No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Narayaniyam Dashaka 75 (नारायणीयं दशक 75)
नारायणीयं दशक 75 (Narayaniyam Dashaka 75)
प्रातः संत्रस्तभोजक्षितिपतिवचसा प्रस्तुते मल्लतूर्ये
संघे राज्ञां च मंचानभिययुषि गते नंदगोपेऽपि हर्म्यम् ।
कंसे सौधाधिरूढे त्वमपि सहबलः सानुगश्चारुवेषो
रंगद्वारं गतोऽभूः कुपितकुवलयापीडनागावलीढम् ॥1॥
पापिष्ठापेहि मार्गाद्द्रुतमिति वचसा निष्ठुरक्रुद्धबुद्धे-
रंबष्ठस्य प्रणोदादधिकजवजुषा हस्तिना गृह्यमाणः ।
केलीमुक्तोऽथ गोपीकुचकलशचिरस्पर्धिनं कुंभमस्य
व्याहत्यालीयथास्त्वं चरणभुवि पुनर्निर्गतो वल्गुहासी ॥2॥
हस्तप्राप्योऽप्यगम्यो झटिति मुनिजनस्येव धावन् गजेंद्रं
क्रीडन्नापात्य भूमौ पुनरभिपततस्तस्य दंतं सजीवम् ।
मूलादुन्मूल्य तन्मूलगमहितमहामौक्तिकान्यात्ममित्रे
प्रादास्त्वं हारमेभिर्ललितविरचितं राधिकायै दिशेति ॥3॥
गृह्णानं दंतमंसे युतमथ हलिना रंगमंगाविशंतं
त्वां मंगल्यांगभंगीरभसहृतमनोलोचना वीक्ष्य लोकाः ।
हंहो धन्यो हि नंदो नहि नहि पशुपालांगना नो यशोदा
नो नो धन्येक्षणाः स्मस्त्रिजगति वयमेवेति सर्वे शशंसुः ॥4॥
पूर्णं ब्रह्मैव साक्षान्निरवधि परमानंदसांद्रप्रकाशं
गोपेशु त्वं व्यलासीर्न खलु बहुजनैस्तावदावेदितोऽभूः ।
दृष्ट्वाऽथ त्वां तदेदंप्रथममुपगते पुण्यकाले जनौघाः
पूर्णानंदा विपापाः सरसमभिजगुस्त्वत्कृतानि स्मृतानि ॥5॥
चाणूरो मल्लवीरस्तदनु नृपगिरा मुष्टिको मुष्टिशाली
त्वां रामं चाभिपेदे झटझटिति मिथो मुष्टिपातातिरूक्षम् ।
उत्पातापातनाकर्षणविविधरणान्यासतां तत्र चित्रं
मृत्योः प्रागेव मल्लप्रभुरगमदयं भूरिशो बंधमोक्षान् ॥6॥
हा धिक् कष्टं कुमारौ सुललितवपुषौ मल्लवीरौ कठोरौ
न द्रक्ष्यामो व्रजामस्त्वरितमिति जने भाषमाणे तदानीम् ।
चाणूरं तं करोद्भ्रामणविगलदसुं पोथयामासिथोर्व्यां
पिष्टोऽभून्मुष्टिकोऽपि द्रुतमथ हलिना नष्टशिष्टैर्दधावे ॥7॥
कंस संवार्य तूर्यं खलमतिरविदन् कार्यमार्यान् पितृंस्ता-
नाहंतुं व्याप्तमूर्तेस्तव च समशिषद्दूरमुत्सारणाय ।
रुष्टो दुष्टोक्तिभिस्त्वं गरुड इव गिरिं मंचमंचन्नुदंचत्-
खड्गव्यावल्गदुस्संग्रहमपि च हठात् प्राग्रहीरौग्रसेनिम् ॥8॥
सद्यो निष्पिष्टसंधिं भुवि नरपतिमापात्य तस्योपरिष्टा-
त्त्वय्यापात्ये तदैव त्वदुपरि पतिता नाकिनां पुष्पवृष्टिः ।
किं किं ब्रूमस्तदानीं सततमपि भिया त्वद्गतात्मा स भेजे
सायुज्यं त्वद्वधोत्था परम परमियं वासना कालनेमेः ॥9॥
तद्भ्रातृनष्ट पिष्ट्वा द्रुतमथ पितरौ सन्नमन्नुग्रसेनं
कृत्वा राजानमुच्चैर्यदुकुलमखिलं मोदयन् कामदानैः ।
भक्तानामुत्तमं चोद्धवममरगुरोराप्तनीतिं सखायं
लब्ध्वा तुष्टो नगर्यां पवनपुरपते रुंधि मे सर्वरोगान् ॥10॥
Related to Vishnu
Narayaniyam Dashaka 81 (नारायणीयं दशक 81)
नारायणीयं का इक्यासीवां दशक भगवान विष्णु की असीम कृपा और उनके भक्तों के प्रति उनके अनुग्रह का वर्णन करता है। इस दशक में भगवान की कृपा और उनके भक्तों के प्रति उनके प्रेम की महिमा की गई है। भक्त भगवान की अनंत कृपा और उनकी दिव्यता का अनुभव करते हैं।Narayaniyam-Dashaka
Vishnu Ji Mantra (विष्णु मंत्र)
भगवान विष्णु के मंत्र इतने शक्तिशाली हैं कि जो इन मंत्रों का जाप करता है उस व्यक्ति के चारों ओर एक शक्तिशाली सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और वह जातक चमत्कारी परिवर्तनों को महसूस कर सकता है।Mantra
Narayaniyam Dashaka 37 (नारायणीयं दशक 37)
नारायणीयं दशक 37 भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों और उनके द्वारा किए गए अद्भुत कार्यों का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की महिमा और उनकी असीम कृपा का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 18 (नारायणीयं दशक 18)
नारायणीयं दशक 18 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 39 (नारायणीयं दशक 39)
नारायणीयं दशक 39 भगवान विष्णु के अनंत अनुग्रह और उनकी दिव्य कृपा का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की महिमा और उनकी अद्भुत लीलाओं का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Dashaavatara Stotram (दशावतार स्तोत्रम्)
दशावतार स्तोत्रम् भगवान Vishnu के दस अवतारों की महिमा का वर्णन करता है, जो "Preserver of Universe" और "Supreme Protector" के रूप में पूजित हैं। यह स्तोत्रम् भक्तों को भगवान के Matsya, Kurma, Varaha, Narasimha, Vamana, Parashurama, Rama, Krishna, Buddha, और Kalki अवतारों के दिव्य कार्यों और उनके उद्देश्यों की याद दिलाता है। प्रत्येक अवतार पृथ्वी पर धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए अवतरित हुआ है। यह स्तोत्रम् "Divine Chant for Vishnu Avatars" और "Evil Destroyer Hymn" के रूप में लोकप्रिय है। दशावतार स्तोत्रम् का नियमित पाठ "Spiritual Devotion" और "Positive Energy Mantra" के रूप में लाभकारी माना जाता है। भगवान Vishnu के इन अवतारों की स्तुति से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है। इसे "Vishnu Avatars Prayer" और "Hymn of Divine Incarnations" के रूप में पढ़ने से आध्यात्मिक जागरूकता और भक्तिभाव को बढ़ावा मिलता है।Stotra
Narayan Suktam (नारायण सूक्तम्)
नारायण सूक्तम्: यह वेदों में भगवान नारायण को समर्पित एक सूक्त है।Sukt
Narayaniyam Dashaka 93 (नारायणीयं दशक 93)
नारायणीयं दशक 93 भगवान विष्णु के अवतारों और उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है। यह अध्याय भक्तों को भगवान के अनंत रूपों और लीलाओं के प्रति श्रद्धा से भर देता है।Narayaniyam-Dashaka