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Sharabheshashtakam (शरभेशाष्टकम्)
शरभेशाष्टकम्
(Sharabheshashtakam)
श्री शिव उवाच
शृणु देवि महागुह्यं परं पुण्यविवर्धनं .
शरभेशाष्टकं मन्त्रं वक्ष्यामि तव तत्त्वतः ॥
ऋषिन्यासादिकं यत्तत्सर्वपूर्ववदाचरेत् .
ध्यानभेदं विशेषेण वक्ष्याम्यहमतः शिवे ॥
ध्यानं
ज्वलनकुटिलकेशं सूर्यचन्द्राग्निनेत्रं
निशिततरनखाग्रोद्धूतहेमाभदेहम् ।
शरभमथ मुनीन्द्रैः सेव्यमानं सिताङ्गं
प्रणतभयविनाशं भावयेत्पक्षिराजम् ॥
अथ स्तोत्रं
देवादिदेवाय जगन्मयाय शिवाय नालीकनिभाननाय ।
शर्वाय भीमाय शराधिपाय नमोऽस्तु तुभ्यं शरभेश्वराय ॥ 1 ॥
हराय भीमाय हरिप्रियाय भवाय शान्ताय परात्पराय ।
मृडाय रुद्राय विलोचनाय नमोऽस्तु तुभ्यं शरभेश्वराय ॥ 2 ॥
शीतांशुचूडाय दिगम्बराय सृष्टिस्थितिध्वंसनकारणाय ।
जटाकलापाय जितेन्द्रियाय नमोऽस्तु तुभ्यं शरभेश्वराय ॥ 3 ॥
कलङ्ककण्ठाय भवान्तकाय कपालशूलात्तकराम्बुजाय ।
भुजङ्गभूषाय पुरान्तकाय नमोऽस्तु तुभ्यं शरभेश्वराय ॥ 4 ॥
शमादिषट्काय यमान्तकाय यमादियोगाष्टकसिद्धिदाय ।
उमाधिनाथाय पुरातनाय नमोऽस्तु तुभ्यं शरभेश्वराय ॥ 5 ॥
घृणादिपाशाष्टकवर्जिताय खिलीकृतास्मत्पथि पूर्वगाय ।
गुणादिहीनाय गुणत्रयाय नमोऽस्तु तुभ्यं शरभेश्वराय ॥ 6 ॥
कालाय वेदामृतकन्दलाय कल्याणकौतूहलकारणाय ।
स्थूलाय सूक्ष्माय स्वरूपगाय नमोऽस्तु तुभ्यं शरभेश्वराय ॥ 7 ॥
पञ्चाननायानिलभास्कराय पञ्चाशदर्णाद्यपराक्षयाय ।
पञ्चाक्षरेशाय जगद्धिताय नमोऽस्तु तुभ्यं शरभेश्वराय ॥ 8 ॥
इति श्री शरभेशाष्टकम् ॥
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