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श्रीमद भगवद गीता: गीता अध्याय 3 | Gita Adhyay 3 - कर्म योग
Bhagwat Gita third chapter (भगवद गीता तीसरा अध्याय)
भगवद गीता के इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण कर्म के महत्व को समझाते हैं और बताते हैं कि मनुष्य को क्यों और कैसे संसार में कार्य करना चाहिए। वे कहते हैं कि सही ढंग से कर्म करने से मन और बुद्धि शुद्ध होती हैं और मिथ्या आसक्तियों से मुक्त हो जाती हैं। इससे आत्मज्ञान प्राप्त करने की क्षमता विकसित होती है, जिसकी शिक्षा पिछले अध्याय में दी गई थी।Page no.
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Uddhava Gita - Chapter 11 (उद्धवगीता - एकादशोऽध्यायः)
उद्धवगीता के एकादशोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में आत्मज्ञान और ध्यान की विधियों पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Bhagavad Gita fourth chapter (भगवद गीता चौथा अध्याय)
भगवद गीता चौथा अध्याय "ज्ञान-कर्म-संन्यास योग" के रूप में जाना जाता है। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ज्ञान, कर्म, और संन्यास के महत्व को समझाते हैं। वे बताते हैं कि कैसे ईश्वर के प्रति समर्पण और सच्चे ज्ञान के साथ किया गया कर्म आत्मा को शुद्ध करता है। श्रीकृष्ण यह भी समझाते हैं कि उन्होंने यह ज्ञान समय-समय पर संतों और भक्तों को प्रदान किया है। यह अध्याय हमें सिखाता है कि "निष्काम कर्म" और "आध्यात्मिक ज्ञान" के बीच सामंजस्य कैसे स्थापित करें।Bhagwat-Gita
Krishna Sahasranama Stotram (कृष्ण सहस्रनाम स्तोत्रम्)
श्री कृष्ण सहस्त्रनाम का पाठ ऐसा पाठ है जिसे करने से मनुष्य भयंकर रोग से, हर प्रकार के कर्ज से, हर प्रकार की चिंता, अवसाद आदि से मुक्ति पा सकता है। श्री कृष्ण सहस्त्रनाम के पाठ से मनुष्य के घर-परिवार में शांति रहती है, शत्रु का नाश होता है, सौभाग्य में वृद्धि होती है, अपार धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।Sahasranama-Stotram
Bhagavad Gita Fourteenth Chapter (भगवत गीता चौदहवाँ अध्याय)
भगवद गीता चौदहवाँ अध्याय "गुणत्रय विभाग योग" के रूप में जाना जाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण सत्व, रजस, और तमस नामक तीन गुणों का विस्तार से वर्णन करते हैं। वे बताते हैं कि इन गुणों का संतुलन ही व्यक्ति के जीवन को नियंत्रित करता है। यह अध्याय "गुणों का प्रभाव", "सत्वगुण की महिमा", और "आध्यात्मिक उन्नति" पर आधारित है।Bhagwat-Gita
Shri Krishna Ashtottara Sata Nama Stotram (श्री कृष्ण अष्टोत्तर शतनामस्तोत्रम्)
श्री कृष्ण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् (Shri Krishna Ashtottara Sata Nama Stotram) भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) के 108 पवित्र नामों का वर्णन करता है, जो भक्तों (devotees) को सुख, शांति और समृद्धि (happiness, peace, and prosperity) प्रदान करता है। यह स्तोत्रम् असुर शक्तियों (evil forces) से बचाने और नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) को दूर करने में सहायक है। गोविंद, मुकुंद, माधव (Govinda, Mukunda, Madhava) जैसे पवित्र नामों का जप करने से आध्यात्मिक उन्नति (spiritual growth) और पापों से मुक्ति (freedom from sins) प्राप्त होती है। यह ईश्वरीय अनुग्रह (divine grace) पाने और जीवन में सफलता (success in life) के लिए अत्यंत फलदायी है। श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) के नाम स्मरण से कलियुग के दोषों (Kali Yuga Dosha) से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।Stotra
Murari Stuti (मुरारि स्तुति)
Shri Murari Stuti (मुरारि स्तुति) का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय peaceful और spiritual atmosphere में करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसे Shri Krishna की idol या image के सामने बैठकर गाया जा सकता है। पाठ करने से पहले मन को शांत करें और Lord Krishna के divine form का ध्यान करें। भक्त इसे soft voice में या with music भी गा सकते हैं। Murari Stuti का गायन करने से भक्तों के हृदय में deep devotion और love for Lord Krishna उत्पन्न होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तुति का नियमित recitation करने से व्यक्ति को mental peace मिलती है और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह स्तुति positive energy को बढ़ाती है और व्यक्ति को spiritual path पर प्रेरित करती है। जो भक्त regularly इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन से अनेक प्रकार के sufferings दूर हो जाते हैं और वे divine grace प्राप्त करते हैं।Stuti
Gita Govindam Shashtah sargah - Kunth Vaikunthah (गीतगोविन्दं षष्टः सर्गः - कुण्ठ वैकुण्ठः)
गीतगोविन्दं के षष्ट सर्ग में कुण्ठ वैकुण्ठः का वर्णन किया गया है। यह खंड राधा और कृष्ण के बीच की कठिनाइयों और उनके प्रेम की परीक्षा को दर्शाता है।Gita-Govindam
Shri Narayana Ashtakam stotra (श्रीनारायणाष्टकम्)
श्री नारायण अष्टकम् (Shri Narayan Ashtakam): हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार, नियमित रूप से श्री नारायण अष्टकम् का जप करना भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे प्रभावशाली उपाय है। जो लोग भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।Stotra