No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Venu Gopala Ashtakam (वेणु गोपाल अष्टकम्)
वेणु गोपाल अष्टकम् (Venu Gopala Ashtakam)
कलितकनकचेलं खंडितापत्कुचेलं
गलधृतवनमालं गर्वितारातिकालम् ।
कलिमलहरशीलं कांतिधूतेंद्रनीलं
विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ 1 ॥
व्रजयुवतिविलोलं वंदनानंदलोलं
करधृतगुरुशैलं कंजगर्भादिपालम् ।
अभिमतफलदानं श्रीजितामर्त्यसालं
विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ 2 ॥
घनतरकरुणाश्रीकल्पवल्ल्यालवालं
कलशजलधिकन्यामोदकश्रीकपोलम् ।
प्लुषितविनतलोकानंतदुष्कर्मतूलं
विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ 3 ॥
शुभदसुगुणजालं सूरिलोकानुकूलं
दितिजततिकरालं दिव्यदारायितेलम् ।
मृदुमधुरवचःश्री दूरितश्रीरसालं
विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ 4 ॥
मृगमदतिलकश्रीमेदुरस्वीयफालं
जगदुदयलयस्थित्यात्मकात्मीयखेलम् ।
सकलमुनिजनालीमानसांतर्मरालं
विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ 5 ॥
असुरहरणखेलनं नंदकोत्क्षेपलीलं
विलसितशरकालं विश्वपूर्णांतरालम् ।
शुचिरुचिरयशश्श्रीधिक्कृत श्रीमृणालं
विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ 6 ॥
स्वपरिचरणलब्ध श्रीधराशाधिपालं
स्वमहिमलवलीलाजातविध्यंडगोलम् ।
गुरुतरभवदुःखानीक वाःपूरकूलं
विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ 7 ॥
चरणकमलशोभापालित श्रीप्रवालं
सकलसुकृतिरक्षादक्षकारुण्य हेलम् ।
रुचिविजिततमालं रुक्मिणीपुण्यमूलं
विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ 8 ॥
श्रीवेणुगोपाल कृपालवालां
श्रीरुक्मिणीलोलसुवर्णचेलाम् ।
कृतिं मम त्वं कृपया गृहीत्वा
स्रजं यथा मां कुरु दुःखदूरम् ॥ 9 ॥
इति श्री वेणुगोपालाष्टकम् ।
Related to Krishna
Shri Krishna Ashtakam (श्री कृष्णाष्टकम्)
श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। पुराणों के अनुसार इनका जन्म द्वापर युग में माना गया है। भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए लोग उनकी पूजा करते है उन्हे माखन खिलाते है। इन्हे श्रीकृष्ण अष्टकम् का पाठ करके भी प्रसन्न किया जा सकता है। रोज श्रीकृष्ण अष्टकम पढ़ने पर विशेष पुण्य लाभ मिलता है। भगवान के इस पाठ को करने वाले मनुष्य का जीवन में कभी कोई कार्य नहीं रुकता और उसे हमेशा विजय की प्राप्ति होती है। नियमित रूप से यदि कोई व्यक्ति श्रीकृष्ण अष्टकम् का पाठ करता है तो भगवान उस पर अपनी कृपा दृष्टी बनाएं रखते है और वह हमेशा विजयी रहता है।Ashtakam
Uddhava Gita - Chapter 9 (उद्धवगीता - नवमोऽध्यायः)
उद्धवगीता के नवमोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में सृष्टि और उसके रहस्यों पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Murari Stuti (मुरारि स्तुति)
Shri Murari Stuti (मुरारि स्तुति) का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय peaceful और spiritual atmosphere में करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसे Shri Krishna की idol या image के सामने बैठकर गाया जा सकता है। पाठ करने से पहले मन को शांत करें और Lord Krishna के divine form का ध्यान करें। भक्त इसे soft voice में या with music भी गा सकते हैं। Murari Stuti का गायन करने से भक्तों के हृदय में deep devotion और love for Lord Krishna उत्पन्न होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तुति का नियमित recitation करने से व्यक्ति को mental peace मिलती है और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह स्तुति positive energy को बढ़ाती है और व्यक्ति को spiritual path पर प्रेरित करती है। जो भक्त regularly इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन से अनेक प्रकार के sufferings दूर हो जाते हैं और वे divine grace प्राप्त करते हैं।Stuti
Uddhava Gita - Chapter 2 (उद्धवगीता - द्वितीयोऽध्यायः)
उद्धवगीता के द्वितीयोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की चर्चा का विस्तार होता है, जिसमें भक्तियोग और ज्ञानयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है।Uddhava-Gita
Bhagavad Gita second chapter (भगवद गीता दूसरा अध्याय)
भगवद गीता के दूसरे अध्याय का नाम "सांख्य योग" या "ज्ञान का योग" है। यह अध्याय गीता का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है, क्योंकि इसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को जीवन, कर्तव्य और आत्मा के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान देते हैं। श्रीकृष्ण अर्जुन को आत्मा की अमरता, कर्मयोग का महत्व और समभाव बनाए रखने की शिक्षा देते हैं। यह अध्याय जीवन में सही दृष्टिकोण अपनाने और अपने धर्म का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।Bhagwat-Gita
Nanda Kumar Ashtkam (नंद कुमार अष्टकम्)
नंद कुमार अष्टकम् भगवान कृष्ण के बाल रूप की स्तुति करने वाला एक विशेष स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को बाल कृष्ण की लीलाओं और उनकी महिमा का वर्णन करने में मदद करता है।Ashtakam
Bhagavad Gita fourth chapter (भगवद गीता चौथा अध्याय)
भगवद गीता चौथा अध्याय "ज्ञान-कर्म-संन्यास योग" के रूप में जाना जाता है। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ज्ञान, कर्म, और संन्यास के महत्व को समझाते हैं। वे बताते हैं कि कैसे ईश्वर के प्रति समर्पण और सच्चे ज्ञान के साथ किया गया कर्म आत्मा को शुद्ध करता है। श्रीकृष्ण यह भी समझाते हैं कि उन्होंने यह ज्ञान समय-समय पर संतों और भक्तों को प्रदान किया है। यह अध्याय हमें सिखाता है कि "निष्काम कर्म" और "आध्यात्मिक ज्ञान" के बीच सामंजस्य कैसे स्थापित करें।Bhagwat-Gita
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 12 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - द्वादशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के द्वादशोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को भक्ति योग की महत्ता और इसके साधनों के बारे में समझाया है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan