No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Narayaniyam Dashaka 74 (नारायणीयं दशक 74)
नारायणीयं दशक 74 (Narayaniyam Dashaka 74)
संप्राप्तो मथुरां दिनार्धविगमे तत्रांतरस्मिन् वस-
न्नारामे विहिताशनः सखिजनैर्यातः पुरीमीक्षितुम् ।
प्रापो राजपथं चिरश्रुतिधृतव्यालोककौतूहल-
स्त्रीपुंसोद्यदगण्यपुण्यनिगलैराकृष्यमाणो नु किम् ॥1॥
त्वत्पादद्युतिवत् सरागसुभगाः त्वन्मूर्तिवद्योषितः
संप्राप्ता विलसत्पयोधररुचो लोला भवत् दृष्टिवत् ।
हारिण्यस्त्वदुरःस्थलीवदयि ते मंदस्मितप्रौढिव-
न्नैर्मल्योल्लसिताः कचौघरुचिवद्राजत्कलापाश्रिताः ॥2॥
तासामाकलयन्नपांगवलनैर्मोदं प्रहर्षाद्भुत-
व्यालोलेषु जनेषु तत्र रजकं कंचित् पटीं प्रार्थयन् ।
कस्ते दास्यति राजकीयवसनं याहीति तेनोदितः
सद्यस्तस्य करेण शीर्षमहृथाः सोऽप्याप पुण्यां गतिम् ॥3॥
भूयो वायकमेकमायतमतिं तोषेण वेषोचितं
दाश्वांसं स्वपदं निनेथ सुकृतं को वेद जीवात्मनाम् ।
मालाभिः स्तबकैः स्तवैरपि पुनर्मालाकृता मानितो
भक्तिं तेन वृतां दिदेशिथ परां लक्ष्मीं च लक्ष्मीपते ॥4॥
कुब्जामब्जविलोचनां पथिपुनर्दृष्ट्वाऽंगरागे तया
दत्ते साधु किलांगरागमददास्तस्या महांतं हृदि ।
चित्तस्थामृजुतामथ प्रथयितुं गात्रेऽपि तस्याः स्फुटं
गृह्णन् मंजु करेण तामुदनयस्तावज्जगत्सुंदरीम् ॥5॥
तावन्निश्चितवैभवास्तव विभो नात्यंतपापा जना
यत्किंचिद्ददते स्म शक्त्यनुगुणं तांबूलमाल्यादिकम् ।
गृह्णानः कुसुमादि किंचन तदा मार्गे निबद्धांजलि-
र्नातिष्ठं बत हा यतोऽद्य विपुलामार्तिं व्रजामि प्रभो ॥6॥
एष्यामीति विमुक्तयाऽपि भगवन्नालेपदात्र्या तया
दूरात् कातरया निरीक्षितगतिस्त्वं प्राविशो गोपुरम् ।
आघोषानुमितत्वदागममहाहर्षोल्ललद्देवकी-
वक्षोजप्रगलत्पयोरसमिषात्त्वत्कीर्तिरंतर्गता ॥7॥
आविष्टो नगरीं महोत्सववतीं कोदंडशालां व्रजन्
माधुर्येण नु तेजसा नु पुरुषैर्दूरेण दत्तांतरः ।
स्रग्भिर्भूषितमर्चितं वरधनुर्मा मेति वादात् पुरः
प्रागृह्णाः समरोपयः किल समाक्राक्षीरभांक्षीरपि ॥8॥
श्वः कंसक्षपणोत्सवस्य पुरतः प्रारंभतूर्योपम-
श्चापध्वंसमहाध्वनिस्तव विभो देवानरोमांचयत् ।
कंसस्यापि च वेपथुस्तदुदितः कोदंडखंडद्वयी-
चंडाभ्याहतरक्षिपूरुषरवैरुत्कूलितोऽभूत् त्वया ॥9॥
शिष्टैर्दुष्टजनैश्च दृष्टमहिमा प्रीत्या च भीत्या ततः
संपश्यन् पुरसंपदं प्रविचरन् सायं गतो वाटिकाम् ।
श्रीदाम्ना सह राधिकाविरहजं खेदं वदन् प्रस्वप-
न्नानंदन्नवतारकार्यघटनाद्वातेश संरक्ष माम् ॥10॥
Related to Vishnu
Shri Hari Stotram (श्री हरि स्तोत्रम्)
Shri Hari Stotram भगवान Vishnu की divine glory और supreme power का गुणगान करने वाला एक sacred hymn है। यह holy chant उनके infinite mercy, protection, और grace का वर्णन करता है। इस stotra के पाठ से negative energy दूर होती है और spiritual growth बढ़ती है। भक्तों को peace, prosperity, और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह powerful mantra भगवान Hari की bhakti को गहरा करता है और karma व moksha की प्राप्ति में सहायक होता है। Shri Hari Stotram का जाप करने से जीवन में positivity और harmony आती है।Stotra
Narayaniyam Dashaka 75 (नारायणीयं दशक 75)
नारायणीयं दशक 75 भगवान नारायण की महिमा का वर्णन करता है और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 46 (नारायणीयं दशक 46)
नारायणीयं दशक 46 भगवान विष्णु के अनंत अनुग्रह और उनकी दिव्य कृपा का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की महिमा और उनकी अद्भुत लीलाओं का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 54 (नारायणीयं दशक 54)
नारायणीयं दशक 54 भगवान विष्णु के भक्तों के प्रति अनुग्रह और उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की महिमा और उनकी असीम कृपा का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Bhaj Govindam (भज गोविन्दम्)
भज गोविन्दम् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक भजन है, जो भगवान कृष्ण की स्तुति में गाया जाता है और भक्तों को भक्ति और साधना की शिक्षा देता है।Shloka-Mantra
Narayaniyam Dashaka 59 (नारायणीयं दशक 59)
नारायणीयं दशक 59 भगवान नारायण के अद्वितीय स्वरूप और उनके अनंत गुणों का गुणगान करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 51 (नारायणीयं दशक 51)
नारायणीयं दशक 51 भगवान विष्णु के भक्तों के प्रति अनुग्रह और उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की महिमा और उनकी असीम कृपा का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 58 (नारायणीयं दशक 58)
नारायणीयं दशक 58 भगवान नारायण की महिमा का गुणगान करता है और उनकी कृपा का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka