिमा का वर्णन करने में मदद करता है।Ashtakam
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 15 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - पंचदशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता का पंचदशो अध्याय पुरुषोत्तम योग के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण परम पुरुष और आध्यात्मिक ज्ञान की महिमा का वर्णन करते हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Shri Krishna Sharanam mam (श्रीकृष्णः शरणं मम)
श्री कृष्ण शरणम मम: भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी और वसुदेव के घर हुआ था, और उन्हें वृंदावन में नंद और यशोदा ने पाल-पोसा। चंचल और शरारती भगवान श्री कृष्ण की पूजा विशेष रूप से उनकी बाल्य और युवावस्था की रूप में की जाती है, जो भारत और विदेशों में व्यापक रूप से प्रचलित है। श्री कृष्ण शरणम मम: का उच्चारण करके भक्त भगवान श्री कृष्ण की शरण में आते हैं, यह मंत्र श्री कृष्ण की कृपा और संरक्षण प्राप्त करने का एक प्रमुख उपाय माना जाता है।Stotra
Bhagavad Gita Eleventh Chapter (भगवद गीता ग्यारहवाँ अध्याय)
भगवद गीता ग्यारहवां अध्याय "विश्व रूप दर्शन योग" है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विश्वरूप दिखाया, जिसमें उन्होंने अपने संपूर्ण ब्रह्मांडीय स्वरूप का दर्शन कराया। यह अध्याय भगवान की महानता और असीम शक्ति को प्रकट करता है।Bhagwat-Gita
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 12 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - द्वादशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के द्वादशोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को भक्ति योग की महत्ता और इसके साधनों के बारे में समझाया है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan